Bihar Board Class 7 Science Chapter 13 Solutions – मिट्टी

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बिहार बोर्ड की कक्षा 7 विज्ञान की पुस्तक का तेरहवां अध्याय “मिट्टी” हमें एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के बारे में विस्तार से बताता है। इस अध्याय के माध्यम से बच्चे मिट्टी के गठन, उसके प्रकारों और गुणों को समझेंगे। वे जानेंगे कि मिट्टी का निर्माण किस प्रकार होता है और उसमें कौन-कौन से घटक मौजूद होते हैं। विद्यार्थियों को मिट्टी के कटाव और संरक्षण के तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा।

Bihar Board Class 7 Science Chapter 13

Bihar Board Class 7 Science Chapter 13 Solutions

SubjectScience (विज्ञान)
Class7th
Chapter13. मिट्टी
BoardBihar Board

अभ्यास

प्रश्न 1. सबसे उपयुक्त उत्तर को चिह्नित करें।

(i) जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती है –
(क) दोमट मिट्टी में
(ख) चिकनी मिट्टी में
(ग) बलुई मिट्टी में

उत्तर: (ख) चिकनी मिट्टी में

(ii) धान की फसल की उपर्युक्त मिट्टी है-

(क) बलुई मिट्टी
(ख) केवल दोमट मिट्टी
(ग) चिकनी एवं दोमट मिट्टी
(घ) केवल चिकनी मिट्टी

उत्तर: (ग) चिकनी एवं दोमट मिट्टी

(iii) किस प्रकार की मिट्टी में अन्तःस्रवण दर सबसे अधिक होती है ?

(क) चिकनी मिट्टी
(ख) दोमट मिट्टी
(ग) बलुई मिट्टी

उत्तर: (ग) बलुई मिट्टी

प्रश्न 2. मिट्टी का निर्माण किस प्रकार होता है ? समझाइए।

उत्तर:

मिट्टी का निर्माण एक धीमी, लंबी प्रक्रिया है जिसमें चट्टानों का अपक्षय (क्षरण) होता है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित तरीकों से होती है:

  • वायु और पानी का क्रियाकलाप: जब तेज धूप चट्टानों पर पड़ती है, तो उनका विस्तार होता है। फिर जब ठंड पड़ती है या वर्षा होती है, तो चट्टानें संकुचित हो जाती हैं। इससे चट्टानों में दरारें पड़ जाती हैं।
  • जीवाणुओं का कार्य: मिट्टी में जीवाणु रहते हैं जो चट्टानों को अपने कार्यों से खंडित करते हैं।
  • पौधों की जड़ें: पौधों की जड़ें चट्टानों में घुसकर उन्हें टूटने में मदद करती हैं।
  • रसायनिक अपक्षय: वायुमंडलीय गैसों और पानी के कार्यों से चट्टानों का रासायनिक अपक्षय होता है।

इन सभी कारकों के मिले-जुले प्रभाव से धीरे-धीरे चट्टानें टूटकर मिट्टी का निर्माण होता है। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें कई सालों में मिट्टी का पतला परत बनता है।

प्रश्न 3. बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी तथा चिकनी मिट्टी में अन्तर स्पष्ट करें

उत्तर:
बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी तथा चिकनी मिट्टी में अन्तर –

प्रकारबलुई मिट्टीदोमट मिट्टीचिकनी मिट्टी
गुणवत्ताकठोरमध्यमसूक्ष्म
पानी प्रवाहित क्षमताकममध्यमअधिक
पोषक तत्वकममध्यमअधिक
रंगगहरा कालाहल्का कालासफेद या हल्का
भूमिगत जलनिकासीअधिकमध्यमकम
फॉर्मेब्लेंसकममध्यमअधिक

प्रश्न 4. अंतःस्रवण दर से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर: अंतःस्रवण दर से हमारा अभिप्राय मिट्टी में पानी के अवशोषण की गति या तेजी से है। यह मिट्टी की विशिष्ट विशेषताओं पर निर्भर करता है।

अंतःस्रवण दर का मतलब है कि एक निश्चित समय में मिट्टी में कितना पानी अवशोषित हो जाता है। इसका मापन मिली लीटर/घंटा या सेंटीमीटर/घंटा में किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी मिट्टी का अंतःस्रवण दर 5 सेंटीमीटर/घंटा है, तो इसका अर्थ है कि एक घंटे में उस मिट्टी में 5 सेंटीमीटर गहराई तक पानी अवशोषित हो जाता है।

अंतःस्रवण दर का मिट्टी की कई विशेषताओं जैसे कि कण आकार, पोरोसिटी, ह्यूमस सामग्री आदि पर प्रभाव पड़ता है। इससे मिट्टी की जल धारण क्षमता और जल प्रतिधारण भी प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 5. जल धारण क्षमता से आपका क्या अभिप्राय है ? अंतःसवण दर और जल धारण की क्षमता में क्या अन्तर होता है ?

उत्तर: जल धारण क्षमता से हमारा अभिप्राय मिट्टी द्वारा अवशोषित किए गए पानी की मात्रा से है। यह मिट्टी के कणों के आकार, पोरोसिटी और ह्यूमस सामग्री पर निर्भर करता है।

जब मिट्टी के कण छोटे होते हैं, तो उनकी सतह क्षेत्र अधिक होता है और इससे जल धारण क्षमता अधिक होती है। इसके विपरीत, जब कण बड़े होते हैं, तो सतह क्षेत्र कम होता है और जल धारण क्षमता भी कम होती है।

अंतःस्रवण दर और जल धारण क्षमता में यह अंतर है कि अंतःस्रवण दर पानी के अवशोषण की गति या तेज़ी को दर्शाता है, जबकि जल धारण क्षमता मिट्टी द्वारा कुल अवशोषित किए गए पानी की मात्रा को बताता है।

उदाहरण के लिए, एक मिट्टी का अंतःस्रवण दर अधिक हो सकता है, लेकिन जल धारण क्षमता कम। इसके विपरीत, किसी अन्य मिट्टी का अंतःस्रवण दर कम हो सकता है, लेकिन जल धारण क्षमता अधिक।

प्रश्न 6. समझाइए कि मिट्टी के अपरदन तथा मिट्टी प्रदूषण को किस प्रकार रोका जा सकता है ?

उत्तर: मिट्टी के अपरदन और प्रदूषण को रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:

  • मिट्टी का अपरदन रोकना:
  • पेड़-पौधों की कटाई को रोकना और नए पेड़ लगाना
  • बांध, नहरें और गिरावटी भूमि बनाकर पानी के बहाव को रोकना
  • भूमि संरक्षण तकनीकों जैसे टेरेसिंग, कंटूरिंग का उपयोग करना
  • मिट्टी प्रदूषण को रोकना:
  • अत्यधिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करना
  • कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों को उचित तरीके से निपटाना
  • घरेलू कचरे को जमीन में न डालकर उचित तरीके से निपटाना
  • जैविक कृषि का प्रयोग करना

इन उपायों को अपनाकर मिट्टी के अपरदन और प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

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Chapter 3 Solutions – ऊष्मा
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Chapter 5 Solutions – पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन
Chapter 6 Solutions – पौधों में पोषण
Chapter 7 Solutions – हवा, ऑंधी, तूफान
Chapter 8 Solutions – गति एवं समय
Chapter 9 Solutions – गंदे जल का निपटान
Chapter 10 Solutions – विद्युत धारा और इसके प्रभाव
Chapter 11 Solutions – रेशों से वस्त्र तक
Chapter 12 Solutions – अम्ल, क्षार एवं लवण
Chapter 13 Solutions – मिट्टी
Chapter 14 Solutions – पौधों में संवहन
Chapter 15 Solutions – जीवों में श्वसन
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