Bihar Board Class 7 History Chapter 8 Solutions from the new book are available here. Get written question answer of chapter 8 – अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन for free. This follows the new syllabus and book – हमारे अतीत-2 (Hamare Atit).
यह अध्याय मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद भारत में उभरी नई राजनीतिक शक्तियों की कहानी बताता है। आप अवध, हैदराबाद और बंगाल जैसे स्वतंत्र नवाबी राज्यों, साथ ही मराठा, सिख और राजपूत जैसे क्षेत्रीय शक्तियों के उभार को जानेंगे। यह अध्याय मराठा प्रशासन की संरचना और यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों, विशेष रूप से अंग्रेज़ों, के बढ़ते हस्तक्षेप को भी समझाएगा।

Bihar Board Class 7 History Chapter 8 Solutions
Contents
| Subject | History (हमारे अतीत-2) |
| Class | 7 |
| Chapter | 8. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन |
| Board | Bihar Board |
अध्याय के बिच से
1. अध्याय 4 में तालिका 1 देखें। औरंगज़ेब के शासनकाल में किन-किन लोगों ने मुग़ल सत्ता को सबसे लंबे समय तक चुनौती दी।
उत्तर: औरंगज़ेब के समय में मराठों, सिक्खों और जाटों ने मुग़ल सत्ता को सबसे ज्यादा चुनौती दी। मराठों ने शिवाजी के नेतृत्व में दक्कन में मुग़लों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। सिक्खों ने गुरु गोबिंद सिंह के मार्गदर्शन में अपनी ताकत बढ़ाई और मुग़लों के खिलाफ विद्रोह किया। जाटों ने भी अपने क्षेत्रों में मुग़ल शासन को कमजोर करने की कोशिश की। इन विद्रोहों ने मुग़ल साम्राज्य को कमजोर कर दिया और उनके संसाधनों को बहुत नुकसान पहुँचाया।
2. खालसा से क्या अभिप्राय है? क्या आपको याद है कि इसके बारे में आपने अध्याय 6 में पढ़ा है?
उत्तर: खालसा का मतलब है सिक्खों का वह समूह जो गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बनाया था। यह सिक्ख समुदाय का एक संगठित और मजबूत रूप था, जो न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक ताकत भी बन गया। खालसा के सिक्खों को विशेष नियमों का पालन करना होता था, जैसे पाँच ककार (केश, कड़ा, कृपाण, कंघा, कच्छा) धारण करना। अध्याय 6 में हमने पढ़ा कि गुरु नानक जी के विचारों ने सिक्ख आंदोलन को मजबूत किया, और बाद में खालसा ने सिक्खों को एकजुट करके मुग़लों के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कल्पना करें
कल्पना करें आप अठारहवीं शताब्दी के एक राज्य के शासक हैं। अब यह बताएँ कि आप अपने प्रांत में अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए क्या-क्या कदम उठाना चाहेंगे और ऐसा करते समय आपके सामने क्या-क्या विरोध अथवा समस्याएँ खड़ी की जा सकती हैं।
उत्तर: अगर मैं अठारहवीं शताब्दी का एक शासक होता, तो अपने प्रांत को मजबूत करने के लिए ये कदम उठाता:
- सेना को मजबूत करना: मैं एक मजबूत और वफादार सेना बनाता ताकि अपने प्रांत की रक्षा कर सकूँ और पड़ोसी राज्यों से खतरे को कम कर सकूँ।
- किसानों और व्यापारियों का सहयोग: मैं किसानों को कम कर देता और व्यापारियों को सुरक्षा देता ताकि प्रांत में पैसा और समृद्धि बढ़े।
- स्थानीय नेताओं से गठबंधन: मैं स्थानीय जमींदारों और नेताओं को अपने साथ जोड़ता ताकि वे मेरे खिलाफ विद्रोह न करें।
- सड़कें और किले बनाना: मैं अपने प्रांत में सड़कें और मजबूत किले बनवाता ताकि व्यापार आसान हो और दुश्मनों से रक्षा हो सके।
लेकिन इन कदमों में कुछ समस्याएँ भी आ सकती थीं:
- स्थानीय नेताओं का विरोध: कुछ जमींदार या नेता मेरे खिलाफ हो सकते थे क्योंकि वे अपनी ताकत कम नहीं करना चाहते।
- पैसे की कमी: सेना और किले बनाने में बहुत खर्च होता, जिसके लिए मुझे ज्यादा कर वसूलना पड़ता। इससे लोग नाराज हो सकते थे।
- पड़ोसी राज्यों का खतरा: अगर मैं अपने प्रांत को मजबूत करता, तो पड़ोसी शासक मुझसे जलन या डर के कारण हमला कर सकते थे।
- मुग़ल सत्ता का दबाव: मुग़ल बादशाह मेरे प्रांत पर कब्जा करने की कोशिश कर सकते थे।
फिर से याद करें
1. बताएँ सही या गलतः
(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
उत्तर: गलत। नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया था।
(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।
उत्तर: गलत। सवाई राजा जयसिंह जयपुर के शासक थे।
(ग) गुरु गोबिद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे।
उत्तर: सही।
(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।
उत्तर: सही।
आइए विचार करें
2. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों ने खुद को बहुत अच्छे से संगठित किया। पहले वे छोटे-छोटे समूहों, जिन्हें ‘जत्थे’ कहा जाता था, में बँटे थे। बाद में ये जत्थे बड़े समूहों में बदल गए, जिन्हें ‘मिस्ल’ कहा गया। सभी मिस्लों की संयुक्त सेना को ‘दल खालसा’ कहा जाता था। दल खालसा बैसाखी और दीवाली जैसे त्योहारों पर अमृतसर में इकट्ठा होता था। वहाँ वे मिलकर बड़े फैसले लेते थे, जिन्हें ‘गुरमत्ता’ कहा जाता था।
सिक्खों ने ‘राखी’ व्यवस्था भी शुरू की, जिसमें वे किसानों से उनकी फसल का 20% हिस्सा लेकर उनकी रक्षा करते थे। अठारहवीं शताब्दी के अंत तक सिक्खों का इलाका सिंधु से यमुना नदी तक फैल गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने सभी सिक्ख समूहों को एकजुट करके 1799 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
3. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?
उत्तर: मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार करना चाहते थे क्योंकि:
- वे मुग़ल सत्ता को कमजोर करना चाहते थे।
- उन्हें अपनी सेना को मजबूत करने के लिए ज्यादा धन और संसाधन चाहिए थे।
- वे व्यापार और खेती वाले बड़े इलाकों पर कब्जा करना चाहते थे।
- उत्तरी भारत के उपजाऊ मैदानों को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे ताकि उनकी ताकत और अमीरी बढ़े।
4. क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसाकि वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे?
उत्तर: नहीं, आज महाजन और बैंकर वैसा प्रभाव नहीं रखते जैसा वे अठारहवीं शताब्दी में रखते थे। उस समय महाजन और साहूकार बहुत ताकतवर थे। वे शासकों और जमींदारों को पैसा उधार देते थे और बदले में जमीन या दूसरी चीजें अपने पास रख लेते थे। वे लगान वसूल करने में भी मदद करते थे और राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते थे। लेकिन आज बैंक और वित्तीय संस्थाएँ सरकार के नियमों के तहत काम करती हैं। ऋण देने की प्रक्रिया में कई कानून और नियम हैं। इस वजह से बैंकर और महाजन अब उतने ताकतवर नहीं हैं जितने पहले थे।
5. क्या अध्याय में उल्लिखित कोई भी राज्य आपके अपने प्रांत में विकसित हुए थे? यदि हाँ, तो आपके विचार से अठारहवीं शताब्दी का जनजीवन आगे इक्कीसवीं शताब्दी के जनजीवन से किस रूप में भिन्न था?
उत्तर: अगर आप बिहार में रहते हैं, तो अध्याय में बताया गया अवध का राज्य बिहार के कुछ हिस्सों में था। अवध के नवाबों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाया था।
अठारहवीं शताब्दी का जनजीवन इक्कीसवीं शताब्दी से बहुत अलग था:
- तकनीक: उस समय बिजली, टेलीफोन, इंटरनेट या मशीनें नहीं थीं। लोग घोड़े, बैलगाड़ी या पैदल यात्रा करते थे। आज हमारे पास कार, ट्रेन और हवाई जहाज हैं।
- शिक्षा: उस समय बहुत कम लोग पढ़े-लिखे थे। स्कूल और कॉलेज कम थे। आज शिक्षा सबके लिए उपलब्ध है।
- जीवनशैली: लोग गाँवों में रहते थे और खेती करते थे। आज शहरों में लोग नौकरी और व्यापार करते हैं।
- स्वास्थ्य: उस समय बीमारियों का इलाज मुश्किल था। आज अस्पताल और आधुनिक दवाएँ उपलब्ध हैं।
आइए करके देखें
6. राजपूतों, जाटों, सिक्खों अथवा मराठों में से किसी एक समूह के शासकों के बारे में कुछ और कहानियों का पता लगाएँ।
उत्तर: राजपूत शासक महाराणा प्रताप की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। वे मेवाड़ के वीर राजा थे, जिन्होंने मुग़ल बादशाह अकबर की विशाल सेना के खिलाफ हल्दीघाटी के युद्ध (1576) में लड़ाई लड़ी। उनके पास कम सैनिक थे, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। उनके घोड़े चेतक ने युद्ध में उनकी बहुत मदद की। चेतक ने महाराणा को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। एक बार राणा कुंभा, जो महाराणा प्रताप के पूर्वज थे, ने मालवा के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का सामना किया। राणा कुंभा ने अपनी सेना के साथ मांडू पर हमला करके सुल्तान को हराया। महाराणा प्रताप की वीरता और स्वतंत्रता के लिए उनकी लड़ाई आज भी लोगों को प्रेरित करती है।