Bihar Board Class 10 Science Chapter 7 Solutions – नियंत्रण एवं समन्वय

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नियंत्रण एवं समन्वय (Bihar Board class 10 Science chapter 7) में हम जीवों के भीतर होने वाली नियंत्रण और समन्वय प्रक्रियाओं का अध्ययन करेंगे। इस अध्याय में, हम जानेंगे कि तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र किस प्रकार से कार्य करते हैं और शरीर की विभिन्न गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। हम समझेंगे कि विभिन्न अंगों और तंत्रों के बीच समन्वय कैसे स्थापित होता है, जिससे शरीर के विभिन्न कार्य सही ढंग से संपन्न होते हैं। इसके साथ ही, हम पौधों में होने वाले नियंत्रण और समन्वय प्रक्रियाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। यह अध्याय जीव विज्ञान के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में सहायक होगा और हमें यह बताएगा कि जीवित प्राणियों के भीतर समन्वय और नियंत्रण कैसे कार्य करता है।

Bihar Board Class 10 Science Chapter 7

Bihar Board Class 10 Science Chapter 7 Solutions

SubjectScience
Class10th
Chapter7. नियंत्रण एवं समन्वय
MediumHindi (Bihar Board)

अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-

अनुच्छेद 7.1 पर आधारित

प्रश्न 1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?

उत्तर: प्रतिवर्ती क्रिया बिना हमारे सोचे-समझे बड़ी तीव्रता से स्वयं होने वाली क्रिया है जबकि टहलना एक ऐच्छिक क्रिया है।

प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?

उत्तर: दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य अंतर्ग्रथन में विद्युत संकेतों द्वारा कुछ रसायन छोड़े जाते हैं।

प्रश्न 3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?

उत्तर: मस्तिष्क का अनुमस्तिष्क भाग शरीर की स्थिति तथा सन्तुलन का अनुरक्षण करता है।

प्रश्न 4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?

उत्तर: हम एक अगरबत्ती की गंध का पता पश्चमस्तिष्क द्वारा नियन्त्रित ज्ञानेन्द्रियों पर स्थित गंधीय संवेदांगों द्वारा लगाते हैं।

प्रश्न 5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?

उत्तर: प्रतिवर्ती क्रिया किसी क्रिया के विपरीत त्वरित गति से स्वयं होने वाली क्रिया है। इसमें हमें कुछ सोचने-समझने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है। ये क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती हैं तथा इसके पश्चात सूचनाएँ मस्तिष्क को भेजी जाती हैं।

अनुच्छेद 7.2 पर आधारित

प्रश्न 1. पादप हॉर्मोन क्या हैं?

उत्तर: पादप हॉर्मोन (फाइटोहॉर्मोन) ऐसे जैविक रसायन हैं जो पौधों में बहुत कम मात्रा में उत्पन्न होते हैं और पौधों की वृद्धि, विकास तथा अन्य जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हॉर्मोन पौधे के एक भाग में बनते हैं और रस के माध्यम से दूसरे भागों तक पहुंचते हैं।

मुख्य पादप हॉर्मोन हैं:

  • ऑक्सिन: कोशिका विभाजन और विस्तार को बढ़ावा देता है।
  • जिबरेलिन: तने की लंबाई बढ़ाता है और बीज अंकुरण को प्रोत्साहित करता है।
  • साइटोकाइनिन: कोशिका विभाजन को बढ़ावा देता है और पत्तियों के बूढ़ा होने को रोकता है।
  • एथिलीन: फलों के पकने और पत्तियों के गिरने में सहायक होता है।
  • एब्सिसिक एसिड: वृद्धि को रोकता है और तनाव प्रतिक्रियाओं में मदद करता है।

प्रश्न 2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर: छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति और प्रकाश की ओर प्ररोह की गति में निम्नलिखित अंतर हैं:

प्रकृति:

  • छुई-मुई की गति: यह स्पर्शानुवर्ती गति है, जो स्पर्श के प्रति प्रतिक्रिया है।
  • प्ररोह की गति: यह प्रकाशानुवर्ती गति है, जो प्रकाश की दिशा में होती है।

दिशा:

  • छुई-मुई की गति: यह अनिश्चित दिशा में होती है, पत्तियाँ स्पर्श के स्थान से मुड़ जाती हैं।
  • प्ररोह की गति: यह निश्चित दिशा में होती है, हमेशा प्रकाश स्रोत की ओर।

गति की प्रकृति:

  • छुई-मुई की गति: यह तीव्र और अस्थायी होती है।
  • प्ररोह की गति: यह धीमी और स्थायी होती है।

उद्देश्य:

  • छुई-मुई की गति: यह सुरक्षा के लिए होती है।
  • प्ररोह की गति: यह प्रकाश-संश्लेषण के लिए अधिकतम प्रकाश प्राप्त करने के लिए होती है।

प्रश्न 3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।

उत्तर: ऑक्सिन एक महत्वपूर्ण पादप हॉर्मोन है जो पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है। यह निम्नलिखित तरीकों से काम करता है:

  • कोशिका विस्तार: ऑक्सिन कोशिका दीवारों को लचीला बनाता है, जिससे कोशिकाएँ लंबी हो सकती हैं।
  • अपस्थानिक प्रभाव: यह तने के शीर्ष से पार्श्व कलियों की वृद्धि को रोकता है, जिससे पौधा ऊँचाई में बढ़ता है।
  • जड़ों का विकास: कम सांद्रता में ऑक्सिन जड़ों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
  • फलों का विकास: यह फलों के विकास और बढ़ने में मदद करता है।

अन्य वृद्धि-बढ़ाने वाले हॉर्मोन हैं जिबरेलिन और साइटोकाइनिन।

प्रश्न 4. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?

उत्तर: ऑक्सिन प्रतान की वृद्धि में निम्नलिखित तरीके से सहायक होता है:

  • स्पर्श संवेदना: जब प्रतान किसी सहारे को छूता है, तो उस स्थान पर ऑक्सिन का वितरण असमान हो जाता है।
  • असमान वितरण: सहारे वाली तरफ ऑक्सिन की मात्रा कम हो जाती है, जबकि विपरीत तरफ अधिक हो जाती है।
  • असमान वृद्धि: अधिक ऑक्सिन वाली तरफ कोशिकाएँ तेजी से बढ़ती हैं, जबकि कम ऑक्सिन वाली तरफ धीमी गति से।
  • मुड़ाव: इस असमान वृद्धि के कारण प्रतान सहारे की ओर मुड़ जाता है।
  • लपेटन: यह प्रक्रिया जारी रहती है, जिससे प्रतान सहारे के चारों ओर लपेट जाता है और ऊपर की ओर बढ़ता है।

इस तरह, ऑक्सिन प्रतान को सहारे पर चढ़ने में मदद करता है, जो पौधे को ऊपर की ओर बढ़ने और प्रकाश तक पहुंचने में सहायक होता है।

प्रश्न 5. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।

उत्तर: जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक सरल प्रयोग निम्नलिखित है:
सामग्री:

  • एक बड़ा बीकर या पारदर्शी कंटेनर
  • मिट्टी
  • कुछ बीज (मूंग या चना)
  • पानी
  • एक प्लास्टिक शीट

प्रक्रिया:

  • बीकर में मिट्टी भरें और उसे दो भागों में बाँटने के लिए बीच में प्लास्टिक शीट लगाएँ।
  • एक तरफ की मिट्टी को पानी से नम करें, दूसरी तरफ को सूखा रखें।
  • दोनों तरफ बराबर संख्या में बीज बोएँ।
  • बीकर को प्रकाश में रखें और नियमित रूप से अवलोकन करें।
  • 5-7 दिनों तक प्रतिदिन जड़ों की दिशा और लंबाई को नोट करें।

परिणाम:

  • आप देखेंगे कि नम मिट्टी वाली तरफ की जड़ें सीधी नीचे की ओर बढ़ेंगी।
  • सूखी मिट्टी वाली तरफ की जड़ें नम मिट्टी की ओर मुड़कर बढ़ेंगी।

निष्कर्ष:
यह प्रयोग दर्शाता है कि जड़ें पानी की ओर बढ़ती हैं, जो जलानुवर्तन का एक उदाहरण है। यह पौधों की जल प्राप्त करने की क्षमता को बढ़ाता है, जो उनके जीवन के लिए आवश्यक है।

अनुच्छेद 7.3 पर आधारित

प्रश्न 1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?

उत्तर: जंतुओं में रासायनिक समन्वय मुख्य रूप से अंतःस्रावी तंत्र द्वारा होता है। इस प्रक्रिया के प्रमुख बिंदु हैं:

  • अंतःस्रावी ग्रंथियाँ: ये विशेष ग्रंथियाँ हैं जो हॉर्मोन का उत्पादन करती हैं।
  • हॉर्मोन: ये रासायनिक संदेशवाहक हैं जो रक्त में स्रावित होते हैं।
  • लक्षित अंग: हॉर्मोन विशिष्ट अंगों या ऊतकों पर कार्य करते हैं।
  • प्रभाव: हॉर्मोन शरीर के विभिन्न कार्यों जैसे वृद्धि, विकास, चयापचय, प्रजनन आदि को नियंत्रित करते हैं।
  • फीडबैक तंत्र: शरीर हॉर्मोन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए फीडबैक तंत्र का उपयोग करता है।

इस प्रकार, अंतःस्रावी तंत्र शरीर के विभिन्न भागों के बीच समन्वय स्थापित करता है और शारीरिक संतुलन बनाए रखता है।

प्रश्न 2. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?

उत्तर: आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह निम्नलिखित कारणों से दी जाती है:

  • थायरॉक्सिन उत्पादन: आयोडीन थायरॉइड ग्रंथि द्वारा थायरॉक्सिन हॉर्मोन के निर्माण के लिए आवश्यक है।
  • चयापचय नियंत्रण: थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय को नियंत्रित करता है।
  • शारीरिक विकास: यह हॉर्मोन शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • घेंघा रोग की रोकथाम: आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो सकता है, जिसमें थायरॉइड ग्रंथि का असामान्य विस्तार होता है।
  • बौद्धिक विकास: बच्चों में आयोडीन की कमी बौद्धिक विकास को प्रभावित कर सकती है।

इसलिए, आयोडीन युक्त नमक का उपयोग एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है जिससे जनसंख्या में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित की जा सकती है।

प्रश्न 3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होता है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?

उत्तर: जब एड्रीनलीन (जिसे एपिनेफ्रिन भी कहा जाता है) रक्त में स्रावित होता है, तो शरीर में निम्नलिखित अनुक्रियाएँ होती हैं:

  • हृदय गति: हृदय की धड़कन तेज हो जाती है, जिससे मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है।
  • रक्त का पुनर्वितरण: पाचन तंत्र और त्वचा को जाने वाले रक्त की मात्रा कम हो जाती है, जबकि मांसपेशियों और महत्वपूर्ण अंगों को अधिक रक्त मिलता है।
  • श्वसन दर: श्वास लेने की गति बढ़ जाती है, जिससे शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलता है।
  • पुतली का फैलाव: आँखों की पुतलियाँ फैल जाती हैं, जिससे दृष्टि तेज हो जाती है।
  • रक्त शर्करा: यकृत से ग्लूकोज रक्त में छोड़ा जाता है, जिससे तत्काल ऊर्जा मिलती है।
  • पसीना आना: त्वचा के रोम कूप सिकुड़ जाते हैं, जिससे रोंगटे खड़े हो जाते हैं और पसीना आने लगता है।

ये सभी प्रतिक्रियाएँ मिलकर शरीर को “लड़ो या भागो” की स्थिति के लिए तैयार करती हैं, जो तनाव या खतरे की स्थिति में मदद करती हैं।

प्रश्न 4. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?

उत्तर: मधुमेह के कुछ रोगियों को इंसुलिन का इंजेक्शन निम्नलिखित कारणों से दिया जाता है:

  • इंसुलिन की भूमिका: इंसुलिन एक महत्वपूर्ण हॉर्मोन है जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
  • अग्न्याशय की कार्यप्रणाली: टाइप 1 मधुमेह में, अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता।
  • रक्त शर्करा नियंत्रण: इंसुलिन की कमी से रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • कोशिका अवशोषण: इंसुलिन कोशिकाओं को रक्त से ग्लूकोज अवशोषित करने में मदद करता है।
  • जटिलताओं की रोकथाम: नियमित इंसुलिन उपचार मधुमेह से संबंधित जटिलताओं जैसे हृदय रोग, गुर्दे की समस्याएँ, और दृष्टि हानि को रोकने में मदद करता है।
  • जीवन गुणवत्ता: उचित इंसुलिन प्रबंधन मधुमेह रोगियों को स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने में मदद करता है।

इस प्रकार, इंसुलिन इंजेक्शन मधुमेह के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण चिकित्सा विधि है, जो रोगियों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाती है।

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है?

