Our experts have shared the complete solution of Bihar Board class 7 Geography chapter 6. Below you will get complete answers of questions asked in Bhugol chapter 6 – “हमारा पर्यावरण”. These answers are available in hindi language and follow the marking scheme of bihar board.
बिहार बोर्ड की सातवीं कक्षा की भूगोल की किताब का छठा अध्याय “हमारा पर्यावरण” हमें अपने आस-पास के वातावरण को समझने में मदद करेगा। इस अध्याय में हम सीखेंगे कि पर्यावरण किन विभिन्न चीजों से बना है और उनका हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है। हम जानेंगे कि वातावरण की गुणवत्ता को किन-किन कारकों से नुकसान पहुंचता है और इसे कैसे बचाया जा सकता है। साथ ही हम पर्यावरण प्रदूषण के बुरे नतीजों और इससे बचने के उपायों पर भी विचार करेंगे।
Bihar Board Class 7 Geography Chapter 6 Solutions
Subject | Geography (हमारी दुनिया भाग 2) |
Class | 7th |
Chapter | 6. हमारा पर्यावरण |
Board | Bihar Board |
प्रश्न 1. पर्यावरण किसे कहते हैं?
उत्तर – पर्यावरण का अर्थ है हमारे चारों ओर मौजूद सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, भूमि, जल और वायु का एक समग्र प्रणाली। इसमें सभी जीवित और अजीवित घटकों के बीच का सतत संबंध और अंतर्क्रिया शामिल है। अर्थात् पर्यावरण में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों घटक शामिल हैं। प्राकृतिक घटकों में नदी, पहाड़, जंगल, मौसम आदि शामिल हैं, जबकि मानव निर्मित घटकों में घर, सड़क, कारखाने आदि शामिल हैं। ये सभी मिलकर मिलकर एक समग्र पर्यावरण का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 2. पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर – पर्यावरण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – प्राकृतिक पर्यावरण और मानव-निर्मित पर्यावरण।
प्राकृतिक पर्यावरण: प्राकृतिक पर्यावरण में वह सभी कुछ शामिल है जो प्रकृति द्वारा बनाया गया है, जैसे नदियाँ, पहाड़, जंगल, वन्यजीव, मौसम आदि। यह पूरी तरह से स्वाभाविक है और मानव हस्तक्षेप से मुक्त है।
मानव-निर्मित पर्यावरण: मानव-निर्मित पर्यावरण में वह सभी कुछ शामिल है जो मानव द्वारा बनाया गया है, जैसे घर, सड़कें, पुल, कारखाने, कृषि क्षेत्र आदि। यह पूरी तरह से मानव की गतिविधियों और हस्तक्षेप से निर्मित होता है।
प्राकृतिक और मानव-निर्मित पर्यावरण का आपस में घनिष्ठ संबंध है और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। इन दोनों का सुसंतुलित होना पर्यावरण के संरक्षण के लिए बहुत ज़रूरी है।
प्रश्न 3. स्थलमंडल, जलमंडल एवं वायुमंडल किसे कहते हैं?
उत्तर – स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल पर्यावरण के तीन प्रमुख घटक हैं।
- स्थलमंडल: स्थलमंडल का संबंध भूमि के साथ है। यह वह भाग है जहाँ जीव-जंतु और मनुष्य रहते हैं, जैसे पहाड़, मैदान, घर, खेत-खलिहान आदि। इस स्थलमंडल में विभिन्न प्रकार के खनिज और अन्य पदार्थ पाए जाते हैं।
- जलमंडल: जलमंडल का संबंध जल से है। इसमें सभी जल स्रोत शामिल हैं, जैसे महासागर, झीलें, नदियाँ, कुएं, तालाब, बारिश के पानी आदि। जलमंडल में जल का संचलन और परिसंचरण होता रहता है।
- वायुमंडल: वायुमंडल पृथ्वी को घिरे हुए गैसीय परत है। इसमें मुख्य गैसें हैं नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड। मनुष्य वायुमंडल से सांस लेता है और पौधे इसी से अपना भोजन बनाते हैं।
इन तीनों घटकों का आपसी संतुलन और संबंध पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखता है।
प्रश्न 4. सांस्कृतिक पर्यावरण के तहत कौन-कौन सी बातें आती हैं?
उत्तर – सांस्कृतिक पर्यावरण में वह सभी तत्व शामिल हैं जो मानव संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाजों से संबंधित हैं। इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
- धार्मिक और आध्यात्मिक परम्पराएं: जैसे मंडन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह संस्कार, कथा-पूजा, धार्मिक पर्व-त्योहार।
- सांस्कृतिक किया-कलाप: जैसे शादी-विवाह पर गाए जाने वाले भजन-गीत, आगंतुक का अभिवादन करने के तरीके।
- सांस्कृतिक स्थल: जैसे तीर्थ स्थल, मेले, हाट आदि।
- प्राकृतिक तत्वों की पूजा: जैसे वृक्ष-पूजा, कुएं की पूजा, गंगा स्नान, सूर्य पूजन।
ये सभी तत्व मिलकर एक सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करते हैं, जो हमारी परम्पराओं और विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 5. मानव निर्मित पर्यावरण के कारण प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। कैसे?
