UP Board Class 9 History chapter 2 solutions are available for free on this page. It is prepared by the subject experts and brings you the complete question answer of chapter 2 – “यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति” in hindi medium.
इस अध्याय में आप यूरोप में समाजवादी विचारधारा के उदय और रूसी क्रान्ति के बारे में सीखेंगे। 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में यूरोप में हुए महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों की यह कहानी है। आप जानेंगे कि कैसे औद्योगिक क्रान्ति के बाद मजदूर वर्ग की स्थिति ने समाजवादी विचारों को जन्म दिया। इसके साथ ही, आप रूस में 1917 की बोल्शेविक क्रान्ति के कारणों, घटनाक्रम और परिणामों के बारे में पढ़ेंगे। यह अध्याय आपको बताएगा कि कैसे इन घटनाओं ने न केवल रूस बल्कि पूरे विश्व के इतिहास को प्रभावित किया और आधुनिक विश्व व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

UP Board Class 9 History Chapter 2 Solutions
Subject | History |
Class | 9th |
Chapter | 2. यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति |
Board | UP Board |
यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति Question Answer
प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 ई. से पहले कैसे थे?
अथवा
1905 ई. से पूर्व रूस की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:- 1905 ई. से पहले रूस की स्थिति बहुत अलग थी। जबकि यूरोप के अन्य देशों में बड़े बदलाव हो रहे थे, रूस पुराने तरीकों से ही चल रहा था। यहाँ की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति इस प्रकार थी:-
सामाजिक और आर्थिक स्थिति:-
- किसानों की हालत बहुत खराब थी। उनके पास छोटी-छोटी जमीनें थीं और खेती के लिए पैसे नहीं थे।
- मजदूरों का भी शोषण होता था। उन्हें कम वेतन मिलता था और काम के हालात बुरे थे।
- औद्योगीकरण देर से शुरू हुआ, इसलिए रूस अन्य देशों से पिछड़ा हुआ था।
- महिलाओं और बच्चों को भी कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
- 1904 में चीजों के दाम बढ़ गए और मजदूरी घट गई, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गईं।
राजनीतिक स्थिति:-
- रूस में जार का निरंकुश शासन था। वह सोचता था कि उसे भगवान ने राजा बनाया है।
- जनता को कोई अधिकार नहीं थे। उनकी बात सुनी नहीं जाती थी।
- जार और उसकी पत्नी अपने ऐश-ओ-आराम में मगन रहते थे और जनता की परेशानियों को नजरअंदाज करते थे।
- सरकार जनता पर सख्त नियंत्रण रखती थी और किसी भी विरोध को दबा देती थी।
प्रश्न 2. 1917 ई. से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
अथवा
1917 ई. से पहले रूस की श्रमिक जनसंख्या यूरोप के अन्य देशों की श्रमिक जनसंख्या से किस प्रकार भिन्न थी?
उत्तर:- 1917 ई. से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के अन्य देशों से कई मायनों में भिन्न थी। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह थी कि अधिकांश रूसी मजदूर गांवों में रहते थे और रोज शहर आकर काम करते थे, जबकि यूरोप के अन्य देशों में लोग शहरों में ही रहकर काम करते थे। रूसी मजदूर अपने कौशल और काम के प्रकार के आधार पर अलग-अलग समूहों में बंटे थे, जो उनके पहनावे से भी स्पष्ट होता था। रूस में मजदूरों और किसानों की स्थिति बहुत खराब थी। उन्हें लंबे घंटे काम करना पड़ता था और कम वेतन मिलता था। इसके अलावा, रूसी मजदूरों के पास ट्रेड यूनियन या राजनीतिक दल बनाने का अधिकार नहीं था और उनके पास राजनीतिक अधिकार भी नहीं थे।
रूसी किसानों की स्थिति भी दयनीय थी। वे जमींदारों के लिए काम करते थे और उनकी फसल का बड़ा हिस्सा जमींदारों को देना पड़ता था। रूस में एक अनोखी व्यवस्था थी जिसे ‘मीर’ कहा जाता था, जहां किसान अपनी जमीन को सामुदायिक रूप से रखते थे और यह समुदाय परिवारों को उनकी जरूरत के हिसाब से जमीन बांटता था। रूस में समाज में बहुत असमानता थी – कुलीन वर्ग, सम्राट और चर्च के पास बहुत संपत्ति थी, जबकि आम लोग गरीबी में जीते थे। इन सभी कारणों से रूस के मजदूर और किसान सरकार और जमींदारों के खिलाफ बहुत नाराज थे। यह असंतोष इतना गहरा था कि यह आगे चलकर रूसी क्रांति का एक प्रमुख कारण बना। इन सभी कारकों ने मिलकर रूस की कामकाजी आबादी को यूरोप के अन्य देशों से अलग बना दिया था।
प्रश्न 3. 1917 ई. में जार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर:- 1917 में जार का शासन कई कारणों से समाप्त हो गया। सबसे पहले, जार निकोलस द्वितीय की निरंकुश नीतियों ने जनता में असंतोष पैदा किया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी और लोगों की आवाज को दबा दिया।
प्रथम विश्व युद्ध ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। युद्ध में रूस की हार ने जनता का मनोबल तोड़ दिया। साथ ही, युद्ध के कारण देश में खाद्य पदार्थों और अन्य जरूरी सामानों की कमी हो गई। लोग भूखे रहने लगे और रोटी के लिए दंगे होने लगे।
उद्योगों पर भी बुरा असर पड़ा। कारखाने बंद होने लगे और बेरोजगारी बढ़ गई। रेलवे लाइनें टूट गईं, जिससे आवागमन में बाधा आई। युद्ध के लिए सेना में भर्ती के कारण कारखानों में मजदूरों की कमी हो गई।
किसानों की स्थिति भी दयनीय थी। उन्हें अपनी फसल का बड़ा हिस्सा जमींदारों को देना पड़ता था। वे जमीन की मांग कर रहे थे और जार सरकार के खिलाफ विद्रोह करने लगे।
इन सभी कारणों से जनता में जार के प्रति असंतोष बढ़ता गया। अंत में, 2 मार्च 1917 को जार को गद्दी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस तरह रूस में जार का शासन समाप्त हो गया और एक नए युग की शुरुआत हुई।
प्रश्न 4. दो सूचियाँ बनाइए : एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर:- 1917 में रूस में दो महत्वपूर्ण क्रांतियां हुईं – फरवरी क्रांति और अक्टूबर क्रांति। फरवरी क्रांति की शुरुआत पेत्रोग्राद में खाद्य पदार्थों की कमी के कारण हुए विरोध प्रदर्शनों से हुई। मजदूरों ने हड़ताल की और सैनिकों ने उनका साथ दिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस मुख्यालय पर हमला किया और पेत्रोग्राद सोवियत का गठन हुआ। इन घटनाओं के परिणामस्वरूप जार निकोलस द्वितीय को 2 मार्च को गद्दी छोड़नी पड़ी। इस क्रांति के प्रभावस्वरूप जार शासन का अंत हुआ और एक अंतरिम सरकार बनी। राजनीतिक गतिविधियों पर से प्रतिबंध हटा दिए गए और देश भर में सोवियतों का गठन हुआ। इस दौरान लेनिन रूस लौटे और उन्होंने अपनी ‘अप्रैल थीसिस’ प्रस्तुत की।
अक्टूबर क्रांति तब हुई जब अंतरिम सरकार जनता की मांगें पूरी करने में असफल रही। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध समाप्त करने, किसानों को जमीन देने और सभी अधिकार सोवियतों को देने की स्पष्ट नीतियाँ प्रस्तुत कीं। 24-25 अक्टूबर को बोल्शेविकों ने पेत्रोग्राद पर कब्जा कर लिया और अंतरिम सरकार को हटाकर सत्ता संभाल ली। इस क्रांति के परिणामस्वरूप रूस में समाजवादी सरकार की स्थापना हुई। नई सरकार ने युद्ध से हटने, किसानों को जमीन देने और कारखानों पर मजदूरों के नियंत्रण की नीतियाँ लागू कीं। साथ ही, गैर-रूसी जातियों को समानता का दर्जा दिया गया। इस तरह, अक्टूबर क्रांति ने रूस में एक नई राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की शुरुआत की।
प्रश्न 5. बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रान्ति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर:- अक्टूबर क्रांति के बाद बोल्शेविकों ने रूस में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। सबसे पहले, उन्होंने रूस को प्रथम विश्व युद्ध से अलग कर लिया और जर्मनी के साथ शांति संधि की। उन्होंने रूस के अधीन उपनिवेशों को स्वतंत्र कर दिया।
बोल्शेविकों ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी रख दिया। उन्होंने रूस को एक-दलीय देश बना दिया और सभी राजनीतिक विरोध को दबा दिया। ट्रेड यूनियनों को पार्टी के नियंत्रण में रखा गया।
आर्थिक मोर्चे पर, उन्होंने केंद्रीकृत नियोजन शुरू किया और पंचवर्षीय योजनाएँ बनाईं। अधिकतर उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया और किसानों को उस जमीन पर काम करने की अनुमति दी गई जिस पर वे पहले से काम कर रहे थे।
समाज में भी बड़े बदलाव किए गए। शहरों में बड़े घरों को परिवारों के बीच बांट दिया गया। पुराने अभिजात्य वर्ग की पदवियों पर रोक लगा दी गई। सेना और सरकारी कर्मचारियों के लिए नई वर्दियाँ पेश की गईं।
इन सभी परिवर्तनों का उद्देश्य रूस में समाजवादी व्यवस्था स्थापित करना था। हालांकि, इन बदलावों को लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और कुछ लोगों ने इनका विरोध भी किया।
प्रश्न 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए-
(क) कुलक
(ख) ड्यू मा
(ग) 1900 से 1930 ई. के बीच महिला कामगार
(घ) उदारवादी
(ङ) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम।
उत्तर:- (क) कुलक: कुलक रूस के धनी किसान थे। वे अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज इकट्ठा करते थे। इससे शहरों में अन्न की कमी हो गई। स्टालिन ने इन्हें गरीब किसानों का दुश्मन माना और इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। उन्होंने कुलकों के अनाज भंडारों को जब्त किया और बड़े सामूहिक खेतों की स्थापना की।
(ख) ड्यूमा: ड्यूमा रूस की संसद थी। जार निकोलस द्वितीय ने इसे केवल एक सलाहकार समिति बना दिया था। इसमें सिर्फ रूढ़िवादी नेताओं को जगह दी गई थी। उदारवादी और क्रांतिकारी नेताओं को इससे दूर रखा गया था।
(ग) 1900 से 1930 ई. के बीच महिला कामगार: इस समय महिला मजदूरों ने रूस के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1914 तक वे कुल कारखाना मजदूरों का 31% थीं। उन्हें पुरुषों से कम वेतन मिलता था। वे घर और काम दोनों संभालती थीं। कई महिला मजदूरों ने मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और हड़तालों का नेतृत्व किया। 1917 की क्रांति में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
(घ) उदारवादी: उदारवादी लोग समाज में कुछ बदलाव चाहते थे। वे चाहते थे कि:
- सभी धर्मों को बराबर सम्मान मिले
- व्यक्ति की गरिमा की रक्षा हो
- लोगों को अपनी मर्जी से काम करने और संपत्ति कमाने की आजादी हो
- कानून द्वारा नागरिकों को स्वतंत्रता मिले
- पुरानी रूढ़ियों और परंपराओं को बदला जाए अगर वे प्रगति में बाधक हों
(ङ) 1929 में, स्टालिन ने रूस में सामूहिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया। इसका मतलब था कि सभी किसानों को अपनी जमीन और जानवर सरकार को देने थे। फिर वे बड़े सामूहिक खेतों पर मिलकर काम करते थे। इन्हें ‘कोलखोज’ कहा जाता था।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य था कृषि उत्पादन बढ़ाना और किसानों का जीवन सुधारना। लेकिन कई किसान इससे खुश नहीं थे। उन्हें लगा कि उनकी आजादी छिन रही है।
कुछ किसानों ने विरोध में अपने जानवरों को मार दिया। इससे 1929 से 1931 के बीच रूस में जानवरों की संख्या एक तिहाई कम हो गई। सरकार ने विरोध करने वालों को कड़ी सजा दी। कई लोगों को देश से बाहर भेज दिया गया।
दुर्भाग्य से, इस कार्यक्रम से कृषि उत्पादन में खास वृद्धि नहीं हुई। 1930 से 1933 के बीच, खराब फसल के कारण रूस में बड़ा अकाल पड़ा। इसमें लगभग 40 लाख लोगों की मृत्यु हुई।
यह कार्यक्रम दिखाता है कि कभी-कभी सरकार के बड़े बदलाव लोगों के लिए मुश्किलें ला सकते हैं। इसने रूस के इतिहास और किसानों के जीवन पर गहरा असर डाला।
Other Chapter Solutions |
---|
Chapter 1 Solutions – फ्रांसीसी क्रान्ति |
Chapter 2 Solutions – यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति |
Chapter 3 Solutions – नात्सीवाद और हिटलर का उदय |
Chapter 4 Solutions – वन्य-समाज और उपनिवेशवाद |
Chapter 5 Solutions – आधुनिक विश्व में चरवाहे |
Chapter 6 Solutions – किसान और काश्तकार |
Chapter 7 Solutions – इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी |
Chapter 8 Solutions – पहनावे का सामाजिक इतिहास |