Complete solution of Bihar Board class 8 Science chapter 9 is presented for free here. This page includes all the question answers of class 8 Vigyan chapter 9 – “इंधन : हमारी जरुरत” and their precise explanations. These answers and explanations are written by subject experts in hindi medium.
इंधन एक महत्वपूर्ण संसाधन है जिस पर हमारी दैनिक गतिविधियां निर्भर करती हैं। यह अध्याय इंधनों और उनके उपयोगों पर केंद्रित है। इस अध्याय के माध्यम से विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के इंधनों जैसे जीवाश्म ईंधन, बायोमास इंधन और नवीकरणीय इंधनों के बारे में जानेंगे। वे इनके गुणों, उपयोगों और दोषों को समझेंगे।

Bihar Board Class 8 Science Chapter 9 Solutions
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Class | 8th |
| Chapter | 9. इंधन : हमारी जरुरत |
| Board | Bihar Board |
1.रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए l
- कोयला तथा पेट्रोलियम जीवाश्म ईंधन है।
- प्रकाश तथा वायु समाप्त नहीं होने वाले ईंधन के स्रोत हैं।
- कोलतार कोयला का उत्पाद है।
- पेट्रोलियम के विभिन्न संघटकों को पृथक् करने का प्रक्रम प्रभाजी आसवन विधि कहलाता है।
- वाहनों के लिए सबसे कम प्रदूषक ईंधन प्राकृतिक गैस है।
2. निम्नलिखित कथनों के सामने सत्य/असत्य लिखिए।
- जीवाश्म ईंधन प्रयोगशाला में बनाए जा सकते हैं।
- कोक, कार्बन का शुद्ध रूप है।
- पेट्रोल की अपेक्षा सीएनजी अधिक प्रदूषक ईंधन है।
- बरौनी में तेल का कुआँ है।
- कोलतार विभिन्न पदार्थों का मिश्रण है।
उतर-
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- असत्य
- सत्य।
प्रश्न 3. कोयला किस प्रकार बनता है?
उत्तर: कोयला एक जीवाश्म ईंधन है जिसका निर्माण प्राकृतिक रूप से वनस्पतियों और वृक्षों के अवशेषों से होता है। यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जिसे कार्बनीकरण कहा जाता है।
इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
- लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व, जंगलों में बड़ी मात्रा में वनस्पतियां और वृक्ष विभिन्न प्राकृतिक कारणों जैसे बाढ़, भूकंप आदि से नष्ट हो गए और मिट्टी के नीचे दब गए।
- इन दबे हुए वनस्पति अवशेषों पर धीरे-धीरे और अधिक मिट्टी और अवसादित चट्टानों की परतें जमती गईं।
- इन गहरी परतों के कारण उच्च दबाव और ताप का निर्माण हुआ। वायु की अनुपस्थिति में, उच्च दबाव और ताप ने इन वनस्पति अवशेषों के कार्बनिक पदार्थों को धीरे-धीरे कार्बन में बदलना शुरू कर दिया।
- समय के साथ, कार्बनीकरण की विभिन्न अवस्थाओं से होते हुए, पहले लिग्नाइट (ब्राउन कोयला), फिर बिटुमिनस कोयला और अंत में अंगारा कोयला बना।
इस प्रकार कोयला मुख्य रूप से वनस्पतियों के अवशेषों से बना कार्बन का ठोस जीवाश्म ईंधन है।
प्रश्न 4. जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन क्यों हैं?
