Bihar Board Class 9 History Chapter 4 Solutions – विश्वयुध्दों का इतिहास

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विश्व युद्धों का इतिहास बिहार बोर्ड की कक्षा 9 इतिहास की पाठ्यपुस्तक का चौथा अध्याय है। यह अध्याय हमें प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध की घटनाओं से अवगत कराता है। इन दोनों विश्व युद्धों ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था और लाखों लोगों की जान गई थी। हम इस अध्याय में युद्धों के कारणों, उनके विकास के चरणों और परिणामों को समझेंगे।

Bihar Board Class 9 History Chapter 4

Bihar Board Class 9 History Chapter 4 Solutions

SubjectHistory
Class9th
Chapter4. विश्वयुध्दों का इतिहास
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Bihar Board Class 9 History Chapter 4 – वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. प्रथम विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ ?

(क) 1941 ई० में
(ख) 1952 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1914 ई० में

उत्तर- (घ) 1914 ई० में

प्रश्न 2. प्रथम विश्वयुद्ध में किसकी हार हुई ?

(क) अमेरिका की
(ख) जर्मनी की
(ग) रूस की
(घ) इंग्लैण्ड की

उत्तर- (ख) जर्मनी की

प्रश्न 3. 1917 ई० में कौन देश प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया ?

(क) रूस
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) जर्मनी

उत्तर- (क) रूस

प्रश्न 4. वर्साय की संधि के फलस्वरूप इनमें किस महादेश का मानचित्र बदल गया?

(क) यूरोप का
(ख) आस्ट्रेलिया का
(ग) अमेरिका का
(घ) रूस का

उत्तर- (क) यूरोप का

प्रश्न 5. त्रिगुट समझौते में शामिल थे

(क) फ्रांस ब्रिटेन और जापान ।
(ख) फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रिया
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली
(घ) इंग्लैण्ड, अमेरिका और रूस

उत्तर- ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली

प्रश्न 6. द्वितीय विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ?

(क) 1939 ई० में
(ख) 1941 ई० में
(ग) 1936 ई० में
(घ) 1938 ई० में

उत्तर- (क) 1939 ई० में

प्रश्न 7. जर्मनी को पराजित करने का श्रेय किस देश को है ?

(क) फ्रांस को
(ख) रूस को
(ग) चीन को
(घ) इंग्लैण्ड को

उत्तर- (घ) इंग्लैण्ड को

प्रश्न 8. द्वितीय विश्वयुद्ध में कौन-सा देश पराजित हुआ?

(क) चीन
(ख) जापान
(ग) जर्मनी
(घ) इटली

उत्तर- (ग) जर्मनी

प्रश्न 9. द्वितीय विश्वयुद्ध में पहला एटम बम कहाँ गिराया गया था ?

(क) हिरोशिमा पर
(ख) नागासाकी पर
(ग) पेरिस पर
(घ) लन्दन पर

उत्तर- (क) हिरोशिमा पर

प्रश्न 10. द्वितीय विश्वयुद्ध का कब अन्त हुआ?

(क) 1939 इ० का
(ख) 1941 ई० को
(ग) 1945 ई० को
(घ) 1938 ई० को

उत्तर- (ग) 1945 ई० को

रिक्त स्थान की पूर्ति करें

  1. द्वितीय विश्वयुद्ध के फलस्वरूप साम्राज्यवादी साम्राज्यों का पतन हुआ।
  2. जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था।
  3. धुरी राष्ट्रों में जर्मनी ने सबसे पहले आत्मसमर्पण किया ।
  4. बर्साय. की संधि की शर्ते द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी थीं।
  5. अमेरिका ने दूसरा एटम बम जापान के नागासाकी बन्दरगाह पर गिराया था।
  6. वर्साय. की संधि में ही द्वितीय विश्व युद्ध के बीज निहित थे ।
  7. प्रथम विश्व युद्ध के बाद जापान एक विश्वशक्ति बनकर उभरा ।
  8. प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के साथ शांति की संधि की।
  9. राष्ट्रसंघ की स्थापना का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति बुडरो विलसन को दिया जाता है।
  10. राष्ट्रसंघ की स्थापना 1920 ई० में की गई।

