Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 3 Solutions – माँ

Get Bihar Board class 10 Hindi Varnika chapter 3 solutions for free here. This guide will bring you the complete set of question answers of Hindi Varnika chapter 3 – “माँ”.

बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी वर्णिका पाठ्यपुस्तक का तीसरा अध्याय ‘माँ’ गुजराती साहित्य के प्रसिद्ध लेखक ईश्वर पेटलीकर द्वारा रचित एक हृदयस्पर्शी कहानी है। यह कहानी एक माँ के अपार प्रेम और समर्पण को दर्शाती है, जो अपनी जन्म से पागल और गूंगी बेटी मंगु के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देती है। कहानी में माँ की वात्सल्यता, त्याग और संवेदनशीलता का सजीव चित्रण किया गया है। यह पाठ छात्रों को मातृत्व की महिमा, परिवार के प्रति समर्पण और विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के प्रति समाज के दृष्टिकोण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सोचने के लिए प्रेरित करता है।

Bihar Board class 10 Hindi Varnika chapter 3

Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 3 Solutions

SubjectHindi ( Varnika )
Class10th
Chapter3. माँ
Authorईश्वर पेटलीकर
BoardBihar Board

Bihar Board Class 10 Hindi Varnika Chapter 3 Question Answer

प्रश्न 1. मंगु के प्रति मां और परिवार के अन्य सदस्यों के व्यवहार में जो फर्क है उसे अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर: मंगु जन्म से पागल और गूंगी बालिका थी, लेकिन माँ के दिल में उसके लिए असीम प्यार था। माँ के लिए उसकी मंगु किसी अन्य संतान से कम नहीं थी, और वह उसे बेहद स्नेह और देखभाल के साथ पालती थी। माँ अपनी रातें जागकर और दिन मंगु की देखभाल में बिताती थी। दूसरी ओर, परिवार के अन्य सदस्य मंगु के प्रति उदासीन थे और उसे एक बोझ मानते थे। वे चाहते थे कि मंगु को पागलखाने में भर्ती करवा दिया जाए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो सकें। लेकिन माँ अपनी पुत्री के प्रति गहरे प्यार और ममता के कारण इस निर्णय का विरोध करती रहती थी। माँ के अलावा, परिवार के अन्य सदस्यों के दिलों में मंगु के प्रति संवेदना की कमी थी, जिससे परिवार में तनाव और असंतोष बना रहता था।

प्रश्न 2. माँ मंगु को अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती? विचार करें।

उत्तर: माँ मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने से डरती थी क्योंकि वह अस्पताल की व्यवस्था से चिंतित थी। उसे लगता था कि अस्पताल में मंगु की उचित देखभाल नहीं हो पाएगी। मंगु जो स्वयं अपने कार्यों को संभाल नहीं पाती थी, उसके लिए अस्पताल में कोई विशेष देखभाल नहीं होगी। माँ को यह विश्वास था कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्सें मंगु को सिर्फ एक मरीज के रूप में देखेंगे और उसकी आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रख पाएंगे। वह मंगु की पाखाना-पेशाब और खाने-पीने की सभी जरूरतों का ध्यान स्वयं रखना चाहती थी। माँ के मन में यह विचार बार-बार आता था कि अगर मंगु को अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो उसकी संतान को वह प्यार और देखभाल नहीं मिलेगी जो उसे घर पर मिल रही है।

प्रश्न 3. कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंगु के प्रति माँ, परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर: कुसुम के पागलपन में सुधार देखकर माँ, परिवार और समाज की प्रतिक्रियाएं काफी बदल गईं। कुसुम एक शिक्षित लड़की थी और उसकी माँ के निधन के बाद वह पागल हो गई थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराने के बाद, डॉक्टरों और नर्सों की देखभाल में कुसुम धीरे-धीरे ठीक होने लगी। कुसुम के ठीक होने पर घर वापस लौटने पर सभी उससे मिलने आए। माँ ने कुसुम से विशेष रूप से मुलाकात की, और उसकी स्थिति देखकर माँ का हृदय परिवर्तन हुआ। गाँव के लोग और परिवार के अन्य सदस्य माँ को समझाने लगे कि मंगु को भी अस्पताल में भर्ती कराकर देखना चाहिए। माँ ने अंततः परिवार के कहने पर मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लिया। इस निर्णय से परिवार और समाज के लोग संतुष्ट हो गए और माँ को भी अस्पताल पर विश्वास होने लगा।

