Bihar Board Class 9 Science Chapter 11 Solutions – कार्य तथा ऊर्जा

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बिहार बोर्ड की कक्षा 9 विज्ञान की पुस्तक का ग्यारहवां अध्याय ‘कार्य तथा ऊर्जा’ हमें यह समझने में मदद करता है कि किसी वस्तु पर किया गया कार्य उसकी ऊर्जा को कैसे प्रभावित करता है। इस अध्याय में हम कार्य और ऊर्जा की अवधारणाओं पर विचार करेंगे। हम सीखेंगे कि जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वह गति करती है, तो कार्य होता है। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि कैसे यह कार्य वस्तु की गतिज और स्थितिज ऊर्जा को बढ़ाता या घटाता है।

Bihar Board Class 9 Science Chapter 11

Bihar Board Class 9 Science Chapter 11 Solutions

SubjectScience (विज्ञान)
Class8th
Chapter11. कार्य तथा ऊर्जा
BoardBihar Board

अध्ययन के बीच वाले प्रश्न :-

प्रश्न श्रृंखला # 01

प्रश्न 1. किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 m है (चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?

हल:
किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।
कार्य = बल x विस्थापन
W = F x S
यहाँ,
F = 7N
S = 8 m
अतः, किया गया कार्य W = 7 x 8 = 56 Nm = 56J

प्रश्न श्रृंखला # 02

प्रश्न 1. हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है ?

उत्तर:- जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वह वस्तु बल की दिशा में विस्थापित होती है, तभी हम कहते हैं कि कार्य किया गया है। इसके लिए दो शर्तें पूरी होनी चाहिए: 1) वस्तु पर बल लगना चाहिए, और 2) बल की दिशा में वस्तु विस्थापित होनी चाहिए। यदि इन दोनों शर्तों में से कोई एक भी पूरी नहीं होती, तो कार्य नहीं माना जाता है।

प्रश्न 2. जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किये गये कार्य का व्यंजक लिखिए।

उत्तर:-

जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल F उसके विस्थापन S की दिशा में होता है, तो किए गए कार्य W का व्यंजक निम्नानुसार होगा:
W = F × S cos θ
जहां θ बल और विस्थापन के बीच का कोण है।

जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल F उसे दूरी S तक विस्थापित करता है तो किया गया कार्य W, बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
किया गया कार्य = बल – विस्थापन
W = F x S

प्रश्न 3. 1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।

उत्तर:- 1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रियारेखा की दिशा में 1 m विस्थापित कर दे।

प्रश्न 4. बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लम्बा है। खेत की लम्बाई को जोतने में कितना कार्य किया गया ?

हल:
बैलों द्वारा किया गया कार्य
w = F xd
जहाँ लगाया गया बल F = 140 N
विस्थापन, d = 15 m
⇒W = 140 x 15 = 2100J
अतः खेत की लम्बाई को जोतने में किया गया कार्य 2100J

प्रश्न श्रृंखला # 03

प्रश्न 1. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है ?

उत्तर:- किसी गतिशील वस्तु में उसके गतिमान होने के कारण विद्यमान ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। यह ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान और वेग दोनों पर निर्भर करती है। जितना अधिक वेग होगा, उतनी ही अधिक गतिज ऊर्जा होगी। गतिशील वाहन, लुढ़कता हुआ गेंद, उड़ता हुआ पक्षी आदि में गतिज ऊर्जा होती है।

प्रश्न 2. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।

उत्तर:- किसी वस्तु जिसका द्रव्यमान m है और वेग v है, उसकी गतिज ऊर्जा (E_k) का व्यंजक निम्न प्रकार से लिखा जाता है:-

E_k = (1/2) mv^2
जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान और v उसका वेग है। गतिज ऊर्जा का SI मात्रक जूल (J) है।

प्रश्न 3. 5 ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दो गुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ?

प्रश्न श्रृंखला # 04

प्रश्न 1. शक्ति क्या है ?

उत्तर:- शक्ति किसी कार्य को करने की दर या ऊर्जा के उपयोग की दर को दर्शाती है। यह समय के साथ कार्य करने या ऊर्जा खपत की गति को मापती है। शक्ति का मात्रक वाट (W) है और इसका व्यंजक निम्नानुसार है:

शक्ति = कार्य/समय या P = W/t
जहां P शक्ति, W किया गया कार्य और t समय है।

प्रश्न 2. 1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।

उत्तर:- 1 वाट शक्ति की वह इकाई है जिसमें 1 सेकंड का समय लेकर 1 जूल कार्य किया जाता है। अर्थात्, जब किसी कार्य में ऊर्जा की दर 1 जूल/सेकंड होती है, तो इसकी शक्ति 1 वाट होती है।

प्रश्न 3. एक लैम्प 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 s में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है ?

हल:
शक्ति = कार्य / समय।
लैम्प द्वारा ली गई ऊर्जा = 1000 J
समय = 10s
शक्ति = 1000 / 10 = 100w

प्रश्न 4. औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।

उत्तर:- औसत शक्ति किसी क्रिया में लगे समय के दौरान उपयोग की गई कुल ऊर्जा को उस समय से विभाजित करके प्राप्त की जाती है। इसका व्यंजक निम्न प्रकार है:-

औसत शक्ति = कुल कार्य / कुल समय
= कुल ऊर्जा / कुल समय

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।

  1. सूमा एक तालाब में तैर रही है।
  2. एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
  3. एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
  4. एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
  5. एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
  6. अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
  7. एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।

उत्तर:- कार्य तभी किया जाता है जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वह बल की दिशा या विपरीत दिशा में विस्थापित होती है। इस आधार पर, उपरोक्त क्रियाकलापों में कार्य किए जाने की स्थितियां निम्नानुसार हैं:-

  1. सूमा तालाब में तैरते समय पानी पर बल लगाती है और पानी भी उस पर प्रतिक्रिया बल लगाता है, जिससे वह आगे बढ़ती है। यहां बल और विस्थापन दोनों होते हैं, इसलिए सूमा द्वारा कार्य किया जाता है।
  2. गधा बोझा उठाए रखने के लिए ऊपर की ओर बल लगाता है, लेकिन बोझे का विस्थापन नहीं होता है। इसलिए गधे द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता है।
  3. पवन चक्की गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध पानी को ऊपर खींचती है, जिससे पानी का विस्थापन होता है। इसलिए पवन चक्की द्वारा कार्य किया जाता है।
  4. हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण के दौरान पत्तियों का कोई विस्थापन नहीं होता है, इसलिए कोई कार्य नहीं किया जाता है।
  5. इंजन ट्रेन पर बल लगाता है और ट्रेन बल की दिशा में विस्थापित होती है, इसलिए इंजन द्वारा कार्य किया जाता है।
  6. अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूखते समय उनका विस्थापन नहीं होता है, इसलिए कोई कार्य नहीं किया जाता है।
  7. पवन ऊर्जा पाल-नाव पर बल लगाती है और नाव बल की दिशा में विस्थापित होती है, इसलिए पवन द्वारा नाव पर कार्य किया जाता है।

प्रश्न 2. एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एकही क्षैतिज रेखा पर स्थित है। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?

उत्तर:- जब किसी पिण्ड को वक्र पथ पर प्रक्षेपित किया जाता है और यह वापस अपनी प्रारंभिक ऊंचाई पर लौट आता है, तो गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। इसका कारण है कि पिण्ड की अंतिम ऊंचाई उसकी प्रारंभिक ऊंचाई के बराबर होती है। गुरुत्वीय बल द्वारा किए गए कार्य की गणना ऊर्ध्वाधर विस्थापन के आधार पर की जाती है। यदि प्रारंभिक और अंतिम ऊंचाई समान हैं, तो ऊर्ध्वाधर विस्थापन शून्य होगा। इसलिए, गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य भी शून्य होगा।

प्रश्न 3. एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:- जब एक बल्ब बैटरी से जुड़ा होता है, तो बैटरी में उपस्थित रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है। यह विद्युत ऊर्जा बल्ब के तंतु को गर्म करती है, जिससे तंतु से प्रकाश और ऊष्मा ऊर्जा उत्सर्जित होती है। इस प्रकार, इस प्रक्रिया में ऊर्जा निम्नलिखित रूप से परिवर्तित होती है: रासायनिक ऊर्जा (बैटरी) → विद्युत ऊर्जा → प्रकाश ऊर्जा और ऊष्मा ऊर्जा (बल्ब)।

प्रश्न 4. 20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।

उत्तर:-

प्रश्न 5. 10 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:- यहाँ शून्य कार्य हुआ क्योंकि गुरुत्वीय बल व विस्थापन एक-दूसरे के क्षैतिज (perpendicular) हैं।

प्रश्न 6. मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है ? कारण बताइए।

उत्तर:- नहीं, मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा में कमी ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं करती। जब कोई पिण्ड गिरता है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। अर्थात्, स्थितिज ऊर्जा में कमी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होती है। इस प्रकार, कुल ऊर्जा (स्थितिज + गतिज) संरक्षित रहती है। इसलिए, यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं करता है।

प्रश्न 7. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं ?

उत्तर:- जब हम साइकिल चलाते हैं, तो निम्नलिखित ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं:-

  1. हमारी पेशियों की रासायनिक ऊर्जा मेकेनिकल कार्य में परिवर्तित होती है।
  2. यह मेकेनिकल कार्य साइकिल की गतिज ऊर्जा और घर्षण के कारण ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित होता है।
  3. इस प्रकार, पेशीय ऊर्जा गतिज ऊर्जा और ऊष्मा ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।

प्रश्न 8. जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती

उत्तर:- जब हम किसी बड़ी चट्टान को धकेलते हैं और वह नहीं हिलती, तो भी ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है। हमारी पेशीय ऊर्जा धक्का देने के दौरान कार्य में बदल जाती है। लेकिन चूंकि चट्टान नहीं हिलती, इसलिए यह कार्य ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार, हमारी व्यय की गई ऊर्जा ऊष्मा के रूप में निकल जाती है, जिससे हमारा शरीर थोड़ा गर्म हो जाता है।

प्रश्न 9. किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी ?

हल:
1 यूनिट ऊर्जा = 1 किलोवाट घण्टा (kWh)
1 kWh = 3.6 x 106 J
अतः, 250 यूनिट ऊर्जा = 250 x 3.6 x 106
= 9.0 x 108J

प्रश्न 10. 40 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है ? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g= 10 ms-2)

हल:
स्थितिज ऊर्जा को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है –
W = mgh
h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 5 m
m = वस्तु का द्रव्यमान = 40 kg
g = गुरुत्वीय त्वरण = 10 m/s-2
W = 40 x 5 x 10 = 2000 J
जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर होगा तब उसकी स्थितिज ऊर्जा = 2000 / 2 = 1000 J, इस बिन्दु पर उसकी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा के बराबर होगी। यह ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार है। अत: ठीक आधे रास्ते पर उसकी गतिज ऊर्जा 1000J होगी।

प्रश्न 11. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।

उत्तर:- पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए उपग्रह पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। इसका कारण यह है कि उपग्रह का विस्थापन गुरुत्वीय बल के लंबवत होता है, न कि समानांतर। कार्य का मान बल और विस्थापन के बीच के कोणीय अंतर पर निर्भर करता है। जब विस्थापन बल के लंबवत होता है, तो कोणीय अंतर 90 डिग्री होता है और कार्य शून्य होता है। इस प्रकार, उपग्रह की पृथ्वी के चारों ओर की परिक्रमा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।

प्रश्न 12. क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है ? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।

उत्तर:- हां, किसी पिण्ड पर लगने वाले बल की अनुपस्थिति में भी उसका विस्थापन हो सकता है। यदि कोई पिण्ड किसी निश्चित वेग से गतिशील है, तो उस पर लगने वाला नेट बल शून्य होगा, लेकिन फिर भी वह अपनी गति की दिशा में विस्थापन करता रहेगा। इसलिए, बल की अनुपस्थिति में भी विस्थापन संभव है, बशर्ते कि पिण्ड पहले से ही गतिशील हो।

प्रश्न 13. कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।

उत्तर:- जब कोई मनुष्य भूसे के गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है, तो वह कार्य नहीं करता है। कार्य करने के लिए दो शर्तें होनी चाहिए: (1) वस्तु पर बल लगना चाहिए, और (2) वस्तु का विस्थापन होना चाहिए, बल की दिशा में या उसके विपरीत दिशा में। यहां, मनुष्य गट्ठर पर कोई बल नहीं लगा रहा है बल्कि केवल गुरुत्वीय बल लग रहा है। साथ ही, गट्ठर का कोई विस्थापन नहीं हो रहा है। इसलिए, उपरोक्त शर्तें पूरी नहीं होती हैं, और मनुष्य द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।

प्रश्न 14. एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा ?

हल:
विद्युत हीटर द्वारा उपयोग की गई ऊर्जा को निम्न व्यंजक द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
P = W/T
हीटर की घोषित शक्ति, P = 1500 W = 1.5kw
हीटर के उपयोग का समय, T = 10 h
किया गया कार्य = उपयोग की गई ऊर्जा
उपयोग की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 1.5 x 10 = 15 kWh
अतः हीटर 15 kWh ऊर्जा 10 घण्टे में उपयोग करेगा।

प्रश्न 15 जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समयपश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है ? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है ? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?

