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इस अध्याय में आप फ्रांसीसी क्रान्ति के बारे में जानेंगे, जो 18वीं सदी के अंत में फ्रांस में हुई एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल थी। यह क्रान्ति न केवल फ्रांस बल्कि पूरे यूरोप और विश्व के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई। आप इस क्रान्ति के कारणों, घटनाक्रम और परिणामों के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही, आप यह भी समझेंगे कि कैसे इस क्रान्ति ने ‘स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ के आदर्शों को जन्म दिया, जो आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव बने।
UP Board Class 9 History Chapter 1 Solutions
Subject | History |
Class | 9th |
Chapter | 1. फ्रांसीसी क्रान्ति |
Board | UP Board |
फ्रांसीसी क्रान्ति Question Answer
प्रश्न 1. फ्रांस में क्रान्ति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर:- फ्रांस में क्रांति की शुरुआत 18वीं सदी के अंत में कई गंभीर समस्याओं के कारण हुई। राजनीतिक रूप से, राजा लुई सोलहवाँ एक कमजोर शासक था, जिस पर उसकी पत्नी मैरी एंटोइनेट का बहुत प्रभाव था। देश में एकरूप शासन व्यवस्था नहीं थी और आम लोगों की सरकार में कोई आवाज नहीं थी।
आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। सरकार पर भारी कर्ज था और कर व्यवस्था बहुत अन्यायपूर्ण थी। अमीर लोग, जैसे पादरी और कुलीन वर्ग, जो देश की 40% भूमि के मालिक थे, लगभग कोई कर नहीं देते थे। दूसरी ओर, गरीब लोगों पर भारी कर था। इसके अलावा, खाद्य पदार्थों की कीमतें बहुत बढ़ गई थीं, जिससे आम लोगों का जीवन कठिन हो गया था।
समाज में भी बड़ी असमानता थी। समाज तीन वर्गों में बंटा था – पादरी, कुलीन और आम जनता। पहले दो वर्गों को कई विशेषाधिकार प्राप्त थे, जबकि आम जनता परेशान थी। इस दौरान, कई विचारकों जैसे मांटेस्क्यू, वोल्टेयर और रूसो ने लोगों को समानता और स्वतंत्रता के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया।
इन सभी कारणों से लोगों में असंतोष बढ़ा। जब राजा ने मई 1789 में एस्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई, तो तृतीय एस्टेट के लोगों ने अपनी आवाज उठाई। उन्होंने खुद को राष्ट्रीय सभा घोषित किया और एक नया संविधान बनाने की शपथ ली। अंततः, 14 जुलाई, 1789 को पेरिस के लोगों ने बास्तील जेल पर हमला किया, जो राजा की निरंकुश शक्ति का प्रतीक था। यह घटना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत मानी जाती है।
प्रश्न 2. फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रान्ति का फायदा मिला? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
उत्तर:- फ्रांसीसी क्रांति से मुख्य रूप से तृतीय एस्टेट के लोगों को फायदा मिला। इसमें किसान, मजदूर, व्यापारी, वकील और बुद्धिजीवी शामिल थे। क्रांति के बाद उन्हें समाज में बेहतर स्थान और अधिकार मिले। उन्हें अब कर देने में राहत मिली और उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार होने लगा।
पादरी और कुलीन वर्ग को अपनी सत्ता और विशेषाधिकार छोड़ने पड़े। उन्हें अब कर देना पड़ता था और उनकी सामाजिक स्थिति कमजोर हो गई।
हालांकि, कुछ समूहों को क्रांति से निराशा हुई। जैसे:-
- महिलाओं को, क्योंकि उन्हें पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं मिले।
- गरीब किसानों और मजदूरों को, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ।
- दासों को, क्योंकि उन्हें तुरंत आजादी नहीं मिली।
प्रश्न 3. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रान्ति कौन-सी विरासत छोड़ गई?
उत्तर:- फ्रांसीसी क्रांति ने दुनिया को कई महत्वपूर्ण विचार दिए:-
- स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारे के आदर्श।
- लोकतंत्र और गणतंत्र का विचार।
- कानून के सामने सभी लोगों की समानता।
- राष्ट्रवाद की भावना।
- मानवाधिकारों का महत्व।
- धर्म और राज्य के अलगाव का सिद्धांत।
- जनता की आवाज का महत्व।
इन विचारों ने 19वीं और 20वीं सदी में दुनिया भर में कई क्रांतियों और सुधार आंदोलनों को प्रेरित किया। भारत सहित कई देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों पर भी इसका प्रभाव पड़ा। आज भी, ये विचार दुनिया भर के संविधानों और कानूनों में दिखाई देते हैं।
प्रश्न 4. उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएँ जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रान्ति में है।
उत्तर:- फ्रांसीसी क्रांति से उत्पन्न हुए कई लोकतांत्रिक अधिकार आज भी हमारे पास हैं। इनमें स्वतंत्रता और समानता के मौलिक अधिकार शामिल हैं। विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, और कानून के समक्ष समानता जैसे अधिकार इसी क्रांति की देन हैं। इसके अलावा, संगठन बनाने और एकत्र होने का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, और संपत्ति का अधिकार भी इसी से उपजे। हालांकि मतदान का अधिकार और शिक्षा का अधिकार धीरे-धीरे विकसित हुए, लेकिन इनकी जड़ें भी फ्रांसीसी क्रांति में ही मिलती हैं। ये सभी अधिकार आज हमारे संविधान में शामिल हैं और हमारे लोकतंत्र की नींव हैं।
प्रश्न 5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के सन्देश में नाना अंतर्विरोध थे?
उत्तर:- हां, फ्रांसीसी क्रांति के सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में कुछ विरोधाभास थे। सभी के लिए समानता की बात की गई, लेकिन वास्तव में महिलाओं और गुलामों को समान अधिकार नहीं दिए गए। मतदान के अधिकार की घोषणा की गई, लेकिन शुरू में केवल संपत्ति वाले पुरुषों को ही मतदान का अधिकार मिला। स्वतंत्रता की बात की गई, लेकिन फ्रांस ने अपने उपनिवेशों पर नियंत्रण जारी रखा। समानता का आदर्श था, लेकिन दासप्रथा तुरंत समाप्त नहीं की गई।
कानून के समक्ष सभी की समानता की बात की गई, लेकिन व्यवहार में यह पूरी तरह लागू नहीं हुआ। इन विरोधाभासों के बावजूद, फ्रांसीसी क्रांति के विचारों ने दुनिया भर में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के विकास को प्रेरित किया और आज भी इसका प्रभाव हम पर है।
प्रश्न 6. नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है?
उत्तर:- नेपोलियन बोनापार्ट का उदय फ्रांसीसी क्रांति के बाद की अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों में हुआ। 1799 में, जब फ्रांस में निदेशिका (डायरेक्टरी) का शासन कमजोर हो गया था, नेपोलियन ने एक सैन्य तख्तापलट किया और सत्ता हासिल की। वह एक कुशल सेनापति था, जिसने फ्रांस को कई युद्धों में विजय दिलाई थी।
नेपोलियन ने धीरे-धीरे अपनी शक्ति बढ़ाई। 1804 में उसने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। उसने फ्रांस में कई सुधार किए, जैसे कानूनों का संहिताकरण और शिक्षा प्रणाली में सुधार। उसने यूरोप के कई देशों को जीता, जिससे फ्रांस का साम्राज्य बहुत बड़ा हो गया।
लेकिन नेपोलियन की महत्वाकांक्षा ने उसे कई शत्रु भी दिए। 1812 में रूस पर हमला करने में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। 1813 में यूरोप के कई देशों ने मिलकर उसे हराया और 1814 में उसे गद्दी छोड़नी पड़ी। हालांकि वह 1815 में फिर से सत्ता में आया, लेकिन वाटरलू की लड़ाई में उसकी अंतिम हार हुई।
नेपोलियन का उदय दर्शाता है कि कैसे एक कुशल नेता अस्थिर राजनीतिक माहौल में सत्ता हासिल कर सकता है। उसने क्रांति के कुछ आदर्शों को बनाए रखा, लेकिन साथ ही एक निरंकुश शासक भी बन गया। उसके शासन ने फ्रांस और यूरोप को गहराई से प्रभावित किया।