Bihar Board Class 10 Disaster Management Chapter 2 Solutions – प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़

Are you searching for Bihar Board class 10 Disaster Management chapter 2 solutions? If yes, then you come to the right place. Below we have shared the written question answer and complete solution of chapter 2 – “प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़” in hindi medium.

बिहार बोर्ड की कक्षा 10 की आपदा प्रबंधन पुस्तक का दूसरा अध्याय बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्रित है। यह अध्याय इन दो महत्वपूर्ण आपदाओं के कारणों, प्रभावों और प्रबंधन के तरीकों को समझाता है। बिहार में बाढ़ और सूखा अक्सर होने वाली समस्याएँ हैं, इसलिए इस अध्याय का विशेष महत्व है। छात्रों को इन आपदाओं से बचाव और राहत के उपायों के बारे में जानकारी दी जाती है, जो उन्हें भविष्य में इन स्थितियों से निपटने में मदद करेगी।

Bihar Board class 10 Disaster Management chapter 2

Bihar Board Class 10 Disaster Management Chapter 2 Solutions

SubjectDisaster Management
Class10th
Chapter2. प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़
BoardBihar Board

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. नदियों में बाढ़ आने के प्रमुख कारण कौन हैं?

(क) जल की अधिकता
(ख) नदी के तल में अवसाद का जमाव
(ग) वर्षा की अधिकता होना
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (क) जल की अधिकता

प्रश्न 2. बिहार का कौन-सा क्षेत्र बाढ़ग्रस्त क्षेत्र हैं ?

(क) पूर्वी बिहार
(ख) दक्षिणी बिहार
(ग) पश्चिमी बिहार
(घ) उत्तरी-दक्षिणी बिहार

उत्तर- (घ) उत्तरी-दक्षिणी बिहार

प्रश्न 3. निम्नलिखित में किस नदी को ‘बिहार का शोक’ कहा गया है?

(क) गंगा
(ख) गंडक
(ग) कोशी
(घ) पुनपुन

उत्तर- (ग) कोशी

प्रश्न 4. बाढ़ क्या है ?

(क) प्राकृतिक आपदा
(ख) मानव-जनित आपदा
(ग) सामान्य आपदा
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (क) प्राकृतिक आपदा

प्रश्न 5. सूखा किस प्रकार की आपदा है ?

(क) प्राकृतिक आपदा
(ख) मानवीय आपदा
(ग) सामान्य आपदा
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (क) प्राकृतिक आपदा

प्रश्न 6. सूखे की स्थिति किस प्रकार आती है ?

(क) अचानक
(ख) पूर्व सूचना के अनुसार
(ग) धीरे-धीरे ।
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (क) अचानक

प्रश्न 7. सूखे के लिए जिम्मवार कारक हैं :

(क) वर्षा की कमी
(ख) भूकंप
(ग) बाढ़
(ग) ज्वालामुखी क्रिया

उत्तर- (क) वर्षा की कमी

प्रश्न 8. सूखे से बचाव का उपाय

(क) नदियों को आपस में जोड़ देना
(ख) वर्षा-जल का संग्रह करना
(ग) बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करना
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ख) वर्षा-जल का संग्रह करना

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: बाढ़ कैसे आती है? स्पष्ट करें।

उत्तर: बाढ़ मुख्यतः अत्यधिक वर्षा के कारण होती है, जब नदियों, तालाबों या अन्य जलाशयों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है। भारत में मानसून की अनिश्चितता और तीव्र वर्षा बाढ़ के प्रमुख कारण हैं। इसके अतिरिक्त, जब नदी के किनारे बने तटबंध या बाँध कमजोर हो जाते हैं या टूट जाते हैं, तब भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अनियंत्रित शहरीकरण, जल निकासी की अनुपयुक्त व्यवस्था, और वनक्षेत्रों की कटाई भी बाढ़ के प्रमुख मानवीय कारण हैं। जैसे- 2008 में कोसी नदी के तटबंध के टूटने से बिहार में भीषण बाढ़ आई थी, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए थे।

प्रश्न 2: बाढ़ से होनेवाली हानियों की चर्चा करें।

उत्तर: बाढ़ आने से अनेक प्रकार की हानियाँ होती हैं, जो मानव जीवन और संपत्ति को गहरा नुकसान पहुँचाती हैं। मकान गिरने से लोग बेघर हो जाते हैं और संपत्ति का भारी नुकसान होता है। बाढ़ के पानी में फसलें डूब जाती हैं, जिससे कृषि को भारी हानि होती है और खाद्यान्न संकट उत्पन्न होता है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पानी के जमाव से महामारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जैसे डेंगू, मलेरिया, और जल जनित बीमारियाँ। संचार, परिवहन और बिजली जैसी बुनियादी सेवाएँ भी बाढ़ से प्रभावित होती हैं, जिससे जनजीवन अस्थिर हो जाता है।

