Bihar Board Class 8 Civics Chapter 2 Solutions – धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार

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धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत हैं। यह अध्याय आपको इन महत्वपूर्ण अवधारणाओं की व्याख्या करेगा। आप धर्मनिरपेक्षता के अर्थ और महत्व, साथ ही भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के बारे में जानेंगे। इन अधिकारों में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं।

Bihar Board Class 8 Civics Chapter 2

Bihar Board Class 7 Civics Chapter 2 Solutions

SubjectCivics
Class7th
Chapter2. धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
BoardBihar Board

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. क्या आपको लगता है कि हमारे देश में लोगों को अपने धर्म को मानने व उसका प्रसार करने की छूट दी गई है ? ऊपर दिए गए रिक्त स्थान में इस विषय पर अपने विचार अभिव्यक्त कीजिए।

उत्तर- हाँ, भारत में लोगों को अपने धर्म को मानने और उसका प्रचार-प्रसार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। हमारा संविधान धर्म की स्वतंत्रता को एक मौलिक अधिकार के रूप में मानता है। विभिन्न धर्मों के लोग यहां शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आस्थाओं का पालन करते हैं और अपने धर्म को फैलाने के लिए स्वतंत्र हैं।

प्रश्न 2. भारत में मुख्य तौर पर किन-किन धर्मों के लोग रहते हैं ?

उत्तर- भारत में मुख्य रूप से हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मों के लोग निवास करते हैं। यह विविधता भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है।

प्रश्न 3. भारत के संविधान निर्माताओं के सामने कानून बनाते समय धर्म, सम्बन्धित क्या चुनौतियाँ थीं?

उत्तर- संविधान निर्माताओं के सामने यह चुनौती थी कि वे ऐसे कानून बनाएं जो किसी भी धर्म को प्राथमिकता न दें और न ही किसी धर्म पर अनुचित प्रतिबंध लगाएं। उन्हें यह सुनिश्चित करना था कि सभी धर्मों और धार्मिक समुदायों के साथ समानता बरती जाए।

प्रश्न 4. भारत में लोगों के बीच किस तरह की भिन्नताएँ पाई जाती हैं ?

उत्तर- भारत में लोगों के बीच धर्म, भाषा, रीति-रिवाज, खान-पान, विचारधारा आदि में भिन्नताएं पाई जाती हैं। यही विविधता भारतीय संस्कृति की विशेषता है।

प्रश्न 5. एक उदाहरण देकर धर्मनिरपेक्षता का मतलब समझाइए।

उत्तर- धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि राज्य किसी एक विशेष धर्म को नहीं मानता और न ही बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, सरकारी स्कूलों में किसी भी धर्म का पाठ्यक्रम अनिवार्य नहीं होगा।

प्रश्न 6. एक सरकारी कार्यालय का स्वागत कक्ष किसी एक धर्म की तस्वीरों से सजाया गया है। क्या यह तथ्य धर्मनिरपेक्षता के किसी पहलू का उल्लंघन है ? कारण सहित समझाइए।

उत्तर- हाँ, यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। एक सरकारी कार्यालय में केवल किसी एक धर्म की तस्वीरें प्रदर्शित करना गैर-कानूनी है क्योंकि यह राज्य द्वारा किसी एक धर्म को प्राथमिकता देने के समान है।

प्रश्न 7. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। फिर भी यहाँ कुछ धर्मों के लोगों को विशेष रियायतें क्यों दी गई हैं ?

उत्तर- यद्यपि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन संविधान अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा करने पर भी बल देता है। इसलिए कुछ विशेष धार्मिक समुदायों को उनकी भाषा, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं।

प्रश्न 8. समता के मौलिक अधिकारों में समता के किन-किन बिन्दुओं को शामिल किया गया है ?

