Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 13 Solutions – किशोराणां मनोविज्ञानम्

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‘किशोराणां मनोविज्ञानम्’ पाठ में किशोरावस्था के मन और शरीर में होने वाले बदलावों की बात है। यह पाठ आपको बताएगा कि कैसे किशोर अपने भविष्य के लक्ष्य बनाते हैं और उन्हें पाने के लिए मेहनत करते हैं। आप समझेंगे कि इस उम्र में अनुशासन, सही दिशा और परिवार का साथ कितना जरूरी है। इसे पढ़कर आप किशोर मन की भावनाओं और उनकी चुनौतियों को बेहतर जान सकेंगे।

Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 13

Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 13 Solutions

SubjectSanskrit (संस्कृत पीयूषम् भाग 1)
Class9th
Chapter13. किशोराणां मनोविज्ञानम्
BoardBihar Board

अभ्यासः (मौखिकः)

1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं वदत- (नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर बोलो)

(क) प्रकृते: नियमः कः? (प्रकृति का नियम क्या है?)

उत्तर: परिवर्तनम् (बदलाव)

(ख) जीवने सदा किं न तिष्ठति? (जीवन में हमेशा क्या नहीं टिकता?)

उत्तर: एकरूपता (एकसमान स्थिति)

(ग) अन्तराले इति पदस्य कः अर्थ? (अंतराले शब्द का क्या अर्थ है?)

उत्तर: मध्ये (बीच में)

(घ) मानसे स्वच्छन्दता कदा पदं धारयति? (मन में स्वच्छंदता कब आती है?)

उत्तर: किशोरावस्थायाम् (किशोरावस्था में)

(ङ) कः कालः श्रेष्ठः भवति? (कौन सा समय सबसे अच्छा होता है?)

उत्तर: वर्तमानकालः (वर्तमान समय)

2. अधोलिखितानां मौखिकम् उत्तरम् दत्त- (नीचे लिखे प्रश्नों के मौखिक उत्तर दो)

(क) किशोरावस्था कदा कथ्यते? (किशोरावस्था कब कहा जाता है?)

उत्तर: किशोरावस्था बाल्यावस्थायाः युवावस्थायाश्च मध्ये स्थितं अवस्था भवति। (बाल्यावस्था और युवावस्था के बीच की अवस्था को किशोरावस्था कहते हैं।)

(ख) अनुशासनं कदा अप्रियं भवति? (अनुशासन कब अप्रिय लगता है?)

उत्तर: किशोरावस्थायां अनुशासनं अप्रियं भवति। (किशोरावस्था में अनुशासन अप्रिय लगता है।)

(ग) साधनाभावे किं न उचितम्? (साधनों की कमी में क्या करना उचित नहीं है?)

उत्तर: साधनाभावे कुण्ठितं न उचितम्। (साधनों की कमी में निराश होना उचित नहीं है।)

(घ) नीतिपद्यांशस्य कः अर्थः अनुसरणीयः? (नीति पद्यांश का कौन सा अर्थ अनुसरण करना चाहिए?)

उत्तर: नीतिपद्यांशस्य अर्थः यत्नं कुरु इति अनुसरणीयः। (नीति पद्यांश का अर्थ है कि प्रयास करना चाहिए, इसे अनुसरण करना चाहिए।)

(ङ) प्रारब्धं के न परित्यजन्ति? (शुरू किया हुआ कार्य कौन नहीं छोड़ते?)

उत्तर: उत्तमजनाः प्रारब्धं न परित्यजन्ति। (श्रेष्ठ लोग शुरू किया हुआ कार्य नहीं छोड़ते।)

(च) शिक्षाकाले किं चिन्तयेत्? (शिक्षा के समय क्या सोचना चाहिए?)

उत्तर: शिक्षाकाले वर्तमानकार्यमेव चिन्तयेत्। (शिक्षा के समय केवल वर्तमान कार्य के बारे में सोचना चाहिए।)

3. उदाहरणमनुसृत्य उत्तरं वदत- (उदाहरण के अनुसार उत्तर बोलो)

उदाहरणम्: परि + वृत् + ल्युट् = परिवर्तनम्

उत्तर:

(क) परि + मार्ज् + ल्युट् = परिमार्जनम् (सफाई करना)

(ख) परि + शुध् + ल्युट् = परिशोधनम् (शुद्ध करना)

(ग) अनु + शील् + ल्युट् = अनुशीलनम् (अनुकरण करना)

(घ) अनु + सृ + ल्युट् = अनुसरणम् (पीछे चलना)

(ङ) पा + ल्युट् = पालनम् (रक्षा करना)

