Bihar Board Class 7 History Chapter 6 Solutions from the new book are available here. Get written question answer of chapter 6 – ईश्वर से अनुराग for free. This follows the new syllabus and book – हमारे अतीत-2 (Hamare Atit).
यह अध्याय भक्ति और सूफी आंदोलनों के माध्यम से ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत अनुराग की भावना को दर्शाता है। आप भक्त संतों जैसे कबीर, मीराबाई, गुरु नानक और दक्षिण भारत के आलवार-नायनार संतों की शिक्षाओं को जानेंगे। साथ ही, चिश्ती और सुहरावर्दी जैसे सूफी सिलसिलों के प्रभाव को समझेंगे। यह अध्याय आपको बताएगा कि कैसे इन आंदोलनों ने सामाजिक समानता, जातिवाद विरोध और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, जिसने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला।

Bihar Board Class 7 History Chapter 6 Solutions
Contents
| Subject | History (हमारे अतीत-2) |
| Class | 7 |
| Chapter | 6. ईश्वर से अनुराग |
| Board | Bihar Board |
अध्याय के बिच से
1. आज भी आप स्थानीय मिथक तथा किस्से-कहानियों की इस प्रक्रिया को व्यापक स्वीकृति पाते हुए देख सकते हैं। क्या आप अपने आस-पास कुछ ऐसे उदाहरण ढूँढ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, हमारे आस-पास कई मिथक और कहानियाँ प्रचलित हैं। जैसे, जैन धर्म में अंजना कुमारी और मैना सुंदरी की कहानियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं। इन कहानियों में बताया जाता है कि कैसे उन्होंने ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति करके मोक्ष प्राप्त किया। इसके अलावा, गाँवों में लोग हनुमान जी या स्थानीय देवी-देवताओं की कहानियाँ सुनाते हैं, जो भक्ति और अच्छे कर्मों का संदेश देती हैं।
2. शंकर या रामानुज के विचारों के बारे में कुछ और पता लगाने का प्रयत्न करें।
उत्तर: शंकर और रामानुज दोनों महान दार्शनिक थे। शंकर ने अद्वैतवाद का विचार दिया, जिसका मतलब है कि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं। उनके अनुसार, दुनिया एक माया (भ्रम) है और सच्चाई केवल ईश्वर में है। वे शिव के भक्त थे और उन्होंने कई मंदिरों की स्थापना में मदद की।
रामानुज ने विष्णु भक्ति पर जोर दिया। वे अलवार संतों से प्रभावित थे, जो विष्णु के प्रति अपनी भक्ति को गीतों और भजनों के माध्यम से व्यक्त करते थे। रामानुज का मानना था कि भक्ति के रास्ते से हर कोई ईश्वर तक पहुँच सकता है, चाहे वह किसी भी जाति का हो।
फिर से याद करें
1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ:
उत्तर:
| बुद्ध | सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए |
| शंकरदेव | नामघर |
| निज़ामुद्दीन औलिया | सूफ़ी संत |
| नयनार | शिव की पूजा |
| अलवार | विष्णु की पूजा |
2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें:
(क) शंकर __________ के समर्थक थे।
उत्तर: शंकर अद्वैतवाद के समर्थक थे।
(ख) रामानुज __________ के द्वारा प्रभावित हुए थे।
उत्तर: रामानुज विष्णुभक्त अलवार संतों के द्वारा प्रभावित हुए थे।
(ग) __________, __________ और __________ वीरशैव मत के समर्थक थे।
उत्तर: बसवन्ना, अल्लामा प्रभु और अक्कमहादेवी वीरशैव मत के समर्थक थे।
(घ) __________ महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
उत्तर: पंढरपुर महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
3. नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन करें।
उत्तर: नाथपंथी, सिद्ध और योगी साधारण जीवन जीने वाले संत थे। उनके कुछ मुख्य विश्वास और व्यवहार इस प्रकार थे:
(i) वे धार्मिक रस्मों और सामाजिक नियमों के खिलाफ थे। उनका मानना था कि ये नियम लोगों को बाँटते हैं।
(ii) उन्होंने दुनिया की सुख-सुविधाओं को छोड़कर सादा जीवन जीने की सलाह दी।
(iii) उनका कहना था कि ईश्वर को पाने का रास्ता ध्यान और सच्ची भक्ति से जाता है।
(iv) उनकी बातों ने भक्ति आंदोलन को मजबूत किया, जो बाद में उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हुआ।
4. कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया?
उत्तर: कबीर एक महान संत-कवि थे। उनके प्रमुख विचार थे:
(i) वे हिंदू और इस्लाम दोनों धर्मों के दिखावटी रीति-रिवाजों के खिलाफ थे। उनका मानना था कि सच्ची भक्ति दिल से होनी चाहिए, न कि बाहरी कर्मकांडों से।
(ii) वे सभी लोगों को बराबर मानते थे और जाति-पाति के भेद को गलत ठहराते थे।
(iii) उनका कहना था कि ईश्वर एक है, चाहे उसे राम कहो या अल्लाह।
कबीर ने अपनी बातें साखियों और पदों के माध्यम से कही। ये साधारण हिंदी में लिखे गए थे, ताकि आम लोग आसानी से समझ सकें। उनकी रचनाएँ गुरु ग्रंथ साहब, पंचवाणी और बीजक में मिलती हैं। कभी-कभी वे रहस्यमयी भाषा का भी इस्तेमाल करते थे, जो गहरा अर्थ रखती थी।
आइए समझें
5. सूफ़ियों के प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे?
उत्तर: सूफ़ी संत मुस्लिम रहस्यवादी थे, जो सच्ची भक्ति और प्रेम के रास्ते पर चलते थे। उनके प्रमुख आचार-व्यवहार थे:
(i) वे अल्लाह के प्रति सच्चा प्रेम और भक्ति रखते थे। उनका मानना था कि ईश्वर को पाने के लिए दिल का साफ होना जरूरी है।
(ii) वे धार्मिक दिखावे और जटिल रस्मों को नहीं मानते थे। इसके बजाय, वे साधारण जीवन और ध्यान पर जोर देते थे।
(iii) वे सभी मानवों से प्रेम और दया का व्यवहार करते थे, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों।
(iv) सूफ़ी संत अक्सर गीत, नृत्य और कविताओं के जरिए अपनी भक्ति व्यक्त करते थे। उनकी सभाएँ (जैसे कव्वाली) लोगों को ईश्वर के करीब लाती थीं।
6. आपके विचार से बहुत-से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया?
उत्तर: बहुत से गुरुओं ने उस समय के धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं को इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि:
(i) ये प्रथाएँ पुरानी और रूढ़िगत हो गई थीं। लोग बिना सोचे-समझे इनका पालन करते थे।
(ii) धार्मिक कर्मकांडों में कई गलत चीजें, जैसे बलि और अंधविश्वास, शामिल हो गए थे।
(iii) समाज में जाति और लिंग के आधार पर बहुत भेदभाव था। गरीब और निचली जातियों को सम्मान नहीं मिलता था।
(iv) जटिल धार्मिक नियमों और कर्मकांडों ने लोगों को भ्रम में डाल दिया था। गुरुओं ने साधारण और सच्ची भक्ति का रास्ता दिखाया।
7. बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं?
उत्तर: बाबा गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे। उनकी प्रमुख शिक्षाएँ थीं:
(i) एक ईश्वर की उपासना करो। वे कहते थे कि ईश्वर एक है और वह सब जगह मौजूद है।
(ii) जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव न करो। सभी लोग बराबर हैं।
(iii) मेहनत करो, दूसरों की मदद करो और ईश्वर का नाम जपो। इसे वे नाम-जपना, कीर्तन करना और वंड-छकना कहते थे।
(iv) धार्मिक कर्मकांडों और रूढ़ियों का विरोध करो। सच्चा धर्म सादगी और सच्चाई में है।
आइए विचार करें
8. जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें।
उत्तर: वीरशैवों का दृष्टिकोण: वीरशैव संत, जैसे बसवन्ना, जाति व्यवस्था के खिलाफ थे। उनका मानना था कि सभी लोग ईश्वर के सामने बराबर हैं। उन्होंने ब्राह्मणों के नियमों और मूर्तिपूजा का विरोध किया। वे कहते थे कि भक्ति और अच्छे कर्म ही महत्वपूर्ण हैं, न कि जाति।
महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण: महाराष्ट्र में ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम और सखूबाई जैसे संतों ने भक्ति का संदेश दिया। वे पंढरपुर के विठ्ठल (विष्णु) की पूजा करते थे। इन संतों ने जाति भेद को गलत बताया। उदाहरण के लिए, चोखामेळा, जो ‘अस्पृश्य’ महार जाति से थे, उनके भजन आज भी गाए जाते हैं। इन संतों ने मराठी में साधारण भाषा में भक्ति गीत लिखे, जो सभी लोगों के लिए थे।
9. आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर: मीराबाई की याद को जनसाधारण ने इन कारणों से सुरक्षित रखा:
(i) मीरा ने अपने भक्ति भरे गीतों से समाज की रूढ़ियों और ऊँची-नीची जातियों के नियमों को चुनौती दी।
(ii) वे राजपूत राजकुमारी थीं, फिर भी उन्होंने साधारण जीवन चुना और भगवान कृष्ण की भक्ति में डूब गईं।
(iii) उन्होंने रविदास जैसे संतों का सम्मान किया, जो निचली जाति से थे। इससे लोगों को समानता का संदेश मिला।
(iv) उनके गीत साधारण और भावपूर्ण थे, जो लोगों के दिलों को छूते थे। आज भी उनके भजन गाए जाते हैं।
आइए करके देखें
10. पता लगाएँ कि क्या आपके आस-पास भक्ति परंपरा के संतों से जुड़ी हुई कोई दरगाह, गुरुद्वारा या मंदिर है। इनमें से किसी एक को देखने जाइए और बताइए कि वहाँ आपने क्या देखा और सुना।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
11. इस अध्याय में अनेक संत कवियों की रचनाओं के उद्धरण दिए गए हैं। उनकी कृतियों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें और उनकी उन कविताओं को नोट करें, जो यहाँ नहीं दी गई हैं। पता लगाएँ कि क्या ये गाई जाती हैं। यदि हाँ, तो कैसे गाई जाती हैं और कवियों ने इनमें किन विषयों पर लिखा था।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
12. इस अध्याय में अनेक संत-कवियों के नामों का उल्लेख किया गया है, परंतु कुछ की रचनाओं को इस अध्याय में शामिल नहीं किया गया है। उस भाषा के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें, जिसमें ऐसे कवियों ने अपनी कृतियों की रचना की। क्या उनकी रचनाएँ गाई जाती थीं? उनकी रचनाओं का विषय क्या था?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।