UP Board Class 9 Science Chapter 9 Solutions – गुरुत्वाकर्षण

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यूपी बोर्ड कक्षा 9 विज्ञान पुस्तक का नौवाँ अध्याय “गुरुत्वाकर्षण” प्रकृति के एक महत्वपूर्ण बल को समझने पर केंद्रित है। यह अध्याय हमें बताता है कि गुरुत्वाकर्षण क्या है और यह कैसे हर वस्तु को पृथ्वी की ओर खींचता है। इसमें हम सीखेंगे कि यह बल कैसे काम करता है, इसका प्रभाव कैसे मापा जाता है, और यह हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करता है। यह अध्याय विद्यार्थियों को यह समझने में मदद करेगा कि चीजें क्यों गिरती हैं, ग्रह कैसे अपनी कक्षाओं में घूमते हैं, और समुद्र में ज्वार-भाटा क्यों आता है।

UP Board class 9 Science chapter 9

UP Board Class 9 Science Chapter 9 Solutions

SubjectScience (विज्ञान)
Class9th
Chapter9. गुरुत्वाकर्षण
BoardUP Board

अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 149)

प्रश्न 1. गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताइये।

उत्तर- गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम न्यूटन द्वारा प्रतिपादित किया गया था। यह नियम बताता है कि ब्रह्मांड में प्रत्येक पिंड दूसरे पिंड को एक बल से आकर्षित करता है। यह गुरुत्वाकर्षण बल दोनों पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल हमेशा आकर्षक होता है और दोनों पिंडों को मिलाने वाली सीधी रेखा की दिशा में कार्य करता है। इस नियम को गणितीय रूप से F = G(m1m2)/r² के रूप में व्यक्त किया जाता है, जहां G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है। यह नियम पृथ्वी पर वस्तुओं के गिरने से लेकर ग्रहों की गति तक, सभी स्तरों पर गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या करता है।

प्रश्न 2. पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।

उत्तर-

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 152)

प्रश्न 1. मुक्त पतन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- मुक्त पतन वह प्रक्रिया है जब कोई वस्तु केवल गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में गिरती है, बिना किसी अन्य बल के। इसमें वस्तु का वेग समय के साथ बढ़ता जाता है। वायु प्रतिरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए, सभी वस्तुएँ एक ही गति से गिरती हैं, चाहे उनका द्रव्यमान कुछ भी हो। पृथ्वी के निकट, मुक्त पतन का त्वरण लगभग 9.8 मीटर प्रति सेकंड प्रति सेकंड होता है।

प्रश्न 2. गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- गुरुत्वीय त्वरण वह दर है जिससे किसी वस्तु का वेग गुरुत्वाकर्षण के कारण बदलता है। यह पृथ्वी की सतह पर लगभग 9.8 मीटर प्रति सेकंड प्रति सेकंड (m/s²) होता है और इसे ‘g’ से दर्शाया जाता है। गुरुत्वीय त्वरण का मान स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है, जैसे ध्रुवों पर यह अधिक और भूमध्य रेखा पर कम होता है। यह पृथ्वी के द्रव्यमान और त्रिज्या पर निर्भर करता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 153)

प्रश्न 1. किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है?

उत्तर-

द्रव्यमानभार
किसी वस्तु में निहित द्रव्य की कुल मात्रा को द्रव्यमान कहा जाता है।किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे पृथ्वी उस वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है।
यह एक अदिश राशि है, जिसमें केवल परिमाण होता है और दिशा का अभाव होता है।भार एक सदिश राशि है, जिसमें परिमाण के साथ दिशा भी होती है।
द्रव्यमान हर स्थान पर एक समान रहता है और यह परिवर्तित नहीं होता।वस्तु का भार गुरुत्वाकर्षण बल पर निर्भर करता है, इसलिए यह स्थान-स्थान पर बदल सकता है।
इसका S.I. मात्रक किलोग्राम (kg) है।इसका S.I. मात्रक न्यूटन (N) है, जो बल का भी मात्रक है।
द्रव्यमान को सामान्यतया कांटे या तुला द्वारा मापा जाता है।भार को भौतिक तुला से मापा जाता है।

प्रश्न 2. किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का { 1 }/{ 6 } गुणा क्यों होता है?