4. उदाहरणमनुसृत्य पञ्च पदानि वदत- (उदाहरण के अनुसार पाँच शब्द बोलो)

उदाहरणम्: कृ + अनीयर् = करणीयम्

उत्तर:

(क) पठ् + अनीयर् = पठनीयम् (पढ़ने योग्य)

(ख) श्रु + अनीयर् = श्रवणीयम् (सुनने योग्य)

(ग) स्मृ + अनीयर् = स्मरणीयम् (याद करने योग्य)

(घ) पच् + अनीयर् = पचनीयम् (पकाने योग्य)

(ङ) दृश् + अनीयर् = दर्शनीयम् (देखने योग्य)

5. उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृतिं प्रत्ययं च वदत- (उदाहरण के अनुसार नीचे लिखे शब्दों में प्रकृति और प्रत्यय बताओ)

उदाहरणम्: कुमार + अण् = कौमारम्

उत्तर:

(क) यौवनम्: प्रकृतिः – युवन्, प्रत्ययः – अण्

(ख) मार्दवम्: प्रकृतिः – मृदु, प्रत्ययः – अण्

(ग) शैशवम्: प्रकृतिः – शिशु, प्रत्ययः – अण्

(घ) पौरुषम्: प्रकृतिः – पुरुष, प्रत्ययः – अण्

(ङ) गौरवम्: प्रकृतिः – गुरु, प्रत्ययः – अण्

अभ्यासः (लिखितः)

1. अधोलिखिताम् एकपदेन उत्तर लिखत- (नीचे लिखे प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखो)

(क) जीवने प्रकृते: नियमः कः? (जीवन में प्रकृति का नियम क्या है?)

उत्तर: परिवर्तनम् (बदलाव)

(ख) स्वच्छन्दता कुत्र पदं धारयति? (स्वच्छंदता कहाँ होती है?)

उत्तर: मानसे (मन में)

(ग) किशोरेषु कस्य परिशोधनम् आवश्यकम् भवति? (किशोरों में किसका शुद्धिकरण आवश्यक है?)

उत्तर: दिवास्वप्नस्य (दिवास्वप्न का)

(घ) दूरतः अपि दृश्यमानं लक्ष्यं कैः लभ्यते? (दूर से दिखने वाला लक्ष्य किनके द्वारा प्राप्त होता है?)

उत्तर: शालिनि: (गुणवानों द्वारा)

(ङ) श्रेष्ठः कालः कः अस्ति? (सबसे अच्छा समय कौन सा है?)

उत्तर: वर्तमानः (वर्तमान)

2. निम्नलिखितानां पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत- (नीचे लिखे प्रश्नों के पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखो)

(क) कृष्णः गीतायां केन रूपेण अवस्थात्रयं निर्दिशति? (कृष्ण गीता में तीन अवस्थाओं को किस रूप में बताते हैं?)

उत्तर: कृष्णः गीतायां कौमारं, यौवनं, जरां च इति अवस्थात्रयं निर्दिशति। (कृष्ण गीता में बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था के रूप में तीन अवस्थाओं को बताते हैं।)

(ख) उच्चविद्यालये अधीयानाः के भवन्ति? (उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले कौन होते हैं?)

उत्तर: उच्चविद्यालये अधीयानाः किशोराः किशोर्यश्च भवन्ति। (उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले किशोर और किशोरियाँ होते हैं।)

(ग) शिक्षका: अभिभावकाश्च कस्मिन् विषये दत्तावधानाः न भवन्ति? (शिक्षक और माता-पिता किस विषय पर ध्यान नहीं देते?)

उत्तर: शिक्षकाः अभिभावकाश्च किशोराणां शारीरिकं मनोवैज्ञानिकं च पक्षं विषये दत्तावधानाः न भवन्ति। (शिक्षक और माता-पिता किशोरों के शारीरिक और मानसिक पक्षों पर ध्यान नहीं देते।)

(घ) के स्वमित्राणि विकृतानि कुर्वन्ति? (कौन अपने मित्रों को बिगाड़ते हैं?)

उत्तर: सम्पन्नपरिवारे पालिताः किशोराः यदा कदा स्वमित्राणि विकृतानि कुर्वन्ति। (समृद्ध परिवारों में पलने वाले किशोर कभी-कभी अपने मित्रों को बिगाड़ते हैं।)

(ङ) कथं स्वाभिलाषस्य पूरणं श्रेयः? (अपनी इच्छाओं की पूर्ति कैसे करना उचित है?)

उत्तर: समाजे उपलब्धं साधनानाम् उपयोगेन स्वाभिलाषस्य पूरणं श्रेयः। (समाज में उपलब्ध साधनों का उपयोग करके अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना उचित है।)

(च) लक्ष्यं प्राप्तुं किं कर्तव्यम्? (लक्ष्य प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?)

उत्तर: लक्ष्यं प्राप्तुं महतां जनानां जीवनचरित्रस्य अनुशीलनं च संकल्पेन संनादति च कर्तव्यम्। (लक्ष्य प्राप्त करने के लिए महान लोगों के जीवन चरित्र का अध्ययन और दृढ़ संकल्प के साथ प्रयास करना चाहिए।)

(छ) किशोरजीवनस्य मन्त्रद्वयं किम्? (किशोर जीवन के दो मंत्र क्या हैं?)

उत्तर: संकल्पस्य दृढता, दृष्टेः व्यापकता च इति किशोरजीवनस्य मन्त्रद्वयं स्यात्। (संकल्प की दृढ़ता और दृष्टि की व्यापकता किशोर जीवन के दो मंत्र हैं।)

3. ‘क’ स्तम्भे दत्तानां पदानां समानार्थकं पदं ‘ख’ स्तम्भे दत्तम्/ तौ यथोचितम् योजयत- (‘क’ स्तंभ में दिए गए शब्दों के समान अर्थ वाले शब्द ‘ख’ स्तंभ में दिए गए हैं, उन्हें उचित रूप से जोड़ो)

Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 13

उत्तर:

‘क’‘ख’
कौमारम्किशोरावस्था
यौवनमयुवावस्था (युवावस्था)
तदानीम्तदा (उस समय)
स्वच्छन्दतास्वैरवृत्तिः (स्वतंत्र व्यवहार)
अधुनासम्प्रति (अब)
अन्तरालेमध्ये (बीच में)

4. रेखांकित – सर्वनाम – पदानि केभ्यः प्रयुक्तानि छन् लिखत- (रेखांकित सर्वनाम शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं, लिखो)

(क) बालावस्था-युवावस्थयोरन्तराले च सा भवति ।

उत्तर: सा – किशोरावस्था (किशोरावस्था के लिए)

(ख) विद्यालये सामान्या शिक्षाक्रमेण ते परम्परागतं पाठमेवानुसरन्ति।

उत्तर: ते – विद्यार्थिनः (विद्यार्थियों के लिए)

(ग) तेषां महत्त्वाकाङ्क्षां वर्धयन्ति।

उत्तर: तेषां – किशोराणाम् (किशोरों के लिए)

(घ) एते च स्वपरिवारं प्रति आक्रोशभाव प्रकटयन्ति ।

उत्तर: एते – किशोराः (किशोरों के लिए)

(ङ) तेषां शरीरिको मनोवैज्ञानिकश्च पक्षावुपेक्षितौ स्तः

उत्तर: तेषां – किशोराणाम् (किशोरों के लिए)

5. अधोलिखितं रेखांकित पदमनुसृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- (नीचे लिखे रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाओ)

(क) कृष्णः गीतायां निर्दिशति। (कृष्ण गीता में निर्देश देते हैं।)

प्रश्न: कः गीतायां निर्दिशति? (कौन गीता में निर्देश देता है?)

(ख) तत्र कौमारम् एव किशोरावस्था कथ्यते। (वहाँ बाल्यावस्था ही किशोरावस्था कहलाती है।)

प्रश्न: तत्र किम् एव किशोरावस्था कथ्यते? (वहाँ क्या ही किशोरावस्था कहलाती है?)

(ग) सम्प्रति एकमपि कार्यं ताभिः अलभ्यं न दृश्यते। (अब एक भी कार्य उनके द्वारा असंभव नहीं दिखता।)

प्रश्न: सम्प्रति एकमपि कार्यं काभिः अलभ्यं न दृश्यते? (अब एक भी कार्य किनके द्वारा असंभव नहीं दिखता?)

(घ) शिक्षाकाले वर्तमानकार्यमेव चिन्तयेत्। (शिक्षा के समय वर्तमान कार्य के बारे में सोचना चाहिए।)

प्रश्न: कदा वर्तमानकार्यमेव चिन्तयेत्? (कब वर्तमान कार्य के बारे में सोचना चाहिए?)

(ङ) किशोरैः स्वकीयं मूलं साधनजातं न विस्मरणीयम्। (किशोरों को अपनी मूल सामग्री को नहीं भूलना चाहिए।)

प्रश्न: कैः स्वकीयं मूलं साधनजातं न विस्मरणीयम्? (किन्हें अपनी मूल सामग्री को नहीं भूलना चाहिए?)

6. अधोलिखितानाम् अव्ययपदानां सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयत- (नीचे दिए गए अव्यय शब्दों की सहायता से रिक्त स्थान भरें)

(सदा, च, एव, शनैः शनैः, यदा कदा, अधुना, कुत्र)

उत्तर:

(क) बाललक्षणं शनैः शनैः परुषतां प्राप्नोति। (बाल्य गुण धीरे-धीरे परिपक्वता प्राप्त करते हैं।)

(ख) किशोर्योऽपि स्वाभिलाषं पूरयितुं एव क्षमाः सन्ति। (किशोरियाँ भी अपनी इच्छाएँ पूरी करने में सक्षम हैं।)

(ग) शिक्षकाभिभावकयोर्मध्ये सदा संवादः अनिवार्यः। (शिक्षकों और माता-पिता के बीच हमेशा संवाद आवश्यक है।)

(घ) एकरूपता जीवने अधुना न तिष्ठति। (जीवन में अब एकरूपता नहीं रहती।)

(ङ) किशोराणां सा कथा कुत्र वर्तते? (किशोरों की वह कहानी कहाँ है?)

7. संधिः संधिविच्छेदं वा कुरुत- (संधि या संधि-विच्छेद करो)

उत्तर:

(क) प्रकृतेः नियमः = प्रकृते: + नियमः

(ख) सैव = सा + एव

(ग) तावन्मार्दवम् = तावत् + मार्दवम्

(घ) किशोरैर्भवित्व्यम् = किशोरैः + भवितव्यम्

(ङ) पक्षौउपेक्षितौ = पक्षौ + उपेक्षितौ

(च) सोद्देश्यताम् = स: + उद्देश्यताम्

(छ) कृष्णो गीतायाम् = कृष्णः + गीतायाम्

(ज) जीवने + अवस्थात्रयम् = जीवनेऽवस्थात्रयम्

(झ) किशोर्यः + अपि = किशोर्योऽपि

(ञ) किशोर्यश्च = किशोर्यः + च

8. उदाहरणमनुसृत्य समस्तपदानि लिखत- (उदाहरण के अनुसार समस्त शब्द लिखो)

उत्तर:

उदाहरणम्: पदानि: एका चासौ रूपता, समस्तपदानि: एकरूपता, समासनाम: कर्मधारयः

(क) किशोराणाम् अवस्था: समस्तपदानि: किशोरावस्था, समासनाम: षष्ठी तत्पुरुषः

(ख) परम्परया आगतम्: समस्तपदानि: परम्परागतम्, समासनाम: तृतीया तत्पुरुषः

(ग) दत्तम् अवधानम् यैः: समस्तपदानि: दत्तावधानम्, समासनाम: बहुव्रीहिः

(घ) शासनस्य पश्चात्: समस्तपदानि: अनुशासनम्, समासनाम: अव्ययीभावः

(ङ) प्रगतम् आरब्धम्: समस्तपदानि: प्रारब्धम्, समासनाम: प्रादिः

(च) न प्रियम्: समस्तपदानि: अप्रियम्, समासनाम: नञ्

9. उदाहरणमनुसृत्य कृदन्तपदेषु धातुं प्रत्ययं च पृथक् कृत्वा लिखत- (उदाहरण के अनुसार कृदन्त शब्दों में धातु और प्रत्यय अलग करके लिखो)

उत्तर:

पदानिधातवःप्रत्ययः
उदाहरणम्: आगतम्आ + गम्क्त
(क) उपेक्षितःउप + ईक्ष्क्त
(ख) अनिवार्यःनि + वृ + ऋअनीयर्
(ग) कर्तव्यम्कृतव्यत्
(घ) पूरयितुम्पूर्तुमुन्
(ङ) दृश्यमानम्दृश्शानच्
(च) जातम्जन्क्त
(छ) अवधेयःअव + धायत्
(ज) काम्यम्काम्यत्

10. अधोलिखितश्लोकांशस्य भावार्थं लिखत- (नीचे लिखे श्लोकांश का भावार्थ लिखो)

दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः।

उत्तर: दैव (भाग्य) को छोड़कर अपनी शक्ति से पुरुषार्थ (प्रयास) करो। यदि पूर्ण प्रयास करने के बाद भी सफलता न मिले, तो इसमें कोई दोष नहीं है।

(हिंदी भावार्थ: भाग्य पर निर्भर न रहकर अपनी शक्ति से मेहनत करो। अगर पूरी मेहनत के बाद भी सफलता न मिले, तो इसमें कोई गलती नहीं है।)

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