Bihar Board Class 7 History Chapter 5 Solutions – जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय (new book)

Bihar Board Class 7 History Chapter 5 Solutions from the new book are available here. Get written question answer of chapter 5 – जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय for free. This follows the new syllabus and book – हमारे अतीत-2 (Hamare Atit).

यह अध्याय आपको उन जनजातीय और खानाबदोश समुदायों की जीवनशैली से परिचित कराएगा, जो मध्यकालीन भारत के सामंतवादी समाज से अलग थे। आप भील, गोंड, संथाल और नागा जैसी जनजातियों की सामाजिक संरचना, आर्थिक गतिविधियों और उनके द्वारा स्थापित राज्यों के बारे में जानेंगे। यह अध्याय यह भी बताएगा कि कैसे इन समुदायों का मुग़लों और अन्य शासकों के साथ सहयोग या टकराव हुआ और समय के साथ वे स्थायी समाज का हिस्सा बने।

Bihar Board Class 7 History Chapter 5 Solutions new book

Bihar Board Class 7 History Chapter 5 Solutions

SubjectHistory (हमारे अतीत-2)
Class7
Chapter5. जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
BoardBihar Board

कल्पना करें

प्रश्न. आप एक ऐसे खानाबदोश समुदाय के सदस्य हैं, जो हर तीन महीने बाद अपना निवासस्थान बदलता है। इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

उत्तर: खानाबदोश जीवन का मतलब है हर तीन महीने में एक जगह से दूसरी जगह जाना। इससे मेरा जीवन बहुत अलग होगा। मुझे बार-बार अपना घर, सामान और पशुओं को लेकर नई जगह जाना होगा। नई जगह पर नए लोग, नया मौसम और नई मुश्किलें हो सकती हैं। स्कूल जाना मुश्किल होगा क्योंकि हर बार नया स्कूल ढूंढना पड़ेगा। दोस्त बनाना भी आसान नहीं होगा, क्योंकि जल्दी ही फिर से कहीं और जाना होगा। लेकिन मुझे नई-नई जगहें देखने को मिलेंगी, अलग-अलग संस्कृतियाँ और प्रकृति के बारे में सीखने का मौका मिलेगा। पशुओं की देखभाल और उनके साथ चलना मेरे जीवन का हिस्सा होगा। यह जीवन रोमांचक लेकिन थोड़ा मुश्किल भी होगा।

फिर से याद करें

1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ:

उत्तर:

गढ़चौरासी
टांडाकारवाँ
श्रमिकपाइक
कुलखेल
सिब सिंहअहोम राज्य
दुर्गावतीगढ़ कटंगा

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

(क) वर्षों के भीतर पैदा होती नयी जातियाँ उपजातियाँ कहलाती थीं।
(ख) बुरंजी अहोम परिवारों के द्वारा लिखी गई ऐतिहासिक कृतियाँ थीं।
(ग) अकबरनामा ने इस बात का उल्लेख किया है कि गढ़ कटंगा में 70,000 गाँव थे।
(घ) बड़े और ताकतवर होने पर जनजातीय राज्यों ने मंदिरों और ब्राह्मणों को भूमि-अनुदान दिए।

3. सही या गलत बताइए:

(क) जनजातीय समाजों के पास समृद्ध वाचक परंपराएँ थीं। – सही
(ख) उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में कोई जनजातीय समुदाय नहीं था। – गलत
(ग) गोंड राज्यों में अनेक गाँवों को मिलाकर चौरासी बनता था। – सही
(घ) भील, उपमहाद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग में रहते थे। – गलत

4. खानाबदोश पशुचारकों और एक जगह बसे हुए खेतिहरों के बीच किस तरह का विनिमय होता था?

उत्तर: खानाबदोश पशुचारक और खेतिहर लोग आपस में सामान का लेन-देन करते थे। पशुचारक अपने पशुओं से मिलने वाली चीजें जैसे दूध, मांस, ऊन या चमड़ा खेतिहरों को देते थे। इसके बदले में खेतिहर लोग उन्हें अनाज, सब्जियाँ, फल या अन्य चीजें देते थे। कई बार पशुचारक गाँवों या शहरों में जाकर सामान खरीदते या बेचते थे। यह लेन-देन दोनों के लिए जरूरी था, क्योंकि इससे उनकी जरूरतें पूरी होती थीं।

आइए समझें

5. अहोम राज्य का प्रशासन कैसे संगठित था?

उत्तर: अहोम राज्य का प्रशासन इस तरह से काम करता था:

  • 17वीं सदी तक अहोम राज्य का प्रशासन पूरी तरह केंद्रीकृत हो गया था, यानी सारी शक्ति राजा के पास थी।
  • समाज को छोटे-छोटे समूहों में बाँटा गया था, जिन्हें खेल कहा जाता था।
  • हर किसान को गाँव के समुदाय से जमीन मिलती थी। राजा बिना समुदाय की सहमति के यह जमीन वापस नहीं ले सकता था।
  • सभी वयस्क पुरुष युद्ध के समय सेना में शामिल होते थे। बाकी समय वे गाँव के लिए काम करते थे, जैसे बाँध बनाना, खेती के लिए पानी की व्यवस्था करना आदि।
  • समय के साथ खेलों में एकता कम हो गई, जिससे प्रशासन पर असर पड़ा।

6. वर्ण आधारित समाज में क्या परिवर्तन आए?

उत्तर: वर्ण आधारित समाज में ये बदलाव आए:

  • वर्णों के अंदर छोटी-छोटी जातियाँ बनने लगीं, जैसे ब्राह्मणों में नई उपजातियाँ।
  • कई जनजातियों और समूहों को जाति व्यवस्था में शामिल किया गया और उन्हें नई जाति का दर्जा मिला।
  • शिल्पकार जैसे सुनार, लोहार, बढ़ई और राजमिस्त्री को भी जाति के रूप में मान्यता दी गई।
  • पहले वर्ण समाज का आधार था, लेकिन अब जाति समाज का मुख्य आधार बन गई।

7. एक राज्य के रूप में संगठित हो जाने के बाद जनजातीय समाज कैसे बदला?

उत्तर: जब जनजातियाँ राज्य बन गईं, तो उनके समाज में ये बदलाव आए:

  • कई जनजातियाँ, जैसे हूण, चंदेल और चालुक्य, पहले जनजाति थीं, लेकिन बाद में वे राजपूत कहलाने लगीं।
  • ब्राह्मणों की मदद से जनजातियाँ जाति व्यवस्था का हिस्सा बनीं।
  • सिर्फ कुछ बड़े जनजातीय परिवार ही शासक बन सके।
  • जनजातियों ने मंदिर बनवाए और ब्राह्मणों को जमीन दी, जिससे उनकी संस्कृति और समाज बदल गया।

आइए विचार करें

8. क्या बंजारे लोग अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण थे?

उत्तर: हाँ, बंजारे लोग अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी थे:

  • बंजारे व्यापारी खानाबदोश थे, जो एक जगह से सामान खरीदकर दूसरी जगह बेचते थे।
  • सल्तनत काल में वे गाँवों से अनाज शहरों तक ले जाते थे।
  • वे मुगल सेना के लिए भी अनाज और सामान की आपूर्ति करते थे।
  • बड़े व्यापारी बंजारों को काम पर रखते थे ताकि उनका माल दूर-दूर तक बिक सके।

9. गोंड लोगों का इतिहास, अहोमों के इतिहास से किन मायनों में भिन्न था? क्या कोई समानता भी थी?

उत्तर:

भिन्नताएँ:

  • गोंड लोग गोंडवाना (मध्य भारत) में रहते थे, जबकि अहोम ब्रह्मपुत्र घाटी (असम) में।
  • गोंड यहाँ के मूल निवासी थे, लेकिन अहोम म्यांमार से आए थे।
  • गोंडों को आग्नेयास्त्र (बंदूक, तोप) का उपयोग नहीं आता था, जबकि अहोम बारूद और तोप बनाने में माहिर थे।
  • गोंडों का राज्य अहोम से बड़ा था, लेकिन मुगलों ने इसे अपने राज्य में मिला लिया। अहोमों को मुगल हरा नहीं सके।

समानताएँ:

  • दोनों ने अपने-अपने इलाकों में शक्तिशाली राज्य बनाए।
  • दोनों ने ब्राह्मणों की मदद से अपनी संस्कृति को बदला और जाति व्यवस्था को अपनाया।
  • दोनों ने मंदिर बनवाए और ब्राह्मणों को जमीन दी।

आइए करके देखें

10. एक मानचित्र पर इस अध्याय में उल्लिखित जनजातियों के इलाकों को चिह्नित करें। किन्हीं दो के संबंध में यह चर्चा करें कि क्या उनके जीविकोपार्जन का तरीका अपने-अपने इलाकों की भौगोलिक विशेषताओं और पर्यावरण के अनुरूप था?

उत्तर: विद्यार्थी एक भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित जनजातियों के इलाकों को चिह्नित करें:

  • गोंड: मध्य भारत (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़)
  • अहोम: असम (ब्रह्मपुत्र घाटी)
  • भील: राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश
  • बंजारा: राजस्थान, उत्तर भारत

दो जनजातियों के जीविकोपार्जन का तरीका:

  1. गोंड: गोंड लोग जंगली और पहाड़ी इलाकों में रहते थे। वे खेती, शिकार और जंगल से लकड़ी, फल आदि इकट्ठा करके जीविका चलाते थे। उनके इलाके में उपजाऊ जमीन और घने जंगल थे, जो उनकी खेती और शिकार के लिए उपयुक्त थे।
  2. अहोम: अहोम लोग ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे रहते थे। वे खेती करते थे, विशेष रूप से धान की। नदी के किनारे की उपजाऊ जमीन और पानी की उपलब्धता ने उनकी खेती को आसान बनाया।

11. जनजातीय समूहों के संबंध में मौजूदा सरकारी नीतियों का पता लगाएँ और उनके बारे में एक बहस का आयोजन करें।

उत्तर: सरकार जनजातीय समूहों के लिए कई योजनाएँ चला रही है:

  • जनजातीय इलाकों में स्कूल और कॉलेज खोले जा रहे हैं ताकि बच्चों को शिक्षा मिल सके।
  • सड़क, बिजली और पानी जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं।
  • जनजातियों की संस्कृति और परंपराओं को बचाने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
  • रोजगार और स्वास्थ सेवाओं के लिए भी योजनाएँ हैं।

बहस का आयोजन:

विद्यार्थी कक्षा में दो समूह बनाएँ। एक समूह यह बताए कि सरकार की नीतियाँ जनजातियों के लिए कितनी फायदेमंद हैं। दूसरा समूह यह बताए कि इन नीतियों में क्या सुधार की जरूरत है।

12. उपमहाद्वीप में वर्तमान खानाबदोश पशुचारी समूहों के बारे में और पता लगाएँ। वे कौन-से जानवर रखते हैं? वे प्रायः किन इलाकों में जाते रहते हैं?

उत्तर: भारत में कुछ खानाबदोश पशुचारी समूह हैं:

  • गद्दी चरवाहे: ये हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में रहते हैं। ये भेड़ और बकरी पालते हैं। गर्मियों में ये ऊँचे पहाड़ों पर और सर्दियों में नीचे के मैदानों में जाते हैं।
  • गुर्जर बकरवाल: ये जम्मू-कश्मीर में रहते हैं। ये भेड़, बकरी और घोड़े पालते हैं। ये गर्मियों में हिमालय के ऊँचे इलाकों में और सर्दियों में मैदानों में जाते हैं।
  • बंजारा: ये राजस्थान और उत्तर भारत में रहते हैं। ये बैल, भेड़ और बकरी पालते हैं। ये सामान ढोने और व्यापार के लिए अलग-अलग गाँवों और शहरों में जाते हैं।
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