उत्तर- समता के मौलिक अधिकार में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:-

  1. कानून की दृष्टि में सभी समान
  2. धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव निषिद्ध
  3. सार्वजनिक स्थलों पर समान पहुंच
  4. रोजगार में समान अवसर
  5. छुआछूत पर प्रतिबंध

प्रश्न 9. आप नीचे लिखी बातों में से कौन-कौन सी बातों को समता के अधिकार का हनन मानेंगे? चर्चा कीजिए।

प्रश्न (क). आप किराए पर मकान लेना चाहते हैं और मकान मालिक आपकी जाति और धर्म जानना चाहते हैं।

उत्तर- यदि किराएदार की जाति व धर्म जानने की वजह से आपको मकान न मिले, तो यह समता के अधिकार का उल्लंघन होगा। संविधान धर्म, जाति आदि के आधार पर भेदभाव करने की अनुमति नहीं देता है।

प्रश्न (ख). कुछ समुदायों को गाँव के भीतर नहीं बल्कि गाँव के बाहर . घर बनाने को कहा जाता है ?

उत्तर- किसी भी समुदाय को गांव से बाहर रहने को कहना भेदभाव है और समता के अधिकार का हनन करता है। सभी नागरिकों को बराबर के अवसर मिलने चाहिए।

प्रश्न (ग). कुछ समुदाय के सदस्य कई पूजा स्थानों पर इसलिए नहीं जाते क्योंकि उन्हें डर है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जायेगा या मारा-पीटा जाएगा।

उत्तर- किसी भी सार्वजनिक स्थान पर किसी समुदाय के साथ भेदभाव करना या उन्हें डराना-धमकाना समता के अधिकार का उल्लंघन है। सभी नागरिकों को सुरक्षित आवागमन और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है।

प्रश्न 10. मजदूरों के संगठन क्यों बनाए जाते हैं ?

उत्तर- मजदूरों के संगठन इसलिए बनाए जाते हैं ताकि उनके हितों और अधिकारों की रक्षा की जा सके। ये संगठन मजदूरों को शोषण से बचाते हैं और उनके लिए बेहतर कार्य परिस्थितियों एवं वेतन की मांग करते हैं। साथ ही, ये मजदूरों को एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 11. लोग देश के विभिन्न भागों में जाकर क्यों रहना चाहते हैं ?

उत्तर- लोग देश के विभिन्न भागों में रहना इसलिए चाहते हैं क्योंकि वहां उन्हें बेहतर रोजगार और आजीविका के अवसर मिल सकते हैं। कुछ लोग व्यापार-कारोबार के सिलसिले में भी विभिन्न स्थानों पर जाकर बसते हैं। इसके अलावा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की तलाश में भी लोग दूसरे स्थानों पर जाते हैं।

प्रश्न 12. लोग बंधुआ मजदूर क्यों बनते हैं ?

उत्तर- गरीबी और बेरोजगारी के चलते कई लोग बंधुआ मजदूर बनने को मजबूर होते हैं। जब उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं होता और वे कर्ज में डूब जाते हैं, तो वे अपने जीवन-निर्वाह के लिए बंधुआ मजदूरी को स्वीकार कर लेते हैं।

प्रश्न 13. किन परिस्थितियों में किसी धार्मिक समुदाय की स्वतंत्रता पर सरकार कानून बनाकर रोक लगा सकती है?

उत्तर- यदि किसी धार्मिक समुदाय की रीति-रिवाज या प्रथाएं मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं, अमानवीय होती हैं या सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं, तभी सरकार उस समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर कानूनी प्रतिबंध लगा सकती है। लेकिन ऐसा करते समय सरकार को बहुत सावधानी बरतनी होगी।

प्रश्न 14. गरीबी के कारण कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर होने और बेगार में क्या अंतर है?

