Bihar Board Class 9 History Chapter 6 Solutions – आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद

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आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद बिहार बोर्ड की कक्षा 9 इतिहास की पाठ्यपुस्तक का छठा अध्याय है। इस अध्याय में हम आदिवासी समुदायों की संस्कृति और जीवन शैली के बारे में जानेंगे। साथ ही, देखेंगे कि उपनिवेशवादी शक्तियों ने कैसे आदिवासियों पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया और उनकी परंपराओं को कैसे नष्ट किया।

Bihar Board Class 9 History Chapter 6

Bihar Board Class 9 History Chapter 6 Solutions

SubjectHistory
Class9th
Chapter6. आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद
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Bihar Board class 9 History Chapter 6 – बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारतीय वन अधिनियम कब पारित हुआ?

(क) 1864
(ख) 1865
(ग) 1885
(घ) 1874

उत्तर- (ख) 1865

प्रश्न 2. तिलका माँझी का जन्म किस ई० में हुआ था ?

(क) 1750
(ख) 1774
(ग) 1785
(घ) 1850

उत्तर- (क) 1750

प्रश्न 3. तमार विद्रोह किस ई० में हुआ था?

(क) 1784
(ख) 1788
(ग) 1789
(घ) 1799

उत्तर- (ग) 1789

प्रश्न 4. चेरो जन जाति कहाँ की रहने वाली थी?

(क) राँची
(ख) पटना
(ग) भागलपुर
(घ) पलामू

उत्तर- (घ) पलामू

प्रश्न 5. किस जनजाति के शोषण विलीन शासन की स्थापना हेतु साउथ वेस्ट फ्रान्टियर एजेंसी बनाया गया ?

(क) चेरो
(ख) हो
(ग) कोल
(घ) मुण्डा

उत्तर- (ग) कोल

प्रश्न 6. भूमिज विद्रोह कब हुआ था ?

(क) 1779
(ख) 1832
(ग) 1855
(घ) 1869

उत्तर- (ख) 1832

प्रश्न 7. सन् 1855 के संथाल विद्रोह का नेता इनमें से कौन था ?

(क) शिबू सोरेन
(ख) सिद्धू
(ग) बिरसा मुंडा
(घ) मंगल पांडे

उत्तर- (ख) सिद्धू

प्रश्न 8. बिरसा मुंडा ने ईसाई मिशनरियों पर कब हमला किया ?

(क) 24 दिसम्बर, 1889
(ख) 25 दिसम्बर, 18999
(ग) 25 दिसम्बर, 1900
(घ) 8 जनवरी, 1900

उत्तर- (ख) 25 दिसम्बर, 18999

प्रश्न 9. भारतीय संविधान के किस धारा के अन्तर्गत आदिवासियों को कमजोर वर्ग का दर्जा दिया गया है ?

(क) धारा 342
(ख) धारा 352
(ग) धारा 356
(घ) धारा 360

उत्तर- (क) धारा 342

प्रश्न 10. झारखंड को राज्य का दर्जा कब मिला?

(क) नवम्बर, 2000
(ख) 15 नवम्बर, 2000
(ग) 15 दिसम्बर, 2000
(घ) 15 नवम्बर, 2001

उत्तर- (ख) 15 नवम्बर, 2000

रिक्त स्थान की पूर्ति करें

  1. जनजातियों की सर्वाधिक आबादी मध्य-प्रदेश में है।
  2. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज कई कबीला में बँटा था।
  3. वन्य समाज में शिक्षा देने के उद्देश्य से ईसाई मिशनरियों ने में घुसपैठ की ।
  4. जर्मन वन विशेषज्ञ डायट्रिच बैडिस ने सन् 1864 ई० में भारतीय वन सेवा की स्थापना की।
  5. तिलका मांझी पहला संथाली था, जिसने अंग्रेजों पर हथियार उठाया ।
  6. ‘हो’ ‘जाति के लोग छोटानागपुर के सिंहभूम के निवासी थे।
  7. भागलपुर से राजमहल के बीच का क्षेत्र दामन-ए-कोह कहलाता था।
  8. सन् 1885 ई० में में संथाल विद्रोह हुआ।
  9. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर, 1874 को हुआ था।
  10. छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवम्बर, 2000 को हुआ था।

Bihar Board class 9 History Chapter 6 – लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: वन्य समाज की राजनैतिक स्थिति पर प्रकाश डालें।

उत्तर: 18वीं शताब्दी में वन्य समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। प्रत्येक कबीले का एक मुखिया होता था जिसका मुख्य कर्तव्य अपने कबीले की सुरक्षा करना था। मुखिया युद्ध कुशल और कबीले की रक्षा में सक्षम होना आवश्यक था। इनकी अपनी स्वशासी प्रणाली थी जिसमें सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया था। परंतु अंग्रेजों ने उन्हें प्रलोभित करके अपने हिमायती बना लिया और उनकी मदद से ही राजस्व वसूली करने लगे। इससे वन्य समाज की राजनीतिक स्थिति बिगड़ गई।

प्रश्न 2: वन्य समाज का सामाजिक जीवन कैसा था?

उत्तर: आदिवासी सीधे-सादे और निष्कपट लोग थे। उनका जीवन जंगलों पर ही निर्भर था। वे जंगल से लकड़ी काटकर ईंधन का प्रयोग करते थे और पशुओं के चारे की व्यवस्था भी जंगलों से ही करते थे। नृत्य, गायन और शिकार उनके मुख्य मनोरंजन थे। वे ‘सरहुल’ पर्व भी मनाते थे। लेकिन अंग्रेजी शासन ने छोटे शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे उनके सामाजिक जीवन पर प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 3: अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज का आर्थिक जीवन कैसा था?

उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज की आर्थिक गतिविधियों का आधार कृषि थी। वे ‘घुमंतू’, ‘झूम’ या ‘पोडू’ विधि से खेती करते थे जिसमें वे जगह-जगह बदलते रहते थे। इसके अलावा वे हाथी-दांत, बांस, मशाले, रेशे और रबर का व्यापार भी करते थे। लाह उद्योग भी उनके पास था। लेकिन अंग्रेजों ने वन सेवा की शुरुआत करके और वन अधिनियम लागू करके उनकी आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिए। इसके बाद रेलवे विस्तार के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई से उनका आर्थिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।

प्रश्न 4: अठारहवीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों ने वन्य समाज को कैसे प्रभावित किया?

उत्तर: अंग्रेजों को जब जनजातीय क्षेत्रों में प्रवेश करने में कठिनाई हुई तो उन्होंने शिक्षा के बहाने ईसाई मिशनरियों को वहां भेजा। ये मिशनरी आदिवासियों की संस्कृति और धर्म की आलोचना करने लगे और उनका धर्म परिवर्तन कराने लगे। कई आदिवासियों ने ईसाई धर्म अपना लिया और शिक्षित हुए। लेकिन इससे वे अपने ही लोगों से कटने लगे। आदिवासी इसे अपनी संस्कृति और धर्म पर अंग्रेजों का अतिक्रमण समझकर इसका विरोध करने लगे।

प्रश्न 5. ‘भारतीय वन अधिनियम’ का क्या उद्देश्य था ?

उत्तर: ‘भारतीय वन अधिनियम’ का मुख्य उद्देश्य जंगलों को संरक्षित करना और आदिवासियों द्वारा पेड़ काटने पर रोक लगाना था। इस अधिनियम के तहत जंगलों की लकड़ी का उत्पादन किया जाना था। यह कानून जर्मन वन विशेषज्ञ डायट्रिच बैंडिस द्वारा वर्ष 1865 में लागू किया गया था।

प्रश्न 6. ‘चेरो’ विद्रोह से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर: ‘चेरो विद्रोह’ का अर्थ है झारखंड के पलामू क्षेत्र की चेरो जनजाति द्वारा अपने राजा चूड़ामण राय और अंग्रेजों के शोषण के विरुद्ध सन् 1800 में भूषण सिंह के नेतृत्व में किया गया विद्रोह। राजा की सहायता के लिए अंग्रेजी सेना बुलाई गई, जिसने विद्रोह को कुचल दिया और भूषण सिंह को फांसी दी गई।

प्रश्न 7. ‘तमार’ विद्रोह क्या था ?

उत्तर: ‘तमार विद्रोह’ सन् 1789 में छोटानागपुर क्षेत्र की उराँव जनजाति द्वारा जमींदारी शोषण के विरुद्ध किया गया विद्रोह था। यह 1794 तक चला परंतु अंग्रेजों ने जमींदारों की मदद से इसे दबा दिया। फिर भी उराँव जनजाति ने मुंडा और संथाल जनजातियों के साथ मिलकर विद्रोह जारी रखा।

प्रश्न 8. ‘चुआर’ विद्रोह के विषय में लिखें।

उत्तर: बंगाल के मिदनापुर, बांकुड़ा और मानभूम इलाकों की चुआर जनजाति ने अंग्रेजों की लगान व्यवस्था के विरुद्ध रानी सिरोमणी के नेतृत्व में सन् 1798 में ‘चुआर विद्रोह’ किया। यह लंबे समय तक चला। अंततः 6 अप्रैल 1799 को रानी सिरोमणी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। लेकिन चुआर विद्रोह खत्म नहीं हुआ और वे भूमिज विद्रोह में शामिल हो गए।

प्रश्न 9. उड़ीसा के जनजाति के लिए चक्र बिसोई ने क्या किए?

उत्तर: चक्र बिसोई उड़ीसा का एक कंध आदिवासी नेता था। उसकी जनजाति में मानव बलिदान की ‘मरियाह प्रथा’ प्रचलित थी। जब अंग्रेजों ने इस प्रथा पर रोक लगाने की कोशिश की तो चक्र बिसोई ने इसका विरोध किया क्योंकि यह आदिवासियों की सामाजिक-धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप था।

प्रश्न 10. आदिवासियों के क्षेत्रवादी आन्दोलन का क्या परिमाण हुआ?

उत्तर: भारत की आजादी के बाद आदिवासियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन किए। धीरे-धीरे यह क्षेत्रवादी आंदोलन बन गया और आदिवासी बहुल राज्यों की मांग उठी। इसी मांग को देखते हुए मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ और बिहार से झारखंड राज्य का गठन नवंबर 2000 में किया गया।

Bihar Board class 9 History Chapter 6 – दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अठारहवीं शताब्दी में भारत में जनजातियों के जीवन पर प्रकाश डालें।

उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में भारत की जनजातियों का जीवन निम्न प्रकार से प्रभावित हुआ:

  1. राजनीतिक जीवन: जनजातियां कबीलों में विभाजित थीं और प्रत्येक कबीले का एक मुखिया होता था जो उनका नेतृत्व करता था। अंग्रेजों के आगमन के साथ उनका शोषण शुरू हुआ, जिससे क्रांति और विद्रोह की भावनाएं जागृत हुईं।
  2. सामाजिक जीवन: जनजातियों का सामाजिक जीवन नृत्य, गायन और शिकार पर आधारित था। ईसाई मिशनरियों द्वारा जंगलों की कटाई और शिकार पर प्रतिबंध लगाए जाने से उनके सामाजिक जीवन पर गहरा असर पड़ा।
  3. आर्थिक जीवन: उनकी आजीविका कृषि, व्यापार और उद्योगों पर निर्भर थी। वे झूम या पोडू विधि से खेती करते थे और हाथी दांत, बांस, मशालें, रेशे और रबर का व्यापार करते थे। लाख उद्योग भी विकसित था। लेकिन ‘भारतीय वन अधिनियम’ के कारण पेड़ों की कटाई पर रोक लग गई, जिससे उनकी आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा।
  4. धार्मिक जीवन: ईसाई मिशनरियों के आगमन से धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हुई। जिन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया, उनमें धार्मिक असंतोष बढ़ा। कुछ सुधार के बावजूद, आदिवासियों में विभाजन की स्थिति बनी।

प्रश्न 2. तिलका मांझी कौन थे ? उसने आदिवासी क्षेत्र के लिए क्या किया?

उत्तर: तिलका मांझी संथाल जनजाति के एक क्रांतिकारी नेता थे जिन्होंने आदिवासी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे वर्ष 1750 में भागलपुर प्रमंडल के तिलकपुर गांव में जन्मे थे। उन्होंने न केवल जमींदारों के शोषण के विरुद्ध बल्कि अधिक भू-राजस्व की राशि और किसानों की भूमि जमींदारों से छीनने के खिलाफ भी सशस्त्र विद्रोह किया। जब जमींदारों ने अंग्रेजी सेना की मदद ली, तो तिलका मांझी ने तिलापुर जंगल को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। वे भागलपुर के पहले कलेक्टर अगस्टस क्लेवलैंड पर हमला करने वाले पहले संथाल थे और उन्होंने 1784 में तीर-धनुष से कलेक्टर को घायल कर दिया, जिससे बाद में उनकी मृत्यु हो गई। अंततः तिलका मांझी को भी पकड़ लिया गया और 1785 में भागलपुर में उन्हें फांसी दे दी गई।

प्रश्न 3. संथाल विद्रोह से आप क्या समझते हैं ? सन् 1857 ई० के विद्रोह में उनकी क्या भूमिका थी?

उत्तर: संथाल विद्रोह आदिवासियों द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण विद्रोह का नाम है जिसका प्रभाव 1857 की क्रांति पर भी पड़ा। यह विद्रोह बिहार और बंगाल के बीच स्थित संथाल बहुल ‘दामन-ए-कोह’ क्षेत्र में हुआ। अंग्रेजों के शोषण से प्रेरित होकर भगनाडीह गांव के चुलू संथाल के चार पुत्र सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव ने इस विद्रोह की शुरुआत की। 1854 तक आदिवासियों ने अत्यधिक राजस्व वसूली, सामाजिक प्रतिबंध और आर्थिक कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए कई सभाएं आयोजित कीं।

30 जून 1855 को भगनाडीह गांव में 10,000 संथाल सशस्त्र सभा में एकत्रित हुए और ठाकुर सिद्धू के आदेश पर जमींदारी, महाजनी और सरकारी अत्याचारों का विरोध करने, अंग्रेजी शासन को समाप्त करने और अपना स्वतंत्र संथाल राज स्थापित करने का संकल्प लिया गया। सिद्धू और कान्हू ने स्वतंत्रता की घोषणा भी की। हालांकि, अंग्रेजों ने इस विद्रोह को कुचल दिया और लगभग 20,000 संथाल मारे गए तथा सैकड़ों गांव जला दिए गए। लेकिन, 1857 की क्रांति में संथाल इन विद्रोहियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 4. मुंडा विद्रोह का नेता कौन था। औपनिवेशिक शोषण के विरुद्ध उसने क्या किया?

उत्तर: मुंडा विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया। वह औपनिवेशिक शासन की भू-राजस्व प्रणाली, शोषणपूर्ण नीतियों और जमींदारी प्रथा से बेहद आक्रोशित था। धर्म से प्रभावित होकर उन्होंने सन् 1895 में खुद को ईश्वर का दूत घोषित कर दिया। वे धार्मिकता का उपयोग आदिवासियों को एकसूत्र में बांधने के लिए करने लगे। 25 दिसम्बर 1899 को उन्होंने ईसाई मिशनरियों पर आक्रमण किया। हालांकि, 8 जनवरी 1900 को ब्रिटिश सरकार ने इस विद्रोह को कुचल दिया और लगभग 200 पुरुष एवं महिलाओं को मार डाला तथा 300 लोगों को बंदी बना लिया। बिरसा मुंडा पर 500 रुपये का इनाम रखा गया और 3 मार्च 1900 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। राँची जेल में उनकी हैजा बीमारी से मृत्यु हो गई।

प्रश्न 5. वे कौन से कारण थे, जिन्होंने अंग्रेजों को वन्य-समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के लिए वाध्य किया ?

उत्तर: अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के कई कारण थे। पहला, ब्रिटिश साम्राज्य की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों की कटाई आवश्यक हो गई थी, जिससे आदिवासी जीवन पर गहरा असर पड़ा। डायट्रिच बैंडिस ने ‘भारतीय वन अधिनियम’ लागू करके आदिवासियों पर पेड़ काटने की रोक लगा दी और जंगलों को उत्पादन के लिए सुरक्षित कर दिया।

दूसरा कारण था आदिवासियों द्वारा जंगलों का मुफ्त उपयोग किया जाना। वे भोजन, ईंधन, लकड़ी, घरेलू सामग्री और व्यापार के लिए वनों पर निर्भर थे। अंग्रेजों ने इन पर प्रतिबंध लगाकर खुद का व्यापार करना चाहा।

तीसरा कारण था वन्य प्रदेशों से राजस्व वसूली। अंग्रेजों ने आदिवासी कबीलों के मुखियाओं को जमींदार बनाया और वन भूमि पर राजस्व लगा दिया, जिसकी वसूली कठोरता से की जाती थी। इन कारणों से अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप करना पड़ा।

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