Here you will get Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 3 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 3 – “यक्ष-युधिष्ठिर संवाद” with hindi explanations.
‘यक्ष-युधिष्ठिर संवाद’ महाभारत के वनपर्व की एक प्रेरक कहानी है, जिसमें युधिष्ठिर और एक यक्ष के बीच गहरे दार्शनिक सवाल-जवाब होते हैं। यह पाठ आपको धर्म, ज्ञान, दया, धैर्य और सच्चे मानवीय गुणों का महत्व सिखाता है। युधिष्ठिर के उत्तरों से आप सीखेंगे कि कैसे अज्ञान, लोभ और क्रोध से बचकर जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 3 Solutions
| Subject | Sanskrit (संस्कृत पीयूषम् भाग 1) |
| Class | 9th |
| Chapter | 3. यक्ष-युधिष्ठिर संवाद |
| Board | Bihar Board |
अभ्यासः (मौखिकः)
1. संस्कृत भाषया उत्तराणि वदत- (संस्कृत में उत्तर दीजिए)
(क) केनस्वित् आवृतो लोक (दुनिया को क्या ढकता है)
उत्तर: अज्ञानेन आवृतो लोकः। (दुनिया अज्ञान से ढकी हुई है।)
(ख) किं ज्ञानम् (ज्ञान क्या है)
उत्तर: तत्त्वार्थसम्बोधः ज्ञानम्। (ज्ञान सत्य को समझना है।)
(ग) पुंसां दुर्जयः शत्रुः कः (मनुष्य का कौन सा शत्रु अजेय है)
उत्तर: क्रोधः पुंसां दुर्जयः शत्रुः। (क्रोध मनुष्य का अजेय शत्रु है।)
(घ) कः अनन्तक व्याधिः (कौन सा रोग अंतहीन है)
उत्तर: लोभः अनन्तकः व्याधिः। (लोभ अंतहीन रोग है।)
(ङ) कः साधुः (साधु कौन है)
उत्तर: सर्वभूतहितः साधुः। (जो सभी प्राणियों के हित की सोचता है, वह साधु है।)
(च) कुतः मित्राणि त्यजति (कोई मित्रों को क्यों छोड़ता है)
उत्तर: लोभात् मित्राणि त्यजति। (लोभ के कारण मित्रों को छोड़ता है।)
(छ) केन स्वर्गं न गच्छति (किसके कारण स्वर्ग नहीं जाता)
उत्तर: सङ्गात् स्वर्गं न गच्छति। (बुरे संगति के कारण स्वर्ग नहीं जाता।)
(ज) का दया (दया क्या है)
उत्तर: सर्वसुखैषित्वं दया। (सभी के सुख की इच्छा करना दया है।)
(झ) किं ज्ञानम् (ज्ञान क्या है)
उत्तर: तत्त्वार्थसम्बोधः ज्ञानम्। (ज्ञान सत्य को समझना है।)
(ज) किं स्थैर्यम् (स्थिरता क्या है)
उत्तर: स्वधर्मे स्थिरता स्थैर्यम्। (अपने धर्म में दृढ़ता ही स्थिरता है।)
अभ्यासः (लिखितः)
1. एकवाक्येन संस्कृतभाषया उत्तराणि लिखत- (एक वाक्य में संस्कृत में उत्तर लिखिए)
(क) किं धैर्यमुदाहृतम (धैर्य क्या कहा गया है)
उत्तर: इन्द्रियनिग्रहः धैर्यम् अस्ति। (इंद्रियों पर नियंत्रण धैर्य है।)
(ख) स्नानं किमुच्यते (स्नान क्या कहलाता है)
उत्तर: मनोमलत्यागः स्नानम् उच्यते। (मन की गंदगी को त्यागना स्नान कहलाता है।)
(ग) भूतानां लक्षणं किमस्ति (प्राणियों का लक्षण क्या है)
उत्तर: भूतानां रक्षणं दानम् अस्ति। (प्राणियों की रक्षा करना दान है।)
(घ) कः पुमान् पण्डितः ज्ञेयः (कौन पुरुष पंडित माना जाता है)
उत्तर: धर्मज्ञः पुमान् पण्डितः ज्ञेयः। (धर्म को जानने वाला पुरुष पंडित माना जाता है।)
(ङ) संसारहेतुः कोऽस्ति (संसार का कारण क्या है)
उत्तर: कामः संसारहेतुः अस्ति। (कामना संसार का कारण है।)
2. उदाहरणम् अनुसृत्य अधोलिखित वाक्येषु रेखाङ्गितपदानि आधृत्य प्रश्नान् विरचयत- (उदाहरण के अनुसार नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाइए)
उदाहरण: सूर्योदयेन अन्धकारः नश्यति।
प्रश्न: केन अन्धकारः नश्यति (किसके द्वारा अंधकार नष्ट होता है)
(क) तमसा लोक न प्रकाशते। (अंधेरे से दुनिया प्रकाशित नहीं होती।)
उत्तर: केन लोकः न प्रकाशते (किसके कारण दुनिया प्रकाशित नहीं होती)
(ख) ज्ञानं तत्त्वार्थसम्बोधः। (ज्ञान सत्य को समझना है।)
उत्तर: किं ज्ञानम् (ज्ञान क्या है)
(ग) क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः। (क्रोध अजेय शत्रु है।)
उत्तर: कः सुदुर्जयः शत्रुः (कौन सा शत्रु अजेय है)
(घ) अनन्तकः व्याधिः लोभः। (लोभ अंतहीन रोग है।)
उत्तर: कीदृशः व्याधिः लोभः (लोभ कैसा रोग है)
(ङ) स्वधर्मे स्थिरता स्थैर्यम्। (अपने धर्म में दृढ़ता स्थिरता है।)
उत्तर: कस्मिन् स्थिरता स्थैर्यम् (किसमें दृढ़ता स्थिरता है)
3. अधोलिखित वाक्येषु कोष्ठात् समुचितं पदमादाय रिक्तस्थानानि पूरयत- (नीचे दिए वाक्यों में कोष्ठक से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरिए)
(क) लोकः …….आवृतः। (अज्ञानेन, ज्ञानेन)
उत्तर: अज्ञानेन (दुनिया अज्ञान से ढकी है।)
(ख) …… सुदुर्जयः शत्रुः (लोभः, क्रोधः)
उत्तर: क्रोधः (क्रोध अजेय शत्रु है।)
(ग) अनन्तकः व्याधिः …….। (लोभः, क्रोधः)
उत्तर: लोभः (अंतहीन रोग लोभ है।)
(घ) साधु ……… स्मृतः। (सदयः, निर्दयः)
उत्तर: सदयः (साधु दयालु माना जाता है।)
(ङ) इन्द्रियनिग्रहः ……। (अधैर्यम्, धैर्यम्)
उत्तर: धैर्यम् (इंद्रियों पर नियंत्रण धैर्य है।)
4. संधिविच्छेदं कुरुत- (संधि-विच्छेद कीजिए)
उत्तर:
(क) केनस्विदावृतः = केनस्वित् + आवृतः
(ख) केनस्विन्न = केनस्वित् + न
(ग) सुखैषित्वम् = सुख + एषित्वम्
(घ) व्याधिरनन्तकः = व्याधिः + अनन्तकः
(ङ) प्रोच्यते = प्र + उच्यते
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