Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 5 Solutions – धरती कब तक घूमेगी

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बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी वर्णिका पाठ्यपुस्तक का पाँचवाँ अध्याय ‘धरती कब तक घूमेगी’ राजस्थानी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक साँवर दइया द्वारा रचित एक मार्मिक कहानी है। यह कहानी वृद्ध माता-पिता के प्रति समाज की बदलती मनोवृत्ति और परिवार में उनकी उपेक्षा को दर्शाती है। कहानी की मुख्य पात्र सीता, एक विधवा माँ है, जो अपने तीन बेटों द्वारा बोझ समझी जाती है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से आधुनिक समाज में टूटते पारिवारिक मूल्यों, बुजुर्गों की दयनीय स्थिति और मातृत्व के त्याग को बड़ी संवेदनशीलता से चित्रित किया है।

Bihar Board class 10 Hindi Varnika chapter 5

Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 5 Solutions

SubjectHindi ( Varnika )
Class10th
Chapter5. धरती कब तक घूमेगी
Author
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 5 Question Answer

प्रश्न 1. सीता अपने ही घर में क्यों घुटन महसूस करती है ?

उत्तर- सीता अपने घर में घुटन महसूस करती है क्योंकि पति की मृत्यु के बाद उसकी स्थिति दयनीय हो गई है। उसके बेटों ने उसकी देखभाल को एक बोझ की तरह बाँट लिया है, जिससे वह महीने-महीने अलग-अलग बेटों के घर रहने को मजबूर है। बहुओं के कटु व्यवहार और बेटों की उदासीनता उसे पीड़ा देती है। अपने ही परिवार में उपेक्षित महसूस करना और अपनी भावनाओं को व्यक्त न कर पाना उसे घुटन का अनुभव कराता है। यह स्थिति उसे अपने ही घर में पराया और असहाय महसूस कराती है।

प्रश्न 2. पाली बदलने पर अपने घर दादी माँ के खाने को लेकर बच्चे खुश होते हैं जबकि उनके माता-पिता नाखुशा बच्चे की खुशी और माता-पिता की नाखुशी के कारणों पर विचार करें।

उत्तर- बच्चे दादी के आने पर खुश होते हैं क्योंकि वह उन्हें असीम प्यार देती है, उनके साथ खाना खिलाती है, और उन्हें डाँटती-फटकारती नहीं है। दादी के साथ वे बिना किसी दबाव के आनंद ले सकते हैं। दूसरी ओर, माता-पिता नाखुश होते हैं क्योंकि दादी के आने से उनका खर्च बढ़ जाता है। साथ ही, बच्चों का दादी के प्रति लगाव उन्हें चिंतित करता है, क्योंकि इससे बच्चे उनकी बात कम मानने लगते हैं। यह स्थिति पारिवारिक संबंधों की जटिलता और पीढ़ीगत अंतर को दर्शाती है।

प्रश्न 3. ‘इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अंधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई।’ सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर- यह पंक्ति साँवर दइया की कहानी ‘धरती कब तक घूमेगी’ से है। यह उस क्षण का वर्णन करती है जब सीता अपने बेटों द्वारा लिए गए निर्णय से दुखी होकर रात में घर से निकल जाती है। इस वाक्य में सीता की मानसिक स्थिति का चित्रण है। ‘अंधेरा न होना’ उसके मन की स्पष्टता और निर्णय की दृढ़ता को दर्शाता है। ‘घुटन न होना’ उसके आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की भावना को प्रकट करता है। यह क्षण सीता के जीवन में एक मोड़ है, जहाँ वह अपने बेटों पर निर्भर रहने के बजाय स्वतंत्र जीवन जीने का निर्णय लेती है।

प्रश्न 4. सीता का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर- सीता एक संवेदनशील, धैर्यवान और स्वाभिमानी महिला है। पति की मृत्यु के बाद, वह अपने बेटों और बहुओं के व्यवहार से दुखी होती है, लेकिन मौन रहती है। वह अपने पोते-पोतियों से प्यार करती है और उन्हें समान रूप से देखती है। सीता की सहनशीलता उसके चरित्र की मुख्य विशेषता है, लेकिन जब उसका स्वाभिमान आहत होता है, तो वह दृढ़ निर्णय लेने में सक्षम है। अंत में, वह अपने बेटों पर निर्भर रहने के बजाय स्वतंत्र जीवन जीने का साहसिक फैसला लेती है। सीता का चरित्र समाज में बुजुर्गों की स्थिति और परिवार में बदलते रिश्तों को दर्शाता है।

प्रश्न 5. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।

उत्तर- ‘धरती कब तक घूमेगी’ शीर्षक की सार्थकता कई स्तरों पर है। पहला, यह धरती की तरह माँ के अथक धैर्य और सहनशीलता को दर्शाता है। दूसरा, यह प्रश्न के रूप में है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या यह स्थिति हमेशा ऐसी ही रहेगी। तीसरा, यह शीर्षक सीता के जीवन की परिक्रमा को दर्शाता है, जो अपने बेटों के घरों के बीच घूमती रहती है। चौथा, यह समाज में बुजुर्गों की स्थिति पर प्रश्न उठाता है। अंत में, यह शीर्षक कहानी के मूल संदेश – परिवार में बदलते रिश्तों और मूल्यों – को प्रतिबिंबित करता है। इस प्रकार, यह शीर्षक कहानी के भाव और विषय को सटीक रूप से व्यक्त करता है।

प्रश्न 6. कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी सामाजिक मूल्यों और पारिवारिक संबंधों में आ रहे बदलाव को दर्शाती है। कहानी की मुख्य पात्र सीता, पति की मृत्यु के बाद अपने तीन बेटों पर निर्भर हो जाती है। बेटे उसे बोझ समझकर महीने-महीने की पाली बाँधकर उसकी देखभाल करते हैं। सीता अपने पोते-पोतियों से प्यार करती है, लेकिन बहुओं के व्यवहार से दुखी रहती है। जब बेटे उसके लिए मासिक खर्च तय करते हैं, तब वह अपमानित महसूस करती है। अंततः, वह स्वाभिमान की रक्षा के लिए रात में घर छोड़ देती है। कहानी समाज में बुजुर्गों की स्थिति, पारिवारिक मूल्यों में गिरावट और व्यक्तिगत स्वाभिमान के महत्व को उजागर करती है। यह पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि क्या यही व्यवहार उनके साथ भविष्य में हो सकता है।

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