प्रश्न 4. कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।

उत्तर: कहानी “माँ” का शीर्षक अत्यंत सार्थक और उपयुक्त है क्योंकि पूरी कहानी माँ की ममता, वात्सल्य और त्याग के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी की नायिका, माँ, अपनी पागल और गूंगी बेटी मंगु के लिए अपने समस्त सुखों को त्यागकर उसकी सेवा में जुटी रहती है। माँ की ममता इतनी प्रबल है कि वह समाज और परिवार के अन्य सदस्यों की आलोचनाओं को भी अनदेखा कर देती है। कुसुम के पागलपन में सुधार के बाद माँ का हृदय परिवर्तन होता है, और वह मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लेती है। इस कहानी में माँ के चरित्र के माध्यम से लेखक ने मातृत्व के सर्वोच्च आदर्श को प्रस्तुत किया है। माँ की निस्वार्थ सेवा और प्रेम को दर्शाने के लिए इस कहानी का शीर्षक “माँ” पूरी तरह से उचित और सार्थक है।

प्रश्न 5. मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है, उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल हैं या संवेदनशील? विचार करें।

उत्तर: मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है, वहाँ के कर्मचारी न केवल व्यवहार कुशल बल्कि संवेदनशील भी हैं। अस्पताल के कर्मचारियों का काम मरीजों की देखभाल और सेवा करना है, लेकिन वे मंगु और उसकी माँ के प्रति विशेष संवेदनशीलता दिखाते हैं। माँ जी के रुदन और उनकी ममता को देखकर डॉक्टर, नर्स और परिचारिकाएं मंगु के प्रति एक अलग तरह का लगाव महसूस करते हैं। वे माँ जी को आश्वासन देते हैं कि मंगु को किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी और उसकी पूरी देखभाल की जाएगी। एक अधेड़ परिचारिका मंगु को अपनी बेटी की तरह मानने लगती है, जो दर्शाता है कि अस्पताल के कर्मचारी मंगु के प्रति गहरी संवेदना रखते हैं। इस प्रकार, यह स्पष्ट होता है कि मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है, वहाँ के कर्मचारी न केवल अपने कर्तव्य का पालन करते हैं, बल्कि संवेदनशीलता भी दिखाते हैं।

प्रश्न 6. माँ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

उत्तर: कहानी “माँ” की नायिका एक सहनशील और समर्पित महिला है, जो अपने परिवार की मुखिया है। वह अपनी पागल और गूंगी बेटी मंगु की देखभाल में दिन-रात जुटी रहती है, उसे नहलाती, खिलाती और उसकी हर जरूरत का ख्याल रखती है। माँ की ममता इतनी प्रबल है कि वह मंगु के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती। वह अपने अन्य बच्चों और परिवार के सदस्यों से भी प्रेम करती है, लेकिन मंगु के प्रति उसकी ममता और समर्पण अद्वितीय है। माँ अत्यंत सहनशील है और परिवार की आलोचनाओं को चुपचाप सहती है। वह अपनी बहुओं की शिकायतों को नजरअंदाज कर परिवार को एकजुट रखने का प्रयास करती है। माँ का चरित्र अत्यंत ममतामयी और बलिदानी है, जो अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उसकी ममता और समर्पण के कारण ही वह एक अद्वितीय और प्रेरणादायक चरित्र बन जाती है।

प्रश्न 7. कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर: कहानी “माँ” में लेखक ईश्वर पेटलीकर ने मातृत्व की ममता और त्याग का सजीव चित्रण किया है। कहानी की नायिका माँ अपनी जन्म से पागल और गूंगी बेटी मंगु की सेवा में अपने समस्त सुखों का त्याग कर देती है। वह मंगु की देखभाल में दिन-रात जुटी रहती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराने से डरती है क्योंकि उसे लगता है कि वहाँ मंगु की उचित देखभाल नहीं हो पाएगी। कुसुम, जो पढ़ने-लिखने वाली लड़की है, पागल हो जाती है और अस्पताल में भर्ती की जाती है। कुसुम के ठीक होने पर माँ का हृदय परिवर्तन होता है और वह मंगु को भी अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लेती है। अस्पताल के संवेदनशील कर्मचारी मंगु की देखभाल करते हैं और माँ को आश्वासन देते हैं। अंततः माँ मंगु को अस्पताल में भर्ती कराकर लौट आती है, लेकिन मंगु की जुदाई के कारण खुद भी पागल हो जाती है। इस कहानी में लेखक ने माँ की ममता और त्याग को अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है, जो पाठकों के हृदय को छू जाता है।

Other Chapter Solutions
Chapter 1 Solutions – दही वाली मंगम्मा
Chapter 2 Solutions – ढहते विश्वास
Chapter 3 Solutions – माँ
Chapter 4 Solutions – नगर
Chapter 5 Solutions – धरती कब तक घूमेगी

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon