Bihar Board Class 9 Science Chapter 7 Solutions – जीवों में विविधता

Bihar Board class 9 Science chapter 7 solutions is a must have guide for the students. This guide is a comprehensive set of solutions for class 9 Vigyan chapter 7 – “जीवों में विविधता”. Using this guide, students can grasp better understanding with this chapter in hindi medium.

बिहार बोर्ड की कक्षा 9 विज्ञान की पुस्तक का सातवां अध्याय ‘जीवों में विविधता’ हमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीवों के बारे में बताता है। यह अध्याय जीव-जगत की विविधता को समझने में हमारी मदद करता है और हमें बताता है कि जीवों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है। हम सीखेंगे कि जीव दो मुख्य समूहों – पादप और जंतु में विभाजित होते हैं, और इन समूहों में उपसमूह कैसे बनाए जाते हैं।

Bihar Board Class 9 Science Chapter 7

Bihar Board Class 9 Science Chapter 7 Solutions

SubjectScience (विज्ञान)
Class8th
Chapter7. जीवों में विविधता
BoardBihar Board

अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-

प्रश्न श्रृंखला # 01

प्रश्न 1. हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं?

उत्तर: जीवधारियों का वर्गीकरण अध्ययन को सरल बनाने और विभिन्न जीवों के मौलिक संबंधों को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। इससे हमें जीवों की पहचान, उनका विवरण, और उनके बीच के संबंधों को समझने में मदद मिलती है।

प्रश्न 2. अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें?

उत्तर: चिड़िया, छिपकली और चूहा। ये तीनों जीव रूप आकार, संरचना और जीवन शैली में भिन्न होते हैं, जो जैव विविधता को दर्शाते हैं।

प्रश्न श्रृंखला # 02

प्रश्न 1. जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है ?

(a) उनका निवास स्थान
(b) उनकी कोशिका संरचना।

उत्तर: (b) उनकी कोशिका संरचना।

प्रश्न 2. जीवों के प्रारम्भिक विभाजन के लिए किस मूल लक्षण को आधार बनाया गया है?

उत्तर: जीवों के प्रारम्भिक विभाजन के लिए कोशिका की प्रकृति (कोशिकीय संरचना और कार्य) को आधार माना गया है। ऐसी कोशिकाएँ जिनमें झिल्ली युक्त केन्द्रक और कोशिकांग पाये जाते हैं, उन्हें यूकैरियोटिक कोशिकाएँ कहते हैं, जबकि जिनमें इनका अभाव होता है, उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ कहते हैं।

प्रश्न 3. किस आधार पर जन्तुओं एवं वनस्पतियों को एक-दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है?

उत्तर: प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता रखने वाले जीवों को वनस्पति वर्ग में रखा जाता है, जबकि अन्य जीवों से अपना भोजन ग्रहण करने वाले जीवों को जन्तु वर्ग में रखा जाता है। इसके अतिरिक्त, गमन की सामर्थ्य भी पौधों और जन्तुओं को एक-दूसरे से भिन्न करती है।

प्रश्न श्रृंखला # 03

प्रश्न 1. आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं?

उत्तर: ऐसे जीव जिनकी शारीरिक संरचना साधारण होती है और जिनमें प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है, आदिम जीव कहलाते हैं। उन्नत जीवों की शारीरिक संरचना जटिल होती है और इनमें अपने वातावरण के अनुसार अनेक परिवर्तन हो चुके होते हैं। उदाहरण के लिए, अमीबा की संरचना केंचुए की तुलना में आदिम होती है।

प्रश्न 2. क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं?

उत्तर: हाँ, यह सत्य है कि उन्नत जीवों की शारीरिक संरचना जटिल होती है। विकास के दौरान जीवों में जटिलता की संभावना बनी रहती है, इसलिए समय के साथ उन्नत जीवों को जटिल जीव कहा जा सकता है।

प्रश्न श्रृंखला # 04

प्रश्न 1. मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण के मापदण्ड क्या हैं?

