Bihar Board class 8 Civics chapter 1 solutions are given for free here. It gives you the comprehensive solutions for all the questions asked in chapter 1 – “भारतीय संविधान” in hindi medium.
भारतीय संविधान एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसने हमारे देश को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया है। यह अध्याय आपको भारतीय संविधान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। आप संविधान निर्माण की प्रक्रिया, संविधान सभा के गठन, संविधान के मुख्य सिद्धांतों और मूल्यों, संविधान के विभिन्न भागों और अनुच्छेदों, तथा भारतीय संविधान की विशिष्ट विशेषताओं के बारे में जानेंगे।
Bihar Board Class 8 Civics Chapter 1 Solutions
Subject | Civics |
Class | 8th |
Chapter | 1. भारतीय संविधान |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. आप अपने विद्यालय में जिन नियमों का पालन करते हैं उनकी एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी इस प्रश्न को स्वयं करे।
प्रश्न 2. आपकी शिक्षिका विद्यालय में किन नियमों का पालन करती हैं उनसे चर्चा कीजिए और सूची तैयार कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं सूचि तैयार करे।
प्रश्न 3. जग सोन के बताइए कि आपके विद्यालय के प्रधान अध्यापक को विद्यालय चलाने के लिए किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा?
उत्तर- विद्यार्थी अपने विद्यालय में अध्यापक को हुए दिक्कत के बारे में स्वयं लिखे।
प्रश्न 4. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पर अपने वर्ग में अलग-अलग समूह में समूह-चर्चा कीजिए और उसकी मुख्य बातों को चार्ट पेपर पर लिखकर अपनी कक्षा में सजाइए।। इसके लिए पहले आपको कई स्रोत जैसे अखबार, इंटरनेट या अपने शिक्षकों से जानकारी इकट्ठी करनी पड़ेगी।
उत्तर- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक महत्वपूर्ण कानून है जिसने बच्चों की शिक्षा को मूलभूत अधिकार बनाया। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान हैं:-
- 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।
- प्रत्येक गाँव/शहर में 1 किमी की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय और 3 किमी की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय होना अनिवार्य है।
- छात्र-शिक्षक अनुपात कक्षा 1-5 के लिए 30:1 और कक्षा 6-8 के लिए 35:1 निर्धारित किया गया है।
- विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं जैसे पेयजल, शौचालय, लैंगिक भेदभाव रहित वातावरण आदि उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
प्रश्न 5. दिए गए उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आप नहरवाल इलाके के . लिए कौन-से कानून बनाएँगे?
उत्तर- नहरवाल इलाके के लिए निम्नलिखित कानून बनाए जा सकते हैं:-
- सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा न फैलाने का नियम और उल्लंघन पर जुर्माना।
- रात्रि कर्फ्यू का समय निर्धारित करना और उल्लंघन पर जुर्माना।
- यातायात नियमों का पालन और उल्लंघन पर जुर्माना।
- नशीले पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध और उल्लंघन पर जुर्माना/कारावास।
- महिलाओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार पर जुर्माना/कारावास।
- नागरिक सुरक्षा समिति का गठन जो इलाके की समस्याओं पर नजर रखेगी।
प्रश्न 6. यह तो हो गई कानुन बनाने की बात, अब यह तय कैसे करेंगे किइन कानूनों को कैसे लागू किया जाये ?
उत्तर- नहरवाल इलाके में बनाए गए कानूनों को लागू करने का काम नागरिक सुरक्षा समिति और नगर पालिका/पंचायत करेगी। इनके पास जुर्माना वसूलने और कानूनों का उल्लंघन करने वालों को सजा देने का अधिकार होगा। पुलिस बल का भी सहयोग लिया जा सकता है। समिति द्वारा नियुक्त निरीक्षकों की टीमें नियमित रूप से इलाके का निरीक्षण करेंगी और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। आम जनता से भी सहयोग लिया जाएगा और उन्हें भी कानूनों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
प्रश्न 7. सरला बहन ने मुन्नी को काम पर क्यों नहीं जाने दिया?
उत्तर- बच्चों से श्रम करवाना कानूनन वर्जित है क्योंकि बाल श्रम बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर बुरा प्रभाव डालता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 में बच्चों को श्रम से मुक्त रखने की बात कही गई है। इसी कारण सरला बहन ने मुन्नी को काम पर नहीं जाने दिया।
प्रश्न 8. अपने घर के बुजुर्गों से चर्चा कीजिए कि क्या उन्होंने कभी ऐसी घटना देखी हैं ?
उत्तर- छात्रों को अपने घर के बुजुर्गों से बातचीत करके इस प्रश्न का उत्तर स्वयं से लिखे।
प्रश्न 9. आपके विचार में छोटी उम्र में बच्चों को काम पर क्यों नहीं लगान चाहिए?
उत्तर- छोटी उम्र में बच्चों को काम पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि:-
- पढ़ाई उनका मूल अधिकार है जिसे काम करने से नुकसान पहुंचता है।
- कठोर परिश्रम बच्चों के स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।
- यह बाल मनोविज्ञान के विरुद्ध है और बच्चों में अवसाद, चिंता जैसी मानसिक स्थितियां पैदा कर सकता है।
- यह बाल अधिकारों का उल्लंघन है और संविधान के विरुद्ध है।
- बाल श्रम बच्चों के भविष्य पर बुरा असर डालता है और उन्हें गरीबी के चक्र में धकेल देता है।
प्रश्न 10. नीचे दी गई घटनाओं को ध्यान से पढ़ें । शिक्षिका की मदद से यह पता लगाएँ कि इन घटनाओं के शिकार लोगों की भारतीय संविधान कैसे मदद करता है? घटनाएँ
प्रश्न (i). दहेज के लिए विवाहिता को जला देना।
उत्तर- दहेज हत्या के मामले में भारतीय संविधान दहेज लेने-देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। इसके अलावा, दहेज के कारण उत्पीड़न या हत्या करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
प्रश्न (ii). 10 वर्ष के बच्चे को चाय की दुकान में काम कराना।
उत्तर- बाल श्रम पर पूर्ण प्रतिबंध है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का श्रम नहीं करना चाहिए। इसका उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना और कारावास हो सकता है।
प्रश्न (iii). बिना कोई कारण बताये 24 घण्टे से अधिक किसी नागरिक को पुलिस चौकी में बंद रखना।
उत्तर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को बिना वजह गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यदि किसी को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे 24 घंटे के भीतर न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।
प्रश्न (iv). किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर जाने के लिये जाति, लिंग या धर्म के नाम पर रोकना।
उत्तर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 सभी नागरिकों को जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार देता है। किसी भी प्रकार के भेदभाव को गैरकानूनी माना जाता है और इसपर सजा का प्रावधान है।
प्रश्न (v). सरकार द्वारा किसानों की जमीन को बिना उचित मुआवजा दिए जब्त कर लेना।
उत्तर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300A के अनुसार, किसी भी निजी संपत्ति को उचित मुआवजे के बिना अधिग्रहित नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा किया जाता है, तो पीड़ित व्यक्ति न्यायालय का आश्रय ले सकता है।
प्रश्न 11. संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर- संविधान किसी देश के लिए एक मूलभूत दस्तावेज़ है जिसमें उस देश के शासन व्यवस्था, नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य तथा राज्य की नीतियां निर्धारित की गई होती हैं। यह देश के संचालन के लिए एक मानक दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
प्रश्न 12. बुनियादी नियम क्या होते हैं ?
उत्तर- बुनियादी नियम वे मूलभूत सिद्धांत होते हैं जिनके आधार पर किसी देश का संविधान तैयार किया जाता है। ये नियम नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मूल कर्तव्यों, शासन प्रणाली और राज्य के मार्गदर्शक सिद्धांतों को परिभाषित करते हैं।
प्रश्न 13. किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र से पता लगाइए कि सरकार द्वारा लोगों को कौन-कौन-सी बुनियादी सुविधाएँ दी जाती हैं।
उत्तर- स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा लोगों को निःशुल्क बुनियादी चिकित्सा सेवाएं, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, परामर्श सेवाएं तथा सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं।
प्रश्न 14. अपने विद्यालय में दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं की एक सूची बनाएँ।
उत्तर- विद्यालयों में दी जाने वाली सरकारी सुविधाएं: निःशुल्क शिक्षा, पाठ्यपुस्तकें, यूनिफॉर्म, मिड-डे मील, छात्रवृत्ति, खेल सामग्री आदि।
प्रश्न 15. ऊपर दिए गए चित्रों को देखकर आपकी अंग्रेजी शासन पद्धति के बारे में क्या सोच बनती है?
उत्तर- चित्रों से स्पष्ट होता है कि अंग्रेजों का शासन बर्बरता और अत्याचार पर आधारित था। वे भारतीयों के साथ घोर अन्याय करते थे और उनके मूलभूत अधिकारों का हनन किया करते थे।
प्रश्न 16. क्या आपको लगता है कि अंग्रेजी हुकूमत ने हम भारतीयों के अधिकारों का हनन किया है ? कैसे?
उत्तर- हां, अंग्रेजी शासन ने भारतीयों के अधिकारों का बुरी तरह से हनन किया। जलियांवाला बाग नरसंहार इसका एक दृष्टांत है जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर निर्दयतापूर्वक गोलियां चलाई गईं। इसके अलावा, अंग्रेजों ने भारतीय किसानों को जबरन नील की खेती करने को मजबूर किया जिससे उन्हें नुकसान होता था। वे लगातार भारतीयों के साथ अन्याय करते रहे और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया।
प्रश्न 17. किस चीज की खेती के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा था?
उत्तर- अंग्रेजों द्वारा बिहार के पश्चिम चंपारण के किसानों को जबरन नील की खेती करने को मजबूर किया जाता था।
प्रश्न 18. अगर हमारा देश आजाद रहता तो क्या इस तरह लोगों को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध मजबूर किया जाता? ।
उत्तर- नहीं, यदि हमारा देश स्वतंत्र होता तो किसी को भी उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी कार्य को करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता था। स्वतंत्रता प्राप्त देश में नागरिकों को जबरन कोई काम करने को मजबूर नहीं किया जाता।
प्रश्न 19. यदि उस समय भारत आजाद होता और उसका अपना संविधान होता, तो क्या इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता था ?
उत्तर- हाँ, यदि उस समय भारत स्वतंत्र होता और अपना संविधान होता, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता था। संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की गारंटी होती है और लोग न्यायपालिका का सहारा लेकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते थे।
प्रश्न 20. भारत के संविधान को बनाने के लिए कांग्रेस ने सबसे स्पष्ट मांग कब पेश की?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने वर्ष 1920 में भारत के लोगों द्वारा अपना संविधान खुद बनाने की स्पष्ट मांग रखी थी।
प्रश्न 21. अंग्रेज सरकार भारत के लोगों की स्वतंत्र संविधान सभा की मांग को क्यों नहीं मानना चाहती थी?
उत्तर- अंग्रेज सरकार भारत के लोगों की स्वतंत्र संविधान सभा की मांग को इसलिए नहीं मानना चाहती थी क्योंकि इसके बाद उन्हें भारत पर अपना शासन समाप्त करना पड़ता। वे नहीं चाहते थे कि भारतीय अपने देश का शासन स्वयं संभालें।
प्रश्न 22. भारत के लोगों ने शुरुआती दौर में क्या-क्या माँगें रखीं ?
उत्तर- भारत के लोगों ने शुरुआती दौर में सार्वभौमिक मताधिकार, स्वतंत्रता, समानता, संसदीय शासन प्रणाली और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा जैसी मांगें रखी थीं।
प्रश्न 23. किसी भी देश के संविधान में आम तौर पर किस तरह के मूल्यों को शामिल किया जाता है ?
उत्तर- किसी भी देश के संविधान में सामान्यतः मूलभूत मूल्यों और सिद्धांतों को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 24. भारत के संविधान के बुनियादी मूल्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- भारतीय संविधान के मूलभूत मूल्य लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता हैं।
प्रश्न 25. बच्चे क्यों खुश थे?
