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‘ग्राम-गीत का मर्म’ बिहार बोर्ड कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह निबंध प्रसिद्ध लेखक लक्ष्मीनारायण सुधांशु द्वारा लिखा गया है, जिसमें उन्होंने ग्रामीण गीतों के महत्व और उनकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। लेखक ने बताया है कि ग्राम-गीत मानव मन के सहज भावों की अभिव्यक्ति हैं, जिनमें जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के साथ-साथ मनोरंजन भी शामिल है। इस निबंध में ग्राम-गीतों की प्रकृति, उनमें निहित प्रेम और युद्ध की भावनाओं, तथा उनके द्वारा जन-साधारण के चरित्रों के चित्रण पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह अध्याय छात्रों को भारतीय ग्रामीण संस्कृति और लोक साहित्य की समृद्ध परंपरा से परिचित कराता है।
Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 3 Solutions
Subject | Hindi |
Class | 9th |
Chapter | 3. ग्राम – गीत का मर्म |
Author | लक्ष्मीनारायण सुधांशु |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 3 Question Answer
प्रश्न 1. ‘ग्राम-गीत का मर्म’ निबंध में व्यक्त सुधांशुजी के विचारों को सार रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर- सुधांशुजी ने ‘ग्राम-गीत का मर्म’ निबंध में ग्राम-गीतों की महत्ता और उनकी आत्मीयता पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि ग्राम-गीत हमारे जीवन के उल्लास और विषाद को अभिव्यक्त करते हैं। ये गीत ग्रामीण जीवन की सरलता और स्वाभाविकता को दर्शाते हैं, जो हृदय की गहराई से निकलते हैं और समाज की सांस्कृतिक धरोहर होते हैं।
प्रश्न 2. जीवन का आरंभ जैसे शैशव है, वैसे ही कला-गीत का ग्राम-गीत है। लेखक के इस कथन का क्या आशय है।
उत्तर- लेखक का आशय है कि जैसे शैशव जीवन का प्रारंभिक और मासूम चरण होता है, वैसे ही ग्राम-गीत कला-गीत का प्रारंभिक और सरल रूप है। ग्राम-गीत जीवन की सरल और स्वाभाविक भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जबकि कला-गीत अधिक परिष्कृत और विकसित होते हैं। ग्राम-गीतों की मासूमियत और सहजता ही उन्हें कला-गीत का आधार बनाती है।
प्रश्न 3. गार्हस्थ्य कर्म विधान में स्त्रियाँ किस तरह के गीत गाती हैं?
उत्तर- गार्हस्थ्य कर्म करते समय, जैसे चक्की पीसते, धान कूटते, या चर्खा काटते समय, स्त्रियाँ अपने श्रम को हल्का करने के लिए गीत गाती हैं। ये गीत उनके दैनिक जीवन का हिस्सा होते हैं और उन्हें मानसिक राहत और आनंद प्रदान करते हैं।
प्रश्न 4. मानव जीवन में ग्राम-गीतों का क्या महत्व है?
उत्तर- मानव जीवन में ग्राम-गीतों का महत्व अत्यधिक है। ये गीत पारिवारिक और सामाजिक जीवन की भावनाओं को व्यक्त करते हैं। ग्राम-गीतों में प्रेम, दुःख, आनंद, और संघर्ष की भावनाएँ होती हैं, जो मनुष्य के हृदय को छूती हैं। इन गीतों के माध्यम से व्यक्ति अपनी भावनाओं को साझा करता है और सामुदायिक भावना को मजबूत करता है।
प्रश्न 5. “ग्राम-गीत हृदय की वाणी है, मस्तिष्क की ध्वनि नहीं।” आशय स्पष्ट करें।
उत्तर- लेखक का कहना है कि ग्राम-गीत सीधे हृदय से निकलते हैं और जीवन की सरल और स्वाभाविक भावनाओं को व्यक्त करते हैं। ये गीत बौद्धिक तर्कों से परे होते हैं और व्यक्तिगत अनुभवों और भावनाओं को उजागर करते हैं। ग्राम-गीतों की सच्चाई और आत्मीयता ही उन्हें विशेष बनाती है।
प्रश्न 6. ग्राम-गीत की प्रकृति क्या है?
