Bihar Board class 10 Science chapter 6 – “जैव प्रक्रम” solutions are available here. This is our free guide that provides you all the questions and answers of chapter 6 in hindi medium.
जैव प्रक्रम (Bihar Board class 10 Science chapter 6) में हम जीवों के भीतर होने वाले विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन करेंगे। इस अध्याय में, हम जीवन की मूलभूत क्रियाओं जैसे पोषण, श्वसन, परिवहन, और उत्सर्जन के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही, हम समझेंगे कि ये प्रक्रियाएँ किस प्रकार से जीवों की जीवित रहने की क्षमता को बनाए रखती हैं। इस अध्याय में हम पौधों और जानवरों में होने वाले विभिन्न जैव प्रक्रमों की तुलना भी करेंगे। यह अध्याय जीवन विज्ञान की महत्वपूर्ण अवधारणाओं को समझने में सहायता करेगा और हमें बताएगा कि जीवों का जीवन कैसे कार्य करता है।
Bihar Board Class 10 Science Chapter 6 Solutions
Subject | Science |
Class | 10th |
Chapter | 6. जैव प्रक्रम |
Medium | Hindi (Bihar Board) |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-
अनुच्छेद 6.1 पर आधारित
प्रश्न 1. बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर: बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ सीधे बाहरी वातावरण के संपर्क में नहीं होतीं। अंदरूनी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए केवल विसरण पर्याप्त नहीं है, क्योंकि यह प्रक्रिया धीमी है और लंबी दूरी तय नहीं कर सकती।
प्रश्न 2. किसी वस्तु के सजीव होने का निर्धारण कैसे करें?
उत्तर: सजीव होने का निर्धारण “जीवन के लक्षणों” के आधार पर किया जाता है। इनमें शामिल हैं:
- गति
- वृद्धि और विकास
- श्वसन
- प्रजनन
- पोषण
- उत्सर्जन
- उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया
प्रश्न 3. जीवों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य कच्ची सामग्रियाँ क्या हैं?
उत्तर: जीवों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य कच्ची सामग्रियाँ हैं:
- कार्बन (CO₂ के रूप में)
- ऑक्सीजन
- पानी
- खनिज लवण
- अन्य पोषक तत्व (जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस)
प्रश्न 4. जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक प्रक्रियाएँ कौन सी हैं?
उत्तर: जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक मुख्य प्रक्रियाएँ हैं:
- श्वसन
- पोषण
- परिसंचरण (वहन)
- उत्सर्जन
- जनन
- समन्वय
- अनुकूलन
अनुच्छेद 6.2 पर आधारित
प्रश्न 1. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?
उत्तर:
- स्वयंपोषी पोषण: सरल अकार्बनिक पदार्थों से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण, बाहरी ऊर्जा स्रोत (जैसे सूर्य प्रकाश) का उपयोग करके।
- विषमपोषी पोषण: अन्य जीवों द्वारा निर्मित जटिल कार्बनिक पदार्थों का सीधा उपयोग।
प्रश्न 2. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर: पौधे प्राप्त करते हैं:
- कार्बन डाइऑक्साइड: वायु से
- प्रकाश: सूर्य से
- जल और खनिज लवण: मिट्टी से
प्रश्न 3. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर: आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल:
- पेप्सिन एंजाइम के लिए अनुकूल अम्लीय वातावरण बनाता है।
- भोजन में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है।
प्रश्न 4. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर: पाचक एंजाइम जटिल भोजन को सरल अवशोषणीय रूप में बदलते हैं:
- प्रोटीन को अमीनो अम्ल में
- कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में
- वसा को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में
प्रश्न 5. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर:
- क्षुद्रांत्र की आंतरिक सतह पर अंगुली जैसे उभार (दीर्घरोम) होते हैं।
- ये दीर्घरोम अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ाते हैं।
- दीर्घरोम में रक्त वाहिकाओं की अधिकता होती है।
- ये वाहिकाएँ पचे हुए भोजन को अवशोषित करके शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाती हैं।
अनुच्छेद 6.3 पर आधारित
प्रश्न 1. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
- स्थलीय जीव वायु से सीधे ऑक्सीजन लेते हैं, जहाँ ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है।
- जलीय जीव पानी में घुली ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं, जो कम मात्रा में होती है।
- इसलिए स्थलीय जीवों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे उनकी श्वसन दर कम हो जाती है।
प्रश्न 2. ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?
उत्तर:
- वायवीय श्वसन: ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्ण ऑक्सीकरण
- अवायवीय श्वसन: ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में पायरुवेट का विखंडन
- किण्वन: ऑक्सीजन की कमी में पायरुवेट का आंशिक विखंडन
प्रश्न 3. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
- ऑक्सीजन: हीमोग्लोबिन द्वारा बंधकर रक्त में परिवहन
- कार्बन डाइऑक्साइड:
- रक्त प्लाज्मा में घुलकर
- बाइकार्बोनेट आयन के रूप में
- हीमोग्लोबिन से कमजोर बंधन द्वारा
प्रश्न 4. गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर:
- फेफड़ों में एल्वियोली (वायु कोष) नामक छोटी-छोटी थैलीनुमा संरचनाएँ होती हैं।
- एल्वियोली की दीवारें अत्यंत पतली और लचीली होती हैं।
- ये संरचनाएँ फेफड़ों के सतह क्षेत्रफल को बहुत अधिक बढ़ा देती हैं।
- इससे गैसों का आदान-प्रदान अधिक कुशलता से होता है।
अनुच्छेद 6.4 पर आधारित
प्रश्न 1. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर: मानव वहन तंत्र के घटक और उनके कार्य:
- रुधिर: पोषक तत्वों, गैसों, हार्मोन्स और अपशिष्ट पदार्थों का वहन करता है।
रक्त वाहिकाएँ (धमनियाँ और शिराएँ): - धमनियाँ: हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त पहुँचाती हैं।
शिराएँ: शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को वापस हृदय तक लाती हैं। - हृदय: रक्त को शरीर में पंप करता है।
लसीका: वसा का वहन करती है और अतिरिक्त द्रव को वापस रक्त में लाती है।
प्रश्न 2. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है, क्योंकि इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है। स्तनधारी तथा पक्षियों को अपने शरीर का ताप नियंत्रित करने के लिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो उन्हें ऑक्सीजन की अधिक मात्रा से ही प्राप्त होती है।
प्रश्न 3. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उत्तर: उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक जाइलम तथा फ्लोएम हैं।
प्रश्न 4. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर: पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम द्वारा होता है।
प्रश्न 5. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर: पादप में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम द्वारा होता है।
अनुच्छेद 6.5 पर आधारित
प्रश्न 1. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर: वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना और क्रियाविधि:
रचना:
- बोमैन संपुट (ग्लोमेरूलस के साथ)
- लंबी नलिका
क्रियाविधि:
- रुधिर उच्च दाब पर रीनल धमनी से ग्लोमेरूलस में प्रवेश करता है।
- ग्लोमेरूलस की पतली दीवारों से रुधिर छनता है।
- रक्त कोशिकाएँ और प्रोटीन छन्नी में रह जाते हैं।
- जल, खनिज और कुछ अन्य पदार्थ बोमैन संपुट में छन जाते हैं।
- नलिका में, लाभदायक पदार्थ (जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल) और जल का पुनः अवशोषण होता है।
- वर्ज्य पदार्थों का छनन होता है।
- अंत में, यूरिया, अन्य वर्ज्य पदार्थ और जल मूत्र के रूप में संग्राहक में एकत्रित होते हैं।
प्रश्न 2. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर: पादपों द्वारा उत्सर्जी उत्पादों से छुटकारा पाने की विधियाँ:
- प्रकाश-संश्लेषण
- वाष्पोत्सर्जन
- वर्ज्य पदार्थों से भरी पत्तियों को गिराना
- रेजिन और गोंद के रूप में वर्ज्य पदार्थों का संग्रहण
- कुछ वर्ज्य पदार्थों को मृदा में उत्सर्जित करना
प्रश्न 3. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर: मूत्र बनने की मात्रा का नियमन:
पुनरवशोषण क्रिया द्वारा नियंत्रित होता है।
मूत्र में जल की मात्रा निम्न पर निर्भर करती है:
a) शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा
b) उत्सर्जित किए जाने वाले विलेय पदार्थों की मात्रा
अभ्यास
प्रश्न 1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है –
(a) पोषण से
(b) श्वसन से
(c) उत्सर्जन से
(d) परिवहन से
उत्तर: (c) उत्सर्जन से
प्रश्न 2. पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर: (a) जल का वहन
प्रश्न 3. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है।
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4. पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है-
(a) कोशिकाद्रव्य में
(b) माइटोकॉन्ड्रिया में
(c) हरित लवक में
(d) केंद्रक में
उत्तर: (b) माइटोकॉन्ड्रिया में
प्रश्न 5. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रिया कहाँ होती है?
उत्तर: वसा का पाचन मुख्यतः छोटी आंत में होता है। पित्त रस वसा को छोटे कणों में तोड़ता है, जिससे अग्न्याशय से निकलने वाला लाइपेज एंजाइम उस पर काम कर सके। यह प्रक्रिया वसा को सरल अवशोषित रूप में बदल देती है।
प्रश्न 6. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर: लार भोजन को गीला और चिकना बनाती है, जिससे चबाना और निगलना आसान हो जाता है। इसमें मौजूद एमाइलेज एंजाइम स्टार्च का पाचन शुरू कर देता है, जो भोजन को मीठा स्वाद देता है।
प्रश्न 7. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर: स्वपोषी पोषण के लिए सूर्य का प्रकाश, क्लोरोफिल, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी आवश्यक हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज (भोजन) बनता है और ऑक्सीजन उपोत्पाद के रूप में निकलती है।
प्रश्न 8. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर: वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अन्तर –
प्रश्न 9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर: कूपिकाएँ अत्यंत पतली दीवारों वाली थैली जैसी संरचनाएँ हैं। इनके चारों ओर रक्त वाहिकाओं का जाल होता है। यह डिज़ाइन गैसों के त्वरित आदान-प्रदान को सुनिश्चित करता है, जिससे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का कुशल विनिमय होता है।
प्रश्न 10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर: हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया हो सकता है। इससे शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे थकान, सांस फूलना, और चक्कर आना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। गंभीर मामलों में यह हृदय और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।
प्रश्न 11. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर: मनुष्य में दोहरा परिसंचरण दो अलग-अलग चक्रों से बना होता है – फुफ्फुसीय और शारीरिक। यह व्यवस्था ऑक्सीजन युक्त और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त को अलग रखती है, जिससे कोशिकाओं को अधिक कुशलता से ऑक्सीजन मिलती है और कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन होता है।
प्रश्न 12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर: जाइलम जड़ों से पत्तियों तक पानी और खनिजों का ऊपर की ओर वहन करता है। फ्लोएम पत्तियों से पौधे के अन्य भागों तक शर्करा जैसे पोषक तत्वों का वहन करता है। जाइलम में वहन एक दिशा में होता है, जबकि फ्लोएम में दोनों दिशाओं में हो सकता है।
प्रश्न 13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर: कूपिकाएँ और वृक्काणु दोनों ही महत्वपूर्ण अंग हैं, लेकिन उनकी संरचना और कार्य अलग-अलग हैं:
- कूपिकाएँ फुफ्फुस में गैसों का आदान-प्रदान करती हैं। ये पतली दीवार वाली थैली जैसी होती हैं जो ऑक्सीजन को रक्त में और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर भेजती हैं।
- वृक्काणु वृक्क में पाए जाते हैं और रक्त को छानने का काम करते हैं। ये जटिल संरचना वाले होते हैं जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को निकालकर मूत्र बनाते हैं।
दोनों की संरचना उनके विशिष्ट कार्यों के लिए अनुकूलित है, जो शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।