उत्तर- बच्चे इसलिए खुश थे क्योंकि विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होना था।
प्रश्न 26. शिक्षिका ने सभी बच्चों के विचार क्यों लिए?
उत्तर- शिक्षिका ने सभी बच्चों के विचार इसलिए लिए ताकि उन्हें यह एहसास हो कि वे भी कार्यक्रम के आयोजन में भागीदार हैं और उनकी राय महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 27. कार्यक्रम की योजना यदि शिक्षिका स्वयं बनाती तो क्या होता?
उत्तर- यदि शिक्षिका कार्यक्रम की योजना स्वयं बनाती तो कई बच्चों को लगता कि कार्यक्रम में उनकी कोई भूमिका नहीं है और वे दुखी हो जाते।
प्रश्न 28. क्या बच्चे अपनी बात को कहने के लिए स्वतंत्र थे ?
उत्तर- हां, बच्चे अपनी बातें कहने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र थे क्योंकि शिक्षिका ने उन्हें अपने विचार रखने का अवसर दिया था।
प्रश्न 29. कार्य योजना बनाने में क्या सभी ने अपनी भूमिका निभाई थी?
उत्तर- हां, कार्यक्रम की योजना बनाने में सभी बच्चों ने अपनी भूमिका निभाई थी क्योंकि शिक्षिका ने उनसे राय ली थी।
प्रश्न 30. इस अनुभव से आपको लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में क्या समझ आता है ? शिक्षिका से चर्चा कीजिए।
उत्तर- इस अनुभव से हम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में समझते हैं कि लोकतंत्र में सभी नागरिकों को अपने विचार रखने और निर्णय लेने में भागीदारी का समान अधिकार होता है। शिक्षिका ने सभी बच्चों से राय ली और उनकी सहभागिता सुनिश्चित की, जो लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 31. स्वयं करें और बताएँ पुस्तक में दी गई संविधान की उद्देशिका को ध्यान से पढ़ें और दिए गए चित्रों को देखकर बताएं कि इनमें संविधान में कौन-सी स्वतंत्रताएँ झलकती हैं।
उत्तर- संविधान की उद्देशिका में निम्नलिखित स्वतंत्रताओं का उल्लेख है, जो चित्रों में भी दर्शाई गई हैं:-
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- धर्म और उपासना की स्वतंत्रता
- अवसरों की समानता (शिक्षा का अधिकार)
प्रश्न 32. क्या किसी भी लोकतांत्रिक देश में स्वतंत्रता का अधिकार असीमित हो सकता है ? यदि किसी भी व्यक्ति या सरकार के कार्यों से दूसरे के हित को खतरा पहुँचता है तो क्या ऐसी स्वतंत्रता समाज के हित में सीमित की जा सकती है?
उत्तर- नहीं, किसी भी लोकतांत्रिक देश में स्वतंत्रता का अधिकार असीमित नहीं हो सकता। यदि किसी व्यक्ति या संस्था की स्वतंत्रता से समाज या राष्ट्र के हितों को खतरा होता है, तो उसे सीमित किया जा सकता है। दूसरों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है और इसके लिए दंड का भी प्रावधान होता है।
प्रश्न 33. संविधान की उद्देशिका को ध्यान से पढ़ें और बताएँ कि संविधान में कौन-कौन-सी समानताओं का उल्लेख किया गया है ?
