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बिहार बोर्ड की कक्षा 9 विज्ञान की पुस्तक का दसवां अध्याय ‘गुरुत्वाकर्षण’ हमें पृथ्वी द्वारा सभी वस्तुओं को आकर्षित करने की शक्ति के बारे में बताता है। इस अध्याय में हम गुरुत्वाकर्षण बल की अवधारणा और इसके कारण को समझेंगे। हम सीखेंगे कि गुरुत्वाकर्षण बल किसी वस्तु के द्रव्यमान और पृथ्वी के केंद्र से उसकी दूरी पर कैसे निर्भर करता है। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की गति और उसके आसपास के पिंडों की गति को किस प्रकार प्रभावित करता है।

Bihar Board Class 9 Science Chapter 10 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 8th |
Chapter | 10. गुरुत्वाकर्षण |
Board | Bihar Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-
प्रश्न शृंखला # 01
प्रश्न 1. गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम लिखिए।
उत्तर:- गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, द्रव्यमान M व m के दो पिण्ड जो एक-दूसरे से दूरी d पर स्थित हैं, उनके बीच लगने वाला आकर्षण बल F, उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा दोनों पिण्डों के बीच की दूरी (d) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात्, .

प्रश्न 2. पृथ्वी तथा उसके पृष्ठ पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:- अगर M पृथ्वी का द्रव्यमान है व m उसके पृष्ठ पर रखी किसी वस्तु का, r पृथ्वी की त्रिज्या है तो गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, पृथ्वी व वस्तु के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त होगा –
F = GMm/r2
यहाँ G सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक है।
G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
प्रश्न श्रृंखला # 02
प्रश्न 1. मुक्त पतन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- पृथ्वी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं। अतः जब वस्तुएँ पृथ्वी की ओर केवल इसी बल के कारण गिरती हैं, हम कहते हैं कि वस्तुएँ मुक्त पतन में हैं।
प्रश्न 2. गुरुत्वीय त्वरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- गुरुत्वीय त्वरण वह त्वरण है जिसके साथ एक वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है जब उस पर केवल गुरुत्वाकर्षण बल ही लगा हो। यदि किसी वस्तु को ऊपर की ओर फेंका जाए और फिर छोड़ दिया जाए, तो वह पृथ्वी की ओर गिरेगी। इस गिरने के दौरान, उसका वेग बढ़ता रहता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा त्वरण लगातार लगाया जाता है। यह त्वरण स्थान और समय से निरपेक्ष होता है और इसकी मात्रा लगभग 9.8 मीटर/सेकेंड^2 होती है।
प्रश्न शृंखला # 03
प्रश्न 1. किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है ?
उत्तर:- द्रव्यमान तथा भार में अन्तर –

प्रश्न 2. किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी के भार का 1 गुना क्यों होता है ?
उत्तर:- किसी वस्तु का चंद्रमा पर भार पृथ्वी के भार का लगभग 1/6 गुना होता है क्योंकि चंद्रमा का द्रव्यमान और गुरुत्वीय आकर्षण पृथ्वी की तुलना में कम है। गुरुत्वाकर्षण बल किसी वस्तु के द्रव्यमान और आकर्षित करने वाले पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/81 गुना है। इसलिए चंद्रमा द्वारा किसी वस्तु पर लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल भी पृथ्वी द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बल का लगभग 1/6 गुना होता है।
प्रश्न शृंखला # 04
प्रश्न 1. एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों ?
उत्तर:- एक पतली डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है क्योंकि दाब क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। पतली डोरी का क्षेत्रफल कम होने के कारण उस पर लगने वाला दाब अधिक होता है। इस अधिक दाब के कारण कंधों पर चोट लगने का खतरा रहता है। चौड़े पट्टों का उपयोग करने से क्षेत्रफल बढ़ जाता है और दाब कम हो जाता है, जिससे बैग को उठाना आसान हो जाता है।
प्रश्न 2. उत्प्लावकता से आप क्या समझते है ?
उत्तर:- उत्प्लावकता वह प्रक्रिया है जिसमें किसी द्रव में डुबकी लगाने पर वस्तु पर द्रव द्वारा ऊपर की ओर एक बल लगाया जाता है। यह बल उत्प्लावक बल कहलाता है। उत्प्लावक बल, द्रव के घनत्व, वस्तु के डुबे हुए आयतन और गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है।
प्रश्न 3. पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डूबती है ?
उत्तर:- जब किसी वस्तु को पानी में डाला जाता है, तो उस पर दो बल लगते हैं – गुरुत्वाकर्षण बल और उत्प्लावक बल। यदि वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम है, तो उत्प्लावक बल गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक होगा और वस्तु तैरेगी। परंतु यदि वस्तु का घनत्व पानी से अधिक है, तो गुरुत्वाकर्षण बल उत्प्लावक बल से अधिक होगा और वस्तु डूब जाएगी।
प्रश्न शृंखला # 05
प्रश्न 1. एक तुला (Weighing machine) पर आप अपना द्रव्यमान 42 kg नोट करते हैं। क्या आपका द्रव्यमान 42 kg से अधिक है या कम ?
उत्तर:- एक तुला पर दिखाया गया द्रव्यमान आपके वास्तविक द्रव्यमान से कम होगा। जब आप तुला पर खड़े होते हैं, तो आपके शरीर पर नीचे की ओर गुरुत्वाकर्षण बल लगता है, लेकिन साथ ही हवा में आपके शरीर के आयतन के बराबर हवा का स्थान लिया जाता है। इस प्रक्रिया में, हवा द्वारा आपके शरीर पर ऊपर की ओर एक उत्प्लावक बल भी लगता है। यह उत्प्लावक बल आपको थोड़ा ऊपर की ओर खिंचता है, जिससे तुला पर आपका द्रव्यमान कम दिखाई देता है।
प्रश्न 2. आपके पास एक रुई का बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 kg द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों ?
उत्तर:- रुई का बोरा वास्तव में लोहे की छड़ से भारी होगा। हालांकि दोनों तुला पर समान द्रव्यमान दर्शा रहे हैं, लेकिन रुई के बोरे पर लगने वाला हवा का उत्प्लावक बल अधिक होगा क्योंकि उसका आयतन और क्षेत्रफल अधिक है। यह अधिक उत्प्लावक बल रुई के बोरे को थोड़ा ऊपर की ओर खिंचेगा, जिससे तुला पर उसका द्रव्यमान कम दिखाई देगा। इसलिए, रुई का बोरा वास्तव में लोहे की छड़ से भारी होगा।
अभ्यास
प्रश्न 1. यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा ?
उत्तर:-

प्रश्न 2. सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती ?
उत्तर:- यद्यपि भारी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होता है, लेकिन उनका गुरुत्वीय त्वरण (गिरने की गति) हल्की वस्तुओं के समान ही होता है। इसका कारण यह है कि गुरुत्वीय त्वरण निर्वात में सभी वस्तुओं के लिए समान (लगभग 9.8 मीटर/सेकेंड^2) होता है और यह वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। एक भारी वस्तु पर अधिक गुरुत्वाकर्षण बल लगता है, लेकिन उसका द्रव्यमान भी अधिक होता है। इसलिए, गुरुत्वाकर्षण बल और द्रव्यमान के अनुपात से गुरुत्वीय त्वरण निकलता है जो सभी वस्तुओं के लिए समान होता है।
प्रश्न 3. पृथ्वी तथा उसके पृष्ठ पर रखी किसी 1 kg की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 kg है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 x 10 m है)।

प्रश्न 4. पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है ? बताइए। क्यों ?
उत्तर:- पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है, वही बल चंद्रमा द्वारा पृथ्वी को आकर्षित करने वाला बल है। ये दोनों बल बराबर हैं क्योंकि न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अनुसार, दो पिंडों द्वारा एक-दूसरे को आकर्षित करने वाले बल बराबर होते हैं लेकिन विपरीत दिशाओं में लगते हैं। यह सिद्धांत “क्रिया और प्रतिक्रिया” के सिद्धांत पर आधारित है।
प्रश्न 5. यदि चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है तो पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती ?
उत्तर:- यद्यपि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, लेकिन पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति नहीं करती क्योंकि पृथ्वी का द्रव्यमान चंद्रमा के द्रव्यमान से बहुत अधिक है। न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार, समान बल लगने पर अधिक द्रव्यमान वाली वस्तु का त्वरण कम होता है। इसलिए चंद्रमा द्वारा पृथ्वी पर लगाया जाने वाला बल पृथ्वी में बहुत कम त्वरण उत्पन्न करता है जो महसूस करने योग्य नहीं होता।
गति के तीसरे नियम के अनुसार चन्द्रमा भी पृथ्वी को आकर्षित करता है। लेकिन गति के दूसरे नियम के अनुसार, किसी दिए हुए बल के लिए त्वरण वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
F ∝ ma
a ∝ FM
अत: पृथ्वी का द्रव्यमान चन्द्रमा से बहुत अधिक होने के कारण पृथ्वी का चन्द्रमा की ओर त्वरण बहुत कम या नगण्य होता है। यही कारण है कि पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति नहीं करती।
प्रश्न 6. दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि
- एक वस्तु का द्रव्यमान दो गुना कर दिया जाए ?
- वस्तुओं के बीच की दूरी दो गुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
- दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दो गुने कर दिए जाएँ ?
उत्तर:-


प्रश्न 7. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्व हैं ?
उत्तर:- गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम अनेक खगोलीय घटनाओं की व्याख्या करता है और उसके महत्वपूर्ण योगदान हैं:-
- यह ग्रहों और उपग्रहों की पृथ्वी के चारों ओर गति की व्याख्या करता है।
- यह सूर्य के चारों ओर ग्रहों की परिक्रमा की व्याख्या करता है।
- यह ज्वार-भाटे की घटना की व्याख्या करता है।
- यह पृथ्वी द्वारा वस्तुओं को आकर्षित करने की व्याख्या करता है।
प्रश्न 8. मुक्त पतन का त्वरण क्या है ?
उत्तर:- जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर बिना किसी बाहरी बल के गिरती है, तो उस समय उस पर लगने वाले त्वरण को मुक्त पतन का त्वरण कहा जाता है। निर्वात में इस त्वरण का मान लगभग 9.8 मीटर/वर्गसेकंड है और यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है। यह सभी वस्तुओं के लिए समान होता है और वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
प्रश्न 9. पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर:- पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु पर लगाए जाने वाले आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहा जाता है। यही बल वस्तु के भार को प्रदर्शित करता है। इसलिए किसी वस्तु का भार गुरुत्वीय बल को दर्शाता है जो पृथ्वी द्वारा उस वस्तु पर लगाया जाता है।
प्रश्न 10. एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत वृत पर अपने मित्र को देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से सन्तुष्ट होगा ? यदि नहीं, तो क्यों ? (संकेत : ध्रुवों पर g का मान विषुवत् वृत्त की अपेक्षा अधिक है।)
उत्तर:-
पृथ्वी पर किसी वस्तु का भार = x वस्तु का द्रव्यमान
W = mg
m = वस्तु का द्रव्यमान
g = गुरुत्वीय त्वरण
गुरुत्वीय त्वरण का मान ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक होता है। अतः विषुवत वृत्त पर सोने का भार ध्रुवों की अपेक्षा कम होगा। इसी कारण अमित का मित्र खरीदे हुए सोने के भार से सन्तुष्ट नहीं होगा।
प्रश्न 11. एक कागज की शीट उसी प्रकार की शीट को मरोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है ?
उत्तर:- एक कागज की शीट उसी प्रकार की शीट से बनी गेंद से धीमी गति से गिरती है क्योंकि उस पर हवा का प्रतिरोध अधिक होता है। जब कागज की शीट को मरोड़कर गेंद बनाई जाती है, तो उसका आयतन कम हो जाता है लेकिन द्रव्यमान समान रहता है। गेंद का घनत्व बढ़ जाता है, जिससे वह हवा में तेजी से गिरती है। दूसरी ओर, कागज की शीट का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण उस पर हवा का प्रतिरोध बल बहुत अधिक होता है, जो उसकी गति को धीमी करता है। इसलिए कागज की शीट गेंद की तुलना में धीमी गति से गिरती है।
प्रश्न 12. चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा 1/6 गुना है। एक 10 kg की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा?
उत्तर:-
चन्द्रमा की सतह पर वस्तु का भार
= 1/6 x वस्तु का पृथ्वी पर भार
W = M x g
g = 9.8 m/s2
अत: 10 kg की वस्तु का पृथ्वी पर भार
= 10 x 9.8 = 98N
उसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 98/6
= 16.3N
प्रश्न 13. एक गेंद ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 m/s के वेग से फेंकी जाती है। परिकलन कीजिए
- अधिकतम ऊँचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है।
- पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया कुल समय।
हल:
1. हम जानते हैं,
v2 = u2 + 2gs
जहाँ u = गेंद का प्रारम्भिक वेग
v = गेंद का अन्तिम वेग
s = गेंद की ऊँचाई
g = गुरुत्वीय त्वरण
अधिकतम ऊँचाई पर अन्तिम वेग v = 0
व दिया है, u = 49 m/s
ऊर्ध्वाधर दिशा में,
g =- 9.8 m/s2
अगर अधिकतम ऊँचाई जहाँ तक गेंद पहुँचती है = h
समीकरण, v2 – u2 = 2gs से
02 – (49)2 = 2 x (-9.8) x h
h = 49×49/2×9⋅8 = 122.5 m
अतः गेंद 122.5 m की अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचती
2 . पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया समय अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने वाला समय यदि यह समय t है तो गेंद को ऊँचाई 122.5 m तक पहुँचने में लगने वाला समय निम्न समीकरण द्वारा ज्ञात किया जा सकता है –
v = u + gt
0 = 49 + (-9.8) x t
9.8t = 49
t = 49/9.8 = 55
चूँकि गिरने व ऊँचाई तक पहुँचने वाला समय बराबर होता है अतः गेंद द्वारा पृथ्वी की सतह पर लौटने में लिया गया कुल समय
= 5 +5 = 10s
प्रश्न 14. 19.6 m ऊँची एक मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले इसका अन्तिम वेग ज्ञात कीजिए।
हल:
गति के समीकरण द्वारा,
v2 – u2 = 2gs
यहाँ पत्थर का प्रारम्भिक वेग, u = 0
ऊँचाई, s = 19.6 m
गुरुत्वीय त्वरण, g = 9.8 m/s2
अन्तिम वेग, v = ?
समीकरण में उपर्युक्त मान रखने पर
v2 = 02 + 2 x 9.8 x 19.6 = (19.6)2
⇒ v = √(19⋅6)2
= 19.6 m/s
अतः पृथ्वी पर पहुँचने से पहले पत्थर का अन्तिम वेग 19.6 m/s है।
प्रश्न 15. कोई पत्थर ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 m/s के प्रारम्भिक वेग से फेंका गया है। g = 10 m/s2 लेते हुए पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए। नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?
हल:
गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में गति के समीकरण से,
v2 – u2 = 2gs
जहाँ, u = पत्थर का प्रारम्भिक वेग = 40 m/s
v = पत्थर का अन्तिम वेग = 0
s = पत्थर की ऊँचाई
g= गुरुत्वीय त्वरण = -10 m/s2
माना कि पत्थर की अधिकतम ऊँचाई h है।
अतः v2 – u2 = 2gh से
0- (40)2 = 2 x (-10) x h
h = 40 x 40 = 80 m
अतः ऊपर जाने व नीचे आने में पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी = 80 + 80 = 160 m
ऊपर जाने व नीचे आने में पत्थर का कुल विस्थापन = 80 + (- 80) = 0
प्रश्न 16. पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए। दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 kg तथा सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg। दोनों के बीच औसत दूरी 1.5 x 1011 m है।

प्रश्न 17. कोई पत्थर 100 m ऊँची किसी मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 m/s के वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलन कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे।
हल:
माना कि दोनों पत्थर बिन्दु t पर मिलते हैं व उनकी जमीन से ऊँचाई h है। मीनार की ऊँचाई, h = 100 m. पहला पत्थर जो मीनार की छत से गिराया गया उसके द्वारा तय की गई दूरी x निम्न समीकरण द्वारा ज्ञात की जा सकती है –
s = ut + 1/2 gt2
5 = 100 – x
100 – x = ut + 1/2 gt2 ….(1)
ऊपर की तरफ फेंके गए पत्थर द्वारा तय की गई दूरी
x = ut – 1/2 gt2
यहाँ प्रारम्भिक वेग,
u = 25 m/s
अतः x = 25t – 1/2 gt2 …(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर
100 = 25t
या t = 4s
t के इस मान को समीकरण (2) में रखने पर
x = 25 x 4 – 12 9.8 x (4)2
= 100 – 78.4
= 21.6 m.
अतः दोनों पत्थर 4s के पश्चात् दूरी 21.6 m पर मिलेंगे।
प्रश्न 18. ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6 s पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई।
(b) गेंद द्वारा पहुँची गई अधिकतम ऊँचाई; तथा
(c) 4s पश्चात् गेंद की स्थिति।
हल:
(a) ऊपर जाने में लगने वाला समय = नीचे आने में लगने वाला समय गेंद ऊपर जाने व नीचे आने में कुल 6s लेती है। अत: यह अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने में 3 s लेगी।
अधिकतम ऊँचाई पर अन्तिम वेग, v = 0
गुरुत्वीय त्वरण, g = – 9.8 m/s2
समीकरण, v = u + gt से
0 =u + (-9.8 x 3)
u = 9.8 x 3 = 29.4 m/s
अत: गेंद 29.4 m/s वेग से ऊपर फेंकी गई।
(b) माना गेंद द्वारा पहुँची गई अधिकतम ऊँचाई h है। प्रारम्भिक वेग, ऊपर जाने में
u = 29.4 m/s
अन्तिम वेग, v = 0
गुरुत्वीय त्वरण, g = – 9.8 m/s2
गति के समीकरण,
s = ut+ 1/2 at2 से
h = 29.4 x 3 + 1/2 x (-9.8) x 32
= 44.1 m
(c) गेंद अधिकतम ऊँचाई 3 s में ग्रहण करती है। इस ऊँचाई तक पहुँचने के पश्चात् यह नीचे गिरती है। इस स्थिति में,
u = 0
4s के पश्चात् गेंद की स्थिति गेंद द्वारा 4 s – 3 s = 1 s में तय की गई दूरी होगी।
s = ut + 1/2 gt2 से
s = 0 x t + 1/2 x 9.8 x 12
= 4.9 m
कुल ऊँचाई = 44.1 m
4s के पश्चात् गेंद की ऊँचाई = 44.1 – 4.9 = 39.2 m
अतः 4 s के पश्चात् गेंद पृथ्वी से 39.2 m की ऊँचाई पर
प्रश्न 19. किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?
उत्तर:- किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल ऊपर की दिशा में कार्य करता है।
प्रश्न 20. पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी के पृष्ठ पर क्यों आ जाता है ?
उत्तर:- जब किसी प्लास्टिक के गुटके को पानी में छोड़ा जाता है, तो उस पर दो बल लगते हैं – नीचे की ओर गुरुत्वाकर्षण बल और ऊपर की ओर उत्प्लावक बल। यदि गुटके का घनत्व पानी के घनत्व से कम है, तो उत्प्लावक बल गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक होगा। इस स्थिति में, शुद्ध बल ऊपर की ओर होगा और गुटका पानी के पृष्ठ पर आ जाएगा। प्लास्टिक का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है, इसलिए जब प्लास्टिक का गुटका पानी में छोड़ा जाता है, तो उत्प्लावक बल गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक होता है और गुटका तैरने लगता है।
प्रश्न 21. 50g के किसी पदार्थ का आयतन 20 cm है। यदि पानी का घनत्व 1gcm-3 हो तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा?