Bihar Board Class 9 History Chapter 4 – लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध कई जटिल कारणों का परिणाम था। साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा ने यूरोपीय देशों को एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश स्थापित करने की होड़ में धकेल दिया। इसके साथ ही, यूरोप का दो प्रतिद्वंद्वी गुटों – त्रिगुट और त्रिदेशीय संधि में विभाजन ने तनाव को और बढ़ा दिया। सैन्यवाद की बढ़ती प्रवृत्ति ने देशों को अपनी सैन्य शक्ति पर अत्यधिक खर्च करने के लिए प्रेरित किया। इन सबके अतिरिक्त, उग्र राष्ट्रवाद की भावना ने देशों के बीच अविश्वास और शत्रुता को बढ़ावा दिया। इन कारणों ने मिलकर एक ऐसा माहौल तैयार किया जहां एक छोटी सी चिंगारी ने विश्व युद्ध की आग को भड़का दिया।

प्रश्न 2. त्रिगुट (Triple Alliance) तथा त्रिदेशीय (Triple Entente) में कौन-कौन से देश शामिल थे? इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य क्या था?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध से पहले यूरोप दो प्रमुख गुटों में बंटा हुआ था। त्रिगुट में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली शामिल थे, जबकि त्रिदेशीय संधि में ब्रिटेन, फ्रांस और रूस थे। इन गुटों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाना, राजनीतिक प्रभाव का विस्तार करना और आर्थिक हितों की रक्षा करना था। साथ ही, ये गुट प्रतिद्वंद्वी देशों के खिलाफ एक संतुलन बनाने का प्रयास भी करते थे। हालांकि, इन गुटों ने यूरोप में तनाव को और बढ़ा दिया और युद्ध की स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया।

प्रश्न 3. प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण 28 जून, 1914 को बोस्निया की राजधानी सारायेवो में घटित एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। इस दिन ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की एक सर्बियाई छात्र गैव्रिलो प्रिंसिप द्वारा हत्या कर दी गई। यह घटना ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के बीच पहले से मौजूद तनाव को चरम पर ले गई। इसके परिणामस्वरूप, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा कर दी, जिसने एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू कर दी और अन्य यूरोपीय शक्तियों को भी युद्ध में खींच लिया। इस प्रकार, यह घटना विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण बन गई।

प्रश्न 4. सर्वस्लाव आन्दोलन का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- सर्वस्लाव आंदोलन 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उभरा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक विचार था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सभी स्लाव लोगों को एक राजनीतिक इकाई में एकजुट करना था। यह आंदोलन विशेष रूप से ऑस्ट्रिया-हंगरी और ओटोमन साम्राज्य के अधीन रहने वाले स्लाव लोगों की स्वतंत्रता के लिए प्रयासरत था। इसका लक्ष्य बाल्कन क्षेत्र में एक स्वतंत्र स्लाव राज्य की स्थापना करना था। रूस इस आंदोलन का प्रमुख समर्थक था, जिसने यूरोपीय राजनीति में तनाव पैदा किया और अंततः प्रथम विश्व युद्ध के कारणों में से एक बन गया।

प्रश्न 5. उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का किस प्रकार एक कारण था ?

उत्तर- उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण थी। इसने देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और शत्रुता को बढ़ावा दिया, साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं को उत्तेजित किया और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की उपेक्षा की। राष्ट्रीय गौरव की भावना ने देशों को अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप राजनीतिक तनाव और अस्थिरता पैदा हुई। उग्र राष्ट्रवाद ने लोगों में यह धारणा पैदा की कि उनका देश दूसरों से श्रेष्ठ है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना कमजोर हुई। इन सभी कारकों ने मिलकर युद्ध की स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया, जो अंततः विश्व युद्ध में परिणत हुआ।

प्रश्न 6. “द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी।” कैसे?

उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध को प्रथम विश्व युद्ध की परिणति माना जाता है क्योंकि दोनों युद्धों के बीच एक सीधा संबंध था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय की संधि ने जर्मनी पर कठोर प्रतिबंध लगाए, जिससे वहां अपमान और प्रतिशोध की भावना पैदा हुई। इसके साथ ही, आर्थिक संकट और बेरोजगारी ने जर्मनी में उग्रवादी विचारधाराओं को जन्म दिया। लीग ऑफ नेशंस की विफलता ने अंतरराष्ट्रीय शांति व्यवस्था को कमजोर किया, जिससे फासीवाद और नाजीवाद जैसी कट्टरपंथी विचारधाराओं का उदय हुआ। हिटलर ने इन परिस्थितियों का लाभ उठाया, वर्साय की संधि को चुनौती दी और आक्रामक विस्तारवादी नीति अपनाई। ये सभी कारक मिलकर अंततः द्वितीय विश्व युद्ध की ओर ले गए, जो प्रथम विश्व युद्ध के अनसुलझे मुद्दों और उसके परिणामों का ही विस्तार था।

प्रश्न 7. द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था?

उत्तर- हिटलर द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए काफी हद तक उत्तरदायी था। वर्साय की संधि से जर्मनी में पैदा हुई अपमान और प्रतिशोध की भावना का लाभ उठाकर हिटलर ने सत्ता हासिल की। उसने नाजी विचारधारा को बढ़ावा दिया और जर्मनी में तानाशाही स्थापित की। हिटलर ने वर्साय की संधि का खुलेआम उल्लंघन किया और जर्मनी का तेजी से सैन्यीकरण किया। उसने आक्रामक विस्तारवादी नीति अपनाई, जिसके तहत ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा किया। अंततः, पोलैंड पर आक्रमण करके हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत की। हालांकि अन्य कारक भी मौजूद थे, हिटलर की आक्रामक नीतियों और कार्यों ने युद्ध को अपरिहार्य बना दिया।

प्रश्न 8. द्वितीय विश्वयुद्ध के किन्हीं पाँच परिणामों का उल्लेख करें ।

उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध के पांच प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे:-

  1. व्यापक जन-धन की हानि: इस युद्ध में लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए, जिनमें सैनिक और नागरिक दोनों शामिल थे। आर्थिक नुकसान भी अभूतपूर्व था।
  2. यूरोपीय प्रभुत्व का अंत: युद्ध के बाद यूरोपीय देशों का वैश्विक प्रभुत्व समाप्त हो गया और कई एशियाई और अफ्रीकी देश स्वतंत्र हुए।
  3. दो महाशक्तियों का उदय: संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ दो प्रमुख वैश्विक शक्तियों के रूप में उभरे, जिससे शीत युद्ध की शुरुआत हुई।
  4. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना: विश्व शांति को बनाए रखने के लिए 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
  5. वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति: युद्ध ने वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास को गति दी, जिसके परिणामस्वरूप परमाणु ऊर्जा, जेट विमान और कंप्यूटर जैसी नई तकनीकें विकसित हुईं।

प्रश्न 9. तुष्टिकरण की नीति क्या है ?

उत्तर- तुष्टिकरण की नीति 1930 के दशक में ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा अपनाई गई एक विदेश नीति थी। इस नीति का उद्देश्य नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली जैसी आक्रामक शक्तियों को संतुष्ट करके युद्ध से बचना था। इसके तहत, ये देश हिटलर की कुछ मांगों को स्वीकार करते रहे, जैसे कि 1938 के म्यूनिख समझौते में चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड क्षेत्र को जर्मनी को देना। तुष्टिकरण की नीति के समर्थकों का मानना था कि इससे हिटलर की महत्वाकांक्षाएं शांत हो जाएंगी और युद्ध टल जाएगा। हालांकि, यह नीति विफल रही और हिटलर को और अधिक आक्रामक बनने का मौका दिया, जो अंततः द्वितीय विश्वयुद्ध की ओर ले गया।

प्रश्न 10. राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा?

उत्तर- राष्ट्रसंघ, जो प्रथम विश्वयुद्ध के बाद स्थापित किया गया था, कई कारणों से असफल रहा। पहला, इसके पास किसी भी निर्णय को लागू करने के लिए पर्याप्त शक्ति नहीं थी। दूसरा, अमेरिका जैसे प्रमुख देश इसके सदस्य नहीं बने, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो गई। तीसरा, बड़े देशों ने अपने हितों को प्राथमिकता दी और राष्ट्रसंघ के निर्णयों की अवहेलना की। चौथा, 1930 के दशक में जापान, जर्मनी और इटली जैसे आक्रामक देशों के खिलाफ कार्रवाई करने में राष्ट्रसंघ विफल रहा। पांचवां, आर्थिक प्रतिबंध जैसे उपाय अप्रभावी साबित हुए। इन कारणों से राष्ट्रसंघ विश्व शांति बनाए रखने में असफल रहा और अंततः द्वितीय विश्वयुद्ध को रोकने में विफल रहा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखें।

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) कई जटिल कारणों का परिणाम था। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे:-

  • साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा: यूरोपीय देशों के बीच उपनिवेशों और बाजारों पर नियंत्रण के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा थी। विशेष रूप से जर्मनी की बढ़ती औद्योगिक शक्ति ने ब्रिटेन और फ्रांस को चिंतित कर दिया था।
  • राष्ट्रवाद और जातीय तनाव: यूरोप में उग्र राष्ट्रवाद की भावना बढ़ रही थी। विशेषकर बाल्कन क्षेत्र में, जहाँ विभिन्न जातीय समूह स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे।
  • सैन्यवाद: यूरोपीय देश अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में व्यस्त थे। वे अपनी राष्ट्रीय आय का बड़ा हिस्सा सैन्य तैयारियों पर खर्च कर रहे थे।
  • गठबंधन प्रणाली: यूरोप दो प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों में बंट गया था – त्रिगुट (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, इटली) और त्रिदेशीय संधि (ब्रिटेन, फ्रांस, रूस)। इन गठबंधनों ने तनाव को और बढ़ा दिया।
  • अंतरराष्ट्रीय संकट: 20वीं सदी के प्रारंभ में कई अंतरराष्ट्रीय संकट हुए, जैसे मोरक्को संकट और बाल्कन युद्ध, जिन्होंने देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया।
  • कूटनीतिक विफलता: देशों के बीच कूटनीतिक प्रयास विवादों को सुलझाने में विफल रहे।
  • तात्कालिक कारण: 28 जून, 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की सर्बियाई आतंकवादी द्वारा हत्या ने युद्ध को प्रज्वलित कर दिया।

प्रश्न 2. प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध ने विश्व के इतिहास को गहराई से प्रभावित किया। इस युद्ध में लगभग 90 लाख लोगों की जान गई और करोड़ों लोग घायल या विस्थापित हुए। युद्ध के परिणामस्वरूप कई राजतंत्र समाप्त हो गए और उनके स्थान पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं स्थापित हुईं। जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और रूस जैसे प्रमुख साम्राज्यों का पतन हुआ। इस युद्ध ने संयुक्त राज्य अमेरिका को एक प्रमुख विश्व शक्ति के रूप में स्थापित किया। रूस में क्रांति के बाद सोवियत संघ का गठन हुआ, जिसने विश्व राजनीति को एक नई दिशा दी। अफ्रीका और एशिया के उपनिवेशों में स्वतंत्रता आंदोलन तेज हुए। युद्ध के अंत में वर्साय की संधि हुई, जिसने जर्मनी पर कठोर शर्तें थोपीं। भविष्य में युद्ध रोकने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। युद्ध ने विश्व अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया और समाज में महिलाओं की भूमिका बढ़ी। इस प्रकार, प्रथम विश्व युद्ध ने राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन लाए।

प्रश्न 3. विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया ?

उत्तर- वर्साय की संधि निस्संदेह एक आरोपित संधि थी। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और इसकी शर्तें उसके लिए अत्यंत कठोर और अपमानजनक थीं। संधि में जर्मनी को युद्ध का एकमात्र दोषी ठहराया गया, जिसे जर्मन लोगों ने कभी स्वीकार नहीं किया। इस संधि ने जर्मनी में राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया और लोगों में प्रतिशोध की भावना पैदा की। हिटलर जैसे नेताओं ने इस असंतोष का लाभ उठाकर सत्ता हासिल की। जर्मन लोगों ने इसे राष्ट्रीय अपमान माना और इसके विरुद्ध एक मजबूत जनमत बना। संधि की कठोर शर्तों ने जर्मनी में आक्रोश पैदा किया, जो बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के कारणों में से एक बना। इस प्रकार, वर्साय की संधि न केवल आरोपित थी, बल्कि इसने भविष्य में और अधिक संघर्ष के बीज भी बोए।

प्रश्न 4. द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारण थे। विस्तारपूर्वक लिखें।

उत्तर- जर्मनी के चांसलर विस्मार्क की नीतियों ने यूरोप में गुटबंदी की शुरुआत की, जो अंततः प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण बनी। विस्मार्क ने 1879 में ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ द्वैध संधि की और 1882 में इटली को शामिल करके त्रिगुट संधि बनाई। इन गठबंधनों का मुख्य उद्देश्य फ्रांस को अलग-थलग करना था। इसके जवाब में, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन ने मिलकर त्रिराष्ट्रीय संधि बनाई। इस प्रकार, यूरोप दो प्रतिद्वंद्वी खेमों में बंट गया। इन गुटों के बीच तनाव और अविश्वास बढ़ा, जिसने हथियारों की होड़ को बढ़ावा दिया। देशों ने अपने सैन्य बल को मजबूत करना शुरू किया। विस्मार्क की इन नीतियों ने यूरोप में एक ऐसा माहौल तैयार किया, जहां छोटी-सी चिंगारी भी बड़े युद्ध का कारण बन सकती थी। यही कारण था कि जब 1914 में ऑस्ट्रिया के युवराज की हत्या हुई, तो यह घटना विश्व युद्ध में बदल गई। इस प्रकार, विस्मार्क की गुटबंदी की नीति ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रथम विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 5. द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का उल्लेख करें।

उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख परिणाम:-

  1. जनहानि और विनाश: लगभग 5 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ नागरिक शामिल थे। युद्ध में लगभग 13 खरब 85 अरब डॉलर खर्च हुए।
  2. यूरोपीय वर्चस्व का अंत: युद्ध के बाद यूरोपीय देशों का वैश्विक प्रभुत्व समाप्त हो गया। कई एशियाई और अफ्रीकी देश स्वतंत्र हुए।
  3. शक्ति संतुलन में परिवर्तन: ब्रिटेन की शक्ति कम हुई, जबकि अमेरिका और सोवियत संघ दो महाशक्तियों के रूप में उभरे।
  4. द्विध्रुवीय विश्व का उदय: विश्व पूंजीवादी (अमेरिका के नेतृत्व में) और साम्यवादी (सोवियत संघ के नेतृत्व में) गुटों में विभाजित हो गया।
  5. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना: विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
  6. उपनिवेशवाद का अंत: युद्ध ने उपनिवेशवाद के अंत को तेज किया, जिससे कई देशों को स्वतंत्रता मिली।
  7. आर्थिक परिवर्तन: युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित किया, जिससे नए आर्थिक संबंध और व्यापार पैटर्न विकसित हुए।
  8. तकनीकी प्रगति: युद्ध ने कई तकनीकी नवाचारों को प्रेरित किया, जिनका शांतिकाल में भी उपयोग किया गया।
  9. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: युद्ध के बाद देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ा।
  10. मानवाधिकारों पर ध्यान: नाजी अत्याचारों के कारण मानवाधिकारों की रक्षा पर वैश्विक ध्यान केंद्रित हुआ।
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