प्रश्न 3: बाढ़ से सुरक्षा हेतु अपनाई जानेवाली सावधानियों को लिखें।

उत्तर: बाढ़ से सुरक्षा के लिए कई सावधानियाँ अपनाई जा सकती हैं। पहला, घरों का निर्माण बाढ़ संभावित क्षेत्रों से दूर और ऊँची जगह पर करना चाहिए। घरों के निर्माण में मजबूत सामग्री का उपयोग किया जाए, जिससे वे बाढ़ की चपेट में आने पर भी सुरक्षित रहें। बाढ़ पूर्व तैयारी के तहत, पंपसेट और जल निकासी की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। स्थानीय प्रशासन और पंचायत को बाढ़ की स्थिति में आपातकालीन योजनाएँ तैयार रखनी चाहिए, जैसे कि सुरक्षित स्थानों पर लोगों को ले जाने की व्यवस्था। इसके अतिरिक्त, तैराकी का प्रशिक्षण और आपातकालीन किट की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

प्रश्न 4: बाढ़ नियंत्रण के लिए उपाय बताएँ।

उत्तर: बाढ़ नियंत्रण के लिए दो प्रमुख उपाय अपनाए जा सकते हैं: वैकल्पिक प्रबंधन और पूर्व सूचना प्रबंधन।

  • वैकल्पिक प्रबंधन: इसमें प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग पर जोर दिया जाता है, जैसे कि जलाशयों का निर्माण, नदियों के किनारे वृक्षारोपण, और नदियों के तल की सफाई। भवनों का निर्माण नदी से दूर और ऊँचे स्थान पर किया जाना चाहिए। मकान की दीवारें और स्तंभ मजबूत सामग्री से बने होने चाहिए ताकि बाढ़ का प्रभाव कम से कम हो।
  • पूर्व सूचना प्रबंधन: इसमें बाढ़ की संभावना की पूर्व सूचना देकर जनता को सतर्क किया जाता है। सुदूर संवेदन तकनीक का उपयोग कर बाढ़ पूर्वानुमान किया जाता है, ताकि समय रहते सुरक्षा के उपाय किए जा सकें। बाढ़ की स्थिति में विद्यालय बंद कर दिए जाने चाहिए, स्थानीय अस्पतालों में डॉक्टरों और दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैराकी के प्रशिक्षण और बचाव उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

प्रश्न 5: सूखे की स्थिति को परिभाषित करें।

उत्तर: सूखे की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी क्षेत्र में लंबे समय तक पर्याप्त वर्षा नहीं होती है, जिससे जल स्रोत सूख जाते हैं और पानी की कमी हो जाती है। सूखे के कारण फसलों को पानी नहीं मिल पाता, जिससे कृषि उत्पादन में कमी आती है। इस स्थिति में पेयजल की भी कमी हो जाती है, जिससे मानव जीवन और पशुओं के लिए गंभीर संकट उत्पन्न होता है। सूखा न केवल कृषि और पशुपालन को प्रभावित करता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थितियों पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

प्रश्न 6: सुखाड़ के लिए जिम्मेवार कारकों का वर्णन करें।

उत्तर: सुखाड़ के लिए प्रमुख जिम्मेदार कारक वर्षा की कमी है। अत्यधिक वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, और अनियंत्रित जल दोहन भी सुखाड़ के प्रमुख कारण हैं। इसके अतिरिक्त, जल संरक्षण की कमी, जल स्रोतों का दूषित होना, और पारंपरिक जल स्रोतों जैसे तालाबों, कुओं, और झीलों की उपेक्षा भी सूखे की स्थिति को बढ़ावा देते हैं। भूजल स्तर का अत्यधिक दोहन और जल संसाधनों का असमान वितरण भी सूखे के प्रमुख कारणों में से हैं।

प्रश्न 7: सुखाड़ से बचाव के तरीकों का वर्णन करें।

उत्तर: सुखाड़ से बचने के लिए दीर्घकालीन और लघुकालीन दोनों प्रकार की योजनाओं की आवश्यकता होती है। दीर्घकालीन योजनाओं में नहरों, तालाबों, और कुओं के विकास पर जोर दिया जाता है, जिससे पानी का संग्रहण और उपयोग किया जा सके। सूखे के समय नहर प्रबंधन द्वारा जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है, जैसे कि कोसी कमांड क्षेत्र, गंडक कमांड क्षेत्र में। लघुकालीन उपायों में सूखे की स्थिति में जल के समुचित उपयोग, सूखा-रोधी फसलों का चयन, और जल संरक्षण के लिए उपाय करना शामिल है। जलसंचय के लिए वर्षा जल संग्रहण और भूजल पुनर्भरण तकनीकों का उपयोग भी किया जाना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: बिहार में बाढ़ की स्थिति का वर्णन करें।

