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सहकारिता एक ऐसा सिद्धांत है जिसके माध्यम से व्यक्ति मिलकर काम करते हैं और आपसी लाभ के लिए संघर्ष करते हैं। यह अध्याय आपको सहकारिता के महत्व और लाभों के बारे में बताएगा। आप जानेंगे कि किस प्रकार सहकारी संस्थाएं जैसे किसान सहकारी समितियां, ग्रामीण बैंक, उपभोक्ता सहकारी भंडार आदि लोगों को आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करती हैं।
Bihar Board Class 8 Civics Chapter 7 Solutions
Subject | Civics |
Class | 8th |
Chapter | 7. सहकारिता |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ऊपर दिये गये स्थान में दो ऐसे कार्यों को दर्शाएँ जो आप (1) अकेले करते हैं (2) जिसे औरों के साथ मिलकर ज्यादा आसानी से किया जा सकता है।
उत्तर-
(1) जो काम हम अकेले करते हैं, उनमें से कुछ हैं – पढ़ाई करना, व्यक्तिगत व्यवसाय चलाना, कोई कला या खेल सीखना जैसे तैरना, दौड़ना या निशानेबाजी करना। ये ऐसे काम हैं जिन्हें हम अपनी रुचि और प्रतिभा के आधार पर अकेले करते हैं।
(2) जिन कामों को हम दूसरों के सहयोग से आसानी से कर सकते हैं, उनमें से कुछ हैं – खेल खेलना, किसी समारोह का आयोजन करना, सहकारी समिति बनाकर व्यापार करना, संस्थाएं स्थापित करना जैसे स्कूल या अस्पताल, सरकार बनाना आदि। ऐसे कामों में समूह के सदस्यों का सहयोग मिलने से काम आसान हो जाता है।
प्रश्न 2. मधुरापुर में मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति बनने से पहले दूध बेचने व खरीदने की क्या व्यवस्था थी?
उत्तर- मधुरापुर में महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति बनने से पहले, वहां के दुग्ध उत्पादक अपने दूध को आस-पास के बाजारों या नगरों में बेचने के लिए ले जाया करते थे। वहां मुख्य रूप से शहरी निवासी और मिठाई दुकानदार ही दूध खरीदते थे। इस व्यवस्था में उत्पादकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
प्रश्न 3. सहकारी समिति को चलाने के लिए कार्यकारिणी क्यों बनाई जाती है?
उत्तर- सहकारी समिति को चलाने के लिए एक कार्यकारिणी का गठन इसलिए किया जाता है ताकि समिति के दैनिक कामकाज का सुचारू संचालन हो सके। कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा चुनी जाती है और वह लोकतांत्रिक तरीके से कार्य करती है। यह समिति के हितों की रक्षा करती है और उसके विकास के लिए योजनाएं बनाती है।
प्रश्न 4. दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति बनने के बाद दूध उत्पादक परिवारों की जिंदगियों में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर- दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति बनने के बाद वहां के किसानों और दुग्ध उत्पादक परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में काफी सुधार आया। उन्हें अपने दूध का स्थायी ग्राहक मिल गया और वे अपने दूध की पूरी और उचित कीमत भी प्राप्त करने लगे। समिति ने उनकी आमदनी बढ़ाने और सामाजिक स्तर ऊंचा उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 5. क्या आपके आस-पास इस प्रकार की कोई दुग्ध समिति है ? वर्णन करें।
उत्तर- (यदि आपके आस-पास कोई दुग्ध समिति है तो आप उसके बारे में लिख सकते हैं, अन्यथा आप लिख सकते हैं कि आपके क्षेत्र में ऐसी कोई दुग्ध समिति नहीं है।)
प्रश्न 6. पैक्स के सदस्य कौन होते हैं ?
उत्तर- कृषक।
प्रश्न 7. ऋण देने के लिए पैक्स के पास पैसा कहाँ से आता है ?
उत्तर- सरकार द्वारा ।
प्रश्न 8. ऋण देने के अलावा पैक्स और कौन से कार्य करती है ?
उत्तर- पैक्स किसानों को ऋण देने के अलावा निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य भी करती है:
- किसानों की बचत का संचय करके उनकी बचत पर ब्याज देना और बैंक का कार्य करना।
- किसानों को उचित दरों पर खाद, बीज और अन्य कृषि आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना।
- यह सुनिश्चित करना कि किसानों की फसलों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए।
- किसानों को कृषि से संबंधित नवीनतम तकनीकों और विधियों के बारे में जानकारी देना और प्रशिक्षण देना।
प्रश्न 9. पैक्स के कारण किसानों को महाजनों के चंगुल से मुक्ति कैसे मिलती है?
उत्तर- पैक्स के कारण किसानों को महाजनों के चंगुल से इस प्रकार मुक्ति मिलती है:
- पैक्स के माध्यम से किसान आवश्यकता पड़ने पर कम ब्याज दरों पर ऋण ले सकते हैं।
- इससे उन्हें महाजनों से उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेने की आवश्यकता नहीं रहती।
- महाजन अक्सर किसानों के साथ अनुचित व्यवहार करते हैं और उनका शोषण करते हैं, पैक्स से उन्हें इससे मुक्ति मिलती है।
प्रश्न 10. पैक्स द्वारा फसल खरीदने से किसानों को क्या फायदा होता है ?
उत्तर- पैक्स द्वारा फसल खरीदने से किसानों को यह फायदा होता है कि वे अपनी फसलों को उचित और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं। इससे उन्हें उचित मुनाफा मिलता है और वे व्यापारियों से शोषण से बचते हैं।
प्रश्न 11. पैक्स के सदस्य किस साझा उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं ?
उत्तर- पैक्स के सदस्य निम्नलिखित साझा उद्देश्यों के लिए एकजुट होते हैं:
- अपनी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करना जैसे ऋण, खाद, बीज आदि प्राप्त करना।
- सस्ती दरों पर ऋण प्राप्त करना।
- उचित मूल्य पर अपनी फसलों को बेचना।
- व्यापारियों और महाजनों से होने वाले शोषण से बचना।
प्रश्न 12. सरकार कमजोर वर्गों को पैक्स में हिस्सेदारी दिलाने के लिए क्या करती है ? अपनी शिक्षक/शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर- सरकार कमजोर वर्गों के किसानों को पैक्स में शामिल करने के लिए निम्न उपाय करती है:
- गरीब और पिछड़े किसानों को पैक्स की सदस्यता शुल्क और शेयर राशि में छूट देना।
- ऐसे किसानों को पैक्स के लाभों के बारे में जागरूक करना और प्रोत्साहित करना।
- गरीब किसानों को पैक्स से ऋण लेने पर रियायती ब्याज दरें देना।
- सरकार द्वारा ऐसे किसानों को सब्सिडी और अन्य सहायता प्रदान करना।
प्रश्न 13. उपभोक्ता सहकारी समिति जैसी समितियाँ क्यों बनाई जाती हैं ?
उत्तर- उपभोक्ता सहकारी समितियां निम्नलिखित उद्देश्यों से बनाई जाती हैं:
- थोक व्यापारियों और उत्पादकों से सीधे बड़ी मात्रा में सामान खरीदकर अपने सदस्यों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराना।
- सदस्यों को व्यापारियों और दलालों द्वारा किए जाने वाले शोषण से बचाना।
- सदस्यों की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- लोगों की पारस्परिक समस्याओं का समाधान करना और उनकी जीविका से जुड़ी समस्याओं को कम करना।
इन समितियों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और उन्हें उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं उपलब्ध कराना है।
प्रश्न 14. इसके सदस्य बनने के लिए क्या अनिवार्य है ?
उत्तर- किसी सहकारी समिति की सदस्यता लेने के लिए अनिवार्य रूप से निम्न बातों का पालन करना होता है:
- सदस्य को समिति के नियमों और विधान का पालन करना होगा।
- सदस्य को एक निर्धारित सदस्यता शुल्क का भुगतान करना होगा।
- सदस्य को समिति द्वारा निर्धारित न्यूनतम शेयर राशि का निवेश करना होगा।
- सहकारी समिति की सदस्यता स्वैच्छिक होने के साथ-साथ खुली भी होती है। कोई भी व्यक्ति उपरोक्त शर्तों को पूरा करके इसकी सदस्यता ले सकता है।
प्रश्न 15. थोक व्यापारी या उत्पादक से अधिक मात्रा में सामग्री खरीदने के लिए पूँजी कहाँ से आती है?
उत्तर- थोक व्यापारियों या उत्पादकों से अधिक मात्रा में सामग्री खरीदने के लिए पूंजी का स्रोत निम्न है:
- सहकारी समिति के सभी सदस्यों द्वारा जमा की गई शेयर राशि से एक बड़ा पूंजी निधि बनता है।
- इस पूंजी निधि से ही समिति थोक मात्रा में सामग्री खरीदती है।
- सदस्यों की निजी पूंजी के अलावा, समिति बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से भी ऋण ले सकती है।
प्रश्न 16. चर्चा कर पता करें – थोक व्यापारी या उत्पादक से खरीदी गई वस्तु बाजार से सस्ते मूल्य पर क्यों उपलब्ध होती है ?
उत्तर- थोक व्यापारियों या उत्पादकों से सीधे बड़ी मात्रा में सामग्री खरीदने पर वह बाजार की तुलना में सस्ती मिलती है, क्योंकि:
- थोक मात्रा में खरीद होने के कारण उत्पादक/थोक व्यापारी समिति को छूट देते हैं।
- मध्यस्थों और दलालों का खर्च बचता है जिससे कीमतें कम आती हैं।
- परिवहन और अन्य खर्चों में भी बचत होती है।
- इस तरह खुदरा बाजारों की तुलना में सामग्री का मूल्य काफी कम आता है।
प्रश्न 17. आपके इलाके में किस प्रकार की सहकारी समितियाँ हैं ? एक सूची बनाएँ। फिर टोली बनाकर नीचे दिए गए बिन्दुओं पर इनके बारे में जानकारी ढूंढ़िये और अपनी रिपोर्ट बनाकर कक्षा में पेश कीजिये।
- आपके इलाके की सहकारी समिति के सदस्य कौन हैं ?
- सदस्य मिलकर क्या करते हैं ?
- इससे क्या लाभ होता है ?
- समिति के सामने किस तरह की समस्याएँ आती हैं ?
उत्तर- (छात्रों को अपने इलाके की किसी सहकारी समिति के बारे में जानकारी एकत्रित करनी चाहिए और उसकी एक रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए जिसमें निम्न बिंदुओं पर चर्चा हो)
- समिति के सदस्य कौन हैं
- सदस्य मिलकर क्या करते हैं
- इससे क्या लाभ होता है
- समिति के सामने आने वाली समस्याएं
प्रश्न 18. अपनी शिक्षिका व घर के सदस्यों से चर्चा करके बिहार मत्स्यजीवी सहयोग समिति और व्यापार मंडल की असफलता के कारण हूँढ़िए।
उत्तर- बिहार की मत्स्यजीवी सहयोग समिति और व्यापार मंडल की असफलता के कुछ संभावित कारण हो सकते हैं:
- इन समितियों में स्वार्थी और गलत लोगों का सदस्य बनना।
- शासन और प्रबंधन में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हावी होना।
- सदस्यों के हितों की अनदेखी होना और केवल निजी स्वार्थ सिद्धि पर ध्यान केंद्रित होना।
- अनुभवहीन और अक्षम लोगों द्वारा इनका संचालन होना।
- सरकारी नीतियों और सहयोग का अभाव होना।
प्रश्न 19. संचित कोष की जरूरत क्यों है ?
उत्तर- सहकारी समितियों में एक संचित कोष होना आवश्यक है, क्योंकि:
- इससे समिति की बेहतरी के लिए नई मशीनरी और उपकरण खरीदे जा सकते हैं।
- यह राशि आकस्मिक खर्चों को पूरा करने में काम आती है।
- इससे समिति के सदस्यों को आवश्यकता पड़ने पर ऋण दिया जा सकता है।
- इस राशि से समिति की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं।
संचित कोष सहकारी समिति के विकास और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 20. आपके अनुसार दुग्ध उत्पादक समितियाँ किस प्रकार की योजनाओं पर खर्च करती हैं ?
उत्तर- दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां अपनी संचित राशि और आय का खर्च निम्नलिखित प्रकार की योजनाओं पर करती हैं:
- नई और आधुनिक मशीनरी, उपकरण तथा तकनीक खरीदने के लिए, जिससे दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण में सुधार हो सके।
- अपने सदस्यों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाना जैसे सस्ते ब्याज दरों पर ऋण देना, बीमा योजनाएं आदि।
- अपने सदस्यों के पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला चारा, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामग्री सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना।
- वर्ष के अंत में सदस्यों के बीच समिति के लाभांश का समान वितरण करना।
- कृषि तकनीकी और दुग्ध विज्ञान संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना।
प्रश्न 21. दूधिया का काम और समिति के काम में क्या अंतर है?
उत्तर- दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति और दूधिया के कामों में निम्नलिखित अंतर हैं:
- दूधिया अकेले काम करता है और उसका एकमात्र उद्देश्य निजी लाभ कमाना होता है। वहीं समिति सभी सदस्यों के हित साझा करती है और सामूहिक लाभ का वितरण करती है।
- दूधिया सिर्फ दूध का व्यापार करता है जबकि समिति दूध उत्पादन से संबंधित अन्य गतिविधियां भी करती है जैसे ऋण देना, चारा आदि उपलब्ध कराना।
- समिति एक बैंक की तरह भी काम करती है और सदस्यों की बचत का भी प्रबंधन करती है, लेकिन दूधिया ऐसा नहीं करता।
- समिति सरकार की एक छोटी इकाई की तरह भी काम करती है क्योंकि वह अपने सदस्यों की हर तरह से मदद करने का प्रयास करती है।
- दूधिया केवल निजी हित के बारे में सोचता है जबकि समिति सभी सदस्यों के साझा हितों को ध्यान में रखती है।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1. सहकारी समिति के सदस्य कौन होते हैं? वे मिलकर क्या करते हैं? इससे क्या लाभ होता है?
उत्तर- सहकारी समिति के सदस्य वे लोग होते हैं जिनके हित एक समान हों। ये लोग मिलकर एक समिति बनाते हैं और आपसी सहयोग से अपना काम करते हैं। इससे उन्हें लाभ होता है क्योंकि उन्हें न तो किसी बिचौलिये का शोषण सहना पड़ता है और न ही अपने उत्पाद बेचने में परेशानी आती है। साथ ही उन्हें आवश्यकतानुसार सस्ते ब्याज दरों पर ऋण भी मिल जाता है।
प्रश्न 2. सहकारिता से आप क्या समझते हैं ? एक उदाहरण देकर समझाइए। सहकारी समितियाँ बनने से पहले, इनसे सम्बन्धित लोगों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ? इनके बनने के बाद, ये कठिनाइयाँ कैसे दूर हो पाईं ?
उत्तर- सहकारिता का अर्थ है कि लोग मिलकर एक समूह बनाते हैं और सामूहिक रूप से कार्य करते हैं। इससे उन्हें अपने व्यक्तिगत स्तर पर काम करने की तुलना में कई लाभ प्राप्त होते हैं। एक उदाहरण के रूप में, कृषि क्षेत्र में किसान सहकारी समितियां बनाकर फसलों की बेहतर कीमत प्राप्त कर सकते हैं और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
सहकारी समितियों के गठन से पहले, उत्पादकों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए व्यक्तिगत रूप से बाज़ार ढूंढना पड़ता था। उन्हें अक्सर बिचौलियों के चंगुल में फंसना पड़ता था जो उन्हें कम दाम पर उनका माल खरीदते थे। इसके अलावा, उन्हें ऋण लेने के लिए महाजनों पर निर्भर रहना पड़ता था जो उनसे अधिक ब्याज वसूलते थे।
सहकारी समितियों के गठन के बाद, उत्पादकों को एक मंच मिल गया जहां वे अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं और उचित मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, समितियां सदस्यों को सस्ते दरों पर ऋण भी प्रदान करती हैं। इस प्रकार, सहकारिता ने उत्पादकों को बिचौलियों और महाजनों के शोषण से मुक्त किया।
प्रश्न 3. अध्याय में जिन तीन सहकारी समितियों की बात की गई है, उनमें से आप किस सहकारी समिति को सबसे अधिक उपयोगी मानते हैं और क्यों?
उत्तर- पाठ में वर्णित तीनों सहकारी समितियों में से, मुझे ग्रामीण बैंक सबसे उपयोगी लगते हैं। ग्रामीण बैंक गांव के लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें अपने व्यवसायों और गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। ये बैंक छोटे उद्यमियों और किसानों को सस्ते ब्याज दरों पर ऋण देते हैं, जिससे वे अपने काम को विस्तार दे सकते हैं।
ग्रामीण बैंकों की मौजूदगी से गांव के लोगों को शहरी बैंकों तक पहुंचने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इससे उनका समय और पैसा बचता है। इसके अलावा, ग्रामीण बैंक स्थानीय समुदाय की जरूरतों को समझते हैं और उन्हीं के अनुसार अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। यह सहकारी आंदोलन की मूल भावना के अनुरूप है।
प्रश्न 4. सहकारी समितियों के काम-काज में कौन-कौन-सी मुश्किलें आती हैं? आपके विचार में इन मुश्किलों को हल करने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है? मान लीजिए आप मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादन समिति के अध्यक्ष हैं। अपनी समिति को अच्छी तरह से चलाने और उसमें अधिक-से-अधिक लोगों को जोड़ने के लिए आप क्या-क्या कोशिशें करेंगे?
उत्तर- सहकारी समितियों में कई मुश्किलें आ सकती हैं जैसे कि कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, सदस्यों में आपसी मतभेद, और बाहरी दखल आदि। इन मुश्किलों से निपटने के लिए निम्नलिखित उपायों पर विचार किया जा सकता है:
- पारदर्शिता: समिति के प्रबंधन और वित्तीय लेनदेन में पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।
- सदस्यों की भागीदारी: समिति के सभी सदस्यों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए ताकि उनमें स्वामित्व की भावना बनी रहे।
- प्रशिक्षण और जागरूकता: समिति के सदस्यों और कार्मिकों को नियमित रूप से प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
- नियामक ढांचा: समिति के कामकाज पर नज़र रखने के लिए एक मज़बूत नियामक ढांचा होना चाहिए।
यदि मैं मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादक समिति का अध्यक्ष होता, तो मैं निम्नलिखित कदम उठाता:
- समिति के नियमों और कामकाज में पूरी पारदर्शिता लाना।
- सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- समय-समय पर सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- समिति की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए एक निगरानी समिति का गठन करना।
- समिति के लाभों और गतिविधियों का व्यापक प्रचार-प्रसार करके नए सदस्यों को आकर्षित करना।
- समिति के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार और अन्य संगठनों के साथ निकट संपर्क बनाए रखना।
इन कदमों से समिति को मजबूत और विकसित करने में मदद मिलेगी, और अधिक से अधिक लोगों को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।