On this page, we are presenting you with UP Board class 9 Science chapter 11 solutions for free. Below you will get the written question and answer of chapter 11 – “ध्वनि” in hindi medium.
यूपी बोर्ड कक्षा 9 विज्ञान पुस्तक का ग्यारहवाँ अध्याय “ध्वनि” हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एक प्राकृतिक घटना के बारे में बताता है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि ध्वनि क्या है, कैसे उत्पन्न होती है, और कैसे यात्रा करती है। इसमें हम ध्वनि की विशेषताओं, जैसे तारत्व, तीव्रता और गुणवत्ता के बारे में जानेंगे। यह अध्याय यह भी बताता है कि हम ध्वनि को कैसे सुनते हैं और इसका उपयोग संगीत, संचार और प्रौद्योगिकी में कैसे किया जाता है।
UP Board Class 9 Science Chapter 11 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 9th |
Chapter | 11. ध्वनि |
Board | UP Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 182)
प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर- जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो वह अपने आस-पास के माध्यम (जैसे हवा) में विक्षोभ उत्पन्न करती है। यह विक्षोभ माध्यम के कणों में अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में फैलता है, जिसमें सघनन और विरलन क्षेत्र बनते हैं। ये तरंगें माध्यम के कणों से टकराकर आगे बढ़ती हैं और अंततः हमारे कानों के कर्णपटल तक पहुँचती हैं। कर्णपटल इन कंपनों को ग्रहण करके उन्हें विद्युत संकेतों में बदल देता है, जिन्हें हमारा मस्तिष्क ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 182)
प्रश्न 1. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर- जब घंटी पर हथौड़े से आघात किया जाता है, तो घंटी कम्पन करने लगती है। ये कम्पन वायु के माध्यम से आस-पास फैलते हैं, जिससे ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। ये ध्वनि तरंगें हमारे कानों तक पहुँचती हैं, जिससे हमें घंटी की आवाज सुनाई देती है।
प्रश्न 2. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर- ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके संचरण के लिए किसी भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है। ये तरंगें माध्यम के कणों के कम्पन द्वारा आगे बढ़ती हैं। इस प्रकार, ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की यांत्रिक गति पर निर्भर करती हैं।
प्रश्न 3. मान लीजिए कि आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर- नहीं, चंद्रमा पर आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पाएंगे। चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं है, जो ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए आवश्यक है। ध्वनि तरंगों को फैलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, जो चंद्रमा पर उपलब्ध नहीं है। इसलिए, चंद्रमा पर ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 186)
प्रश्न 1. तरंग की कौन-सा गुणनिम्नलिखित को निर्धारित करता है-
(a) प्रबलता
(b) तारत्व?
उत्तर- (a) ध्वनि की प्रबलता तरंग के आयाम द्वारा निर्धारित होती है। आयाम जितना अधिक होगा, ध्वनि उतनी ही प्रबल होगी।
(b) ध्वनि का तारत्व तरंग की आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। आवृत्ति जितनी अधिक होगी, ध्वनि का तारत्व उतना ही अधिक होगा।
प्रश्न 2. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है?
(a) गिटार
(b) कार का हार्न?
उत्तर- आमतौर पर, गिटार की ध्वनि का तारत्व कार के हार्न से अधिक होता है। गिटार की तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति अधिक होती है, जिससे उसका तारत्व ज्यादा होता है। कार का हार्न सामान्यतः कम आवृत्ति वाली ध्वनि उत्पन्न करता है, जिससे उसका तारत्व कम होता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 186)
प्रश्न 1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
- तरंगदैर्घ्य: यह दो क्रमागत संपीड़न या विरलन केंद्रों के बीच की दूरी है। यह एक पूर्ण तरंग चक्र की लंबाई को दर्शाता है।
- आवृत्ति: यह एक सेकंड में होने वाले दोलनों की संख्या है। इसकी इकाई हर्ट्ज (Hz) है।
- आवर्तकाल: यह एक पूर्ण दोलन को पूरा करने में लगने वाला समय है। यह आवृत्ति का व्युत्क्रम होता है।
- आयाम: यह माध्यम के कणों का अपनी संतुलन स्थिति से अधिकतम विस्थापन है। यह तरंग की ऊर्जा या तीव्रता को दर्शाता है।
प्रश्न 2. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर- ध्वनि तरंगों की आवृत्ति, तरंगदैर्ध्य तथा वेग निम्न रूप से सम्बन्धित हैं।
तरंग का वेग = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
υ = n x λ
जहाँ υ = तरंग का वेग, n = आवृत्ति, λ = तरंगदैर्घ्य
प्रश्न 3. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर- ध्वनि तरंग की आवृत्ति, n = 220 Hz
ध्वनि की चाल, υ = 440m/s
ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य λ = ?