उत्तर: बिहार में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर और विनाशकारी होती है, जिसे देखते हुए इसे ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है। मुख्यतः मानसून के दौरान भारी वर्षा से नदियों में जलस्तर बढ़ जाता है, जो बाढ़ का कारण बनता है। कोसी नदी, जिसे ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है, बिहार में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है। 2008 में, कोसी नदी के तटबंध के टूटने से बिहार में भीषण बाढ़ आई थी, जिससे हजारों गाँव जलमग्न हो गए थे और लाखों लोग बेघर हो गए थे। इस बाढ़ ने न केवल बिहार बल्कि पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया और अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता पड़ी। नेपाल से बहने वाली नदियाँ जैसे कोसी, कमला बलान, और गंडक भारी वर्षा के समय अपना विनाशकारी रूप धारण कर लेती हैं। नेपाल की भौगोलिक स्थिति और वहाँ के पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली भारी वर्षा भी बिहार में बाढ़ की स्थिति को और गंभीर बना देती है। इन नदियों के जल प्रवाह में वृद्धि और तटबंधों की कमजोर स्थिति के कारण बिहार में हर साल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2: बाढ़ के कारणों एवं इसकी सुरक्षा-संबंधी उपायों का विस्तृत वर्णन करें।

उत्तर: बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिसका मुख्य कारण नदियों में अत्यधिक वर्षा जल का पहुंचना है। इसके अतिरिक्त, नदियों की घाटियों में मिट्टी के जमाव से भी जल का प्रवाह बाधित होता है, जिससे बाढ़ आती है। वनस्पतियों की अत्यधिक कटाई, अनियंत्रित शहरीकरण, और कमजोर तटबंध भी बाढ़ के प्रमुख कारण हैं। इन कारणों से नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
बाढ़ से सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • तटबंधों की मरम्मत: नदियों के तटबंधों की नियमित रूप से मरम्मत और सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिए, ताकि वे भारी जल प्रवाह को सह सकें।
  • बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली: बाढ़ की पूर्व चेतावनी के लिए सुदूर संवेदन तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके।
  • आपातकालीन योजना: बाढ़ की सूचना प्राप्त होते ही उस क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना चाहिए। इसके लिए आपातकालीन निकासी योजना तैयार होनी चाहिए।
  • राहत सामग्री की उपलब्धता: बाढ़ पूर्व दवाइयाँ, खाद्य सामग्री, और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था कर ली जानी चाहिए, ताकि आपात स्थिति में इन्हें तुरंत उपलब्ध कराया जा सके।
  • सरकारी और गैर-सरकारी सहयोग: बाढ़ के दौरान राहत और पुनर्वास कार्यों में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
  • जन जागरूकता: लोगों को बाढ़ के कारणों, इसके प्रभावों, और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे समय रहते आवश्यक कदम उठा सकें।

प्रश्न 3: सुखाड़ के कारणों एवं इनके बचाव के तरीकों का वर्णन करें।

उत्तर:

  • सुखाड़ मुख्यतः वर्षा की कमी के कारण होता है, जिससे जल स्रोत सूख जाते हैं और कृषि उत्पादन प्रभावित होता है। अत्यधिक वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, और अनियंत्रित जल दोहन सुखाड़ के अन्य प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, जल संरक्षण की कमी और जल स्रोतों का दूषित होना भी सुखाड़ की स्थिति को बढ़ावा देता है।
    सुखाड़ से बचाव के लिए दीर्घकालीन और लघुकालीन दोनों प्रकार की योजनाओं की आवश्यकता होती है:
  • दीर्घकालीन योजना: इसके अंतर्गत जल स्रोतों का संरक्षण और विकास किया जाता है। नहर, तालाब, और कुओं का निर्माण करके जल संग्रहण की व्यवस्था की जाती है। नहरों के माध्यम से जलाशयों में जल लाने और जल का सही प्रबंधन करने पर जोर दिया जाता है। वृक्षारोपण और वनीकरण को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि वर्षा जल का संग्रहण हो सके और भूजल स्तर बनाए रखा जा सके।
  • लघुकालीन योजना: इसमें भूमिगत जल का सदुपयोग और वर्षा जल संग्रहण की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। ड्रिप सिंचाई और छिड़काव सिंचाई जैसी आधुनिक सिंचाई प्रणालियाँ अपनाई जानी चाहिए, जिससे पानी का समुचित उपयोग हो सके। वर्षा जल संग्रहण के लिए तालाब, कुंड, और पाइन का निर्माण किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जल पुनर्भरण तकनीकों का उपयोग करके भूमिगत जल स्तर को बनाए रखा जा सकता है।

सुखाड़ के दौरान जल प्रबंधन और संरक्षण के ये उपाय अपनाकर इस प्राकृतिक आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है और समाज को सुरक्षित रखा जा सकता है।

Other Chapter Solutions
Chapter 1 Solutions – प्राकृतिक आपदा : एक परिचय
Chapter 2 Solutions – प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़
Chapter 3 Solutions – प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी
Chapter 4 Solutions – जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन
Chapter 5 Solutions – आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
Chapter 6 Solutions – आपदा और सह अस्तित्व

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon