Bihar Board Class 10 Disaster Management Chapter 6 Solutions – आपदा और सह अस्तित्व

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बिहार बोर्ड की कक्षा 10 की आपदा प्रबंधन पुस्तक का छठा अध्याय आपदा और सह-अस्तित्व के महत्वपूर्ण विषय पर केंद्रित है। यह अध्याय छात्रों को सिखाता है कि आपदाओं के बावजूद कैसे जीवन को सामान्य बनाए रखा जा सकता है। इसमें आपदा के बाद के पुनर्वास, समुदाय का पुनर्निर्माण और लचीलेपन के विकास पर जोर दिया गया है। छात्रों को यह समझने में मदद मिलती है कि आपदाएँ जीवन का हिस्सा हैं, और उनके साथ रहते हुए भी कैसे प्रगति और विकास किया जा सकता है। यह अध्याय आशावादी दृष्टिकोण और सामुदायिक एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

Bihar Board class 10 Disaster Management chapter 6

Bihar Board Class 10 Disaster Management Chapter 6 Solutions

SubjectDisaster Management
Class10th
Chapter6. आपदा और सह अस्तित्व
BoardBihar Board

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित में कौन प्राकृतिक आपदा है ?

(क) आग लगना
(ख) बम विस्फोट
(ग) भूकम्प
(घ) रासायनिक दुर्घटनाएँ

उत्तर- (ग) भूकम्प

प्रश्न 2. भूकंप संभावित क्षेत्रों में भवनों की आकृति कैसी होनी चाहिए?

(क) अंडाकार
(ख) त्रिभुजाकार
(ग) चौकोर
(घ) आयाताकार

उत्तर- (घ) आयाताकार

प्रश्न 3. भूस्खलन वाले क्षेत्र में ढलान पर मकानों का निर्माण क्या है ?

(क) उचित
(ख) अनुचित
(ग) लाभकारी
(घ) उपयोगी

उत्तर- (ख) अनुचित

प्रश्न 4. सुनामी प्रभावित क्षेत्र में मकानों का निर्माण कहाँ करना चाहिए?

(क) समुद्र तट के निकट
(ख) समुद्र तट से दूर
(ग) समुद्र तट से ऊंचाई पर
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ख) समुद्र तट से दूर

प्रश्न 5. बाढ़ से सबसे अधिक हानि होती है

(क) फसल की
(ख) पशुओं की
(ग) भवनों की
(घ) उपरोक्त सभी की

उत्तर- (घ) उपरोक्त सभी की

प्रश्न 6. कृषि सुखाड़ होता है

(क) जल के अभाव में
(ख) मिट्टी की नमी के अभाव में
(ग) मिट्टी के क्षय के कारण
(घ) मिट्टी की लवणता के कारण

उत्तर- (क) जल के अभाव में

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: भूकंप के प्रभावों को कम करने के चार उपायों को लिखिए।

उत्तर: भूकंप के प्रभावों को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • भवनों का निर्माण: भवनों का निर्माण आयताकार आकार में करना चाहिए और उनकी संरचना ईंट और कंक्रीट जैसी मजबूत सामग्री से होनी चाहिए। इससे भवन भूकंप के झटकों को सहन कर सकेगा।
  • मजबूत नींव: भवनों की नींव को मजबूत और भूकंप-रोधी बनाया जाना चाहिए ताकि वे भूकंप के समय स्थिर रह सकें और गिरने का खतरा कम हो।
  • सड़कों और गलियों की चौड़ाई: गलियों और सड़कों को चौड़ा बनाया जाना चाहिए, ताकि आपातकालीन सेवाएं आसानी से पहुँच सकें और लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।
  • भवनों के बीच दूरी: दो भवनों के बीच पर्याप्त दूरी होनी चाहिए, जिससे भूकंप के समय एक भवन के गिरने से दूसरे भवन को नुकसान न हो और बचाव कार्य आसानी से किया जा सके।

प्रश्न 2: सुनामी संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण पर अपना विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर: सुनामी संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  • स्थान का चुनाव: तटीय क्षेत्रों में रहने की अपेक्षा लोगों को तट से दूर और ऊँचाई वाले स्थानों पर घर बनाने चाहिए, जिससे सुनामी की लहरों से बचा जा सके।
  • वृक्षारोपण: समुद्र के किनारे सघन वृक्षारोपण करना चाहिए, क्योंकि पेड़ सुनामी की लहरों की गति को कम करने में मदद करते हैं।
  • कंक्रीट अवरोधक: नगरों और भवनों की सुरक्षा के लिए कंक्रीट अवरोधक या दीवारों का निर्माण किया जाना चाहिए, जो लहरों के प्रभाव को कम कर सके।
  • सुरक्षा मानक: सुनामी प्रभावित क्षेत्रों में घरों का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए कि वे सुनामी की लहरों के प्रभाव को सह सकें। इसके लिए भवनों को ऊँचे प्लेटफार्म पर बनाया जा सकता है।
  • सुनामी रिकॉर्डिंग और चेतावनी प्रणाली: सुनामी रिकॉर्डिंग केंद्रों की स्थापना और उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सुनामी की चेतावनी को समय रहते प्राप्त किया जा सकता है। संचार के विभिन्न माध्यमों से इस चेतावनी को जनता तक पहुँचाना भी आवश्यक है।

प्रश्न 3: सुखाड़ में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए आप क्या करेंगे?

उत्तर: सुखाड़ के समय मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • जल संरक्षण: जल संसाधनों का वैज्ञानिक विकास और प्रबंधन करके जल की कमी को दूर किया जा सकता है। तालाबों, जलाशयों और नहरों का निर्माण करके जल का संग्रहण किया जाना चाहिए।
  • सिंचाई के आधुनिक तरीके: ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक सिंचाई विधियों का उपयोग करना चाहिए, जिससे जल का कम से कम उपयोग कर अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सके।
  • मल्चिंग: खेतों में मल्चिंग करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है और वाष्पीकरण की प्रक्रिया धीमी होती है, जिससे पानी का संरक्षण होता है।
  • फसल चक्र: फसल चक्र को अपनाना चाहिए, जिससे मिट्टी की नमी और उर्वरता बनी रहे। इसके अलावा, सूखा सहनशील फसलों का चयन भी किया जा सकता है।
  • वृक्षारोपण: वृक्षारोपण से भी मिट्टी की नमी बनी रहती है और जलवायु संतुलित रहती है। पेड़ मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और जल धारण क्षमता को बढ़ाते हैं।

इन उपायों को अपनाकर सुखाड़ की विभीषिका को कम किया जा सकता है और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: भूस्खलन अथवा बाढ़ जैसी प्राकृतिक विभीषिकाओं का सामना आप किस प्रकार कर सकते हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर: भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ भारी जान-माल की क्षति कर सकती हैं। इनसे बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। भूस्खलन से बचाव के लिए हमें ढलान वाले स्थानों पर निर्माण कार्य से बचना चाहिए, और अगर निर्माण आवश्यक हो, तो नींव को मजबूत और भूस्खलन प्रतिरोधी बनाना चाहिए। वनस्पति विहीन ढालों पर सघन वृक्षारोपण करने से मिट्टी की स्थिरता बनी रहती है और जल निकासी की उचित व्यवस्था होती है, जिससे भूस्खलन की संभावना कम होती है।

बाढ़ से बचाव के लिए नदियों के किनारों पर मजबूत तटबंध बनाए जाने चाहिए, जिससे पानी का बहाव नियंत्रित हो सके। जल निकासी के लिए नहरों और जलाशयों का निर्माण करना चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी को रोका जा सके। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ऊँचे स्थानों पर रिंग बांध और सुरक्षा बाँध बनाना भी एक कारगर उपाय है। इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्न बैंक और सुरक्षित आश्रयों की स्थापना होनी चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में लोगों को राहत प्रदान की जा सके। इस प्रकार के प्रबंध न केवल आपदा के प्रभाव को कम करते हैं बल्कि लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं।

प्रश्न 2: सुनामी के दौरान उठाये जाने वाले कदम (Preparedness measures during Tsunami Scenario) के बारे में लिखें।

उत्तर: सुनामी एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है, जो समुद्र के अंदर भूकंप या अन्य जलविद्युत गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती है। सुनामी के दौरान सुरक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए। सबसे पहले, लोगों को अपने घर या स्कूल की समुद्र तट से दूरी और समुद्र तल से ऊँचाई की जानकारी होनी चाहिए। सुनामी की चेतावनी मिलने पर तुरंत ऊँचे और सुरक्षित स्थानों पर चले जाना चाहिए।

सुनामी की लहरें पहले छोटी और कमजोर दिख सकती हैं, लेकिन बाद में वे अत्यधिक उग्र और विनाशकारी हो सकती हैं, इसलिए पहले संकेत मिलते ही तट को खाली कर देना चाहिए। लोगों को समुद्र तट के पास जाने से बचना चाहिए, क्योंकि अचानक आने वाली बड़ी लहरें जानलेवा हो सकती हैं। सुनामी चेतावनी केन्द्रों द्वारा जारी की गई चेतावनियों और रेडियो, टेलीविजन या मोबाइल अलर्ट पर ध्यान देना और उनका पालन करना आवश्यक है। सुनामी से बचने के लिए समुद्र तटों पर चेतावनी बोर्ड और सुरक्षित मार्ग संकेतक लगाए जाने चाहिए, ताकि लोग आपात स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर आसानी से पहुँच सकें।

प्रश्न 3: आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका का विस्तार से उल्लेख करें।

उत्तर: आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्थानीय प्रशासन का मुख्य कार्य आपदा के समय राहत कार्यों का संचालन करना है। इसमें राहत शिविरों की स्थापना, प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था, एम्बुलेंस सेवा, अग्निशामक दल की तैनाती और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना शामिल है। स्थानीय प्रशासन को आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने होते हैं ताकि जान-माल की क्षति को कम किया जा सके।

स्वयंसेवी संस्थाएँ आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये संस्थाएँ लोगों को आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित करती हैं और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करती हैं। स्वयंसेवी संगठन राहत कार्यों में मदद करते हैं, जैसे भोजन, कपड़े और दवाइयाँ प्रदान करना। ये संस्थाएँ आपदा के बाद पुनर्वास कार्यों में भी सहायता करती हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में जीवन सामान्य हो सके।

गाँव और मुहल्ले के लोग भी आपदा प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। स्थानीय समुदाय की सहभागिता से आपदा प्रबंधन अधिक प्रभावी हो सकता है। समुदाय के लोग मिलकर आपदा के समय एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं और स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर राहत कार्यों को तेजी से कर सकते हैं। इस प्रकार, स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाएँ और समुदाय मिलकर आपदा प्रबंधन को सफल बना सकते हैं।

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