UP Board Class 9 Hindi Gadya Chapter 5 Solution – स्मृति

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यूपी बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का पाँचवाँ अध्याय “स्मृति” पंडित श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित एक रोमांचक संस्मरण है। यह लेख 1908 की एक घटना पर आधारित है, जिसमें लेखक अपने बचपन के एक साहसिक कारनामे का वर्णन करते हैं। कहानी में लेखक और उनके छोटे भाई द्वारा एक कच्चे कुएँ में गिरी चिट्ठियों को बचाने के प्रयास का जीवंत चित्रण किया गया है, जिसमें उन्हें एक खतरनाक काले साँप का सामना करना पड़ता है। यह पाठ न केवल एक रोमांचक अनुभव को दर्शाता है, बल्कि भाई-बहनों के प्रेम, साहस, और बचपन की निर्दोष शरारतों को भी उजागर करता है।

UP Board Class 9 Hindi Gadya Chapter 5

UP Board Class 9 Hindi Gadya Chapter 5 Solution

SubjectHindi (गद्य)
Class9th
Chapter5. स्मृति
Authorश्रीराम शर्मा
BoardUP Board

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये –

(क) जाड़े के दिन थे ही, तिस पर हवा के प्रकोप से कँपकँपी लग रही थी। हवा मज्जा तक ठिठुरा रही थी, इसलिए हमने कानों को धोती से बाँधा। माँ ने भेंजाने के लिए थोड़े-से चने एक धोती में बाँध दिये। हम दोनों भाई अपना-अपना डण्डा लेकर घर से निकल पड़े। उस समय उस बबूल के डण्डे से जितना मोह था, उतना इस उम्र में रायफल से नहीं। मेरा डण्डा अनेक साँपों के लिए नारायण-वाहन हो चुका था। मक्खनपुर के स्कूल और गाँव के बीच पड़नेवाले आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष उससे आम झूरे जाते थे। इस कारण वह मूक डण्डा सजीव-सा प्रतीत होता था। प्रसन्नवदन हम दोनों मक्खनपुर की ओर तेजी से बढ़ने लगे। चिट्ठियों को मैंने टोपी में रख लिया, क्योंकि कुर्ते में जेबें न थीं।

प्रश्न

(i) प्रस्तुत गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) लेखक ने चिट्ठियों को कहाँ रख लिया था?
(iv) लेखक ने चिट्ठियों को टोपी में क्यों रख लिया?
(v) लेखक ने डण्डे की तुलना किससे की है?

उत्तर-

(i) सन्दर्भ: यह गद्यांश श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित ‘स्मृति’ नामक निबन्ध से लिया गया है, जो हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित है। इस अंश में लेखक अपने बचपन की यादों को जीवंत करते हुए, एक शीत ऋतु के दिन की यात्रा का वर्णन करते हैं।

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या:
“उस समय उस बबूल के डण्डे से जितना मोह था, उतना इस उम्र में रायफल से नहीं।” इस वाक्य में लेखक बचपन की निर्दोषता और सरलता को दर्शाते हैं। वे बताते हैं कि बचपन में एक साधारण डंडे से जो लगाव था, वह वर्तमान में किसी महंगी या शक्तिशाली वस्तु (जैसे रायफल) से नहीं है। यह वाक्य बचपन की सादगी और वर्तमान जीवन की जटिलता के बीच के अंतर को प्रकट करता है।

(iii) लेखक ने चिट्ठियों को अपनी टोपी में रख लिया था।

(iv) लेखक ने चिट्ठियों को टोपी में इसलिए रख लिया क्योंकि उसके कुर्ते में जेबें नहीं थीं। यह बात उस समय के सरल जीवन और कपड़ों की बनावट को दर्शाती है।

(v) लेखक ने डंडे की तुलना नारायण-वाहन (गरुड़) से की है। वे कहते हैं कि उनका डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण-वाहन हो चुका था, जिसका अर्थ है कि उस डंडे से वे कई साँपों को मार चुके थे। यह तुलना डंडे की महत्ता और लेखक की बाल-सुलभ कल्पना को दर्शाती है।

(ख) साँप से फुसकार करवा लेना मैं उस समय बड़ा काम समझता था। इसलिए जैसे ही हम दोनों उस कुएँ की ओर से निकले, कुएँ में ढेला फेंककर फुसकार सुनने की प्रवृत्ति जागृत हो गयी। मैं कुएँ की ओर बढ़ा। छोटा भाई मेरे पीछे हो लिया, जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक हो लेता है। कुएँ के किनारे से एक ढेला उठाया और उझककर एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेलो गिरा दिया, पर मुझ पर तो बिजली-सी गिर पड़ी।

प्रश्न

(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) लेखक को कब लगा कि उस पर बिजली सी गिर पड़ी?

उत्तर-

(i) संदर्भ: यह गद्यांश श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित ‘स्मृति’ नामक निबंध से लिया गया है, जो हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित है। इस अंश में लेखक अपने बचपन की एक रोमांचक घटना का वर्णन करते हैं, जिसमें वे और उनका छोटा भाई स्कूल जाते समय एक सूखे कुएं में रहने वाले साँप को छेड़ने की कोशिश करते हैं।

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या: “छोटा भाई मेरे पीछे हो लिया, जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक हो लेता है।” इस वाक्य में लेखक अपने और अपने छोटे भाई के बीच के रिश्ते को दर्शाते हैं। वे अपने आप को बड़े हिरण के बच्चे (मृगशावक) के रूप में और अपने छोटे भाई को छोटे हिरण के बच्चे के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह उपमा उनके बीच के स्नेह, संरक्षण और अनुकरण के भाव को दर्शाती है। छोटा भाई बड़े भाई का अनुसरण करता है, जैसे प्रकृति में छोटे जानवर बड़ों का अनुसरण करते हैं।

(iii) लेखक को तब लगा कि उस पर बिजली सी गिर पड़ी, जब उसने साँप पर ढेला फेंकने के लिए एक हाथ से टोपी उतारी और उसकी टोपी में रखी तीनों चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गईं। यह घटना लेखक के लिए बहुत बड़ा झटका थी, क्योंकि चिट्ठियाँ महत्वपूर्ण थीं और अब वे उन्हें खो चुके थे। इस घटना ने उनके मन में तत्काल भय और चिंता उत्पन्न कर दी, जिसे उन्होंने बिजली गिरने के समान बताया है।

(ग) साँप को चक्षुःश्रवा कहते हैं। मैं स्वयं चक्षुःश्रवा हो रहा था। अन्य इन्द्रियों ने मानो सहानुभूति से अपनी शक्ति आँखों को दे दी हो। साँप के फन की ओर मेरी आँखें लगी हुई थीं कि वह कब किस ओर को आक्रमण करता है, साँप ने मोहनीसी डाल दी थी । शायद वह मेरे आक्रमण की प्रतीक्षा में था, पर जिस विचार और आशा को लेकर मैंने कुएँ में घुसने की ठानी थी, वह तो आकाश-कुसुम था । मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं। मुझे साँप का साक्षात् होते ही अपनी योजना और आशा की असम्भवता प्रतीत हो गयी। डण्डा चलाने के लिए स्थान ही न था। लाठी या डण्डा चलाने के लिए काफी स्थान चाहिए, जिसमें वे घुमाये जा सकें। साँप को डण्डे से दबाया जा सकता था, पर ऐसा करना मानो तोप के मुहरे पर खड़ा होना था।

प्रश्न

(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए। |
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) चक्षुःश्रवा के नाम से कौन-सा जीव जाना जाता है?

उत्तर-

(i) संदर्भ: यह गद्यांश पं. श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित ‘स्मृति’ नामक संस्मरणात्मक निबंध से लिया गया है। इस अंश में लेखक कुएँ में गिरी चिट्ठियों को निकालने की कोशिश करते समय साँप के सामना करने का वर्णन करते हैं।

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या: “मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं।” इस वाक्य में लेखक मानवीय योजनाओं की अनिश्चितता और जीवन की अप्रत्याशितता पर प्रकाश डालते हैं। वे बताते हैं कि हमारी सोची-समझी योजनाएँ कभी-कभी पूरी तरह से गलत साबित हो सकती हैं। यह वाक्य लेखक की उस स्थिति को दर्शाता है जहाँ उनकी चिट्ठियाँ निकालने की योजना साँप के सामने आने से असफल हो गई।

(iii) चक्षुःश्रवा के नाम से साँप जाना जाता है। ‘चक्षुःश्रवा’ का अर्थ है ‘आँखों से सुनने वाला’। यह नाम साँप को इसलिए दिया गया है क्योंकि माना जाता है कि साँप के कान नहीं होते और वह अपनी आँखों से ही ध्वनि तरंगों को महसूस करता है। वास्तव में, साँप जमीन के कंपन को अपने शरीर से महसूस करता है, जो उसे खतरे या शिकार का पता लगाने में मदद करता है।

प्रश्न 2. श्रीराम शर्मा का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- श्रीराम शर्मा हिंदी साहित्य के एक प्रतिष्ठित लेखक, समाजसेवी, और विचारक थे। उनका जन्म 20 सितंबर 1911 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में हुआ था। वे भारतीय संस्कृति, समाज और अध्यात्म पर आधारित चिंतन और लेखन के लिए प्रसिद्ध थे। वे अपने जीवनकाल में समाज के सुधार और नवनिर्माण के कार्यों में भी सक्रिय रहे।

श्रीराम शर्मा ने अपने जीवन में कई प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। उनकी प्रमुख कृतियों में सत्यान्वेषण, साधना से सिद्धि, और प्रज्ञा पुराण शामिल हैं। उन्होंने समाज में नैतिकता और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने के लिए साहित्यिक साधन का प्रयोग किया। उनके द्वारा रचित साहित्य भारतीय समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास था।

प्रश्न 3. श्रीराम शर्मा की साहित्यिक विशेषताओं को बताते हुए उनकी भाषा-शैली भी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- श्रीराम शर्मा के साहित्य में समाज के नैतिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक उत्थान की प्रेरणा मिलती है। वे भारतीय संस्कृति और वेदों के गहन अध्ययनकर्ता थे, और उनका साहित्य इन विचारों से ओतप्रोत है। उनकी रचनाओं में धार्मिकता, समाज सुधार, और जीवन के नैतिक मूल्यों का प्रभावी चित्रण देखने को मिलता है।

श्रीराम शर्मा की भाषा-शैली सरल, प्रभावी और स्पष्ट थी। उन्होंने अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए सहज भाषा का प्रयोग किया, जिससे आम पाठक भी उनके संदेश को आसानी से समझ सके। उनके लेखन में संस्कृतनिष्ठ हिंदी का उपयोग मिलता है, लेकिन यह इतनी सुसंगठित और सहज है कि पाठक को जटिल नहीं लगती। उनके विचार अत्यधिक गहरे होते हुए भी पाठकों के मन तक आसानी से पहुँचते हैं।

प्रश्न 4. श्रीराम शर्मा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
अथवा, श्रीराम शर्मा को साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- श्रीराम शर्मा एक सशक्त लेखक, विचारक, और समाज सुधारक थे। उनका व्यक्तित्व दृढ़ और नैतिकता से भरा हुआ था। वे समाज को जागरूक और संस्कारित करने के लिए लगातार प्रयासरत रहे। उनका जीवन अनुशासन, सेवा और अध्यात्म का प्रतीक था। वे भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते थे और उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को सदाचार, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

श्रीराम शर्मा की प्रमुख कृतियों में सत्यान्वेषण, विचार क्रांति अभियान, प्रज्ञा पुराण, और गायत्री साधना शामिल हैं। इन रचनाओं में समाज के प्रति उनके विचारों का सारांश मिलता है। उनकी कृतियों का उद्देश्य मानवता का उत्थान और नैतिकता की पुनर्स्थापना था। उनके साहित्य ने समाज में एक नई चेतना और आध्यात्मिक जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘स्मृति’ निबन्ध के आधार पर बाल-सुलभ वृत्तियों को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- ‘स्मृति’ निबंध में बाल-सुलभ वृत्तियों को सजीवता से चित्रित किया गया है। बच्चों की जिज्ञासा, साहस और निर्भीकता को दर्शाया गया है, जैसे कुएँ में साँप को छेड़ना। उनकी कल्पनाशीलता और रोमांच की भावना भी स्पष्ट होती है। साथ ही, बच्चों की भावुकता और छोटी-छोटी चीजों से लगाव, जैसे लेखक का अपने डंडे से मोह, भी दिखाया गया है।

प्रश्न 2. लेखक ने अपने डण्डे के विषय में क्या कहा है?

उत्तर- लेखक ने अपने डंडे को बचपन का प्रिय साथी बताया है। उन्होंने कहा कि बचपन में उस बबूल के डंडे से जितना मोह था, उतना वर्तमान में रायफल से भी नहीं है। यह डंडा उनके लिए बहुमूल्य था, जिससे वे साँप मारते और आम तोड़ते थे। यह तुलना बचपन की सरलता और वर्तमान जीवन की जटिलता को दर्शाती है।

प्रश्न 3. लेखक के कुएँ में साँप से संघर्ष के समय उसके छोटे भाई की मनोदशा कैसी थी?

उत्तर- लेखक के छोटे भाई की मनोदशा भयभीत और चिंतित थी। वह अपने बड़े भाई के लिए डर रहा था और रो रहा था। उसे लग रहा था कि उसके भाई की जान खतरे में है। हालाँकि, बड़े भाई ने उसे आश्वस्त करने की कोशिश की कि वह साँप को मार देगा, पर छोटा भाई फिर भी चिंतित था।

प्रश्न 4. लेखक की तीन साहित्यिक विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- लेखक की प्रमुख साहित्यिक विशेषताएँ हैं:-

  1. सरल और प्रवाहपूर्ण भाषा शैली।
  2. जीवंत और चित्रात्मक वर्णन क्षमता।
  3. संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी और लोकभाषा के शब्दों का सुंदर समन्वय।
  4. भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं का सूक्ष्म चित्रण।

प्रश्न 5. ‘स्मृति ‘ पाठ से आपने क्या समझा? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘स्मृति’ पाठ से मैंने समझा कि बचपन एक अनमोल समय होता है, जहाँ साहस और निर्भीकता का संगम होता है। यह पाठ बताता है कि बच्चों में असीमित उत्साह और जिजीविषा होती है, जो उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। साथ ही, यह बचपन की यादों की महत्ता और उनके द्वारा व्यक्तित्व निर्माण में योगदान को भी दर्शाता है।

प्रश्न 6. ‘स्मृति’ पाठ से दस सुन्दर वाक्य लिखिए।

उत्तर-

1) जाड़े की ठंडी हवा मज्जा तक ठिठुरा रही थी।
2) हम दोनों उछलते-कूदते एक ही साँस में गाँव से चार फर्लाग दूर उस कुएँ के पास आ गये।
3) कुआँ कच्चा था और चौबीस हाथ गहरा था।
4) दृढ़ संकल्प से दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं।
5) छोटा भाई रोता था और उसके रोने का तात्पर्य था कि मेरी मौत मुझे नीचे बुला रही है।

प्रश्न 7. चिट्ठियों को कुएँ में गिरता देख लेखक की क्या मनोदशा हुई?

उत्तर- चिट्ठियों को कुएँ में गिरता देख लेखक बहुत व्याकुल हो गया। उसे लगा जैसे उसकी आत्मा ही निकल गई हो। वह तड़प उठा और उसे बहुत दुःख हुआ।

प्रश्न 8. ‘वह कुएँ वाली घटना किसी से न कहे।’ लेखक ने अपने साथी लड़के से क्यों कहा?

उत्तर- लेखक ने यह बात अपने साथी से इसलिए कही क्योंकि वह घरवालों से डरता था। वह नहीं चाहता था कि उसके माता-पिता को इस खतरनाक घटना के बारे में पता चले। इससे वे चिंतित हो सकते थे और उसे डाँट भी सकते थे।

प्रश्न 9. कुएँ में साहसपूर्वक उतरकर चिट्ठियों को निकाल लाने के कार्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- लेखक ने पाँच धोतियाँ जोड़कर कुएँ में उतरने का साहस दिखाया। कुएँ का व्यास कम होने के कारण नीचे उतरना मुश्किल था। वहाँ एक साँप भी था, जिससे बचते हुए लेखक ने चिट्ठियाँ निकालीं। यह एक बहुत ही खतरनाक और साहसिक कार्य था।

प्रश्न 10. लेखक और साँप के बीच संघर्ष के विषय में लिखिए।

उत्तर- जब लेखक कुएँ में उतरा, तो साँप ने उस पर हमला किया। लेखक ने डंडे से अपना बचाव किया। साँप डंडे से चिपट गया, लेकिन लेखक ने साहस नहीं खोया। अंत में, लेखक ने डंडे को एक तरफ फेंक दिया और जल्दी से चिट्ठियाँ उठा लीं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. श्रीराम शर्मा किस युग के लेखक थे?

उत्तर- श्रीराम शर्मा शुक्ल और शुक्लोत्तर युग के संधि-काल के प्रमुख लेखक थे।

प्रश्न 2. श्रीराम शर्मा ने किस पत्रिका का सम्पादन किया था?

उत्तर- श्रीराम शर्मा ने प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘विशाल भारत’ का सम्पादन किया था।

प्रश्न 3. ‘स्मृति’ लेख किस शैली में लिखा गया है?

उत्तर- ‘स्मृति’ लेख आत्मकथात्मक और वर्णनात्मक शैली का मिश्रण है, जिसमें बचपन की यादें जीवंत रूप से प्रस्तुत की गई हैं।

प्रश्न 4. चिट्ठी किसने लिखी थी?

उत्तर- चिट्ठी श्रीराम शर्मा के बड़े भाई ने लिखी थी, जो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण थी।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (✔) का चिह्न लगाओ

(अ) साँप को चक्षुःश्रवा कहते हैं। (✔)
(ब) ‘स्मृति’ लेख ‘शिकार’ पुस्तक से लिया गया है। (✔)
(स) कुआँ पक्का और दस हाथ गहरा था। (✘)
(द) ‘स्मृति’ में सन् 1928 की बात है। (✘)

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित समस्त पदों का समास-विग्रह कीजिए तथा समास का नाम बताइए –

विषधर, चक्षुःश्रवा, प्रसन्नवदन, मृग-समूह, वानर-टोली।

उत्तर-

  • विषधर – विष को धारण करनेवाला (सर्प) – बहुब्रीहि समास
  • चक्षुःश्रवा – आँखों से सुननेवाला – बहुब्रीहि समास
  • प्रसन्नवदन – प्रसन्न वदन वाला – कर्मधारय समास
  • मृग-समूह – मृगों का समूह – सम्बन्ध तत्पुरुष
  • वानर-टोली – वानरों की टोली – सम्बन्ध तत्पुरुष
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