(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन

उत्तर: (d) साइटोकाइनिन

प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं –

(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्सॉन
(d) आवेग

उत्तर: (b) सिनेप्स

प्रश्न 3. मस्तिष्क उत्तरदायी है –

(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपरोक्त सभी

उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?

उत्तर: ग्राही हमारे शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

कार्य:

  • वातावरण से सूचनाओं को एकत्रित करना
  • उत्तेजनाओं को तंत्रिका आवेगों में परिवर्तित करना
  • सूचनाओं को तंत्रिका तंत्र तक पहुंचाना

प्रकार:

  • दृष्टि ग्राही (आंखों में)
  • श्रवण ग्राही (कानों में)
  • स्वाद ग्राही (जीभ पर)
  • गंध ग्राही (नाक में)
  • स्पर्श ग्राही (त्वचा में)

यदि ग्राही ठीक से कार्य न करें तो निम्न समस्याएं हो सकती हैं:

  • संवेदी क्षमता का कम होना या खो जाना
  • वातावरण के खतरों का पता न लगा पाना
  • शारीरिक संतुलन में कमी
  • भोजन के स्वाद या गंध का अनुभव न होना
  • तापमान परिवर्तनों को महसूस न कर पाना

उदाहरण:

  • दृष्टि ग्राही की खराबी से अंधापन हो सकता है
  • श्रवण ग्राही की समस्या से बहरापन आ सकता है
  • स्वाद ग्राही की खराबी से भोजन का आनंद कम हो सकता है

इस प्रकार, ग्राही हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और उनका सही कार्य न करना जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

प्रश्न 5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना और कार्य:

संरचना:

  • कोशिका काय (सेल बॉडी)
  • द्रुमिका (डेंड्राइट्स)
  • तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन)
  • तंत्रिकाग्र (एक्सॉन टर्मिनल)

कार्य:
a) द्रुमिका:

  • सूचनाओं को ग्रहण करना
  • सूचनाओं को कोशिका काय तक पहुंचाना

b) कोशिका काय:

  • सूचनाओं का प्रसंस्करण
  • तंत्रिका आवेग उत्पन्न करना

c) तंत्रिकाक्ष:

  • तंत्रिका आवेग का संचालन
  • सूचना को तंत्रिकाग्र तक पहुंचाना

d) तंत्रिकाग्र:

  • न्यूरोट्रांसमीटर्स का स्राव
  • अगले न्यूरॉन या लक्षित कोशिका तक सूचना पहुंचाना

तंत्रिका आवेग का संचालन:

  • द्रुमिका द्वारा सूचना ग्रहण
  • कोशिका काय में विद्युत आवेग उत्पन्न
  • तंत्रिकाक्ष के माध्यम से आवेग का संचालन
  • तंत्रिकाग्र पर न्यूरोट्रांसमीटर्स का स्राव
  • सिनेप्स (दो न्यूरॉन के बीच का अंतर) को पार करना
  • अगले न्यूरॉन में आवेग का संचालन

इस प्रकार, न्यूरॉन शरीर में सूचनाओं के संचालन और प्रसंस्करण का मुख्य माध्यम है।

प्रश्न 6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?


उत्तर: प्रकाशानुवर्तन पादपों की प्रकाश के प्रति अनुक्रिया है:

परिभाषा:

पादपों का प्रकाश की दिशा में या उसके विपरीत दिशा में मुड़ना

प्रकार:
a) धनात्मक प्रकाशानुवर्तन:

  • प्ररोह (तना और पत्तियां) का प्रकाश की ओर मुड़ना

b) ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन:

  • जड़ों का प्रकाश से दूर मुड़ना

प्रक्रिया:

  • ऑक्सिन हॉर्मोन की असमान वितरण
  • प्रकाशित भाग में कम ऑक्सिन
  • छायादार भाग में अधिक ऑक्सिन
  • असमान वृद्धि के कारण मुड़ाव

महत्व:

  • प्रकाश-संश्लेषण के लिए अधिकतम प्रकाश प्राप्त करना
  • जड़ों को मिट्टी में पोषक तत्व प्राप्त करने में मदद

उदाहरण:

  • सूरजमुखी का फूल सूर्य की दिशा में मुड़ना
  • कमरे में रखे पौधे का खिड़की की ओर मुड़ना

प्रकाशानुवर्तन पादपों को अपने वातावरण के अनुकूल बनने में मदद करता है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास सुनिश्चित होता है।

प्रश्न 7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?

उत्तर: मेरुरज्जु आघात में निम्नलिखित संकेतों में व्यवधान हो सकता है:

  1. आघात के नीचे के भाग से मस्तिष्क तक जाने वाली संवेदी सूचनाएँ बाधित हो सकती हैं।
  2. मस्तिष्क से आघात के नीचे के भाग तक जाने वाले गतिक आदेश प्रभावित हो सकते हैं।
  3. प्रतिवर्ती क्रियाओं में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है।

प्रश्न 8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?

उत्तर: पादपों में रासायनिक समन्वय मुख्यतः पादप हॉर्मोनों द्वारा होता है:

  1. ये हॉर्मोन पादप के विभिन्न भागों में उत्पन्न होते हैं और संपूर्ण पौधे में फैल जाते हैं।
  2. प्रमुख पादप हॉर्मोन जैसे ऑक्सिन, जिबरेलिन, और साइटोकाइनिन वृद्धि और विकास को नियंत्रित करते हैं।
  3. ये हॉर्मोन बाह्य उद्दीपनों के प्रति पादप की अनुक्रियाओं को भी नियंत्रित करते हैं, जैसे प्रकाश की ओर मुड़ना।

प्रश्न 9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?

उत्तर: एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है:

  • यह तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों और तंत्रों के बीच उचित समन्वय स्थापित करता है।
  • यह बाह्य वातावरण के परिवर्तनों के प्रति त्वरित और उपयुक्त प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
  • यह जीव की वृद्धि, विकास और जीवन क्रियाओं को नियंत्रित करके उसके अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करता है।

प्रश्न 10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?

उत्तर: अनैच्छिक क्रियाएँ और प्रतिवर्ती क्रियाएँ निम्न प्रकार से भिन्न हैं:

  • अनैच्छिक क्रियाएँ लगातार होती रहती हैं, जबकि प्रतिवर्ती क्रियाएँ किसी विशिष्ट उद्दीपन के प्रति होती हैं।
  • अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है, जबकि प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती हैं।
  • हृदय धड़कन अनैच्छिक क्रिया का उदाहरण है, जबकि गर्म वस्तु को छूने पर हाथ हटाना प्रतिवर्ती क्रिया है।

प्रश्न 11. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिए।

उत्तर: तंत्रिका तंत्र और हॉर्मोन तंत्र दोनों जंतुओं में नियंत्रण और समन्वय के लिए महत्वपूर्ण हैं। तंत्रिका तंत्र तेज़ी से काम करता है और तत्काल प्रतिक्रिया देता है, जैसे गर्म वस्तु को छूने पर हाथ खींचना। हॉर्मोन तंत्र धीमी गति से काम करता है लेकिन लंबे समय तक प्रभावी रहता है, जैसे वृद्धि और विकास में। तंत्रिका तंत्र विद्युत रासायनिक संकेतों द्वारा काम करता है, जबकि हॉर्मोन रक्त के माध्यम से यात्रा करते हैं। दोनों तंत्र मिलकर शरीर के सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलाते हैं।

प्रश्न 12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?

उत्तर: छुई-मुई पादप में होने वाली गति और मानव की टांग की गति में कुछ मुख्य अंतर हैं। छुई-मुई की गति अनैच्छिक है, यानी यह स्पर्श जैसे बाहरी उद्दीपन पर स्वचालित रूप से प्रतिक्रिया करती है। यह गति पादप के कोशिकाओं में जल के प्रवाह से होती है। वहीं, हमारी टांग की गति ऐच्छिक है, जिसका नियंत्रण हमारे मस्तिष्क द्वारा होता है। यह गति मांसपेशियों के संकुचन और शिथिलन से होती है। इस प्रकार, दोनों गतियों के कारण और नियंत्रण अलग-अलग हैं।

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