उत्तर: मोनेरा और प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण का मापदण्ड उनमें संगठित केन्द्रक और झिल्ली युक्त कोशिकांगों की उपस्थिति या अनुपस्थिति है। मोनेरा के सदस्यों में संगठित केन्द्रक और झिल्ली युक्त कोशिकांगों का अभाव होता है, इसलिए ये प्रोकैरियोट्स कहलाते हैं, जैसे जीवाणु और नील-हरित शैवाल। प्रोटिस्टा के सदस्यों में संगठित केन्द्रक और झिल्ली युक्त कोशिकांग पाए जाते हैं, इसलिए ये यूकैरियोटिक संरचना प्रदर्शित करते हैं, जैसे डाइएटम और प्रोटोजोआ।

प्रश्न 2. प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव को आप किस जगत में रखेंगे?

उत्तर: प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव को जगत प्रोटिस्टा में रखा जाता है।

प्रश्न 3. वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जायेगा?

उत्तर: वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में जाति (स्पीशीज) के अंतर्गत सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम संख्या में जीवों को रखा गया है, जबकि जगत (किंगडम) के अंतर्गत सबसे अधिक संख्या में जीवों को रखा गया है।

प्रश्न श्रृंखला # 05

प्रश्न 1. सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है?

उत्तर: सरलतम पौधों को थैलोफाइटा वर्ग में रखा गया है। ये पौधे जड़, तना और पत्तियों में विभेदित नहीं होते हैं।

प्रश्न 2. टेरिडोफाइट और फैनरोगैम में क्या अंतर है?

उत्तर: टेरिडोफाइट्स में नग्न भ्रूण पाये जाते हैं जो स्पोर्स कहलाते हैं। इन पौधों में जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं और बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है। जबकि फैनरोगैम्स में जनन ऊतक पूर्ण विकसित और विभेदित होते हैं तथा जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 3. जिम्नोस्पर्म और एन्जियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?

उत्तर: जिम्नोस्पर्म नग्न बीज उत्पन्न करने वाले पौधे हैं और इनमें पुष्प नहीं होते हैं। जबकि एन्जियोस्पर्म में बीज फल के अंदर बंद रहते हैं और बीजों का विकास अंडाशय के अंदर होता है, जो बाद में फल बन जाता है। एन्जियोस्पर्म पौधों में पुष्प भी उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न श्रृंखला # 06

प्रश्न 1. पोरीफेरा और सीलेण्ट्रेटा वर्ग के जन्तुओं में क्या अन्तर है ?

उत्तर: पोरीफेरा वर्ग के जन्तु छिद्रयुक्त, अचल जीव होते हैं जो किसी आधार से चिपके रहते हैं। इनका शारीरिक संगठन कोशिकीय स्तर का होता है, जबकि सीलेण्ट्रेटा वर्ग के जन्तु एकाकी तथा समूह दोनों में पाए जाते हैं और उनका शारीरिक संगठन ऊतकीय स्तर का होता है।

प्रश्न 2. एनीलिडा के जन्तु आर्थोपोडा के जन्तुओं से किस प्रकार भिन्न हैं ?

उत्तर:

(1) एनीलिडा के जन्तुओं का शरीर अनेक समान खंडों में विभाजित होता है, जबकि आर्थोपोडा के जन्तुओं का शरीर कुछ निश्चित खंडों में विभाजित होता है जिस पर पैर पाये जाते हैं। उनका शरीर पर्याय किटिन के बने कठोर कंकाल से ढंका होता है।

(2) एनीलिडा के जन्तुओं में रक्त परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है, जबकि आर्थोपोडा के जन्तुओं में रक्त परिसंचरण तंत्र खुला प्रकार का होता है, अर्थात् रक्त देहगुहा में भरा रहता है।

प्रश्न 3. जल-स्थलचर और सरीसृपों में क्या अन्तर है ?

उत्तर:

  • जल-स्थलचर जल और स्थल दोनों पर रहने के लिए अनुकूल होते हैं, परन्तु अण्डे देने के लिए जल की आवश्यकता होती है, जबकि सरीसृप सामान्यत: स्थल पर रहते हैं, लेकिन जल में भी रह सकते हैं, परंतु उन्हें अपने अण्डे स्थल पर ही देने होते हैं।
  • जल-स्थलचरों की त्वचा पर शल्क नहीं होता है, इस पर श्लेष्म ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं, जबकि सरीसृपों का शरीर शल्कों से ढंका होता है।
  • जल-स्थलचरों में श्वसन क्लोम, त्वचा या फेफड़ों द्वारा होता है, जबकि सरीसृपों में श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है।

प्रश्न 4. पक्षी वर्ग और स्तनी वर्ग के जन्तुओं में क्या अन्तर है?

उत्तर: पक्षी वर्ग के जन्तुओं में अग्रपाद पंखों में रूपान्तरित होते हैं जो उड़ाने में सहायक होते हैं, जबकि स्तनी वर्ग के जन्तुओं में अग्रपाद हाथों या पैरों के रूप में होते हैं और वस्तुओं को पकड़ने या दौड़ने में सहायक होते हैं। पक्षी वर्ग के जन्तुओं का शरीर परों से ढंका होता है, जबकि स्तनी वर्ग के जन्तुओं के शरीर पर बाल पाए जाते हैं। पक्षी वर्ग के जन्तुओं अण्डे देते हैं, जबकि स्तनी वर्ग के जन्तु शिशुओं को जन्म देते हैं, हालांकि कुछ स्तनी जैसे-इकिड्ना और प्लेटिपस अण्डे भी देते हैं। स्तनी वर्ग के जन्तुओं में बाह्य कर्ण और दुग्ध ग्रन्थियाँ भी पाई जाती हैं, जबकि इन संरचनाओं का पक्षी वर्ग के जन्तुओं में अभाव होता है।

अभ्यास

प्रश्न 1. जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है?

उत्तर: जीवों के वर्गीकरण से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. यह जीवों के अध्ययन को सुगम बनाता है क्योंकि समान लक्षण वाले जीवों को एक समूह में रखा जाता है।
  2. इससे विभिन्न जीवों के बीच आनुवंशिक और विकासात्मक संबंधों को समझना आसान हो जाता है।
  3. यह नए जीवों की खोज और वर्गीकरण को सरल बनाता है।
  4. इसके द्वारा जैव विविधता का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

प्रश्न 2. वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे?

उत्तर: वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए हम आधारभूत लक्षण का चयन करेंगे। आधारभूत लक्षण वह है जिससे अन्य गौण लक्षण उत्पन्न होते हैं। उदाहरण के लिए, पादप और प्राणी में गमन की क्षमता एक आधारभूत लक्षण है। पादपों में गमन की अनुपस्थिति के कारण ही कोशिका भित्ति और क्लोरोप्लास्ट जैसे गौण लक्षण विकसित हुए हैं। इसलिए गमन की क्षमता को प्राथमिकता देनी चाहिए।

प्रश्न 3. जीवों के पाँच जगत् में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: जीवों के पांच जगत वर्गीकरण में निम्न आधार लिए गए हैं:

  1. मोनेरा जगत में सभी प्रोकैरियोटिक जीव आते हैं जिनमें कोशिका केन्द्रक और झिल्लीयुक्त कोशिकांग नहीं होते।
  2. प्रोटिस्टा जगत में सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव आते हैं।
  3. फंजी में बहुकोशिकीय विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव आते हैं।
  4. प्लांटी में बहुकोशिकीय स्वपोषी यूकैरियोटिक पादप आते हैं।
  5. एनिमेलिया में बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक प्राणी जिनमें कोशिका भित्ति नहीं होती।

इस प्रकार कोशिकीय संरचना, पोषण विधि और शारीरिक संगठन के आधार पर जीवों का वर्गीकरण किया गया है।

प्रश्न 4. पादप जगत् के प्रमुख वर्ग कौन-से हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?