उत्तर- संविधान की उद्देशिका में निम्नलिखित समानताओं का उल्लेख है:-
- सामाजिक समानता
- आर्थिक समानता
- राजनीतिक समानता
- विचार-अभिव्यक्ति की समानता
- धर्म और उपासना की समानता
- प्रतिष्ठा और अवसरों की समानता
प्रश्न 34. नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन-कौन-सी असमानताएँ दिखाई दे रही
प्रश्न (i). अपहरण के मामले में चार लड़के गिरफ्तार होते हैं। उनमें से श्याम एक धनी परिवार का इकलौता लड़का है । मजिस्ट्रेट सभी को एक ही सजा सुनाता है।
उत्तर- इस उदाहरण में समानता का उल्लंघन नहीं हुआ है क्योंकि सभी आरोपियों को समान सजा दी गई है। यह न्यायपालिका द्वारा समानता का पालन करना है।
प्रश्न (ii). एक गाँव में स्थित मंदिर में कुछ खास समुदाय के लोगों को नहीं जाने दिया जाता।
उत्तर- यहां धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया है, जो धर्म और उपासना की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। ऐसी असमानता संविधान के विरुद्ध है।
प्रश्न (iii). आपके पड़ोस के स्कूल में आपके छोटे भाई का नामांकन नहीं । किया जाता क्योंकि आपके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
उत्तर- यहां आर्थिक स्थिति के आधार पर एक बच्चे को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, जो शिक्षा के अधिकार और अवसरों की समानता का उल्लंघन है।
प्रश्न (iv). किसी निजी नौकरी के लिए आपको इसलिए नहीं लिया जाता क्योंकि आप किसी खास समुदाय के हैं।
उत्तर- यहां जाति के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, जो रोजगार के अवसरों में असमानता पैदा करता है। ऐसा करना संविधान के विरुद्ध है।
प्रश्न 35. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति समानता के सिद्धांत के विरुद्ध क्यों नहीं जाती ? अपनी शिक्षिका की सहायता से इस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर- अनुसूचित जातियों और जनजातियों को छात्रवृत्ति देना समानता के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं है। बल्कि, यह उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है। इन समुदायों को सदियों से शोषण और उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। छात्रवृत्ति उन्हें आगे बढ़ने और मुख्यधारा में शामिल होने में मदद करती है। यह वास्तव में आरक्षित समानता का एक उदाहरण है।
प्रश्न 36. अपने स्कूल में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी एकत्र कीजिए। ये योजनाएँ क्या हैं और क्यों चलाई जाती हैं ? समूह .. में चर्चा कीजिए।
उत्तर- छात्र इस प्रश्न को स्वयं करे।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1. एक नागरिक के रूप में देश के लोगों के लिए संविधान महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर- एक नागरिक के रूप में संविधान महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह देश के लोगों के मौलिक अधिकारों और मूल्यों की रक्षा करता है। संविधान में निहित नागरिक स्वतंत्रताएं और अधिकार जनता के हितों की रक्षा करते हैं। यह कानून का शासन सुनिश्चित करता है और देश में शांति, सद्भाव और न्याय स्थापित करता है। संक्षेप में, संविधान देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती प्रदान करता है।
प्रश्न 2. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाने की मांग क्यों रखी होगी?
उत्तर- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय लोगों ने अपना संविधान बनाने की मांग इसलिए की क्योंकि वे ब्रिटिश शासन से तंग आ चुके थे। अंग्रेजी राज में उनके मूलभूत अधिकार कुचले जा रहे थे। उन्हें आजादी की कमी थी और देश की निर्णय प्रक्रिया में उनकी भागीदारी नहीं थी। संविधान की मांग इसलिए की गई ताकि देश का शासन जनता द्वारा चुने प्रतिनिधियों द्वारा बनाए गए नियमों से संचालित हो और लोगों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
प्रश्न 3. भारत के संविधान में दिए गए मूल्यों में से आपको कौन-से मूल्य, सबसे महत्त्वपूर्ण लगते हैं और क्यों?
