Do you need help with class 9 Hindi chapter 8 – “पधारो म्हारे देश” ? If yes, then get our free Bihar Board class 9 Hindi chapter 8 solutions here. This guide will help you to clear all your doubts and understand the chapter better.
‘पधारो म्हारे देश’ बिहार बोर्ड कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह फीचर अनुपम मिश्र द्वारा लिखा गया है, जिसमें उन्होंने राजस्थान की धरती और वहाँ के लोगों के जीवन को सजीव रूप से चित्रित किया है। लेखक ने राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में पानी की कमी और उसके बावजूद वहाँ के लोगों की जीवंतता और समृद्धि का वर्णन किया है। इस अध्याय में राजस्थान के लोगों द्वारा अपनाए गए जल संरक्षण के प्राचीन तरीकों की सराहना की गई है और यह बताया गया है कि कैसे ये तरीके आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 8 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 9th |
Chapter | 8. पधारो म्हारे देश |
Author | अनुपम मिश्र |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 8 Question Answer
प्रश्नोत्तर :-
प्रश्न 1. ‘हाकड़ो’ राजस्थानी समाज के हृदय में आज भी क्यों रचा-बसा है?
उत्तर- ‘हाकड़ो’ शब्द राजस्थानी समाज में गहराई से जुड़ा है क्योंकि यह उनकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यह शब्द हजार वर्ष पुरानी डिंगल भाषा से आधुनिक राजस्थानी तक चला आ रहा है, जो समुद्र को दर्शाता है, भले ही अधिकांश राजस्थानी लोगों ने कभी समुद्र नहीं देखा हो।
प्रश्न 2. ‘हेल’ नाम समुद्र के साथ-साथ अन्य कौन से अर्थ को दर्शाता है?
उत्तर- ‘हेल’ शब्द समुद्र के साथ-साथ विशालता और उदारता का भी प्रतीक है। यह राजस्थानी भाषा की समृद्धि और लोगों की व्यापक दृष्टि को दर्शाता है।
प्रश्न 3. किस रेगिस्तान का वर्णन कलेजा सुखा देता है?
उत्तर- थार रेगिस्तान का वर्णन इतना भीषण और कठोर है कि यह सुनने वाले का कलेजा सुखा देता है। यह वर्णन रेगिस्तान की कठोर जलवायु और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को दर्शाता है।
प्रश्न 4. भूगोल की किताबें किनके ‘अत्यंत कंजूस महाजन’ की तरह देखती है और क्यों?
उत्तर- भूगोल की किताबें प्रकृति को वर्षा के मामले में ‘अत्यंत कंजूस महाजन’ की तरह चित्रित करती हैं। वे राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र को इस ‘महाजन’ का सबसे दयनीय शिकार बताती हैं, जहाँ वर्षा बहुत कम होती है।
प्रश्न 5. राजस्थानी समाज ने प्रकृति से मिलने वाले इतने कम पानी का रोना क्यों नहीं रोया?
उत्तर- राजस्थानी समाज ने कम पानी को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने इसे रोने की बजाय, पानी संरक्षण के नवीन तरीके विकसित किए। उन्होंने अपने जीवन को इस तरह ढाला कि पानी की कमी उनके विकास में बाधा न बने।
प्रश्न 6. “यह राजस्थान के मन की उदारता ही है कि विशाल मरुभूमि में रहते हुए भी उसके कंठ से समुद्र के इतने नाम मिलते हैं?” इस कथन का क्या अभिप्राय है।
उत्तर- यह कथन राजस्थानी लोगों की मानसिक उदारता और कल्पनाशीलता को दर्शाता है। रेगिस्तान में रहते हुए भी, उनकी भाषा में समुद्र के कई नाम हैं, जो उनकी व्यापक सोच और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 7. जल संग्रह कैसे करना चाहिए?
उत्तर- राजस्थान के लोगों ने जल संग्रह के लिए विभिन्न पारंपरिक तरीके विकसित किए हैं। इनमें राँको, कुड-कुडियाँ, बेरियाँ, जोहड़, नाडियाँ, तालाब, बावड़ियाँ और कुएँ शामिल हैं। ये विधियाँ स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हैं और पानी के कुशल संग्रहण में मदद करती हैं।
प्रश्न 8. त्रिकूट पर्वत कहाँ है?
उत्तर- त्रिकूट पर्वत वर्तमान जैसलमेर के पास स्थित है। यह राजस्थान के प्राचीन इतिहास और भूगोल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 9. ‘धरती धोरां री’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर- ‘धरती धोरां री’ राजस्थान को कहा गया है। यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह क्षेत्र कभी सिर्फ सूखा या अभिशप्त नहीं माना गया, बल्कि विभिन्न समुदायों और कलाकारों ने इसे सम्मान और प्यार से इस नाम से पुकारा।
प्रश्न 10. मरुनायकजी कहकर किसे पुकारा गया है? उनकी भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर- ‘मरुनायकजी’ श्रीकृष्ण को कहा गया है। राजस्थानी परंपरा में, श्रीकृष्ण को मरुभूमि के संरक्षक के रूप में देखा जाता है। उनका आशीर्वाद और स्थानीय नेताओं का साहस मिलकर राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं को आकार देता है।
प्रश्न 11. राजस्थान में वर्षा का स्वरूप क्या है?
उत्तर- राजस्थान में वर्षा का स्वरूप अत्यंत विविध और अनियमित है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा में बहुत अंतर पाया जाता है। पूर्वी राजस्थान में वार्षिक वर्षा 100 सेंटीमीटर से अधिक हो सकती है, जबकि पश्चिमी राजस्थान में यह 25 सेंटीमीटर से भी कम हो सकती है। यह असमानता राज्य की जलवायु और भौगोलिक विविधता को दर्शाती है।
प्रश्न 12. ‘रीति’ के लिए राजस्थान में ‘वोज’ शब्द है। यह क्या-क्या अर्थ रखता है?
उत्तर- राजस्थान में ‘वोज’ शब्द का प्रयोग विभिन्न संदर्भों में किया जाता है। यह मुख्यतः रचना, युक्ति और उपाय के लिए प्रयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त, यह शब्द सामर्थ्य, विवेक और विनम्रता के लिए भी प्रयोग किया जाता है। ‘वोज’ शब्द राजस्थानी संस्कृति में गहराई से जुड़ा हुआ है और इसका उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है।
प्रश्न 13. लेखक ने ‘जसढोल’ शब्द का किस अर्थ में प्रयोग किया है और क्यों?
उत्तर- लेखक ने ‘जसढोल’ शब्द का प्रयोग प्रशंसा करने के अर्थ में किया है। यहाँ लेखक राजस्थान की जल संरक्षण की अनोखी परंपरा की ओर संकेत कर रहा है। राजस्थान ने वर्षा जल संग्रहण की एक विशिष्ट परंपरा विकसित की, लेकिन इसका कभी ढिंढोरा नहीं पीटा। यह राज्य की विनम्रता और प्रकृति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
प्रश्न 14. इस फीचर को पढ़कर आपको क्या शिक्षा मिली है? आप, इसका उपयोग कैसे करेंगे?
उत्तर- इस फीचर से हमें सीख मिलती है कि पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना दृढ़ता और नवाचार से किया जा सकता है। राजस्थान के लोगों द्वारा जल संरक्षण के लिए किए गए प्रयास हमें प्रेरित करते हैं। हम इस ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में जल संरक्षण के लिए कर सकते हैं। साथ ही, हम पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक के समन्वय से पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
प्रश्न 15. लेखक क्यों ‘पधारो म्हारे देस’ कहते हैं?
उत्तर- लेखक ‘पधारो म्हारे देस’ कहकर राजस्थान की अतिथि सत्कार की परंपरा और यहाँ की जल संरक्षण की अनूठी व्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। वे दर्शाना चाहते हैं कि कैसे एक सूखा और मरुस्थलीय क्षेत्र जल संग्रहण की भव्य परंपरा विकसित कर सका है। यह कथन राजस्थान की संस्कृति और प्राकृतिक चुनौतियों से निपटने की क्षमता का प्रतीक है।