हम जानते हैं कि
υ = n x λ
λ = { u }/{ n } = { 440 }/{ 220 } = 2 m.
अतः ध्वनि की तरंगदैर्ध्य = 2m.
प्रश्न 4. किसी ध्वनि स्रोत से 450 m की दूरी पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति 500 Hz की ध्वनि को सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा?
हल-
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 187)
प्रश्न 1. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर- ध्वनि की तीव्रता और प्रबलता में अंतर:-
तीव्रता: यह एक भौतिक मात्रा है जो किसी क्षेत्र से प्रति सेकंड गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को मापती है। इसे वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा मापा जा सकता है।
प्रबलता: यह एक मनोवैज्ञानिक अनुभूति है जो दर्शाती है कि हमारे कान किसी ध्वनि को कितना तेज महसूस करते हैं। यह व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर निर्भर करती है और समान तीव्रता की ध्वनियाँ भिन्न प्रबलता की प्रतीत हो सकती हैं।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 188)
प्रश्न 1. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
उत्तर – ध्वनि वायु (346 m/s), जल (1498 m/s) से अधिक तेज लौह (5950 m/s) माध्यम में चलती है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 189)
प्रश्न 1. कोई प्रतिध्वनि 3 s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर –
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 190)
प्रश्न 1. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर- कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार होती हैं ताकि ध्वनि का बेहतर वितरण हो सके। वक्राकार सतह ध्वनि को विभिन्न दिशाओं में परावर्तित करती है, जिससे हॉल के हर कोने में समान रूप से ध्वनि पहुँचती है। यह व्यवस्था श्रोताओं को हर स्थान पर स्पष्ट और संतुलित ध्वनि सुनने में मदद करती है। साथ ही, यह ध्वनि की गुणवत्ता को बनाए रखने और प्रतिध्वनि को कम करने में भी सहायक होती है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 191)
प्रश्न 1. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर- सामान्य मनुष्य के कान 20 Hz से 20,000 Hz (या 20 kHz) के बीच की आवृत्तियों की ध्वनि सुन सकते हैं। इस परास को श्रव्य परास कहते हैं। यह परास व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है। बच्चों में यह परास अधिक विस्तृत होता है, जबकि उम्र बढ़ने के साथ यह कम हो जाता है।
प्रश्न 2. निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परास क्या है?
उत्तर- (a) अवश्रव्य ध्वनि: 20 Hz से कम आवृत्ति वाली ध्वनियाँ अवश्रव्य कहलाती हैं। इन्हें इन्फ्रासाउंड भी कहते हैं। कुछ जानवर, जैसे हाथी, इन्हें सुन सकते हैं।
(b) पराध्वनि: 20 kHz से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनियाँ पराध्वनि कहलाती हैं। इन्हें अल्ट्रासाउंड भी कहते हैं। कुछ जानवर, जैसे चमगादड़ और डॉल्फिन, इन्हें सुन और उत्पन्न कर सकते हैं।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 193)
प्रश्न 1. एक पनडुब्बी सोनार स्पन्द उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल- समय, t = 1.02 s
खारे जल में ध्वनि का वेग = 1531 m/s
सोनार पल्स से चली दूरी = 2d
जहाँ कि चट्टान की दूरी d है।
2d = सोनारे स्पंद की चाल x समय = 1531 m/s x 1.02 s = 1561.62 m
अथवा d = 780.8 m.
इसलिए चट्टान 780.8 m दूर होगी।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर- ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो कंपन द्वारा उत्पन्न होती है और हवा के माध्यम से यात्रा करती है। यह तब पैदा होती है जब कोई वस्तु अपनी सामान्य स्थिति के इर्द-गिर्द कंपन करती है। उदाहरण के लिए, जब हम किसी ढोल पर चोट करते हैं, तो उसकी सतह कंपन करती है, जो हवा में दबाव की लहरें पैदा करता है। ये लहरें हमारे कानों तक पहुंचती हैं, जिससे हमें ध्वनि सुनाई देती है। विभिन्न वाद्य यंत्र जैसे सितार, बांसुरी, या हारमोनियम अलग-अलग तरीकों से कंपन उत्पन्न करके ध्वनि पैदा करते हैं।
प्रश्न 2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलने कैसे उत्पन्न होते हैं?
उत्तर-
जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो वह आस-पास की वायु को धक्का देती है। जब वस्तु आगे बढ़ती है, तो वह वायु को संकुचित करती है, जिससे एक उच्च दाब का क्षेत्र बनता है (संपीडन)। जब वस्तु पीछे हटती है, तो वहाँ कम दाब का क्षेत्र बनता है (विरलन)। वस्तु के लगातार कंपन से वायु में संपीडन और विरलन की श्रृंखला बनती है, जो ध्वनि तरंगों के रूप में आगे बढ़ती है। इस प्रक्रिया को एक सरल चित्र में दर्शाया जा सकता है, जहाँ कंपित वस्तु के आस-पास संपीडन (C) और विरलन (R) के क्षेत्र दिखाए जाते हैं।
प्रश्न 3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है। कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
उत्तर-
प्रश्न 4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों
उत्तर- ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य होती हैं क्योंकि वे माध्यम के कणों को अपने संचरण की दिशा में ही कंपित करती हैं। जब ध्वनि संचरित होती है, तो माध्यम के कण अपनी सामान्य स्थिति के आगे-पीछे गति करते हैं, जो ध्वनि के प्रसार की दिशा के समानांतर होता है। यह गति संपीडन और विरलन क्षेत्र बनाती है, जो ध्वनि तरंग का निर्माण करते हैं। इसलिए, ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य कहलाती है।
प्रश्न 5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर- ध्वनि का टिम्बर या गुणता किसी व्यक्ति की आवाज पहचानने में मदद करता है। टिम्बर ध्वनि का वह गुण है जो एक समान पिच और तीव्रता की ध्वनियों को अलग-अलग स्रोतों से पहचानने में मदद करता है। यह व्यक्ति के स्वर यंत्र की संरचना और आकार पर निर्भर करता है, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट होता है। इसलिए, आप अंधेरे कमरे में भी अपने मित्र की आवाज पहचान सकते हैं।
प्रश्न 6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर- तड़ित की चमक और गर्जन में अंतर इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश और ध्वनि की चाल में बहुत अंतर है। प्रकाश की चाल लगभग 3 × 10⁸ मीटर प्रति सेकंड है, जबकि ध्वनि की चाल हवा में केवल 343 मीटर प्रति सेकंड है। इस कारण, तड़ित की चमक तुरंत दिखाई देती है, जबकि गर्जन की ध्वनि को हम तक पहुंचने में अधिक समय लगता है। यह अंतर जितना अधिक होगा, तड़ित उतनी ही दूर होगी।
प्रश्न 7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।
उत्तर- (i) आवृत्ति, n = 20 Hz
वायु में ध्वनि का वेग = 344 ms-1
υ = nλ
अथवा 344 = 20 x λ
अथवा λ = { 344 }/{ 20 } = 17.2 m
(ii) आवृत्ति, n = 20 KHz = 20,000 Hz
वायु में ध्वनि का वेग = 344ms-1
υ = n x λ
344 = 20,000 x λ
अथवा λ = { 344 }/{ 20000 } = 0.0172 m = 0.017 m
प्रश्न 8. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
प्रश्न 9. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
उत्तर- आवृत्ति = 100 Hz
समय = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
कंपनों की संख्या = आवृत्ति x समय = 100 Hz x 60 सेकण्ड = 6000 कंपन
प्रश्न 10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों को पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।\
उत्तर- हाँ, ध्वनि भी प्रकाश की तरह परावर्तन के नियमों का पालन करती है। ये नियम हैं:-
- आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है।
- आपतन किरण, परावर्तित किरण और अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।
- आपतन बिंदु पर आपतन किरण और परावर्तित किरण अभिलंब के विपरीत दिशाओं में होती हैं।
- ये नियम ध्वनि के परावर्तन को समझने में मदद करते हैं, जैसे प्रतिध्वनि का उत्पन्न होना।
प्रश्न 11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी-
उत्तर- प्रतिध्वनि उस दिन अधिक शीघ्र सुनाई देगी जिस दिन तापमान अधिक हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ध्वनि की चाल माध्यम के तापमान पर निर्भर करती है। जब तापमान बढ़ता है, तो हवा के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे ध्वनि तरंगों का संचरण तेज हो जाता है। इसलिए, गर्म दिन में ध्वनि अधिक तेजी से यात्रा करेगी और प्रतिध्वनि जल्दी सुनाई देगी। ठंडे दिन की तुलना में गर्म दिन में ध्वनि की चाल अधिक होती है।
प्रश्न 12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर- ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो महत्वपूर्ण व्यावहारिक उपयोग हैं:-
- ध्वनि विस्तारक यंत्र: मेगाफोन, लाउडस्पीकर और संगीत वाद्ययंत्र जैसे तुरही में ध्वनि परावर्तन का उपयोग किया जाता है। इन उपकरणों में शंक्वाकार आकृति होती है जो ध्वनि को एक विशेष दिशा में केंद्रित करती है, जिससे ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है और वह दूर तक सुनाई देती है।
- सभागारों का डिजाइन: कॉन्सर्ट हॉल, सिनेमाघर और सम्मेलन कक्षों की छतें और दीवारें वक्राकार बनाई जाती हैं। यह डिजाइन ध्वनि को इस तरह परावर्तित करता है कि वह हॉल के सभी हिस्सों में समान रूप से पहुंचे, जिससे हर श्रोता को स्पष्ट और समान गुणवत्ता की ध्वनि सुनाई दे।
प्रश्न 13. 500 मी ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g = 10 ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)
उत्तर-
प्रश्न 14. एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
उत्तर- ध्वनि तरंग की चाल υ = 339 ms-1
तरंगदैर्घ्य λ = 1.5 cm = 0.015 m
तरंग की आवृत्ति n = ?
υ = n x λ
n = {u }/{ λ } = { 339 }/{ 0.015 } = 22,600 Hz
ये ध्वनि श्रव्य नहीं होगी क्योंकि इनकी आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक है। अतः ये पराश्रव्य ध्वनि है।
प्रश्न 15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर- अनुरणन एक ऐसी घटना है जिसमें किसी बड़े कमरे या हॉल में ध्वनि लंबे समय तक गूंजती रहती है। यह तब होता है जब मूल ध्वनि बंद हो जाने के बाद भी उसकी प्रतिध्वनियाँ दीवारों से टकराकर लौटती रहती हैं। अनुरणन को कम करने के लिए, दीवारों और छत पर ध्वनि अवशोषक सामग्री जैसे फाइबर बोर्ड, कालीन, या विशेष प्लास्टर का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, कमरे के डिजाइन और फर्नीचर की सावधानीपूर्वक योजना बनाकर भी अनुरणन को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रश्न 16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर- ध्वनि की प्रबलता वह गुण है जो हमें ध्वनि को तेज या धीमा महसूस कराता है। यह मुख्य रूप से ध्वनि तरंगों के आयाम पर निर्भर करती है – जितना बड़ा आयाम, उतनी ही अधिक प्रबल ध्वनि। ध्वनि की प्रबलता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे: ध्वनि स्रोत द्वारा उत्पन्न ऊर्जा की मात्रा, स्रोत से दूरी, और माध्यम की प्रकृति। उदाहरण के लिए, किसी वस्तु पर जितने जोर से आघात किया जाएगा, उतनी ही प्रबल ध्वनि उत्पन्न होगी, जबकि स्रोत से दूर जाने पर ध्वनि की प्रबलता कम होती जाती है।
प्रश्न 17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर- चमगादड़ पराध्वनि का उपयोग एक प्राकृतिक सोनार सिस्टम के रूप में करते हैं। वे उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगें उत्सर्जित करते हैं, जो वस्तुओं या कीड़ों से टकराकर वापस आती हैं। चमगादड़ इन प्रतिध्वनियों को अपने कानों से पकड़ते हैं और उनके आधार पर अपने आसपास की वस्तुओं की स्थिति और दूरी का अनुमान लगाते हैं। इस तकनीक से वे अंधेरे में भी अपने शिकार का पता लगा लेते हैं और बाधाओं से बच जाते हैं। यह प्रक्रिया इकोलोकेशन कहलाती है।
प्रश्न 18. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर- पराध्वनि का उपयोग जटिल आकार वाली या नाजुक वस्तुओं को साफ करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, वस्तुओं को एक विशेष तरल में डुबोया जाता है और उसमें उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। ये तरंगें सूक्ष्म कंपन पैदा करती हैं, जो गंदगी और मैल को अलग कर देती हैं। यह तकनीक विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, आभूषणों, और चिकित्सा उपकरणों जैसी संवेदनशील वस्तुओं के लिए उपयोगी है, जहां मैनुअल सफाई मुश्किल या असंभव हो सकती है।
प्रश्न 19. सोनार (SONAR) की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- सोनार (SONAR) का पूरा नाम “Sound Navigation and Ranging” है, जिसका अर्थ है ध्वनि द्वारा नेविगेशन और दूरी मापन। यह एक ऐसी तकनीक है जो जल में पराध्वनि तरंगों का उपयोग करके वस्तुओं का पता लगाती और उनकी दूरी मापती है।
सोनार की कार्यप्रणाली:-
- एक ट्रांसमीटर पराध्वनि तरंगें पानी में भेजता है।
- ये तरंगें जल में मौजूद वस्तुओं या समुद्र तल से टकराकर वापस आती हैं।
- एक रिसीवर इन प्रतिध्वनियों को पकड़ता है।
- तरंगों के जाने और लौटने में लगे समय से वस्तु की दूरी का पता चलता है।
- प्राप्त सिग्नल को विश्लेषण करके वस्तु के आकार और प्रकृति का अनुमान लगाया जाता है।
सोनार के प्रमुख उपयोग:-
- समुद्र की गहराई मापने में
- पनडुब्बियों और जहाजों का पता लगाने में
- मछली झुंडों का पता लगाने में (मत्स्य पालन उद्योग में)
- समुद्र तल का मानचित्रण करने में
- नौसेना में शत्रु के जहाजों का पता लगाने में
- तेल और गैस की खोज में समुद्र तल की जांच करने में
सोनार तकनीक ने समुद्री अनुसंधान और नौवहन को काफी आसान और सुरक्षित बना दिया है, क्योंकि यह जल के नीचे की दुनिया को समझने में मदद करती है।
प्रश्न 20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 8825 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
उत्तर-
प्रश्न 21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रश्न 22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है। विवेचना कीजिए।
उत्तर- मानव कान एक अद्भुत और जटिल अंग है जो ध्वनि तरंगों को इलेक्ट्रिक संकेतों में परिवर्तित करके मस्तिष्क तक पहुंचाता है। इसकी कार्यप्रणाली कई चरणों में होती है। सबसे पहले, बाहरी कान का हिस्सा, जिसे पिन्ना कहते हैं, ध्वनि तरंगों को एकत्र करता है और उन्हें कर्णनाल में भेजता है। कर्णनाल इन तरंगों को कर्णपट तक पहुंचाती है, जो एक पतली झिल्ली है और ध्वनि तरंगों से कंपित होती है। इसके बाद, मध्य कान में मौजूद तीन छोटी हड्डियां – मुग्दरक, निहाई और रकाब – कर्णपट के कंपन को बढ़ाकर आंतरिक कान तक पहुंचाती हैं। आंतरिक कान में कोकलिया नामक एक विशेष अंग होता है, जो तरल से भरा होता है। जब कंपन इस तरल में पहुंचता है, तो वह लहरें पैदा करता है। कोकलिया में मौजूद सूक्ष्म रोम कोशिकाएं इन लहरों को महसूस करती हैं और उन्हें इलेक्ट्रिक संकेतों में बदल देती हैं। ये इलेक्ट्रिक संकेत फिर श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक पहुंचाए जाते हैं, जहां उनकी व्याख्या की जाती है और हमें ध्वनि का बोध होता है। इस पूरी प्रक्रिया में कर्णनाल में मौजूद कर्णमोम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कान को धूल और कीड़ों से बचाता है। यह जटिल प्रणाली हमें विभिन्न प्रकार की ध्वनियों को न केवल सुनने बल्कि उनके बीच अंतर करने और उन्हें समझने में भी मदद करती है।