Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 4 Solutions – लाल पान की बेगम

Bihar Board class 9 Hindi chapter 4 solutions are prepared by the subject experts. Below we have shared the accurate answers for all the questions from chapter 4 – “लाल पान की बेगम”.

‘लाल पान की बेगम’ बिहार बोर्ड कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक रोचक अध्याय है। यह कहानी प्रसिद्ध लेखक फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखी गई है, जो ग्रामीण जीवन के यथार्थ को दर्शाती है। कहानी की मुख्य पात्र बिरजू की माँ है, जिसके जीवन के एक दिन की घटनाओं के माध्यम से लेखक ने ग्रामीण परिवेश, मानवीय भावनाओं और रिश्तों की जटिलताओं को बड़ी सूक्ष्मता से चित्रित किया है। यह कहानी एक साधारण ग्रामीण महिला के क्रोध, निराशा और फिर खुशी के भावों को दर्शाती है, जो अंत में ‘लाल पान की बेगम’ की तरह प्रसन्नता से भर जाती है।

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 4

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 4 Solutions

SubjectHindi
Class9th
Chapter4. लाल पान की बेगम
Authorफणीश्वरनाथ रेणु
BoardBihar Board

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 4 Question Answer

प्रश्न 1. बिरजू की माँ को लालपान की बेगम क्यों कहा गया है?

उत्तर- बिरजू की माँ को ‘लालपान की बेगम’ इसलिए कहा गया है क्योंकि नाच की तैयारी के दौरान उसकी विशेष साड़ी की एक अनोखी महक फैल रही थी। यह महक उसकी शान और खासियत को दर्शाती थी, जिसके कारण उसे यह उपाधि दी गई। इस नाम में उसकी अद्वितीयता और ग्रामीण समाज में उसकी महत्वपूर्ण स्थिति का प्रतीक है।

प्रश्न 2 “नवान्न के पहले ही नया धान जुठा दिया।” इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?

उत्तर- जब बिरजू ने धान की एक बाली से एक धान निकालकर खा लिया, तो उसकी माँ ने उसे डाँटा और कहा कि नेम-धेम का ध्यान रखना चाहिए। बिरजू की माँ ने बिरजू के पिता से कहा कि नवान्न के पहले ही अन्न को जूठा कर दिया। इस कथन से उसकी माँ की धर्म के प्रति गहरी आस्था और धार्मिक विधि-विधान के प्रति आदर प्रकट होता है। वह एक भारतीय नारी है जो परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करना महत्वपूर्ण मानती है, इसलिए वह नवाल के पहले अन्न को जूठा करने पर नाराज होकर बिरजू को डाँटती है।

प्रश्न 3. बिरजू की माँ बैठी मन-ही-मन क्यों कुढ़ रही थी?

उत्तर- गाँव के लोग नाच देखने जा रहे थे। बिरजू की माँ बैलगाड़ी से नाच देखने बलरामपुर जाने वाली थी, लेकिन उसके पति बैलगाड़ी लाने में देरी कर रहे थे। इस देरी के कारण वह चिंतित और परेशान हो रही थी। उसने घर की बत्ती बुझा दी और बच्चों को सोने के लिए विवश कर दिया, जिससे उसकी कुढ़न स्पष्ट हो जाती है।

प्रश्न 4. ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लाल पान की बेगम’ एक आंचलिक और मनोवैज्ञानिक कहानी है, जिसमें ग्रामीण जीवन की सजीव झलक मिलती है। नाच-गान देखने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंगों और भावनाओं को गहराई से प्रस्तुत किया है। गाँव के लोग किस तरह एक-दूसरे के साथ ईर्ष्या, द्वेष, राग, विराग, आशा, निराशा, हर्ष और विषाद के भावों में बँधे रहते हैं, इसकी जीवंत बानगी इस कहानी में मिलती है।

रेणु ने इस कहानी में अंचल विशेष की संस्कृति, भाषा, मुहावरे और लोक रीति-रिवाजों का सफल चित्रण किया है। इसलिए ‘लाल पान की बेगम’ शीर्षक अपने आप में पूरी तरह सार्थक है, क्योंकि यह ग्रामीण जीवन की गहराइयों और उसकी विविधताओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है।

सप्रसंग व्याख्या

प्रश्न 5. (क) “चार मन पाट (जूट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।”

उत्तर- स्तुत पंक्तियाँ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने गरीब ग्रामीणों की समस्याओं और उनके जीवन में बदलाव का सुंदर वर्णन किया है।

भखनी फुआ पानी भरकर लौटते समय पनभरनियों से बात करते हुए कल की परेशानियों और अच्छी फसल के बाद हुई कमाई से होने वाले बदलाव का जिक्र करती हैं। वह कहती हैं कि कल तक बिरजू की माँ परेशान थी, लेकिन आज वह गर्व से कहती फिर रही है कि बिरजू के पिता ने कहा है कि वे उसे बैलगाड़ी में बिठाकर बलरामपुर का नाच दिखाने ले जाएंगे।

इन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि कैसे अच्छी फसल और थोड़ी-सी कमाई ग्रामीण लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है। रेणु जी ने इस कहानी में दिखाया है कि आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार आने पर लोगों की मानसिकता और उनका जीवन दृष्टिकोण कैसे बदल जाता है। इस प्रकार, इन पंक्तियों में ग्रामीण जीवन की सजीव झलक मिलती है, जिसमें आशा और खुशी की एक नई किरण दिखाई देती है।

प्रश्न 6. “दस साल की चंपिया जानती है कि शकरकंद छीलते समय कम-से-कम बार-बार माँ उसे बाल पकड़कर झकझोरेगी, छोटी-छोटी खोट निकालकर गालियां देगी।” इस कथन से चंपिया के प्रति माँ की किस मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है?

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत की गई हैं। इन पंक्तियों में फणीश्वरनाथ रेणु ने ग्रामीण समाज की कठिनाइयों और मानसिकता का सजीव चित्रण किया है।

इस पंक्ति में चंपिया के प्रति माँ की कठोरता और अनुशासन की भावना प्रकट होती है। माँ को लगता है कि चंपिया शकरकंद छीलते समय उसे खाने का लालच करेगी और ठीक से काम नहीं करेगी। इसीलिए माँ बार-बार उसे डांटती है और छोटी-छोटी गलतियों पर गालियाँ देती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि माँ चंपिया पर अविश्वास करती है और उसे अनुशासन में रखना चाहती है।

प्रश्न 7. “बिरजू की माँ का भाग ही खराब है, जो ऐसा गोबर गणेश घरवाला उसे मिला। कौन-सा सौरव-मौज दिया है उसके मर्द ने। कोल्हू के बैल की तरह खरा सारी उम्र काट दी इसके यहाँ।” प्रस्तुत कथन से बिरजू की माँ और के संबंधों में कड़वाहट दिखाई पड़ती है। कड़वाहट स्थायी है या अस्थाई? इसके कारणों पर विचार कीजिए।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ कहानी से उद्धृत हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने ग्रामीण नारी की निरक्षरता और उसकी मनोदशा का सुंदर चित्रण किया है।

इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि बिरजू की माँ और उसके पति के बीच कड़वाहट अस्थायी है। यह कड़वाहट उस समय उत्पन्न होती है जब नाच देखने जाने के लिए बैलगाड़ी समय पर नहीं पहुँचती। बिरजू की माँ अपनी निराशा और झुंझलाहट को अपने पति पर निकालती है, लेकिन यह क्षणिक है। इस कथन में भारतीय नारी की सहजता, सहृदयता, और पति के प्रति उलाहना का भाव प्रकट होता है। यह अस्थायी कड़वाहट पति-पत्नी के संबंधों में प्रायः देखी जाती है, जो कुछ समय बाद स्वतः समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 8. गाँव की गरीबी तथा आपसी क्रोध और ईर्ष्या के बीच भी वहाँ एक प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है। इस पाठ के आधार पर बताएं।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत की गई हैं। फणीश्वरनाथ रेणु ने इस कहानी में गाँव के जीवन की सजीव झलक प्रस्तुत की है।

गाँव की गरीबी और आपसी क्रोध, ईर्ष्या के बावजूद वहाँ एक प्राकृतिक प्रसन्नता विद्यमान रहती है। गाँव के लोग छोटी-छोटी बातों में राग-द्वेष और बैरभाव रखते हैं, लेकिन जब एक-दूसरे की मदद की बात आती है तो सब साथ खड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, बिरजू की माँ जब बैलगाड़ी में बैठकर नाच देखने जाती है, तो वह पास-पड़ोस की औरतों को भी बुलाती है। यह प्रसन्नता और सहयोग की भावना गाँव के लोगों की खासियत है, जो उन्हें एक-दूसरे के करीब लाती है।

प्रश्न 9. कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करें।

उत्तर- प्रस्तुत कहानी में फणीश्वरनाथ रेणु ने ग्रामीण परिवेश में बच्चों की चंचलता और बालमन का सुंदर चित्रण किया है।

कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता कई स्थानों पर दिखती है। उदाहरण के लिए, बिरजू जब बांगड़ को मारता है, तो उसकी माँ की कड़वाहट प्रकट होती है। चंपिया जब हलुआइन के दुकान से सामान लाने में देर करती है, तो माँ की झुंझलाहट साफ नजर आती है। इसके अलावा, बिरजू और चंपिया की शकरकंद खाने की लालसा भी उनकी बालसुलभ चंचलता को प्रकट करती है। माँ के डाँटने और मार खाने के बाद भी वे अपनी लालसा पर दृढ़ रहते हैं। रेणु जी ने बच्चों के मनोविज्ञान का बहुत ही सूक्ष्म और सजीव चित्रण किया है, जिससे कहानी रोचक बन गई है।

प्रश्न 10. ‘लाल पान की बेगम’ कहानी का सारांश लिखें।

उत्तर- ‘लाल पान की बेगम’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित एक आंचलिक और मनोवैज्ञानिक कहानी है। इसमें ग्रामीण जीवन की गहरी संवेदना और विभिन्न रंगों का सजीव चित्रण किया गया है।

कहानी में बिरजू की माँ के माध्यम से ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों और छोटी-छोटी खुशियों का वर्णन किया गया है। नाच देखने के बहाने कहानी में गाँव के लोगों के आपसी संबंधों, ईर्ष्या-द्वेष, और आशा-निराशा का जीवंत चित्रण है। बिरजू और चंपिया की चंचलता और उनकी माँ की कठोरता भी कहानी में प्रमुखता से उभरकर आई है। रेणु जी ने ग्रामीण भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाजों का अत्यंत सजीव और मार्मिक चित्रण किया है, जिससे कहानी में ग्रामीण जीवन की वास्तविकता पूरी तरह प्रकट होती है।

प्रश्न 11. कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।

उत्तर- ‘लाल पान की बेगम’ कहानी में कई प्रमुख पात्र हैं, जिनमें बिरजू की माँ, बिरजू, चंपिया, मखनी फुआ, बागड़, सहुआइन आदि शामिल हैं।

सबसे प्रमुख पात्र बिरजू की माँ है, जो कहानी का केंद्र बिंदु है। बिरजू की माँ का दबदबा पूरे कहानी में बना रहता है, और उसकी कठोरता और अनुशासनप्रियता को दिखाया गया है। बिरजू और चंपिया उसकी कठोरता से सहमे रहते हैं, लेकिन उनकी बालसुलभ चंचलता कहानी में रोचकता लाती है। मखनी फुआ और बागड़ जैसे सहायक पात्र ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करते हैं। रेणु जी ने इन सभी पात्रों का नामकरण और चित्रण इतनी कुशलता से किया है कि वे जीवंत लगते हैं।

प्रश्न 12. रेणु वातावरण और परिस्थिति का सम्मोहक और जीवंत चित्रण करने में निपुण हैं। इस दृष्टि से रेणु की विशेषताएँ अपने शब्दों में बताइए।

उत्तर- फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म औराही हिंगना नामक गाँव, जिला अररिया (बिहार) में हुआ था। वे विशुद्ध ग्रामीण परिवेश से जुड़े रहे और स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे। उन्होंने ग्रामीण जीवन की गहरी संवेदना और वास्तविकता को अपने साहित्य में प्रकट किया।

रेणु जी ने अपनी रचनाओं में गाँव की भाषा, बोली, रीति-रिवाज, और संस्कृति का सजीव चित्रण किया है। उनकी प्रमुख कृतियाँ ‘मैला आँचल’, ‘परती परिकथा’, और ‘जुलूस’ हैं। उन्होंने ग्रामीण जीवन के संपूर्ण अंतर्विरोधों और संघर्षों को अपनी कहानियों और उपन्यासों में जीवंत रूप दिया है। रेणु जी का लेखन ग्रामीण जीवन की जड़ता और नवीन गत्यात्मकता, दोनों को समेटे हुए है। उनकी रचनाओं में भारतीय समाज की विविधता और समग्रता का सजीव चित्रण मिलता है, जो उन्हें हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।

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