Free guide on Bihar Board class 7 Geography chapter 4 is available here. Below we have presented you with a complete question and answer from Bhugol chapter 4 – “वायुमंडल एवं इसका संघटन” in hindi.
बिहार बोर्ड की सातवीं कक्षा की भूगोल की किताब का चौथा अध्याय “वायुमंडल एवं इसका संघटन” हमें पृथ्वी के वायुमंडल के बारे में समझने में मदद करेगा। यह बताएगा कि वायुमंडल किन अलग-अलग परतों से बना है और हर परत की क्या विशेषताएं हैं। हम जानेंगे कि वायुमंडल में मौजूद प्रमुख गैसें कौन-कौन सी हैं और उनका क्या महत्व है। साथ ही हम वायुमंडल के तापमान और दबाव के बारे में भी पढ़ेंगे।

Bihar Board Class 7 Geography Chapter 4 Solutions
Subject | Geography (हमारी दुनिया भाग 2) |
Class | 7th |
Chapter | 4. वायुमंडल एवं इसका संघटन |
Board | Bihar Board |
अभ्यास
i. सही विकल्प पर (✓) का निशान लगाएँ ।
प्रश्न (1) पृथ्वी की सतह के ऊपर की ओर जाने पर साँस लेना कठिन होता है क्योंकि
(क) वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
(ख) वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है ।
(ग) वातावरण में नाइट्रोजन की मात्रा कम जाती है ।
(घ) वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम जाती है ।
उत्तर- (घ) वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम जाती है ।
प्रश्न (2) पहले कौन-सा भाग गर्म होता है ?
(क) जल का सतह
(ख) स्थल का सतह ।
(ग) पर्वतीय भाग
उत्तर- (ख) स्थल का सतह ।
प्रश्न (3) वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा है:
(क) 25.42
(ख) 78.03
(ग) 20.99
उत्तर- (ग) 20.99
प्रश्न (4) वायुमंडल की सबसे पहली परत है
(क) समतापमंडल
(ख) क्षोभमंडल
(ग) बाह्यमंडल
(घ) मध्यमंडल
उत्तर- (ख) क्षोभमंडल
प्रश्न (5) रेडियो तरंगें किस परत से परावर्तित होकर पृथ्वी पर वापस लौटती ।
(क) क्षोभमंडल
(ख) बाह्यमंडल
(ग) ओजोनमंडल
(घ) बर्हिमंडल
उत्तर- (ख) बाह्यमंडल
ii. रिक्त स्थानों को भरिए
- समताप मंडल का आरंभ क्षोभ मंडल के बाद होता है।
- बाह्यमंडल का फैलाव 80 से 400 किलोमीटर तक है।
- हल्की गैसें बर्हिमंडल से अंतरिक्ष में तैरती रहती हैं।
- वायुमंडल का विस्तार पृथ्वी की सतह से 1000 किलोमीटर की ऊँचाई तक है।
- वायुमंडल में सबसे अधिक नाइट्रोजन गैस पाई जाती है।
- तापमान बढ़ने से समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो रही है।
- कार्बन डाइऑक्साइड गैस को ग्रीन हाउस गैस भी कहते हैं।
iii. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. वायुमंडल किसे कहते हैं? वायुमंडल के गैसों के घटक को वृत्त में दिखाइए।
उत्तर: वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर फैली हुई वायु का समूह है, जो पृथ्वी की सतह से कुछ सौ किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है। यह पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है और इसमें विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है।
वायुमंडल के प्रमुख गैसों का वृत्त इस प्रकार है:

इन गैसों का वृत्त दर्शाता है कि वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन प्रमुख गैसें हैं, जबकि कार्बन डाइऑक्साइड और अर्गन गैर-प्रमुख गैसें हैं। यह संरचना वायुमंडल को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रश्न 2. ग्रीन हाउस को समझाइए।
उत्तर: ग्रीनहाउस एक ऐसा संरचना होता है जिसमें गर्मी को रोका जाता है ताकि पौधों और फसलों को अच्छी तरह से विकसित होने का अवसर मिले।
ग्रीनहाउस में पारदर्शी पदार्थ जैसे प्लास्टिक या कांच का उपयोग किया जाता है। इन पदार्थों की बनी दीवारों और छत से सूर्य का प्रकाश तो आता है, लेकिन गर्मी बाहर निकल नहीं पाती। इस तरह ग्रीनहाउस के अंदर तापमान बाहर के तापमान से अधिक रहता है।
ग्रीनहाउस में पौधों को नियंत्रित और उपयुक्त वातावरण में विकसित होने का अवसर मिलता है। इससे पौधों की वृद्धि और उत्पादन बढ़ता है। इसी कारण से इस संरचना का नाम ‘ग्रीनहाउस’ रखा गया है।
प्रश्न 3. कार्बन डाइऑक्साइड भी जीवन के लिये जरूरी है। कैसे?
उत्तर: कार्बन डाइऑक्साइड वास्तव में जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका कारण निम्नलिखित है:
- पौधों का भोजन: पौधे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके अपना भोजन, यानी ग्लूकोज, बनाते हैं। यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से होती है।
- ऑक्सीजन उत्पादन: पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं, जो जीव-जंतुओं के लिए आवश्यक है।
- जीवन चक्र में भागीदारी: कार्बन डाइऑक्साइड पशु और मनुष्यों द्वारा उत्सर्जित होती है, जो पौधों द्वारा फिर से उपयोग किया जाता है। इस प्रकार यह जीव-जंतुओं और पौधों के बीच एक महत्वपूर्ण जीवन चक्र में शामिल है।
इस प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड पौधों के लिए खाद्य पदार्थ और जीव-जंतुओं के लिए श्वसन गैर है, अतः यह जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 4. किसी एक मंडल के न होने से क्या कठिनाइयाँ होंगी? लिखिए।
उत्तर: वायुमंडल की विभिन्न परतों का अपना महत्वपूर्ण कार्य है, जिनमें से किसी एक मंडल के न होने से गंभीर कठिनाइयां उत्पन्न हो सकती हैं:
- क्षोभमंडल के न होने से: मनुष्य और अन्य जीवों के लिए साँस लेना असंभव हो जाएगा क्योंki यह परत ऑक्सीजन को धारण करती है।
- समतापमंडल के न होने से: इस परत में ओजोन गैस मौजूद होती है जो हानिकारक UV किरणों को अवशोषित करती है। इस परत के न होने से जीवों पर UV किरणों का हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।
- मध्यमंडल के न होने से: यह परत तापमान को नियंत्रित करती है। इसके अभाव में तापमान अत्यधिक कम या अधिक हो जाएगा जो जीवन के लिए घातक हो सकता है।
इस प्रकार वायुमंडल की किसी भी एक परत के न होने से जलवायु में गंभीर परिवर्तन आ जाएगा, जिससे मानव एवं अन्य जीवों के लिए अनेक समस्याएं पैदा हो जाएंगी।
प्रश्न 5. पृथ्वी पर तापमान बढ़ने से जीवन के लिये खतरा.बढ़ता है । कैसे?
उत्तर- पृथ्वी पर तापमान बढ़ने से जीवन के लिये खतरा बढ़ता है, क्योंकि:
- ग्लेशियरों और हिमनदों का पिघलना: पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण पहाड़ों पर जमी बर्फ और ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ पिघलने लगती है। इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ता है, जिससे तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का आवास खतरे में पड़ जाता है।
- जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं: तापमान में वृद्धि के कारण जलवायु में बदलाव आता है, जिससे असमय और अत्यधिक वर्षा, भूस्खलन, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं होने लगती हैं। ये आपदाएं मानव जीवन के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
- जैव विविधता का क्षरण: तापमान वृद्धि के कारण कई प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है क्योंकि उनके पारिस्थितिक तंत्र बदल जाते हैं। इससे जैव विविधता का नुकसान होता है, जो पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरनाक है।
- कृषि उत्पादन में कमी: तापमान वृद्धि के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होता है, क्योंकि फसलों के विकास और उत्पादन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है, जो मानव जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
इस प्रकार पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से जीवन के विभिन्न पक्षों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
प्रश्न 6. रेडियो और दूरदर्शन की तरंगें किन माध्यमों से हम तक पहुँचती हैं ? पता कीजिए।
उत्तर- रेडियो और दूरदर्शन की तरंगें हमें निम्नलिखित माध्यमों से प्राप्त होती हैं:
- आकाशीय तरंगें: रेडियो और दूरदर्शन की तरंगें पृथ्वी से प्रसारित होकर बाह्य मंडल में चली जाती हैं। यहाँ से वे वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं और हमारे रेडियो व टेलीविजन पर प्राप्त होती हैं।
- सैटेलाइट: आधुनिक समय में कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग कर रेडियो और टेलीविजन की तरंगों को प्रसारित किया जाता है। ये तरंगें उपग्रहों द्वारा पृथ्वी पर वापस भेजी जाती हैं और हमारे उपकरणों पर प्राप्त होती हैं।
- केबल और लाइन: कुछ क्षेत्रों में रेडियो और टीवी सिग्नल को सीधे केबल और लाइनों के माध्यम से भी प्रसारित किया जाता है।
इन माध्यमों के माध्यम से रेडियो और टेलीविजन की तरंगें हमारे उपकरणों तक पहुंचती हैं और हम इनका लाभ उठा सकते हैं।
प्रश्न 7. शीत प्रदेशों या ध्रुवों पर सब्जियों का उत्पादन कैसे करते
उत्तर- शीत प्रदेशों या ध्रुवीय क्षेत्रों पर सब्जियों का उत्पादन निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
- ग्रीनहाउस का उपयोग: इन क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड पड़ती है, जिसके कारण वहां कोई वनस्पति नहीं उग पाती। इस समस्या का समाधान ग्रीनहाउस का उपयोग कर किया जाता है। ग्रीनहाउस में कृत्रिम रूप से तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित कर सब्जियों की खेती की जाती है।
- विशेष तकनीकों का उपयोग: इन क्षेत्रों में व्यक्तिगत पोषण तकनीकों, जैसे हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स का उपयोग कर भी सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। ये तकनीकें मिट्टी के बिना भी पौधों के लिए पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
- अनुकूल बीज प्रजातियों का उपयोग: ध्रुवीय क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से विकसित की गई अनुकूल प्रजातियों के बीजों का उपयोग कर सब्जियों का उत्पादन किया जाता है।
इन तकनीकों का प्रयोग कर शीत प्रदेशों और ध्रुवीय क्षेत्रों में भी सब्जियों का उत्पादन संभव हो जाता है।
प्रश्न 8. ओजोन परत बरे खतरे से बचाना जरूरी है ? क्यों और कैसे ?
उत्तर- ओजोन परत को खतरे से बचाना जरूरी है, क्योंकि:
- ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षित रखती है: यह परत पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों के प्रवेश को रोकती है, जो जीवन के लिए बहुत नुकसानदायक हैं।
- ओजोन परत के नुकसान से जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है: पराबैंगनी किरणों के प्रवेश से कई प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। साथ ही, मानव त्वचा, आंखों और प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी इनका नकारात्मक असर होता है।
- ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण जरूरी है: मानव द्वारा उत्पादित कुछ गैरों, जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), ओजोन परत को नष्ट करते हैं। इन गतिविधियों पर नियंत्रण जरूरी है।