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इस अध्याय में छात्र विद्युत परिपथ और उसके घटकों को समझेंगे। वे खुला और बंद परिपथ, स्विच का महत्व, सीरीज और समानांतर प्रवाह को जानेंगे। साथ ही चालक और कुचालक पदार्थों के बीच अंतर भी सीखेंगे। बल्ब, सेल और सर्किट के अन्य अवयवों के उपयोग को भी देखेंगे। विद्युत प्रवाह और विद्युत उपकरणों की सुरक्षा पर भी चर्चा होगी।

Bihar Board Class 6 Science Chapter 14 Solutions
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Class | 6th |
| Chapter | 14. बल्ब जलाओ जगमग-जगमग |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास और प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. (क) निम्न वस्तुओं में बिजली का चालक है –
(i) लकड़ी
(ii) कागज
(iii) प्लास्टिक
(iv) लोहा
उत्तर:- (iv) लोहा
(ख) बल्ब के आविष्कारक थे –
(i) जेम्सवाट
(ii) एडीसन
(iii) ग्राहम बेल
(iv) जहाँगीर भाभा
उत्तर:- (ii) एडीसन
(ग) बल्ब की कुंडली किस धातु की बनी होती है –
(i) लोहा
(ii) पीतल
(iii) टंगस्टन
(iv) स्टील
उत्तर:- (iii) टंगस्टन
(घ) हवा है –
(i) बिजली का चालक
(ii) बिजली का कुचालक
(iii) कभी चालक कभी कुचालक
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (i) बिजली का चालक
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें –
(क) जब विद्युत धारा सेल के एक सिरे व तार व बल्ब से होते हुए सेल के दूसरे सिरे तक प्रवाहित होती है तो इस चक्कर को परिपथ कहते हैं।
(ख) किसी वस्तु को विद्युत परिपथ में जोड़ने पर बल्ब जल उठता है। तो इस वस्तु को विद्युत का चालक कहते हैं ।
(ग) ऐसी चीजें जिनको सर्किट में जोड़ने से बल्ब नहीं जलता हैं, इन्हें कुचालक कहा जाता है।
प्रश्न 3. राहुल ने नया सेल खरीदा। उसकी धुंडी पर एक प्लास्टिक की सील बनी थी। प्लास्टिक की सील हटाए बिना राहुल ने सेल को टॉर्च में – डाला। बताएँ, राहुल की टॉर्च क्यों नहीं जली?
उत्तर:- सभी वस्तुओं को आवेश या धारा के गमन के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है। चालक तथा कुचालक। वैसी वस्तुएँ जिससे होकर धारा आसानी से एक सिरे से दूसरे तक गमन करती हो उसे चालक तथा जिससे होकर धारा प्रवाहित नहीं होती हो उसे अचालक कहते हैं।
- चालक – लोहा, ताँबा।
- कुचालक – प्लास्टिक सीसा।
सेल की घंडी पर प्लास्टिक की सील लगी थी जिसके कारण धारा प्रवाहित नहीं हो पा रही थी। क्योंकि प्लास्टिक धारा का कुचालक होता है। यही कारण था कि राहुल की टॉर्च नहीं जली।
प्रश्न 4. बल्ब के अंदर की कुंडली टूटने के कारण जब फ्यूज हो जाता है, तो बताएँ बल्ब क्यों नहीं जलता है ?
उत्तर:- किसी यंत्र को संचालित करने के लिए विद्युत परिपथ पूर्ण होना चाहिए। कुंडल टूटने के कारण विद्युत परिपथ टूट जाता था जिसके कारण धारा प्रवाहित नहीं हो पाती है। यही कारण है कि बल्ब नहीं जल पाता है।
प्रश्न 5. किशन के पास एक ही तार था। तार के एक सिरे को उसने अपने बल्ब की चूड़ी पर कसा और दूसरा सिरा सेल पर दबाया। फिर एक स्टील के डिब्बे पर सेल और बल्ब को दबाकर इस तरह रखा कि उसका बल्ब जल उठा। अपनी कॉपी में चित्र बना कर समझाएँ कि एक ही तार से परिपथ कैसे पूरा हो गया ?
उत्तर:- टॉर्च के निचले ढक्कन में एक मोटे तार का स्प्रिंग होता है। स्प्रिंग होने से बल्ब की धुंडी और दोनों सेल आपस में सटकर जुड़े रहते हैं। स्प्रिंग वाला तार टॉर्च के किनारे-किनारे ऊपर चला जाता है। ऊपर इस तार के साथ स्विच की पत्ती जुड़ी होती है। स्विच को ऊपर दबाने से पत्ती ऊपर जाकर बल्ब के एक सिरे को छूती है। सर्किट पूरा होता है और बल्ब जल उठता है।
प्रश्न 6. अपने शब्दों में समझाएँ कि बल्ब में रोशनी कैसे होती है?
उत्तर:- बल्ब के अंदर एक पतली टंगस्टन की तार होती है जिसे फिलामेंट कहते हैं। जब बिजली का करंट इस फिलामेंट से गुजरता है, तो इसका विरोध के कारण यह अत्यधिक गर्म हो जाता है। गर्म होने पर यह लाल-गरम प्रकाश देने लगता है। बल्ब का शीशा इस प्रकाश को बाहर निकलने देता है और हमें रोशनी दिखाई देती है। फिलामेंट का अधिक गर्म होना ही बल्ब की रोशनी का कारण है।