Here you will get Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 8 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 8 – “नीतिपधानिः” with hindi explanations.
‘नीतिपद्यानि’ पाठ भर्तृहरि के नीतिशतक से लिया गया है, जो जीवन के लिए जरूरी मूल्यों और गुणों की बात करता है। यह पाठ आपको सिखाएगा कि अच्छी संगति, धैर्य, सच्चाई और मेहनत से जीवन कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। आप समझेंगे कि सज्जन और महापुरुष अपने व्यवहार से दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं।

Bihar Board Class 9 Sanskrit Chapter 8 Solutions
| Subject | Sanskrit (संस्कृत पीयूषम् भाग 1) |
| Class | 9th |
| Chapter | 8. नीतिपधानिः |
| Board | Bihar Board |
अभ्यासः (मौखिकः)
1. संस्कृतभाषया उत्तराणि वदत- (संस्कृत में उत्तर बोलिए)
(क) मनुष्यरूपेण के मृगाश्चरन्ति? (मनुष्य के रूप में कौन पशुओं की तरह विचरण करते हैं?)
उत्तर: येषां न विद्या, न तपः, न दानं, न शीलं, न गुणः, न धर्मः, ते मनुष्यरूपेण मृगाः इव चरन्ति। (जिनके पास न विद्या, न तप, न दान, न शील, न गुण, न धर्म है, वे मनुष्य के रूप में पशुओं की तरह विचरण करते हैं।)
(ख) के भुवि भारभूता: सन्ति? (पृथ्वी पर बोझ रूप में कौन हैं?)
उत्तर: विद्या, तपः, दानं, शीलं, गुणं, धर्मं विना ये सन्ति, ते भुवि भारभूताः सन्ति। (जो विद्या, तप, दान, शील, गुण और धर्म से रहित हैं, वे पृथ्वी पर बोझ हैं।)
(ग) विघ्नविहता: प्रारभ्य के विरमन्ति? (बाधाओं से रुके हुए शुरूआत करके कौन रुक जाते हैं?)
उत्तर: विघ्नविहिताः मध्यमाः प्रारभ्य विरमन्ति। (बाधाओं से रुके हुए मध्यम लोग शुरू करके रुक जाते हैं।)
(घ) न्यायात् पथ: के न प्रविचलन्ति? (न्याय के मार्ग से कौन नहीं डिगते?)
उत्तर: धीराः न्यायात् पथः न प्रविचलन्ति। (धैर्यवान लोग न्याय के मार्ग से नहीं डिगते।)
(ङ) महात्मनाम् विपदि किम् लक्षणम् भवति? (महात्माओं का विपत्ति में क्या लक्षण होता है?)
उत्तर: महात्मनाम् विपदि धैर्यं लक्षणं भवति। (महात्माओं का विपत्ति में धैर्य लक्षण होता है।)
अभ्यासः (लिखितः)
1. एकपदेन संस्कृतभाषया उत्तराणि लिखत- (एक शब्द में संस्कृत में उत्तर लिखिए)
(क) कदा सिंहशिशुरपि निपति? (कब शेर का बच्चा भी गिरता है?)
उत्तर: बाल्यकाले (बचपन में)
(ख) मत्त्यलोके भुवि भारभूता: के सन्ति? (मृत्युलोक में पृथ्वी पर बोझ रूप में कौन हैं?)
उत्तर: अज्ञाः (अज्ञानी लोग)
(ग) का धिय: जाड्यम् हरति? (कौन बुद्धि की मूर्खता दूर करता है?)
उत्तर: सत्संगतिः (अच्छी संगति)
(घ) चेतः कः प्रसादयति? (मन को कौन प्रसन्न करता है?)
उत्तर: सत्संगतिः (अच्छी संगति)
(ङ) दिक्षु कीर्ति क: तनोति? (दिशाओं में यश कौन फैलाता है?)
उत्तर: सत्संगतिः (अच्छी संगति)
(च) महात्मनाम् किम् लक्षणम् अस्ति? (महात्माओं का क्या लक्षण है?)
उत्तर: धैर्यम् (धैर्य)
(छ) गुण धर्म रहित:। (गुण और धर्म से रहित कौन है?)
उत्तर: दुरात्मा (दुष्ट व्यक्ति)
2. अधोलिखितानि रेखांकितपदानि बहुवचने परिवर्तयत- (नीचे लिखे रेखांकित शब्दों को बहुवचन में बदलें)
उदाहरणम्:
एकवचने – त्वं कार्ये प्रवृत्तः असि। (तू काम में लगा है।)
बहुवचने – यूयं कार्ये प्रवृत्ताः स्थ। (तुम लोग काम में लगे हो।)
(क) यस्य पार्श्वे नास्ति विद्या सः मृग इव चरति। (जिसके पास विद्या नहीं, वह पशु की तरह विचरण करता है।)
बहुवचने: येषां पार्श्वे नास्ति विद्या ते मृगाः इव चरन्ति। (जिनके पास विद्या नहीं, वे पशुओं की तरह विचरण करते हैं।)
(ख) सत्संगतिः पुरुषस्य वाचि सत्यम् सिञ्चति। (अच्छी संगति पुरुष की वाणी में सत्य डालती है।)
बहुवचने: सत्संगतिः पुरुषाणां वाक्षु सत्यम् सिञ्चति। (अच्छी संगति पुरुषों की वाणियों में सत्य डालती है।)
(ग) नीचैः विघ्नभयेन कार्यं न प्रारभ्यते। (नीच लोग बाधा के डर से काम शुरू नहीं करते।)
बहुवचने: नीचैः विघ्नभयेन कार्याणि न प्रारभ्यन्ते। (नीच लोग बाधा के डर से काम शुरू नहीं करते।)
(घ) सत्सङ्गतिः पुरुषस्य मानोन्नतिम् दिशति। (अच्छी संगति पुरुष का सम्मान बढ़ाती है।)
बहुवचने: सत्सङ्गतिः पुरुषाणां मानोन्नतिम् दिशति। (अच्छी संगति पुरुषों का सम्मान बढ़ाती है।)
3. उचित विभक्ति प्रयोगं कृत्वा वाक्यानां पूर्णतः कुरु। (उचित विभक्ति का प्रयोग करके वाक्यों को पूरा करें)
उदाहरणम्: बालकेन ………. अक्षरं लिखितम्। (सुन्दर)
उत्तर: बालकेन सुन्दरम् अक्षरं लिखितम्। (बालक द्वारा सुंदर अक्षर लिखा गया।)
(क) ज्ञानलवदुर्विदग्धं ………. ब्रह्मापि न रञ्जयति। (नर)
उत्तर: ज्ञानलवदुर्विदग्धं नरं ब्रह्मापि न रञ्जयति। (थोड़ा ज्ञान वाला अहंकारी को ब्रह्मा भी प्रसन्न नहीं कर सकता।)
(ख) विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः ………. न परित्यजन्ति। (उत्तमजन)
उत्तर: विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः उत्तमजनाः न परित्यजन्ति। (बाधाओं से बार-बार रुके हुए उत्तम लोग शुरू किए कार्य नहीं छोड़ते।)
(ग) धीराः ………. पथः न प्रविचलन्ति। (न्याय)
उत्तर: धीराः न्याय्यात् पथः न प्रविचलन्ति। (धैर्यवान लोग न्याय के मार्ग से नहीं डिगते।)
(घ) सज्जनानाम् मैत्री दिनस्य ………. छाया इव भवति। (परार्धभिन्न)
उत्तर: सज्जनानाम् मैत्री दिनस्य पूर्वार्धभिन्न छाया इव भवति। (सज्जनों की मित्रता दिन की दोपहर की छाया जैसी होती है।)
(ङ) उत्तमजनाः ……….न परित्यजन्ति। (प्रारब्धकार्य)
उत्तर: उत्तमजनाः प्रारब्धकार्यं न परित्यजन्ति। (उत्तम लोग शुरू किए गए कार्य को नहीं छोड़ते।)
4. अधोलिखितेषु शुद्धं पर्यायपद्वयं रेखांकितं कुरु। (नीचे दिए गए शब्दों में दो सही पर्यायवाची शब्दों को रेखांकित करें)
(क) निपुणाः – विज्ञाः, अज्ञाः, विशेषज्ञाः (निपुण – जानकार, अज्ञानी, विशेषज्ञ)
उत्तर: विज्ञाः, विशेषज्ञाः (जानकार, विशेषज्ञ)
(ख) लक्ष्मीः – इन्दिरा, रमा, शारदा (लक्ष्मी – इंद्रा, रमा, शारदा)
उत्तर: इन्दिरा, रमा (इंद्रा, रमा)
(ग) पथः – मार्गात्, सरण्याः, कुल्यायाः (मार्ग – रास्ते, नदी, नहर)
उत्तर: मार्गात्, सरण्याः (रास्ते, नदी)
(घ) शिशुः – बालः, श्येनः, नवजातः (शिशु – बच्चा, बाज, नवजात)
उत्तर: बालः, नवजातः (बच्चा, नवजात)
(ङ) सदसि – सभायाम्, सरसि, परिषदि (सभा में – सभा में, तालाब में, परिषद में)
उत्तर: सभायाम्, परिषदि (सभा में, परिषद में)
5. एक समुचितं पदं लिखत। (एक उचित शब्द लिखें)
यथा: यस्य पार्श्वे ‘ज्ञा’ नास्ति सः …।
उत्तर: यस्य पार्श्वे ‘ज्ञा’ नास्ति सः अज्ञः। (जिसके पास ज्ञान नहीं, वह अज्ञानी है।)
(क) विघ्नेन विशेषेण हताः ये ते……. ।
उत्तर: विघ्नहताः
(ख) नीती निपुणा ये ते……….. ।
उत्तर: नीतिनिपुणाः
(ग) सत्ता संगतिः……..।
उत्तर: सत्संगतिः
(घ) महान् आत्मा अस्ति यः……….I
उत्तर: महात्मा
6. स्तम्भद्वये लिखितानां विपरीतार्थकशब्दानां मेलनं कुरु। (दोनों स्तंभों में लिखे गए विपरीतार्थी शब्दों का मिलान करें)

उत्तराणि –
| ‘अ’ | ‘ब’ |
|---|---|
| (1) अज्ञः (अज्ञानी) | (ख) विज्ञः (ज्ञानी) |
| (2) सुखम् (सुख) | (क) दुःखम् (दुख) |
| (3) विशेषज्ञः (विशेषज्ञ) | (छ) अल्पज्ञः (कम जानने वाला) |
| (4) विदग्धम् (निपुण) | (ज) मूर्खम् (मूर्ख) |
| (5) भुवि (पृथ्वी पर) | (च) रसातले (पाताल में) |
| (6) नीचैः (नीचा) | (ङ) उच्चैः (ऊँचा) |
| (7) उत्तमाः (उत्तम) | (घ) अधमाः (नीच) |
| (8) महात्मनाम् (महात्माओं का) | (ग) दुरात्मनाम् (दुष्ट आत्मा वालों का) |
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Thankyou for your comment