उत्तर- भारतीय संविधान के मूल्यों में से लोकतंत्र, समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। ये मूल्य न केवल भारत के संविधान की आत्मा हैं बल्कि एक समावेशी और न्यायसंगत समाज का भी निर्माण करते हैं। इनके बिना न तो कानून का शासन संभव है और न ही जनता की भलाई। इन मूल्यों पर ही भारत की आजादी का संघर्ष आधारित था।
प्रश्न 4. संविधान में दिए गए समता और सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन्हें निम्न तालिका में भरिये। समता का मूल्य
उत्तर- समता और सामाजिक न्याय मूल्य के तहत आरक्षण और सशक्तीकरण की विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। कुछ प्रमुख योजनाएं हैं – अनुसूचित जाति/जनजाति उत्थान योजनाएं, प्रधानमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, सबला योजना आदि।
प्रश्न 5. नीचे दिए गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। संविधान सभा की बैठक नई दिल्ली के संविधान सभा भवन में 8.30 बजे शुरू हुई । माननीय डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने सभा की अध्यक्षता की। इस सभा में माननीय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने विचार प्रस्तुत किये, “समिति में दो विचार-धाराएँ थीं । बड़ी तादाद में विख्यात वकील थे, जो बहुत बारीकी से हर वाक्य, हर शब्द, यहाँ तक की विराम और अल्प विराम की जाँच कर रहे थे। ये दोनों विचारधाराएँ दो अलग-अलग दृष्टिकोणों से मामले को देखती थीं
एक विचारधारा यह मानती थी कि अधिकारों के इस प्रतिवेदन में जितने अधिक से अधिक संभव हों, अधिकार शामिल करने चाहिए जो अदालत में सीधे लागू किए जा सकें। इन अधिकारों को लेकर कोई भी नागरिक बिना किसी कठिनाई के सीधे अदालत जा सके और अपने अधिकार प्राप्त कर सकें । दूसरी विचारधारा का मत था कि मूल अधिकारों को कुछ ऐसी बहुत अनिवार्य बातों तक सीमित रखा जाना चाहिए जिन्हें आधारभूत माना जा सके।
दोनों विचारधाराओं में काफी बहस हुई और अंत में एक बीच का रास्ता निकाला गया, जिसे एक अच्छा मध्यम मार्ग माना गया। दोनों विचारधाराओं के लोगों ने सिर्फ एक देश के मूल अधिकारों का अध्ययन नहीं किया बल्कि दुनिया के लगभग हर देश के मूल अधिकारों का अध्ययन किया। वे इस नतीजे पर पहुँचे कि हमें इस प्रतिवेदन में जहाँ तक संभव हो, उन अधिकारों को शामिल करना चाहिए, जिन्हें उचित माना जा सके । इन बातों पर इस सदन में मतभेद हो सकता है, सदन को हर धारा पर
आलोचनात्मक तरीके से विचार करके, विकल्प सुझाने, संशोधन के सुझाव देने और निरस्त करने का अधिकार है।”
प्रश्न 1. संविधान सभा की मूल अधिकारों की समिति में कौन-कौन से विचार प्रमुख रूप से उभर रहे थे?
उत्तर- संविधान सभा की मूल अधिकारों की समिति में दो प्रमुख विचारधाराएं थीं। एक पक्ष चाहता था कि संविधान में अधिकांश अधिकारों को शामिल किया जाए ताकि नागरिक सीधे अदालत जाकर उनका लाभ उठा सकें। दूसरा पक्ष केवल बुनियादी और अनिवार्य अधिकारों को ही शामिल करना चाहता था।
प्रश्न 2. आप इनमें से किस विचार के साथ सहमत हैं। और क्यों?
उत्तर- मुझे दूसरी विचारधारा का समर्थन करना उचित लगता है क्योंकि संविधान में केवल आवश्यक अधिकारों को शामिल करना अधिक व्यावहारिक है। अत्यधिक अधिकार शामिल करने से उनके दुरुपयोग की आशंका बनी रहेगी। साथ ही, बुनियादी अधिकारों को सुरक्षित रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
प्रश्न 3. संविधान सभा में सदस्य किस तरह किसी निर्णय पर पहुँचते थे, गद्यांश के आधार पर अपने शब्दों में लिखिये।
उत्तर- गद्यांश के अनुसार, संविधान सभा के सदस्य किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए विस्तृत बहस करते थे। दोनों पक्षों के तर्कों पर गौर करने के बाद वे एक मध्यम मार्ग निकालते थे जिसे सर्वसम्मत रूप से स्वीकार किया जाता था। इस प्रकार बहस और सर्वसम्मति से ही संविधान के प्रावधानों पर निर्णय लिए जाते थे।