उत्तर: पादप जगत् के प्रमुख वर्ग हैं – थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, प्टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म। इन वर्गों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया गया है:

  1. शरीर संरचना – क्या पौधे के अंग विभेदित (अलग-अलग कार्यों के लिए विभिन्न अंग) हैं या अविभेदित?
  2. संवहन तंत्र – क्या पौधे में संवहन के लिए विशिष्ट ऊतक उपस्थित हैं या नहीं?
  3. बीज निर्माण की क्षमता – क्या पौधा बीज उत्पन्न करता है या नहीं?
  4. बीज की स्थिति – क्या बीज नग्न (फल के बिना) हैं या फल के अंदर विकसित होते हैं?

इस प्रकार, पादप जगत में वर्गीकरण उनकी शारीरिक संरचना, संवहन तंत्र और बीज निर्माण की क्षमता पर आधारित है।

प्रश्न 5. जन्तुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर क्या है?

उत्तर: जन्तुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:

  1. जन्तुओं का वर्गीकरण मुख्य रूप से कैलोम (शरीर गुहिका) की उपस्थिति, इसकी सामग्री, और स्तनधारियों में अंडाशय की उपस्थिति पर आधारित है। जबकि पौधों में शरीर संरचना, संवहन तंत्र और बीज निर्माण की क्षमता मुख्य आधार हैं।
  2. जन्तुओं में आनुवंशिक और विकासात्मक विशेषताओं को महत्व दिया जाता है, जबकि पौधों में शारीरिक विशेषताओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  3. जन्तुओं में प्रजनन और पोषण विधियों को भी वर्गीकरण का आधार बनाया गया है, लेकिन पौधों में इन विशेषताओं को उतना महत्व नहीं दिया गया है।

इस प्रकार, जन्तुओं और पौधों के वर्गीकरण में उपयोग किए गए आधारों में काफी अंतर पाया जाता है।

प्रश्न 6. वर्टीब्रेटा (कशेरुकी प्राणियों) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: वर्टीब्रेटा या कशेरुकी प्राणियों को निम्नलिखित आधारों पर 5 वर्गों में विभाजित किया गया है:

  1. निवास स्थान – जल, स्थल या दोनों पर रहने की क्षमता।
  2. श्वसन तंत्र – क्लोम द्वारा श्वसन या फेफड़ों द्वारा श्वसन।
  3. हृदय की संरचना – द्विकक्षीय, त्रिकक्षीय या चतुष्कक्षीय हृदय।
  4. शरीर आवरण – मछली का छिलका, रेप्टेलिया का शल्क, पक्षियों का पंख और स्तनधारियों के शरीर पर रोम/बाल।
  5. प्रजनन विधि – अंडज, जरायुज या नवजात दिया जाना।

इन आधारों पर वर्टीब्रेटा को मत्स्य, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी वर्गों में विभाजित किया गया है। उदाहरण के लिए, मछलियां जल में रहती हैं और क्लोम द्वारा श्वसन करती हैं, पक्षी पंखों से उड़ान भरते हैं और सरीसृप शल्कों से आच्छादित होते हैं। इस प्रकार शारीरिक संरचना, निवास स्थान और जीवन चक्र के आधार पर वर्टीब्रेटा का वर्गीकरण किया गया है।

Other Chapter Solutions
Chapter 1 Solutions – हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter 2 Solutions – क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter 3 Solutions – परमाणु एवं अणु
Chapter 4 Solutions – परमाणु की संरचना
Chapter 5 Solutions – जीवन की मौलिक इकाई
Chapter 6 Solutions – ऊतक
Chapter 7 Solutions – जीवों में विविधता
Chapter 8 Solutions – गति
Chapter 9 Solutions – बल तथा गति के नियम
Chapter 10 Solutions – गुरुत्वाकर्षण
Chapter 11 Solutions – कार्य तथा ऊर्जा
Chapter 12 Solutions – ध्वनि
Chapter 13 Solutions – हम बीमार क्यों होते हैं
Chapter 14 Solutions – प्राकृतिक सम्पदा
Chapter 15 Solutions – खाद्य संसाधनों में सुधार

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon