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बिहार बोर्ड की कक्षा 9 विज्ञान की पुस्तक का पांचवां अध्याय ‘जीवन की मौलिक इकाई’ हमें सभी जीवित प्राणियों की आधारभूत इकाई कोशिका के बारे में बताता है। यह अध्याय कोशिका की संरचना, उसके विभिन्न अंगों और उनके कार्यों पर प्रकाश डालता है। हम सीखेंगे कि कोशिकाद्रव्य और कोशिकाद्रव्यी में क्या अंतर है, और कोशिका की विभिन्न सरंचनाएं जैसे केन्द्रक, गोल्गी काय, स्वायत्तशरीर आदि क्या कार्य करते हैं।
Bihar Board Class 9 Science Chapter 5 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 8th |
Chapter | 5. जीवन की मौलिक इकाई |
Board | Bihar Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-
प्रश्न श्रृंखला # 01
प्रश्न 1. कोशिका की खोज किसने और कैसे की ?
उत्तर: कोशिका की खोज 1665 में रॉबर्ट हुक ने वृक्ष की छाल से प्राप्त कॉर्क में स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी द्वारा की।
प्रश्न 2. कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं ?
उत्तर: कोशिका को जीवन की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई इसलिए कहा जाता है:
- संरचनात्मक इकाई: कोशिका सभी जीवों की मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। सभी जीव एक या अधिक कोशिकाओं से बने होते हैं।
- क्रियात्मक इकाई: प्रत्येक कोशिका जीवन के लिए आवश्यक सभी मूलभूत क्रियाएँ स्वतंत्र रूप से करने में सक्षम होती है, जैसे पोषण, श्वसन, उत्सर्जन और प्रजनन।
- स्वायत्तता: कोशिका एक स्वायत्त इकाई के रूप में कार्य करती है, अपना जीवनचक्र पूरा करती है और अपने आनुवंशिक पदार्थ को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित करती है।
इन कारणों से कोशिका को जीवन की मूलभूत इकाई माना जाता है, जो जीवों की संरचना और कार्यप्रणाली दोनों को निर्धारित करती है।
प्रश्न श्रृंखला # 02
प्रश्न 1. CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका में कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं ? इस पर चर्चा करें।
उत्तर: कोशिका में CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ विसरण (डिफ्यूजन) और परासरण (ऑस्मोसिस) के माध्यम से अन्दर और बाहर जाते हैं। जब कोशिका में CO2 की मात्रा बाहरी वातावरण से अधिक होती है, तो यह विसरण द्वारा बाहर निकल जाती है। पानी की कमी होने पर या कोशिका को तनु विलयन में रखने पर पानी के अणु परासरण द्वारा बाहरी माध्यम से कोशिका के अंदर चले जाते हैं।
प्रश्न 2. प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर: प्लाज्मा झिल्ली कुछ विशिष्ट पदार्थों को ही अंदर और बाहर जाने देती है, जबकि अन्य पदार्थों की गति को रोकती है। इसलिए इसे वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं।
प्रश्न शृंखला # 03
प्रश्न 1. क्या आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा – यूकैरियोटी कोशिकाओं में अन्तर स्पष्ट हो सके।
उत्तर:
प्रश्न श्रृंखला # 04
प्रश्न 1. क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है?
उत्तर: माइटोकॉण्ड्रिया तथा प्लास्टिड्स (जैसे क्लोरोप्लास्ट) ऐसे कोशिका अंगक हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ (डीएनए) होता है। ये अंगक स्वतंत्र रूप से विभाजित भी हो सकते हैं।
प्रश्न 2. यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर:यदि किसी कोशिका का संगठन नष्ट हो जाता है, तो वह कोशिका कार्य करना बंद कर देगी और अंततः मर जाएगी। इसका प्रभाव पूरे जीव पर भी पड़ सकता है।
प्रश्न 3. लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?
उत्तर: लाइसोसोम में पाचक एन्जाइम्स होते हैं जो कोशिका के अपशिष्ट और अवांछित पदार्थों को पचाते हैं। जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और पाचक एन्जाइम्स अपनी ही कोशिका को पचाने लगते हैं। इसलिए इन्हें ‘आत्मघाती थैली’ कहते हैं।
प्रश्न 4. कोशिका के अन्दर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर: प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम में होता है, जो खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (रफ एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम) पर स्थित होते हैं। राइबोसोम अमीनो एसिड को जोड़कर प्रोटीन बनाते हैं।
अभ्यास
प्रश्न 1. पादप कोशिका तथा जन्तु कोशिका में तुलना कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2. प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं ?
