UP Board class 9 Hindi gadya chapter 4 solutions are shared here. This is an expert’s written guide that presents you with the written question answer of chapter 4 – “गिल्लू” in hindi medium.
यूपी बोर्ड की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का चौथा अध्याय “गिल्लू” प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक मनोहारी रेखाचित्र है। यह पाठ एक छोटी गिलहरी के जीवन की कहानी प्रस्तुत करता है, जिसे लेखिका ने अपने घर में पाला था। “मेरा परिवार” नामक संकलन से लिया गया यह रेखाचित्र एक साधारण प्राणी की असाधारण विशेषताओं को बड़ी ही संवेदनशीलता से उजागर करता है। महादेवी जी ने गिल्लू की दैनिक गतिविधियों, उसकी चेष्टाओं और उसके साथ अपने अनूठे रिश्ते का जीवंत वर्णन किया है।

UP Board Class 9 Hindi Gadya Chapter 4 Solution
Contents
| Subject | Hindi (गद्य) |
| Class | 9th |
| Chapter | 4. गिल्लू |
| Author | महादेवी वर्मा |
| Board | UP Board |
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये –
(क) सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। उसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कन्धे पर कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राणी की खोज है। परन्तु वह तो अब तक इन सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो अचानक एक दिन सवेरे कमेर से बरामदे में आकर मैंने देखा, दो कौए एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुवाछुवौवल-जैसा खेल खेल रहे हैं। यह कागभुशुण्डि भी विचित्र पक्षी है-एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।
प्रश्न
(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(i) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(iii) गिल्लू को कहाँ समाधि दी गयी?
उत्तर-
(i) संदर्भ: यह गद्यांश महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ नामक रचना से लिया गया है। इसमें लेखिका एक गिलहरी के बच्चे ‘गिल्लू’ के साथ अपने अनुभवों का वर्णन करती हैं।
(ii) रेखांकित अंशों की व्याख्या: सोनजुही की पीली कली लेखिका को गिल्लू की याद दिलाती है, जो इसी लता में छिपकर बैठता था और अचानक लेखिका के कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका देता था। अब गिल्लू के न होने पर लेखिका उसे खोजती हैं, सोचती हैं कि वह शायद सोनजुही की जड़ों में मिट्टी में मिल गया होगा। वे कल्पना करती हैं कि शायद वह पीली कली के रूप में फिर से उन्हें चौंकाने आया हो। अंत में, लेखिका कौए को ‘कागभुशुण्डि’ कहती हैं, जो एक विरोधाभासी पक्षी है – कभी सम्मानित तो कभी अपमानित।
(iii) गिल्लू को उसी सोनजुही की लता के नीचे समाधि दी गई थी, जिससे वह जीवन भर खेलता रहा था।
(ख) मेरे पास बहुत-से पशु-पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परन्तु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरे थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नहीं आता। गिल्लू इनमें अपवाद था। मैं जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, वह खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार, बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता और मेरी थाली में बैठ जाना चाहता । बड़ी कठिनाई से मैंने उसे थाली के पास बैठना सिखाया, जहाँ बैठकर वह मेरी थाली में से एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफाई से खाता रहता । काजू उसका प्रिय खाद्य था और कई दिन काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बन्द कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।
प्रश्न
(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) गिल्लू को क्या बेहद पसंद था?
उत्तर-
(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध रचना ‘गिल्लू’ से लिया गया है। इस पाठ में लेखिका एक गिलहरी के बच्चे ‘गिल्लू’ के साथ अपने अनुभवों का मार्मिक वर्णन करती हैं। यह अंश गिल्लू की खाने की आदतों और लेखिका के साथ उसके विशेष संबंध को दर्शाता है।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या: लेखिका बताती हैं कि उनके पास कई पशु-पक्षी थे, जो उनसे प्रेम करते थे, परंतु गिल्लू अपने विशिष्ट व्यवहार के कारण अलग था। वह अकेला ऐसा प्राणी था जो लेखिका की थाली से खाने की हिम्मत रखता था। गिल्लू न केवल थाली से खाना चाहता था, बल्कि उसमें बैठने की भी कोशिश करता था। लेखिका ने धैर्यपूर्वक गिल्लू को थाली के पास बैठकर खाना सिखाया, जहाँ वह सावधानी से एक-एक चावल उठाकर खाता था। यह गिल्लू की बुद्धिमत्ता, निडरता और लेखिका के साथ उसके विशेष लगाव को दर्शाता है।
(iii) गिल्लू को क्या बेहद पसंद था: गिल्लू को काजू बेहद पसंद था। यह उसका सबसे प्रिय खाद्य था। अगर कई दिनों तक काजू नहीं मिलता, तो वह या तो अन्य खाद्य पदार्थ लेना बंद कर देता या उन्हें झूले के नीचे फेंक देता था। यह व्यवहार गिल्लू के स्वभाव की दृढ़ता और उसकी विशिष्ट रुचि को प्रदर्शित करता है।
(ग) मेरी अस्वस्थता में वह तकिये पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से ये मेरे सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता। गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू ने बाहर जाता, न अपने झूले में बैठता। उसने मेरे निकट रहने के साथ गर्मी से बचने का एक सर्वथा नया उपाय खोज निकाला था। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठण्डक में भी रहता।
गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन-यात्रा का अन्त आ ही गया। दिनभर उसने न कुछ खाया और न बाहर गया। रात में अन्त की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठण्डे पंजों से मेरी वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।
पंजे इतने ठण्डे हो रहे थे कि मैंने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया ।
प्रश्न
(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) गिल्लू गर्मी से बचने के लिए किस पर लेट जाता था?
उत्तर-
(i) संदर्भ: यह गद्यांश महादेवी वर्मा की रचना ‘गिल्लू’ से लिया गया है। इसमें लेखिका गिल्लू नामक गिलहरी के साथ अपने अंतिम क्षणों का मार्मिक वर्णन करती हैं। यह अंश गिल्लू के प्रेम, उसकी आदतों और उसके जीवन के अंतिम पलों को दर्शाता है।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या: गिलहरियों का जीवनकाल सामान्यतः दो वर्ष से अधिक नहीं होता। जब गिल्लू के जीवन का अंत निकट आया, उसने पूरे दिन न कुछ खाया न बाहर गया। अंतिम रात, वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और उनकी वही उँगली पकड़ी जिसे उसने अपने बचपन में मरणासन्न अवस्था में पकड़ा था। यह क्षण गिल्लू के लेखिका के प्रति गहरे लगाव और विश्वास को दर्शाता है। लेखिका ने उसे गर्म रखने का प्रयास किया, लेकिन सुबह की पहली किरण के साथ गिल्लू ने प्राण त्याग दिए।
(iii) गिल्लू गर्मी से बचने के लिए किस पर लेट जाता था? गिल्लू गर्मी से बचने के लिए लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता था। इस तरह वह लेखिका के निकट भी रहता और ठंडक में भी रहता। यह गिल्लू की बुद्धिमत्ता और अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।
प्रश्न 2. महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय एवं कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की प्रमुख कवयित्रियों में से एक थीं। उनका जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे छायावादी युग की चार प्रमुख स्तंभों में से एक थीं, जिनके साहित्य में करूणा, संवेदना और मानवता के भाव प्रमुख रूप से देखे जाते हैं। उनका जीवन अध्यापन और साहित्य सृजन में बीता। वे महिला शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में भी सक्रिय थीं।
महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियों में यामा, नीरजा, सप्तपर्णा, और दीपशिखा जैसे काव्य संग्रह शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उनकी गद्य रचनाओं में अतीत के चलचित्र और पथ के साथी प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाओं में प्रेम, पीड़ा, और आत्मिक शांति की गहरी अभिव्यक्ति मिलती है।
प्रश्न 3. महादेवी वर्मा के जीवन एवं साहित्यिक परिचय को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद में हुआ था। उन्हें बचपन से ही साहित्य में रुचि थी और उन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और बाद में अध्यापन कार्य से जुड़ीं।
महादेवी वर्मा छायावादी युग की प्रमुख कवयित्रियों में से एक थीं। उनके साहित्य में वेदना, करुणा और आध्यात्मिकता का विशेष स्थान है। उनकी कविताएँ भावनाओं की गहराई को प्रकट करती हैं। महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य में “आधुनिक मीरा” के नाम से भी जाना जाता है। उनकी प्रसिद्ध काव्य रचनाओं में यामा, नीरजा, दीपशिखा प्रमुख हैं।
प्रश्न 4. महादेवी वर्मा के साहित्यिक परिचय एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की एक प्रमुख कवयित्री थीं, जिनका साहित्य छायावाद युग का प्रतीक माना जाता है। उनके साहित्य में करुणा, प्रकृति प्रेम, मानवता, और आध्यात्मिकता के भाव विशेष रूप से दिखाई देते हैं। वे अपनी कविताओं में भावनात्मक गहराई और नारी संवेदनाओं का बेहतरीन चित्रण करती हैं।
उनकी भाषा-शैली अत्यंत सरल, सुगम और लयात्मक है। महादेवी की काव्य शैली में छायावादी प्रवृत्तियों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उनकी कविताओं में प्रायः प्रतीकों और बिंबों का सुंदर प्रयोग मिलता है, जो उनके साहित्य को विशेष बनाता है। उनकी भाषा शुद्ध और संस्कृतनिष्ठ होते हुए भी हृदयस्पर्शी होती है।
प्रश्न 5. महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा, महादेवी वर्मा को साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- महादेवी वर्मा एक संवेदनशील और सशक्त कवयित्री थीं। वे न केवल एक महान साहित्यकार थीं, बल्कि एक समाजसेवी और शिक्षाविद भी थीं। उनका व्यक्तित्व एक संयमित और भावुक महिला का था, जो अपने विचारों और आदर्शों के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और समाज में उनकी स्थिति सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियों में यामा, नीरजा, दीपशिखा और सप्तपर्णा प्रमुख हैं। इन कृतियों में उन्होंने प्रेम, वेदना, और जीवन के विभिन्न पहलुओं का सुंदर चित्रण किया है। उनकी गद्य रचनाओं में अतीत के चलचित्र और स्मृति की रेखाएं प्रमुख हैं, जो उनके जीवन अनुभवों और संवेदनाओं का अद्भुत प्रतिबिंब हैं। महादेवी वर्मा को 1982 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो हिंदी साहित्य के लिए उनके अमूल्य योगदान को प्रमाणित करता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. इस पाठ से लेखिका के स्वभाव आदि के बारे में आपको क्या-क्या ज्ञात होता है?
उत्तर- इस पाठ से लेखिका महादेवी वर्मा के दयालु और संवेदनशील स्वभाव का पता चलता है। वे जीव-जंतुओं के प्रति बहुत प्रेम और करुणा रखती थीं, जैसा कि गिल्लू की देखभाल से स्पष्ट है। लेखिका में धैर्य और समर्पण की भावना भी दिखाई देती है, जो उन्होंने गिल्लू के पालन-पोषण में दिखाई। उनकी सूक्ष्म निरीक्षण क्षमता और प्रकृति के प्रति प्रेम भी इस पाठ से झलकता है।
प्रश्न 2. लेखिका ने अपनी रचनाओं में किन-किन शैलियों का प्रयोग किया है?
उत्तर- महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं में विविध शैलियों का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया है। उन्होंने मुख्यतः वर्णनात्मक, विवेचनात्मक और भावात्मक शैलियों का उपयोग किया है। इसके अलावा, उनकी रचनाओं में चित्रोपम, व्यंग्यात्मक, आलंकारिक और सूक्ति शैलियों के उदाहरण भी मिलते हैं। ये विभिन्न शैलियाँ उनकी लेखन क्षमता और विषय की गहन समझ को दर्शाती हैं।
प्रश्न 3. गिल्लू कौन था? उसकी विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- गिल्लू एक घायल गिलहरी का बच्चा था, जिसे लेखिका ने बचाया और पाला। वह बुद्धिमान और संवेदनशील था, जो लेखिका के साथ एक मजबूत बंधन विकसित कर चुका था। गिल्लू अपनी जरूरतों को व्यक्त करने में सक्षम था, जैसे भूख लगने पर चिक-चिक की आवाज करना। वह काजू का शौकीन था और अपनी पसंद-नापसंद स्पष्ट रूप से दिखाता था। गिल्लू की ये विशेषताएँ उसे एक अनूठा और प्यारा पालतू जानवर बनाती थीं।
प्रश्न 4. महादेवी वर्मा को ‘विरह की गायिका’ के रूप में आधुनिक मीरा’ किस आधार पर कहा जाता है? स्पष्ट | कीजिए।
उत्तर- महादेवी वर्मा को ‘विरह की गायिका’ और ‘आधुनिक मीरा’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी कविताओं में प्रेम और विरह की अभिव्यक्ति मीराबाई की भक्ति भावना से मिलती-जुलती है। उनकी रचनाओं में रहस्यवाद और आध्यात्मिकता का गहरा प्रभाव दिखता है। वे अपनी कविताओं में एक अज्ञात प्रियतम के प्रति प्रेम और विरह की भावना व्यक्त करती हैं, जो उन्हें मीराबाई की परंपरा से जोड़ता है।
प्रश्न 5. लेखिका ने कौए को समादरित, अनादरित, अतिसम्मानित तथा अतिअवमानित क्यों कहा है?
उत्तर- लेखिका ने कौए को इन विरोधाभासी शब्दों से संबोधित किया है क्योंकि समाज में कौए की भूमिका दोहरी है। पितृपक्ष में कौए को श्रद्धा से भोजन दिया जाता है, जो उसे समादरित और अतिसम्मानित बनाता है। वहीं, उसकी कर्कश आवाज को अशुभ माना जाता है, जो उसे अनादरित बनाता है। कौए की आवाज का उपयोग किसी को अपमानित करने के लिए भी किया जाता है, जो उसे अतिअवमानित की श्रेणी में रखता है। इस प्रकार, कौए की सामाजिक छवि इन विरोधाभासी धारणाओं से निर्मित होती है।
प्रश्न 6. गिल्लू को लेखिका ने किन परिस्थितियों में प्राप्त किया?
उत्तर- लेखिका ने गिल्लू को एक दयनीय स्थिति में पाया। वह एक छोटी गिलहरी का बच्चा था, जो संभवतः अपने घोंसले से गिर गया था और गमले और दीवार के बीच फंस गया था। कौए उस पर हमला कर रहे थे, जिससे वह घायल और असहाय हो गया था। लेखिका ने उसे इस खतरनाक स्थिति से बचाया और उसे आश्रय दिया।
प्रश्न 7. गिल्लू के किन-किन व्यवहारों से पता चलता है कि वह समझदार प्राणी था?
उत्तर- गिल्लू की समझदारी कई व्यवहारों से प्रकट होती थी। वह भूख लगने पर चिक-चिक आवाज करके अपनी जरूरत बताता था। खाना खाते समय वह लेखिका की थाली के पास बैठकर एक-एक चावल चुनकर खाता था। गर्मी से बचने के लिए वह सुराही पर लेट जाता था। काजू न मिलने पर वह अन्य खाद्य पदार्थों को अस्वीकार कर देता था। ये सभी व्यवहार उसकी बुद्धिमत्ता और भावनात्मक समझ को दर्शाते हैं।
प्रश्न 8. गिल्लू पाठ से दस सुन्दर वाक्य लिखिए।
उत्तर-
- सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है।
- मैं उसे गिल्लू कहकर बुलाने लगी।
- गिल्लू के जीवन का प्रथम बसन्त आया।
- नीम-चमेली की गन्ध मेरे कमरे में हौले-हौले आने लगी।
- गिल्लू मेरी थाली के पास बैठ जाता और थाली में से एक-एक चावल निकालकर कुतरता रहता।
- काजू गिल्लू का प्रिय खाद्य था।
- गर्मी के दिनों में वह मेरी सुराही पर लेट जाता।
- गिल्लू अपने पिंजरे में बैठा पूरे दिन गुनगुनाता रहता।
- मेरे पास बहुत से पशु-पक्षी थे, पर गिल्लू इनमें अपवाद था।
- गिल्लू की स्मृति अब भी मेरे मन में ताजी है।
प्रश्न 9. लेखिका के किन व्यवहारों से ज्ञात होता है कि गिल्लू को वह अपने परिवार के एक सदस्य की तरह मानती थी?
उत्तर- लेखिका गिल्लू को परिवार का सदस्य मानती थी, जो उनके कई व्यवहारों से स्पष्ट होता है। वे गिल्लू को अपनी थाली से खाना खिलाती थीं, जो एक परिवार के साथ भोजन करने जैसा था। गिल्लू के लिए विशेष व्यवस्था करना, जैसे उसे काजू और बिस्कुट खिलाना, उसकी पसंद का ध्यान रखना दर्शाता है। लेखिका गिल्लू की देखभाल में पूरा समय और ध्यान देती थीं, जैसे कि वह उनके बच्चे जैसा हो।
प्रश्न 10. अपने किसी पालतू जन्तु के विषय में वर्णन कीजिए।
उत्तर- मेरे पास एक प्यारा कुत्ता है जिसका नाम टॉमी है। वह एक मध्यम आकार का लैब्राडोर है, जिसका रंग सुनहरा है। टॉमी बहुत समझदार और वफादार है। वह हर सुबह मुझे जगाता है और मेरे साथ सैर पर जाता है। घर की रखवाली करना उसका पसंदीदा काम है। टॉमी बच्चों के साथ खेलना पसंद करता है और अजनबियों के प्रति सतर्क रहता है। उसकी मौजूदगी हमारे घर को और भी ख़ुशहाल बनाती है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. महादेवी वर्मा की दो रेखाचित्र कृतियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर- ‘स्मृति की रेखाएँ’ और ‘अतीत के चलचित्र’ महादेवी वर्मा के दो रेखाचित्र हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (✔) का चिह्न लगाइए –
उत्तर-
(अ) गिल्लू तीन वर्ष तक महादेवी जी के घर में रहा। (✘)
(ब) गिल्लू महादेवी जी के साथ उनकी थाली में भी खाता था। (✔)
(स) गिल्लू को कौए ने मार डाला था। (✘)
(द) सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी। (✔)
प्रश्न 3. महादेवी वर्मा किस युग की लेखिका थीं?
उत्तर- महादेवी वर्मा शुक्लोत्तर युग की लेखिका थीं।
प्रश्न 4. गिलहरियों के जीवन की अवधि कितने वर्ष की होती है?
उत्तर- गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष की होती है।
प्रश्न 5. ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी जी की किस कृति से लिया गया है?
उत्तर- ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी जी द्वारा लिखित ‘मेरा परिवार’ नामक पुस्तक से लिया गया है।
व्याकरण-बोध
प्रश्न 1.‘समादरित’ शब्द का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइए –
उत्तर- समादरित – सम + आदरित – दीर्घ सन्धि
प्रश्न 2. वाक्य-विश्लेषण कीजिए –
यह कागभुशुण्डि भी विचित्र पक्षी है – एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।
उत्तर- कागभुशुण्डि एक ऐसा विचित्र पक्षी है जिसका आदर भी होता है, अनादर भी होता है, जो सम्मानित भी होता है और अपमानित भी।
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग कीजिए –
गिल्लू, सोनजुही, बसंत, जाली, काजू, गिलहरी।
उत्तर-
- गिल्लू – महादेवी वर्मा ने जिस गिलहरी को पाला था उसका नाम गिल्लू रखा।
- सोनजुही- सोनजुही में एक पीली कली लगी है।
- बसंत- बसंत का मौसम अत्यन्त प्यारा होता है।
- जाली- गिल्लू काजू न पाने पर अन्य चीजें काट-काटकर जाली से गिरा देता था।
- काजू- गिल्लू को काजू बहुत पसन्द था।
- गिलहरी- गिलहरी की अवधि दो वर्ष होती है।