उत्तर:- जब सरल लोलक के गोलक को एक ओर खींचकर छोड़ा जाता है, तो वह दोलन करने लगता है। इस दौरान, गोलक की स्थितिज और गतिज ऊर्जा परस्पर रूपांतरित होती रहती हैं। जब गोलक अधिकतम विचलन बिंदु पर पहुंचता है, तो उसकी समस्त ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के रूप में होती है। जैसे ही वह इस बिंदु से गुजरता है, स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होने लगती है। यह क्रम दोलन के दौरान बार-बार दोहराया जाता है।

ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार, ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है, बल्कि केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकती है। इस प्रक्रिया में, गोलक की कुल ऊर्जा (स्थितिज + गतिज) संरक्षित रहती है।
कुछ समय बाद, गोलक का दोलन धीरे-धीरे कम होता जाता है और अंततः वह विराम अवस्था में आ जाता है। यह वायु के प्रतिरोध और घर्षण के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गोलक की गतिज ऊर्जा धीरे-धीरे ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित होती जाती है। अंत में, गोलक की समस्त गतिज ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा में बदल जाती है, और वह विराम अवस्था में आ जाता है।
यह प्रक्रिया ऊर्जा संरक्षण के नियम का उल्लंघन नहीं करती है, क्योंकि गोलक की ऊर्जा वातावरण में ऊष्मा ऊर्जा के रूप में स्थानांतरित हो जाती है। इस प्रकार, गोलक और वातावरण की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।

प्रश्न 16. m द्रव्यमान का एक पिण्ड नियत वेग । से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि वह विराम अवस्था में आ जाए ?

उत्तर:-

m द्रव्यमान का एक पिण्ड जो एक नियत वेग v से गतिशील है, उसकी गतिज ऊर्जा होगी
Ek = 1/2mv2
पिण्ड को विराम अवस्था में लाने के लिए उस पर 1 / 2 mv2 जितना कार्य करना होगा

प्रश्न 17. 1500 kg द्रव्यमान की कार को, जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।

प्रश्न 18. निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।

उत्तर:-

I दशा – इस दशा में बल की दिशा पिण्ड के विस्थापन के लम्बवत् (perpendicular) है। अत: पिंड पर बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
II दशा – इस दशा में, बल विस्थापन की दिशा में लग रहा है। अत: बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य धनात्मक होगा।
III दशा – इस दशा में बल विस्थापन की विपरीत दिशा में लग रहा है। अतः पिण्ड पर किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।

प्रश्न 19. सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं ? बताइए, क्यों ?

उत्तर:- हाँ, सोनी का कथन सही है। किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है, भले ही उस पर एक या अधिक बल कार्यरत हों। यह तब संभव है जब वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का योग, अर्थात् नेट बल शून्य होता है।

न्यूटन के द्वितीय नियम के अनुसार, किसी वस्तु पर लगने वाला नेट बल ही उसके त्वरण को निर्धारित करता है। यदि वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का योगफल शून्य होता है, तो नेट बल शून्य होगा और वस्तु का त्वरण भी शून्य होगा।
उदाहरण के लिए, जब किसी वस्तु को समतल सतह पर सरलता से धकेला जाता है, तो उस पर दो बल कार्यरत होते हैं – आगे की ओर लगने वाला बल और घर्षण बल जो पीछे की ओर लगता है। यदि ये दोनों बल बराबर हैं, तो उनका योगफल शून्य होगा और वस्तु एकसमान गति से आगे बढ़ेगी, अर्थात् शून्य त्वरण के साथ गतिशील रहेगी।
इस प्रकार, यह संभव है कि किसी वस्तु पर कई बल कार्यरत हों, लेकिन उनका नेट बल शून्य हो और वस्तु का त्वरण भी शून्य हो।

प्रश्न 20. चार युक्तियाँ जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500W है, 10 घण्टे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।

हल:
किसी युक्ति द्वारा व्यय की ऊर्जा शक्ति के सूत्र से ज्ञात की जा सकती है।
P = W/T
जहाँ शक्ति, P = 500 W = 0.50 kW
समय, T = 10 h
किया गया कार्य = व्यय की गई ऊर्जा
अत: व्यय की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 0.50 x 10 = 5 kWh
अतः चार समान शक्ति वाली युक्तियों द्वारा व्यय की गई ऊर्जा
= 5 x 4 = 20 kWh = 20 यूनिट

प्रश्न 21. मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है ?

उत्तर:- जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से गिरता है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती जाती है। इस प्रक्रिया में, जैसे-जैसे पिण्ड धरती की ओर गिरता है, उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है और स्थितिज ऊर्जा घटती जाती है। जब पिण्ड धरती से टकराता है, तो उसकी समस्त गतिज ऊर्जा ऊष्मा और ध्वनि ऊर्जा के रूप में बिखर जाती है।

इस प्रकार, पिण्ड की गतिज ऊर्जा अंततः ऊष्मा और ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है, जिससे वह धरती पर रुक जाता है। यदि पिण्ड की गतिज ऊर्जा काफी अधिक है, तो यह धरती के तल को क्षति भी पहुंचा सकता है।

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