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वायु हमारे वातावरण का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस अध्याय में हम वायु की संरचना, गुणों और महत्व को समझेंगे। हम जानेंगे कि वायु किन गैसों से मिलकर बनी है और ये गैसें हमारे लिए कितनी आवश्यक हैं। साथ ही, हम वायु के विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक गुणों पर भी विचार करेंगे। इसके बाद, हम वायु के परिसंचरण और वायुमंडलीय घटनाओं जैसे पवन, वर्षा और तूफान के बारे में पढ़ेंगे। हम समझेंगे कि ये घटनाएं किस प्रकार उत्पन्न होती हैं और वे हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं।
UP Board Class 7 Science Chapter 20 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 7th |
Chapter | 20. वायु |
Board | UP Board |
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर अभ्यास पुस्तिका में लिखिये:
(क) दहन में सहायता करने वाली गैस है-
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड
(ब) ऑक्सीजन (✓)
(स) ऑर्गन
(द) नाइट्रोजन
(ख) निम्नलिखित में कौन सी अक्रिय गैस नहीं है-
(अ) ऑर्गन
(ब) नियॉन
(स) हाइड्रोजन (✓)
(द) क्रिप्टन
(ग) अग्निशामक यंत्र में से कौन सी गैस निकलती है-
(अ) हीलियम
(ब) कार्बन डाइऑक्साइड (✓)
(स) ऑक्सीजन
(द) नाइट्रोजन
(घ) सामान्यतः वायु के किस घटक की मात्रा परिवर्तनीय है-
(अ) जलवाष्प (✓)
(ब) कार्बन डाइऑक्साइड
(स) नाइट्रोजन
(द) ऑक्सीजन
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करिए-
(क) वायुमण्डल में 21% ऑक्सीजन गैस है।
(ख) वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरती है वायुमंडल कहलाती है।
(ग) सोडा वाटर की बोतल खोलने से कार्बनडाइऑक्साइड गैस के बुलबुले निकलते दिखाई देते हैं।
(घ) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्कबर्फ कहते हैं।
प्रश्न 3. सही कथन के आगे सही (✓) तथा गलत कथन के आगे गलत (✗) का चिह्न लगाइए-
(क) वायु मानव क्रियाओं द्वारा प्रदूषित होती है। (✓)
(ख) वायुमंडल में 21% नाइट्रोजन उपस्थित है। (✗)
(ग) गर्मी के मौसम में वर्षा की अपेक्षा कम आर्द्रता उपस्थित होती है। (✓)
(घ) नाइट्रोजन उर्वरक बनाने में प्रयुक्त होता है। (✓)
प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कैसे सिद्ध करेंगे कि वायु में जलवाष्प उपस्थित है?
उत्तर: वायु में जलवाष्प की उपस्थिति को सिद्ध करने के लिए एक सरल प्रयोग किया जा सकता है। गर्मियों के दिनों में जब वातावरण में नमी अधिक होती है, तो एक शीशे के गिलास में ठंडा पानी लें और उसमें कुछ बर्फ के टुकड़े डालें। कुछ समय बाद आप देखेंगे कि गिलास की बाहरी सतह पर पानी की बूंदें जम गई हैं।
ये बूंदें वायु में मौजूद जलवाष्प से बनती हैं। जब गिलास की सतह ठंडी होती है तो वायु में उपस्थित जलवाष्प संघनित हो जाता है और पानी की बूंदों के रूप में जम जाता है। यदि वायु में जलवाष्प नहीं होता तो गिलास की सतह पर कोई बूंदें नहीं बनेंगी। इस प्रकार यह प्रयोग साबित करता है कि वायु में जलवाष्प मौजूद है।
(ख) दो गैस जारों में से एक में ऑक्सीजन और एक में कार्बन डाइऑक्साइड उपस्थित है। कैसे पता लगाएंगे कि किस जार में कौन सी गैस है?
उत्तर: ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड गैसों को पहचानने के लिए हम जलने की प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं। एक जलती हुई मोमबत्ती या माचिस की लौ को दोनों जार में एक-एक बार डालकर देखा जा सकता है।
यदि जार में ऑक्सीजन गैस उपस्थित है तो मोमबत्ती या लौ जलती रहेगी क्योंकि ऑक्सीजन जलने की प्रक्रिया को बनाए रखती है। दूसरी ओर, यदि जार में कार्बन डाइऑक्साइड गैस उपस्थित है तो मोमबत्ती या लौ बुझ जाएगी क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड जलने की प्रक्रिया को रोकती है।
इस तरह, जिस जार में मोमबत्ती या लौ जलती रहेगी उसमें ऑक्सीजन गैस होगी, और जिसमें बुझ जाएगी उसमें कार्बन डाइऑक्साइड गैस होगी।
(ग) अग्निशामक यंत्र का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाकर इसके कार्य करने की विधि समझाइए।
उत्तर: अग्निशामक यंत्र एक धातु का बनारबेलनाकार बर्तन होता है जिसे बाहरी कक्ष कहा जाता है। इस बर्तन में सोडियम बाइकार्बोनेट का घोल भरा होता है। बर्तन के अंदर एक और शीशे का बेलनाकार बर्तन होता है जिसे आंतरिक कक्ष कहते हैं। इस आंतरिक कक्ष में सल्फ्यूरिक अम्ल भरा होता है।
जब इस यंत्र का उपयोग करना होता है तो इसे उल्टा करके जमीन पर पटक दिया जाता है। इससे आंतरिक कक्ष टूट जाती है और सल्फ्यूरिक अम्ल बाहरी कक्ष में मौजूद सोडियम बाइकार्बोनेट घोल में मिल जाता है। इस अभिक्रिया से कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है जो अग्नि शामक के रूप में काम करती है। यह गैस आग पर छिड़की जाती है और आग बुझा देती है।
कार्बन डाइऑक्साइड गैस आग पर अवरोधक परत बनाकर ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकती है जिससे आग बुझ जाती है। इसलिए अग्निशामक यंत्र में कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न करने वाला प्रावधान होता है।
(घ) वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर- वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पर्यावरण पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ रहे हैं:
- ग्लोबल वार्मिंग: कार्बन डाइऑक्साइड एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है जो सूर्य से आने वाली लौटती हुई किरणों को अवशोषित कर लेती है। इससे पृथ्वी के वातावरण में अतिरिक्त गर्मी बनी रहती है जिसके कारण तापमान बढ़ रहा है।
- बर्फ द्वीपों का पिघलना: ग्लोबल वार्मिंग के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों और हिमालय क्षेत्र की बर्फ तेजी से पिघल रही है। इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और द्वीपीय तथा तटीय क्षेत्र डूबने के खतरे में हैं।
- जलवायु परिवर्तन: तापमान वृद्धि और मौसम में अनियमितता के कारण जलवायु में बदलाव आ रहा है। वर्षा के पैटर्न बदल रहे हैं और सूखा, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ गई है।
- पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: तापमान वृद्धि, बर्फ पिघलने और जलवायु परिवर्तन से पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहे हैं। प्राणी और पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने का खतरा है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: बढ़ता तापमान और वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे श्वसन संबंधी रोग, गर्मी से संबंधित बीमारियां और मलेरिया जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है।
इस प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड के अत्यधिक स्तर से पृथ्वी के पर्यावरण पर गंभीर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहे हैं। इसे नियंत्रित करने की जरूरत है।