उत्तर- ग्राम-गीतों की प्रकृति स्त्रैण होती है, जो कोमलता और सादगी को व्यक्त करती है। ये गीत ग्रामीण जीवन की सच्चाइयों और भावनाओं को सरल और स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। ग्राम-गीतों की यही सहजता और मासूमियत उन्हें विशेष बनाती है।
प्रश्न 7. कला-गीत और ग्राम-गीत में क्या अंतर है?
उत्तर- ग्राम-गीत सरल और स्वाभाविक होते हैं, जबकि कला-गीत अधिक परिष्कृत और विकसित होते हैं। ग्राम-गीतों में ग्रामीण जीवन की भावनाओं और अनुभवों को सीधे और सरल तरीके से व्यक्त किया जाता है, जबकि कला-गीत में अधिक संरचना और शिल्प होता है। ग्राम-गीतों की स्त्रैणता और सरलता कला-गीतों में पौरुषपूर्ण और जटिल हो जाती है।
प्रश्न 8. ‘ग्राम-गीत का ही विकास कला-गीत में हुआ है।’ पठित निबंध को ध्यान में रखते हुए उसकी विकास-प्रक्रिया पर प्रकाश डालें।
उत्तर- ग्राम-गीतों का विकास कला-गीतों में हुआ है। प्रारंभ में ग्राम-गीत व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों को सरलता से व्यक्त करते थे। धीरे-धीरे इन गीतों ने सभ्य जीवन और सांस्कृतिक परिवर्तनों के साथ अधिक परिष्कृत रूप धारण कर लिया। कला-गीतों में ग्राम-गीतों की मासूमियत और स्वाभाविकता का तत्व बना रहा, परन्तु वे अधिक संरचित और जटिल हो गए।
प्रश्न 9. ग्राम-गीतों में प्रेम-दशा की क्या स्थिति है? पठित निबंध के आधार पर उदाहरण देते हुए समझाइए।
उत्तर- ग्राम-गीतों में प्रेम-दशा महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इन गीतों में प्रेम और विरह की भावनाएँ प्रकट होती हैं, जो जीवन की गहराईयों को छूती हैं। ग्राम-गीतों में प्रकृति और प्रेम का सामंजस्य दिखता है, जहाँ प्रेमिका या प्रेमी अपने भावों को व्यक्त करते हैं और अपनी वेदनाओं को साझा करते हैं। यह प्रेम-दशा जीवन को सार्थक बनाती है।
प्रश्न 10. ‘प्रेम या विरह में समस्त प्रकृति के साथ जीवन की जो समरूपता देखी जाती है, वह क्रोध, शोक, विस्मय, उत्साह, जुगुप्सा आदि में नहीं।” आशय स्पष्ट करें।
उत्तर- लेखक का कहना है कि प्रेम या विरह की स्थिति में व्यक्ति का जीवन और प्रकृति के बीच एक विशेष संबंध होता है। प्रेम या विरह में व्यक्ति अपनी भावनाओं को प्रकृति के माध्यम से व्यक्त करता है और उसे सांत्वना मिलती है। यह संबंध अन्य भावनाओं जैसे क्रोध, शोक, विस्मय, उत्साह, जुगुप्सा में नहीं देखा जाता। यही कारण है कि प्रेम और विरह की भावनाएँ अधिक गहन और व्यापक होती हैं।
प्रश्न 11. ग्राम-गीतों में मानव-जीवन के किन प्राथमिक चित्रों के दर्शन होते हैं?
उत्तर- ग्राम-गीतों में मानव जीवन के प्राथमिक चित्र जैसे प्रेम, घृणा, उल्लास, और विषाद देखने को मिलते हैं। इन गीतों में मनुष्य अपनी सच्ची भावनाओं को सरल और स्वाभाविक रूप में व्यक्त करता है, बिना किसी कृत्रिमता के। यह गीत हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का सजीव चित्रण करते हैं।
प्रश्न 12. गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त साधारण मनोरंजन भी है। निबंधकार ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर- निबंधकार ने बताया है कि गीत केवल मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के लिए भी उपयोगी होते हैं। ग्रामीण स्त्रियाँ चक्की पीसते, धान कूटते या चर्खा कातते समय गीत गाकर अपने श्रम को हल्का करती हैं। ये गीत उन्हें मानसिक शांति और आनंद प्रदान करते हैं, जिससे उनका कार्य भी सरल हो जाता है।
प्रश्न 14. किसी विशिष्ट वर्ग के नायक को लेकर जो काव्य रचना की जाती थी, किन स्वाभाविक गुणों के कारण साधारण जनता के हृदय पर उनके महत्व की प्रतिष्ठा बनती थी?
उत्तर- विशिष्ट वर्ग के नायक जैसे राजा-रानी, राजकुमार या राजकुमारी के गुण जैसे धीरोदात्त, दक्षता, तेजस्विता, वाग्मिता आदि स्वाभाविक माने जाते थे। इन गुणों के कारण साधारण जनता के हृदय में उनके प्रति सम्मान और प्रतिष्ठा बनी रहती थी। इसलिए काव्य रचनाओं में इन नायकों को प्रमुखता दी जाती थी।
प्रश्न 15. ग्राम-गीत की कौन-सी प्रवृत्ति अब काव्य गीत में चलने लगी है?
उत्तर- ग्राम-गीतों की वह प्रवृत्ति जिसमें राजा, रानी, राक्षस, भूत, और जानवरों की कहानियाँ शामिल होती हैं, अब काव्य गीतों में भी देखी जाने लगी है। बच्चे अब भी इन कहानियों को सुनने में रुचि रखते हैं। साधारण जीवन से हटकर, अपरिचित और अनजानी घटनाओं के बारे में जानने की मानव की उत्सुकता यही प्रवृत्ति है।
प्रश्न 16. ग्राम-गीत के मेरूदण्ड क्या हैं?
उत्तर- ग्राम-गीत के मेरूदण्ड वे विशेषताएँ हैं जो ग्रामीण जीवन की सादगी और स्वाभाविकता को प्रदर्शित करती हैं। हमारी दरिद्रता के बीच में भी संपन्नता और समृद्धि के चित्रण से ग्राम-गीतों में एक प्रेरणादायक तत्व बना रहता है। ये वर्णन कला-गीतों में विशेष महत्व नहीं रखते, पर ग्राम-गीतों का मेरूदण्ड बनते हैं।
प्रश्न 17. ‘प्रेम दशा जितनी व्यापक विधायिनी होती है, जीवन में उतनी और कोई स्थिति नहीं।’ प्रेम के इस स्वरूप पर विचार करें तथा आशय स्पष्ट करें।
उत्तर- लेखक का कहना है कि प्रेम और विरह की अवस्था जीवन में सबसे व्यापक और गहन होती है। विरह के समय व्यक्ति अपनी प्रिया की खोज में पशु-पक्षी, लता-द्रुम से भी प्रश्न करता है, जबकि क्रोध या अन्य भावनाओं में ऐसा नहीं होता। प्रेम की यह व्यापकता और गहराई जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है और यह अन्य भावनाओं से अलग होती है।
प्रश्न 18. ‘कला-गीतों में पशु-पक्षी, लता-दुम आदि से जो प्रश्न पूछे गए हैं, उनके उत्तर में, वे प्राय मौन रहे हैं। विरही यक्ष मेघदूत भी मौन ही रहा है।’ लेखक के इस कथन से क्या आप सहमत हैं? यदि हैं तो अपने विचार दें।
उत्तर- हाँ, मैं सहमत हूँ क्योंकि कला-गीतों में प्रश्न पूछे जाने पर अक्सर मौन रहता है, जबकि ग्राम-गीतों में नायिका अपने प्रेमी की खोज में बाघ, भालू, साँप आदि से पूछती है। आदिकवि वाल्मीकि ने भी राम के मुख से सीता की खोज में पशु-पक्षियों से प्रश्न करवाए हैं। इस प्रकार ग्राम-गीतों में संवाद अधिक जीवंत और व्यक्तिगत होता है, जो कला-गीतों में कम देखने को मिलता है।
प्रश्न 19. ‘ग्राम-गीत का मर्म’ निबंध के इस शीर्षक में लेखक ने ‘मर्म’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है? विचार कीजिए।
उत्तर- लेखक ने ‘मर्म’ शब्द का प्रयोग ग्राम-गीतों की गहराई और उनके वास्तविक अर्थ को समझाने के लिए किया है। इस निबंध में लेखक ने ग्राम-गीतों की उत्पत्ति, उनकी प्रवृत्ति और उनके महत्व पर प्रकाश डाला है। ग्राम-गीतों की सादगी, स्वाभाविकता और जीवन की शुद्धता को दर्शाते हुए, लेखक ने उनकी मार्मिकता को उजागर किया है, जो कला-गीतों में कम देखने को मिलती है।