उत्तर- गरीबी के कारण कम मजदूरी पर काम करना और बेगार करना दोनों में अंतर है। कम मजदूरी पर काम करने पर व्यक्ति को कुछ वेतन तो मिलता है जबकि बेगार में उसे कुछ भी भुगतान नहीं किया जाता। बेगार वास्तव में गुलामी का ही एक रूप है जिसमें व्यक्ति को बिना किसी पारिश्रमिक के काम करना पड़ता है।

प्रश्न 15. संविधान में आरक्षण क्यों और किसके लिए रखा गया है ? क्या यह समानता के सिद्धान्त के विरुद्ध नहीं है ? कारण सहित समझाइए।

उत्तर- संविधान में आरक्षण का प्रावधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए किया गया है। इन समुदायों को लंबे समय तक सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा रखा गया था। आरक्षण का उद्देश्य इन्हें मुख्यधारा में लाना और समान अवसर प्रदान करना है। यह समानता के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं है, बल्कि असमानता को दूर करने का प्रयास है। इन वर्गों को आगे लाने के लिए विशेष प्रावधान करना न्यायसंगत है।

प्रश्न 16. समता के ऐसे दो प्रावधानों के बारे में बताइये जिसमें धर्मनिरपेक्षता के महत्व की झलक दिखती है।

उत्तर- धर्मनिरपेक्षता का महत्व समझाने वाले समता के दो प्रमुख प्रावधान हैं:-

  • धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव निषिद्ध है। यह सभी धर्मों और विश्वासों के प्रति समान दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • देश के सभी नागरिकों पर लागू होने वाले कानून किसी एक धर्म के विश्वासों और मान्यताओं पर आधारित नहीं होंगे। इससे सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष दृष्टिकोण की झलक मिलती है।

प्रश्न 17. नीचे लिखी तालिका को शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से पूरा करें-

उत्तर-

प्रश्न 18. अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति व शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए कौन-कौन से अधिकार दिये गये हैं?

उत्तर- अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और भाषा को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित अधिकार प्रदान किए गए हैं:-

  1. अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित करने और उन्हें चलाने का अधिकार।
  2. अपनी भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए स्वतंत्रता।
  3. सरकार से वित्तीय सहायता और मान्यता प्राप्त करने का अधिकार (यदि आवश्यक शर्तें पूरी की जाएं)।
  4. अपने धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को निर्बाध रूप से मानने की स्वतंत्रता।

प्रश्न 19. अल्पसंख्यकों को दिये गये संस्कृति व शिक्षा के अधिकार से धर्मनिरपेक्षता कैसे मजबूत होगी? उदाहरण देकर समझाइये।

उत्तर- अल्पसंख्यकों को संस्कृति और शिक्षा के अधिकार देना धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करता है क्योंकि इससे वे देश से जुड़ाव महसूस करते हैं। उदाहरण के लिए, एक मुस्लिम समुदाय अपने बच्चों को मदरसों में पढ़ा सकता है और अरबी भाषा/संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकता है। इससे वे देश में सुरक्षित महसूस करेंगे और देश की मुख्यधारा से जुड़े रहेंगे। यह बहुलवादी समाज की भावना को भी बढ़ावा देगा।

इन अधिकारों से विभिन्न समुदायों के लोग अपनी पहचान को बनाए रख सकते हैं और राष्ट्र की एकता और अखंडता में योगदान दे सकते हैं। इससे समाज में सौहार्द्र और सद्भाव बढ़ेगा।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है ? अपने शब्दों में समझाइये।

उत्तर- भारत एक बहुधर्मी और बहुसांस्कृतिक देश है। यहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग निवास करते हैं। धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा सिद्धांत है जो सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाता है और किसी एक विशेष धर्म को प्राथमिकता नहीं देता। इससे देश में सामाजिक एकता और सद्भाव बना रहता है। धर्मनिरपेक्षता के बिना, किसी एक धर्म को विशेष महत्व देने से अन्य धर्मों के लोगों में असंतोष और विद्रोह की भावना पैदा हो सकती है, जिससे देश की शांति और सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। इसलिए धर्मनिरपेक्षता बहुलवादी समाज की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 2. धर्मनिरपेक्षता में मुख्य रूप से कौन-कौन-सी बातें शामिल हैं ?

उत्तर- धर्मनिरपेक्षता में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:-

  1. सभी धर्मों और संप्रदायों के प्रति समान व्यवहार और सम्मान।
  2. किसी भी धर्म या संप्रदाय को राज्य का विशेष संरक्षण या प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
  3. सभी व्यक्तियों को अपना धर्म चुनने और उसका पालन करने की स्वतंत्रता होगी।
  4. राज्य के कानून और नीतियां किसी विशेष धर्म से प्रभावित नहीं होंगे।
  5. राज्य धर्म से अलग रहेगा और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
  6. धार्मिक स्वतंत्रता और धर्म परिवर्तन की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाएगी।

प्रश्न 3. आपके विचार में भारत में धर्मनिरपेक्षता को लागू करने के लिए कौन-से मौलिक अधिकार शामिल हैं और क्यों?

उत्तर- भारत में धर्मनिरपेक्षता को लागू करने के लिए निम्नलिखित मौलिक अधिकार शामिल हैं:-

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18): यह सभी नागरिकों को धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के बिना समान अवसर प्रदान करता है।
  2. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28): यह सभी व्यक्तियों को अपना धर्म चुनने, उसका पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है।
  3. संस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30): यह अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और भाषा को बनाए रखने का अधिकार प्रदान करता है।

ये अधिकार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे सभी धर्मों और संप्रदायों को समान अवसर प्रदान करते हैं और किसी भी धर्म को विशेष महत्व नहीं देते। यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को बनाए रखने में मदद करता है।

प्रश्न 4. अगर किसी धर्म के लोग मानते हैं कि नवजात शिशुओं की हत्या करना उनके धर्म का जरूरी हिस्सा है. तो सरकार को ऐसी परंपराओं को रोकने के लिए दखल देना चाहिए कि नहीं ? कारण सहित समझाइए।

उत्तर- हां, अगर किसी धर्म के लोग नवजात शिशुओं की हत्या को अपने धर्म का हिस्सा मानते हैं, तो सरकार को ऐसी परंपराओं को रोकने के लिए अवश्य दखल देना चाहिए। इसके निम्नलिखित कारण हैं:-

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का अधिकार है। नवजात शिशु की हत्या इस अधिकार का उल्लंघन है।
  2. यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और एक अपराध माना जाता है।
  3. धर्म का अर्थ है शांति और करुणा, न कि हिंसा और अमानवीय व्यवहार।
  4. यदि सरकार इस प्रथा को रोकने में विफल रहती है, तो यह देश की कानून व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
  5. धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार की हिंसा या अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 5. नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए कई स्थानों पर हो रहे सांप्रदायिक दंगों के डर से एक गाँव की माहेलाओं का समूह पुलिस थाने में गया । वे एक लिखित शिकायत दर्ज करना चाहती थी और रहने के लिए एक सुरक्षित जगह या पुलिस की हिफाजत चाहती थीं । थानेदार जो कि दूसरे धार्मिक संप्रदाय का था, उन महिलाओं की प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया। पुलिस ने उनको जरूरी सुरक्षा तक नहीं दी दूसरे दिन दंगाई भीड़ ने इन महिलाओं का घर जला दिया।

प्रश्न 1. थानेदार ने धर्मनिरपेक्षता के मूल्य का पालन किया है या नहीं? अपने शब्दों में लिखिये।

उत्तर- नहीं, थानेदार ने धर्मनिरपेक्षता के मूल्य का पालन नहीं किया। एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में सभी नागरिकों की सुरक्षा और समानता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। थानेदार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा न करना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है।

प्रश्न 2. गद्यांश में दी गई परिस्थिति में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य को क्या करना चाहिए?

उत्तर- गद्यांश में दी गई परिस्थिति में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य को निष्पक्ष रवैया अपनाते हुए सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति किसी भी प्रकार के भेदभाव या उत्पीड़न को रोकना होगा। साथ ही, दंगाइयों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

प्रश्न 3. दंगों में महिलाओं का असुरक्षित महसूस करना किस बात की ओर इशारा करता है?

उत्तर- दंगों में महिलाओं का असुरक्षित महसूस करना इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रशासन अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है और नागरिकों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है।

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Chapter 1 Solutions – भारतीय संविधान
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Chapter 5 Solutions – न्यायपालिका
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