उत्तर: जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पृथ्वी के गर्भ में सीमित मात्रा में पाए जाते हैं। ये समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन हैं क्योंकि:
- इनका निर्माण लगभग 300 से 400 मिलियन वर्ष पहले मृत जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के अवशेषों से हुआ है। यह एक अति धीमी प्रक्रिया थी।
- इन जीवाश्म ईंधनों का संचय पृथ्वी पर सीमित मात्रा में ही है। एक बार इन्हें उपभोग कर लिया जाए तो इनका पुनर्निर्माण संभव नहीं है।
- मानव जाति द्वारा औद्योगिकीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण इनका अत्यधिक उपभोग किया जा रहा है।
- इन जीवाश्म ईंधनों के निर्माण के लिए कई मिलियन वर्षों का समय लगता है, जबकि मानव उन्हें बहुत तेज गति से समाप्त कर रहा है।
इन कारणों से जीवाश्म ईंधनों की आपूर्ति धीरे-धीरे कम होती जा रही है और वे एक दिन पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे। इसलिए इन्हें नवीकरणीय नहीं बल्कि समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है।
प्रश्न 5. ईंधन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: ईंधन को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ प्रमुख वर्गीकरण इस प्रकार हैं:
उत्पत्ति के आधार पर:
- प्राथमिक ईंधन: लकड़ी, कोयला, क्रूड तेल आदि जो सीधे प्रकृति से प्राप्त होते हैं।
- द्वितीयक ईंधन: चारकोल, कोक, पेट्रोल, डीजल आदि जो प्राथमिक ईंधन के प्रसंस्करण से बनते हैं।
अवस्था के आधार पर:
- ठोस ईंधन: कोयला, लकड़ी, चारकोल आदि
- द्रव ईंधन: पेट्रोलियम उत्पाद जैसे पेट्रोल, डीजल आदि
- गैसीय ईंधन: प्राकृतिक गैस, बायोगैस, LPG आदि
स्रोत के आधार पर:
- जैविक ईंधन: लकड़ी, गोबर गैस आदि जो जीवित या मृत जीवों से प्राप्त होते हैं।
- अजैविक ईंधन: कोयला, पेट्रोलियम आदि जो गैर-जैविक स्रोतों से प्राप्त होते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि ईंधन विभिन्न आधारों पर कई श्रेणियों में बंटे हुए हैं।
प्रश्न 6. पेट्रोलियम निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर: पेट्रोलियम एक जीवाश्म ईंधन है जिसका निर्माण लाखों-करोड़ों साल पहले मृत समुद्री जीव-जंतुओं के अवशेषों से हुआ है।
इसकी निर्माण प्रक्रिया इस प्रकार है:
- लाखों साल पहले, समुद्र की तलहटी में रहने वाले विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु मरकर बह गए और समुद्र तल पर जम गए।
- धीरे-धीरे, इन मृत जीवों के अवशेषों पर और अधिक अवसादित चट्टानें और मिट्टी की परतें जमती गईं।
- इन गहरी परतों के कारण उच्च दबाव और ताप का निर्माण हुआ। वायु की अनुपस्थिति में, उच्च दबाव और ताप के प्रभाव से इन मृत जीवों के कार्बनिक अवशेषों में रासायनिक परिवर्तन होने लगे।
- लाखों-करोड़ों वर्षों में, उच्च दबाव और ताप द्वारा धीरे-धीरे इन अवशेषों का अपघटन होता गया और वे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के रूप में बदल गए।
इस प्रकार पेट्रोलियम मृत समुद्री जीवों के ही कार्बनिक अवशेषों से बना एक जीवाश्म द्रव ईंधन है।
प्रश्न 7. कोयले के विभिन्न उत्पादों के अभिलक्षणों एवं उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: कोयले के कुछ प्रमुख उत्पादों के अभिलक्षण और उपयोग इस प्रकार हैं:
- कोक – कोक कोयले से तैयार किया जाता है जब उसे वायुरहित परिस्थितियों में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। यह एक कठोर, छिद्रयुक्त और काला ठोस पदार्थ होता है। इसमें कार्बन की मात्रा अधिक होती है। इसका प्रयोग इस्पात उद्योग में लौह धातु के निष्कर्षण के लिए किया जाता है।
- कोलतार – यह कोयले के आंशिक आसवन से प्राप्त होता है। यह एक गाढ़ा काला द्रव होता है जिसकी अप्रिय गंध होती है। इसमें हाइड्रोकार्बन, फिनॉल और अमोनिया जैसे पदार्थ होते हैं। इसका उपयोग रंग, दवा, विस्फोटक, सुगंधित द्रव्य, प्लास्टिक और पेंट बनाने में किया जाता है।
- गैस – कोयले के वाष्पीकरण से गैसें प्राप्त होती हैं जिनमें मुख्य रूप से मीथेन, हाइड्रोजन और एमोनिया होती हैं। इनका उपयोग ईंधन और उर्वरकों के निर्माण में किया जाता है।
इस प्रकार कोयले से कई उपयोगी उत्पाद प्राप ्त किए जाते हैं जिनका अलग-अलग उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 8. एलपीजी और सीएनजी का ईंधन के रूप में उपयोग करने से क्या लाभ है?
उत्तर: एलपीजी (द्रवित प्राकृतिक गैस) और सीएनजी (संपीडित प्राकृतिक गैस) का ईंधन के रूप में उपयोग करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- उच्च कैलोरी मान – इनमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे इनकी ईंधन क्षमता अधिक होती है।
- कम वायु प्रदूषण – इनके जलने से प्रदूषक पदार्थों जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि का उत्सर्जन बहुत कम होता है। इससे वायु प्रदूषण कम होता है।
- दक्ष वाहन ईंधन – वाहनों में इनका उपयोग लागत प्रभावी और अधिक कुशल होता है।
- कम आग जोखिम – इनका द्रवनांक कम होने से आग लगने का खतरा कम होता है।
- किफायती – आयातित कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों की तुलना में ये अपेक्षाकृत सस्ते और स्वदेशी विकल्प हैं।
- रसायनों का निर्माण – इनसे कई जैव-उर्वरक और रसायन भी बनाए जा सकते हैं।
इन कारणों से एलपीजी और सीएनजी बेहतर ईंधन विकल्प हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
प्रश्न 9. सूर्य के प्रकाश तथा वायु को ईंधन के रूप में उपयोग करने से क्या लाभ है?
उत्तर: सूर्य के प्रकाश (सौर ऊर्जा) और वायु (पवन ऊर्जा) जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने से कई लाभ होते हैं:
- अनंत स्रोत: ये दोनों ऊर्जा स्रोत प्रकृति में असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और समाप्त नहीं होते।
- स्वच्छ ऊर्जा: इनके उपयोग से वातावरण प्रदूषण नहीं होता है।
- जीवाश्म ईंधन की बचत: इनके उपयोग से सीमित जीवाश्म ईंधनों की बचत होती है।
- लागत प्रभावी: धीरे-धीरे ये पारंपरिक ईंधनों की तुलना में सस्ते पड़ने लगेंगे।
- स्थानीय स्रोत: ये दोनों हर जगह उपलब्ध होने से ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम होगी।
- पर्यावरण अनुकूल: इनका उपयोग पारंपरिक ईंधनों से कहीं ज्यादा पर्यावरण के अनुकूल है।
प्रश्न 10. भारत में तेल क्षेत्र कहाँ-कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर: भारत में प्रमुख तेल क्षेत्र इन स्थानों पर स्थित हैं:
- असम: दिगबॉई, मौरांगदिही, नहरकटिया, मोरान आदि
- गुजरात: अंकलेश्वर, कालोल, वागरा आदि
- मुंबई हाईः मुंबई के तट से लगभग 160 किमी दूर समुद्र तल में बसें तेल क्षेत्र
- राजस्थान: बारमेर और जैसलमेर जिलों में
- तमिलनाडु: अरियालूर और त्रिचिरापल्ली के निकट समुद्र तल में तेल क्षेत्र
- आंध्र प्रदेश: मेहदीपटनम में समुद्री क्षेत्र