उत्तर: प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिकाओं में निम्नलिखित प्रमुख अंतर होते हैं:
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं सरल संरचना वाली होती हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएं जटिल संरचना वाली होती हैं।
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केन्द्रक नहीं होता जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में एक स्पष्ट केन्द्रक होता है।
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्य संरचनाएं जैसे माइटोकोन्ड्रिया, गोल्गी निकाय, एन्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम आदि नहीं होती हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में ये सभी संरचनाएं उपस्थित होती हैं।
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं आकार में छोटी होती हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएं बड़ी होती हैं।
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं एककोशिकीय जीव होती हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएं बहुकोशिकीय जीवों में पाई जाती हैं।
अतः प्रमुख अंतर जटिलता और आंतरिक संरचना के स्तर पर होता है।
प्रश्न 3. यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर: प्लाज्मा कोशिका झिल्ली एक महत्वपूर्ण संरचना है जो कोशिका और बाहरी माध्यम के बीच द्रव पदार्थों और गैसों के आवागमन को नियंत्रित करती है। यदि यह झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो इसके परिणामस्वरूप कोशिकाद्रव्य बाहर निकल जाएगा और कोशिका के भीतर का नियंत्रित वातावरण बिगड़ जाएगा। साथ ही, बाहरी पदार्थ बिना किसी नियंत्रण के कोशिका के भीतर प्रवेश करेंगे। इन सभी कारणों से कोशिका अपने आंतरिक तंत्र को संचालित नहीं कर पाएगी और अंततः मर जाएगी।
प्रश्न 4. यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर: गोल्जी निकाय कोशिका में विभिन्न प्रकार के जटिल प्रोटीनों और लिपिडों के संश्लेषण, पैकेजिंग और परिवहन का कार्य करता है। यदि यह निकाय न हो तो कोशिका में निम्नलिखित परिणाम होंगे:
- प्रोटीनों और लिपिडों का संश्लेषण प्रभावित होगा।
- पैकेजिंग और परिवहन प्रभावित होगा जिससे सामग्री सही स्थानों तक नहीं पहुंच पाएगी।
- कोशिका झिल्ली के संयोजन में कठिनाई होगी।
- लिसोसोम और गोल्जी से संबंधित अन्य कार्यों में व्यवधान होगा।
अतः गोल्जी निकाय के अभाव में कोशिका के कार्यक्रम बाधित होंगे और उसकी सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित होगी।
प्रश्न 5. कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है और क्यों ?
उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का “बिजलीघर” कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका को उर्जा प्रदान करने का कार्य करता है। माइटोकॉन्ड्रिया में श्वसन प्रक्रिया के माध्यम से कार्बोहाइड्रेटों और वसा का ऑक्सीकरण होता है जिससे एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) उत्पन्न होता है। ATP कोशिका की ऊर्जा मुद्रा है जिसका उपयोग विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में किया जाता है जैसे प्रोटीन संश्लेषण, पदार्थों का परिवहन, गतिशीलता आदि। इस प्रकार माइटोकॉन्ड्रिया द्वारा उत्पन्न ऊर्जा कोशिका के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को संचालित करने में सहायक होती है।
प्रश्न 6. कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर: कोशिका झिल्ली के निर्माण में लिपिड और प्रोटीन दोनों सामग्रियों की आवश्यकता होती है। लिपिड का संश्लेषण चिकनी एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम द्वारा किया जाता है, जबकि प्रोटीनों का संश्लेषण खुरदरी एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम पर उपस्थित राइबोसोम द्वारा किया जाता है। इन दोनों सामग्रियों को गोल्जी निकाय संग्रहित और भेजता है जहां वे संयोजित होकर झिल्ली बनाते हैं।
प्रश्न 7. अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है ?
उत्तर: अमीबा एक एककोशिकीय जीव है। जब कोई भोज्य पदार्थ इसके निकट आता है तो यह अपनी प्लाज्मा झिल्ली का हिस्सा बाहर की ओर निकालकर उस पदार्थ को घेरने लगती है। धीरे-धीरे यह पूरे पदार्थ को अपने भीतर ले लेती है। इस प्रक्रिया को एंडोसाइटोसिस कहते हैं। पदार्थ को घेरने के बाद एक खाद्य रिक्तिका बन जाती है जिसमें लाइसोसोम द्वारा पाचन किया जाता है।
प्रश्न 8. परासरण क्या है?
उत्तर: परासरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विलयन के अणु उच्च सांद्रता वाले क्षेत्र से निम्न सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर स्वतः प्रवाहित होते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक दोनों क्षेत्रों की सांद्रता समान नहीं हो जाती। परासरण केवल जल अणुओं तक ही सीमित नहीं होता बल्कि अन्य विलेय पदार्थों के अणु भी इसी प्रकार गति करते हैं।
प्रश्न 9. निम्नलिखित परासरण प्रयोग करेंछिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो, तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घण्टे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दो
(i) B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया ? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर:
(i) ‘B’ और ‘C’ के खोखले भाग में जल इकट्ठा हुआ क्योंकि चीनी और नमक के घोल की उच्च सांद्रता के कारण बाहरी नीरस जल से परासरण द्वारा जल अंदर आया।
(ii) ‘A’ आलू नियंत्रित सेट के रूप में महत्वपूर्ण है ताकि केवल परासरण प्रक्रिया को देखा जा सके और अन्य कारकों से प्रभाव को अलग किया जा सके।
(iii) ‘A’ आलू में जल नहीं इकट्ठा हुआ क्योंकि यह खोखला था और इसमें कोई घोल नहीं था। ‘D’ आलू में भी जल नहीं इकट्ठा हुआ क्योंकि गर्म जल से आलू की प्लाज्मा झिल्ली नष्ट हो गई थी जो परासरण के लिए आवश्यक अर्द्धपारगम्य थी।
प्रश्न 10. कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताइए?
उत्तर: कायिक वृद्धि और मरम्मत के लिए समसूत्री विभाजन की आवश्यकता होती है। इस विभाजन में मातृ कोशिका से दो पूर्ण रूप से समान संतति कोशिकाएं बनती हैं जिनमें गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान होती है। यह जीवों के आकार में वृद्धि, घावों को भरने और विभिन्न अंगों के विकास में सहायक होता है। साथ ही, यह केंद्रक और कोशिकाद्रव्य के अनुपात को भी संतुलित बनाए रखता है।
प्रश्न 11. युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है ? इस विभाजन का महत्व बताइए।
उत्तर: युग्मकों के बनने के लिए अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। इस विभाजन में मातृ कोशिका की गुणसूत्र संख्या आधी हो जाती है। यह संख्या नर और मादा युग्मकों के मिलन से ही पुनः पूर्ण हो पाती है। इस प्रकार यह विभाजन नई पीढ़ी में विविधता लाता है और प्रजनन की प्रक्रिया को संभव बनाता है। साथ ही, गुणसूत्रों की संख्या भी स्थिर बनी रहती है।