उत्तर- चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर उसके भार का लगभग 1/6 गुना होता है। इसका कारण चंद्रमा का कम द्रव्यमान और आकार है। चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/81 है, जिससे वहाँ का गुरुत्वाकर्षण बल कम होता है। चंद्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान लगभग 1.6 m/s² है, जो पृथ्वी के 9.8 m/s² का छठा हिस्सा है। इसलिए, जब कोई वस्तु चंद्रमा पर ले जाई जाती है, तो उस पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल कम हो जाता है, जिससे उसका भार भी कम हो जाता है। यह अनुपात सभी वस्तुओं के लिए समान रहता है, चाहे उनका द्रव्यमान कुछ भी हो।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 157)

प्रश्न 1. एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों?

उत्तर- पतली डोरी से बने पट्टे का संपर्क क्षेत्रफल बहुत कम होता है, जिससे स्कूल बैग का पूरा भार इस छोटे क्षेत्र पर केंद्रित हो जाता है। इससे हाथ पर अधिक दबाव पड़ता है, जो असुविधाजनक और कष्टदायक हो सकता है। दबाव = बल / क्षेत्रफल के अनुसार, जब समान बल को छोटे क्षेत्रफल पर लगाया जाता है, तो दबाव बढ़ जाता है। इसलिए, चौड़े पट्टे का उपयोग करना अधिक आरामदायक होता है।

प्रश्न 2. उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- उत्प्लावकता एक ऊपर की ओर लगने वाला बल है जो तरल पदार्थ द्वारा उसमें डूबी हुई वस्तु पर लगाया जाता है। यह बल वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है, जिसे आर्किमिडीज के सिद्धांत द्वारा वर्णित किया गया है। उत्प्लावन बल तरल के घनत्व पर निर्भर करता है – जितना अधिक घनत्व, उतना अधिक बल। यह बल ही वस्तुओं को तरल में तैरने या डूबने में मदद करता है।

प्रश्न 3. पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या बुबती है?

उत्तर- किसी वस्तु का तैरना या डूबना उसके घनत्व और पानी के घनत्व के बीच के संबंध पर निर्भर करता है। यदि वस्तु का घनत्व पानी से कम है, तो वह तैरेगी क्योंकि उत्प्लावन बल वस्तु के भार से अधिक होगा। यदि वस्तु का घनत्व पानी से अधिक है, तो वह डूबेगी क्योंकि उसका भार उत्प्लावन बल से अधिक होगा। यदि दोनों के घनत्व बराबर हैं, तो वस्तु पानी में तैरती रहेगी।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 158)

प्रश्न 1. एक तुला (weighing machine) पर आप अपना द्रव्यमान 42 kg नोट करते हैं। क्या आपको द्रव्यमान 42 kg से अधिक है या कम?

उत्तर- आपका वास्तविक द्रव्यमान 42 kg से थोड़ा अधिक है। यह अंतर वायु के उत्प्लावन बल के कारण होता है, जो आपके शरीर पर ऊपर की ओर कार्य करता है। यह बल आपके शरीर द्वारा विस्थापित वायु के भार के बराबर होता है, जो आपके कुल भार को कुछ कम कर देता है। हालांकि, यह अंतर बहुत छोटा होता है और आम तौर पर नगण्य माना जाता है।

प्रश्न 2. आपके पास एक रुई को बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 kg द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक-दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?

उत्तर- वास्तव में रुई का बोरा लोहे की छड़ से थोड़ा भारी होगा। यह अंतर वायु के उत्प्लावन बल के कारण होता है। रुई का बोरा अधिक आयतन घेरता है, इसलिए यह अधिक वायु विस्थापित करता है। परिणामस्वरूप, रुई के बोरे पर अधिक उत्प्लावन बल कार्य करता है, जिससे उसका प्रत्यक्ष भार कम हो जाता है। दोनों वस्तुओं का वायु में मापा गया भार समान है, लेकिन निर्वात में रुई का बोरा थोड़ा भारी होगा।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1. यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?

उत्तर- गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियमानुसार दो वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 2. सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती?

उत्तर- यह न्यूटन के गति के दूसरे नियम से समझाया जा सकता है, जिसके अनुसार बल = द्रव्यमान × त्वरण। गुरुत्वाकर्षण के मामले में, भारी वस्तु पर अधिक बल लगता है, लेकिन उसका द्रव्यमान भी अधिक होता है। इन दोनों प्रभावों के कारण, त्वरण (g) सभी वस्तुओं के लिए समान रहता है, जो पृथ्वी के निकट लगभग 9.8 m/s² होता है। इसलिए, वायु प्रतिरोध की अनुपस्थिति में, सभी वस्तुएँ एक ही दर से गिरती हैं, चाहे उनका द्रव्यमान कुछ भी हो।

प्रश्न 3. पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी 1 kg की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 kg है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 x 106 m है)।

उत्तर-

प्रश्न 4. पृथ्वी तथा चंद्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?

उत्तर- न्यूटन के तृतीय गति नियम के अनुसार, पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे को समान बल से आकर्षित करते हैं। यह बल गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम द्वारा निर्धारित होता है, जो कहता है कि बल दोनों पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। हालांकि पृथ्वी का द्रव्यमान चंद्रमा से अधिक है, लेकिन दोनों पर लगने वाला बल समान होता है।

प्रश्न 5. यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?

उत्तर- वास्तव में, पृथ्वी चंद्रमा की ओर थोड़ी गति करती है, लेकिन यह गति इतनी छोटी होती है कि हम इसे देख नहीं पाते। न्यूटन के दूसरे गति नियम के अनुसार, त्वरण बल और द्रव्यमान के अनुपात के बराबर होता है (a = F/m)। चूंकि पृथ्वी का द्रव्यमान चंद्रमा से बहुत अधिक है, इसलिए समान बल के कारण पृथ्वी का त्वरण बहुत कम होता है। इसके अलावा, पृथ्वी और चंद्रमा एक साझे गुरुत्वाकर्षण केंद्र के चारों ओर घूमते हैं, जो पृथ्वी के अंदर स्थित है।

प्रश्न 6. दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि-

(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?

उत्तर-

प्रश्न 7. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्त्व हैं?

उत्तर- गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम प्रकृति में कई महत्वपूर्ण घटनाओं को समझाता है। यह पृथ्वी पर सभी वस्तुओं को स्थिर रखता है और वायुमंडल को बनाए रखने में मदद करता है। यह सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं और चंद्रमा की पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा को नियंत्रित करता है। समुद्र में ज्वार-भाटा भी इसी नियम का परिणाम है। इसके अलावा, यह नियम अंतरिक्ष अन्वेषण और उपग्रह प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 8. मुक्त पतन का त्वरण क्या है?

उत्तर- मुक्त पतन का त्वरण वह त्वरण है जो कोई वस्तु केवल गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में गिरते समय अनुभव करती है। पृथ्वी की सतह के निकट, यह त्वरण लगभग 9.8 m/s² होता है और इसे ‘g’ से दर्शाया जाता है। यह मान पृथ्वी के द्रव्यमान और त्रिज्या पर निर्भर करता है, और इसे गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम से प्राप्त किया जा सकता है। वायु प्रतिरोध की अनुपस्थिति में, सभी वस्तुएँ इसी त्वरण से गिरती हैं, चाहे उनका द्रव्यमान कुछ भी हो।

प्रश्न 9. पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?

उत्तर- पृथ्वी और किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल को उस वस्तु का भार कहते हैं। भार एक बल है जो न्यूटन में मापा जाता है। यह वस्तु के द्रव्यमान और स्थानीय गुरुत्वीय त्वरण (g) का गुणनफल होता है। भार का सूत्र W = mg है, जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान है और g गुरुत्वीय त्वरण है।

प्रश्न 10. एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को दे देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं तो क्यों? (संकेत : ध्रुवों पर g का मान विषुवत् वृत्त की अपेक्षा अधिक है।)

उत्तर- व्यक्ति A का मित्र सोने के भार से संतुष्ट नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि गुरुत्वीय त्वरण (g) ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की तुलना में अधिक होता है। पृथ्वी के चपटे होने के कारण, ध्रुवों पर पृथ्वी की सतह केंद्र के अधिक नजदीक होती है, जिससे वहाँ g का मान बढ़ जाता है। चूंकि भार = द्रव्यमान × g, इसलिए समान द्रव्यमान का सोना विषुवत वृत्त पर कम भारी प्रतीत होगा।

प्रश्न 11. एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?

उत्तर- यह अंतर वायु प्रतिरोध के कारण होता है। खुली कागज की शीट का सतह क्षेत्रफल गेंद की तुलना में बहुत अधिक होता है, जिससे उस पर वायु का प्रभाव अधिक पड़ता है। गेंद का कम सतह क्षेत्रफल होने के कारण उस पर कम वायु प्रतिरोध लगता है। इसके अलावा, गेंद का आकार उसे हवा को चीरकर आगे बढ़ने में मदद करता है। परिणामस्वरूप, समान द्रव्यमान होने पर भी गेंद तेजी से गिरती है।

प्रश्न 12. चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा ३ गुणा है। एक 10 kg की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा?

उत्तर- वस्तु का द्रव्यमान m = 10 kg
पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 m/s2
पृथ्वी पर वस्तु का भार = m x g = 10 x 9.8 = 98 N
चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान g = { 9.8 }{ 6 } = 1.63 m/s2
चन्द्रमा पर वस्तु का भार = mg = 10 x 1.63 = 16.3 N
वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर स्थिर रहता है।
अतः वस्तु का पृथ्वी पर द्रव्यमान = 10 kg
वस्तु का चन्द्रमा पर द्रव्यमान = 10 kg

प्रश्न 13. एक गेंद को ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 m/s के वेग से फेंकी जाती है तो परिकलन कीजिए

(i) अधिकतम ऊँचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है।
(ii) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया कुल समय।

हल-

प्रश्न 14. 19.6 m ऊँची एक मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले इसका अंतिम वेग ज्ञात कीजिए।

हल-

मीनार की ऊँचाई h = 19.6 m
g = 9.8 m/s2
पत्थर को आरंभिक वेग u = 0
मान लिया पत्थर का अन्तिम वेग v = ?
हम जानते हैं,
v2 – u2 = 2gh
⇒ v2 – 0 = 2 (9.8) x 19.6
⇒ v2 = 19.6 x 19.6
⇒ v = 19.6 m/s

प्रश्न 15. कोई पत्थर ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 m/s के प्रारंभिक वेग से फेंका गया है। g = 10 m/s लेते हुए ग्राफ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए। नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?

हल-

प्रश्न 16. पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए। दिया है,पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 kg तथा सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg। दोनों के बीच की औसत दूरी 1.5 x 1011 m है।

हल-

प्रश्न 17. कोई पत्थर 100 m ऊँची किसी मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 m/s के वेग से ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलने कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे?

हल-

प्रश्न 18. ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6s पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए।

(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई;
(b) गेंद द्वारा पहुँची गई अधिकतम ऊँचाई; तथा
(c) 4s पश्चात् गेंद की स्थिति।

हल-

प्रश्न 19. किसी दूर्व में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?

उत्तर- किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल हमेशा ऊर्ध्वाधर ऊपर की दिशा में कार्य करता है। यह बल आर्किमिडीज के सिद्धांत पर आधारित है, जो कहता है कि किसी द्रव में पूर्ण या आंशिक रूप से डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगता है, जो वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के भार के बराबर होता है। यह बल द्रव के दाब के कारण उत्पन्न होता है, जो वस्तु के नीचे की सतह पर ऊपर की सतह की तुलना में अधिक होता है।

प्रश्न 20. पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाता है?

उत्तर- प्लास्टिक का गुटका पानी की सतह पर आ जाता है क्योंकि उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल उसके भार से अधिक होता है। यह इसलिए होता है क्योंकि प्लास्टिक का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है। आर्किमिडीज के सिद्धांत के अनुसार, गुटके पर लगने वाला उत्प्लावन बल उसके द्वारा विस्थापित पानी के भार के बराबर होता है। चूंकि गुटके का भार इस उत्प्लावन बल से कम होता है, इसलिए यह ऊपर की ओर धकेला जाता है और पानी की सतह पर तैरने लगता है।

प्रश्न 21. 50 g के किसी पदार्थ का आयतन 20 cm है। यदि पानी का घनत्व 1 gcm हो, तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा?

उत्तर- पदार्थ का द्रव्यमान, m = 50 g
आयतन V = 20 g/cm3
पदार्थ का घनत्व = { m }/{ V } = { 50 }/{ 20 } = 2.5 g/cms
पदार्थ का घनत्व (2.5 g/cm3) पानी के घनत्व (1 g/cm3) से अधिक है इसलिए यह पानी में डूब जाएगा।

प्रश्न 22. 500 g के एक मोहरबंद पैकेट का आयतन 350 cm3 है। पैकेट 1 g cm-3 घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा?

हल- (i) सील किए हुए पैकेट का द्रव्यमान,
m = 500 g
आयतन, V = 350 cm3
धनत्व = { m }/{ V } = { 500 }/{ 350 } = { 10 }/{ 7 } = 1.43 g/cm
पैकेट पानी में डूब जाएगा क्योंकि इसका घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है इसलिए पानी द्वारा लगाया गया उत्प्लावन बल पैकेट के भार से कम है।
(ii) पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का आयतन = 350 cm3
पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान = पानी का घनत्व x पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का आयतन = 1 x 350 = 350 ग्राम
अतः पैकेट द्वारा विस्थापित जल का भार 350 ग्राम होगा।

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Chapter 7 Solutions – गति
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