उत्तर – मानव अपनी सुविधाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेक प्रकार के मानव-निर्मित पर्यावरण का निर्माण करता है। इसके लिए वह प्राकृतिक पर्यावरण पर अत्यधिक दबाव डालता है, जिससे प्राकृतिक पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:
- खनिज संसाधनों का अत्यधिक दोहन: मकान, सड़क, कारखाने बनाने के लिए खनिज पदार्थों की भारी मात्रा में आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए पहाड़ों को तोड़कर पत्थर और अन्य खनिज निकाले जाते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।
- वन क्षेत्रों का कटाव: भवन निर्माण, कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के लिए वनों को काटा जाता है, जिससे वन क्षेत्र कम हो रहे हैं।
- प्रदूषण का निर्माण: कारखानों, वाहनों और अन्य मानव गतिविधियों से हवा, जल और मृदा प्रदूषित हो रहे हैं, जो प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
- जैव विविधता का क्षरण: मानव गतिविधियों से वन्यजीवों का आवास नष्ट हो रहा है, जिससे कई प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं।
इस प्रकार मानव के लगातार हस्तक्षेप और दोहन के कारण प्राकृतिक पर्यावरण क्षतिग्रस्त होता जा रहा है।
प्रश्न 6. किन घटनाओं से सांस्कृतिक पर्यावरण को क्षति होती है ?
उत्तर – वर्तमान समय में कुछ ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिनके कारण हमारे सांस्कृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है:
- ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर पलायन: लोग पढ़ाई-लिखाई करके गांव छोड़कर शहरों में नौकरी के लिए चले जाते हैं। इससे उनके परंपरागत सांस्कृतिक संबंध टूटने लगते हैं।
- विविधता में कमी: शहरों में रहने वाले लोग एक-दूसरे के सांस्कृतिक उत्सवों और रीति-रिवाजों में भाग नहीं ले पाते। इससे सांस्कृतिक विविधता कम होने लगती है।
- परंपराओं का क्षरण: लोग अपने मूल गांव-नगर की परंपराओं से दूर हो जाते हैं और उनके घर-परिवार के पारंपरिक त्योहार भी छूट जाते हैं। इससे परंपराएं कमजोर पड़ने लगती हैं।
- आधुनिकता का प्रभाव: आज के समय में तकनीक और वैश्वीकरण का प्रभाव बढ़ने से लोगों के पारंपरिक जीवन-शैली और संस्कारों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
इन सभी कारणों से हमारे समृद्ध सांस्कृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, जिसे संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 7. आपके पास कौन-सा पारितंत्र है ? चित्र बनाकर किसी एक का वर्णन करें।
उत्तर: मेरे पास स्थलीय पारितंत्र है। इस पारितंत्र में निम्नलिखित घटक शामिल हैं:
[एक चित्र बनाकर इस पारितंत्र को दर्शाएं, जिसमें पहाड़, नदी, वन, खेत-खलिहान, मकान, सड़कें, पुल आदि दिखाई दें।]
स्थलीय पारितंत्र में पहाड़, नदियाँ, जंगल, पेड़-पौधे, खेत-मैदान, मानव आवास और कृत्रिम संरचनाएं जैसे सड़कें, पुल, कुएं आदि शामिल हैं। यह एक जटिल पारिस्थितिक तंत्र है, जिसमें जीवित और अजीवित घटकों के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। इस पारितंत्र में जीव-जंतु, माइक्रोऑर्गेनिज्म, पेड़-पौधे, मिट्टी, पानी और वायु सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन सभी घटकों का संतुलित होना इस पारितंत्र के स्वास्थ्य और सतत विकास के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 8. हम किन उपायों को अपनाकर पानी के खर्च को कम कर सकते हैं?
उत्तर: पानी के संरक्षण और उपयोग में कमी लाने के लिए हम निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
- पानी का उपयोग करते समय सावधानी बरतना: नहाने, कपड़े धोने, बर्तन साफ करने आदि में अत्यधिक पानी का उपयोग नहीं करना।
- रिसाव रोकना: घरों में पानी की पाइपलाइनों और नलकूपों में होने वाले रिसाव को तुरंत ठीक करवाना।
- वर्षा जल संचयन: घरों में वर्षा जल को संचित करके उसका इस्तेमाल करना, जैसे गार्डनिंग, सफाई आदि में।
- पुनर्उपयोग: उपयोग किए गए पानी को शुद्ध करके उसका पुनः उपयोग करना, जैसे कपड़े धोने का पानी पौधों की सिंचाई में।
- जल-संरक्षण प्रौद्योगिकियों का उपयोग: जल-संरक्षण करने वाले फ्लश, शावर, टैप आदि उपकरणों का उपयोग करना।
इन उपायों को अपनाकर हम पानी के उपयोग और खर्च को काफी कम कर सकते हैं और इसके संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
प्रश्न 9. पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर हम अपना ही जीवन संकट में डाल रहे हैं। कैसे?
उत्तर: हम अनजाने में या जान-बूझकर कई ऐसी गतिविधियां करते हैं जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इससे हमारा स्वयं का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है, कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- नदियों, तालाबों और कुओं में कचरा डालना: हम अपने कचरे को नदियों, तालाबों और कुओं में फेंक देते हैं, जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है। इस प्रदूषित पानी का उपयोग पीने, स्नान करने या कृषि में करने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
- वाहनों से होने वाला प्रदूषण: वाहनों से निकलने वाले धुएं और गैरों से वायुमंडल दूषित हो जाता है। इस प्रदूषित वायु को हम सांस लेकर अपने फेफड़ों में लेते हैं, जिससे हमारा स्वास्थ्य खराब होता है।
- वनों की अंधाधुंध कटाई: वनों को काटकर घर, सड़कें और कारखाने बनाए जा रहे हैं। इससे वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी होती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
- बिना प्रबंधन के कचरा निपटान: हम अपना कचरा उचित तरीके से निपटाने में लापरवाही बरतते हैं। इससे कचरा प्रदूषण फैलता है, जिससे जमीन, पानी और वायु दूषित होती है और हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
इस प्रकार हम अपने कार्यों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर स्वयं के स्वास्थ्य और जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।