Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 14 Solutions are available here. Here you will get complete questions and answers of Chapter 14 – “हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ”, from the new book (Samaj ka Adhyayan). All solutions are in hindi medium and follow the updated syllabus.
यह अध्याय आपको गाँव और शहर में होने वाली आर्थिक गतिविधियों के बारे में बताता है। आप सीखेंगे कि सामान कैसे बनता, खरीदा और बेचा जाता है, और लोग पैसे कैसे कमाते और खर्च करते हैं। यह अध्याय खेती, उद्योग और सेवा जैसे अलग-अलग पेशों के उदाहरण देता है। आप यह भी समझेंगे कि आय, आजीविका और व्यापार क्या हैं, और खरीदार, बेचने वाले और उत्पादक एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं। इस अध्याय के प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 14 Solutions
| Class | 6 |
| Subject | Social Science (Samaj ka Adhyayan) |
| Chapter | 14. हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ |
| Board | Bihar Board |
महत्वपूर्ण प्रश्न
1. आर्थिक गतिविधियों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है?
उत्तर:- आर्थिक गतिविधियों को उनकी प्रकृति और कार्य के आधार पर तीन मुख्य क्षेत्रकों में वर्गीकृत किया जाता है। प्राथमिक क्षेत्रक में वे गतिविधियाँ आती हैं जिनमें प्रकृति से कच्चा माल प्राप्त किया जाता है, जैसे खेती, मछली पकड़ना और खनन। द्वितीयक क्षेत्रक में वे गतिविधियाँ शामिल हैं जो कच्चे माल को उपयोगी वस्तुओं में बदलती हैं, जैसे कारखानों में कपड़े या मिठाई बनाना। तृतीयक क्षेत्रक में सेवाएँ प्रदान करने वाली गतिविधियाँ आती हैं, जैसे शिक्षा, परिवहन और बैंकिंग। इस वर्गीकरण से हमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों को समझने में मदद मिलती है।
2. विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों (सेक्टरों) में समूहबद्ध करने का क्या आधार है?
उत्तर:- आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों में समूहबद्ध करने का मुख्य आधार उनकी कार्य प्रकृति और उत्पादन प्रक्रिया में उनकी भूमिका है। प्राथमिक क्षेत्रक प्राकृतिक संसाधनों से सीधे जुड़ा है और हमें कच्चा माल प्रदान करता है। द्वितीयक क्षेत्रक इस कच्चे माल को उपयोगी वस्तुओं में बदलता है, जिससे उनका मूल्य बढ़ जाता है। तृतीयक क्षेत्रक सेवाएँ देकर प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रकों की गतिविधियों को सहायता प्रदान करता है। इस वर्गीकरण से विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के महत्व और उनके बीच संबंध को समझना आसान हो जाता है। इससे सरकार को नीतियाँ बनाने और संसाधनों का उचित वितरण करने में भी मदद मिलती है।
3. यह तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में किस प्रकार संबंधित हैं?
उत्तर:- तीनों आर्थिक क्षेत्रक परस्पर निर्भर हैं और एक-दूसरे के विकास में सहायता करते हैं। प्राथमिक क्षेत्रक कच्चा माल प्रदान करता है जिसे द्वितीयक क्षेत्रक उपयोगी वस्तुओं में बदलता है। तृतीयक क्षेत्रक दोनों क्षेत्रकों को परिवहन, बैंकिंग और बीमा जैसी आवश्यक सेवाएँ देकर उनका समर्थन करता है। उदाहरण के लिए, किसान (प्राथमिक) द्वारा उगाए गए गेहूँ को आटा मिल (द्वितीयक) में आटे में बदला जाता है, और फिर इसे बाजार तक पहुँचाने के लिए परिवहन (तृतीयक) की आवश्यकता होती है। एक क्षेत्रक में विकास अन्य क्षेत्रकों को भी प्रभावित करता है, जैसे बेहतर परिवहन सुविधाएँ कृषि और उद्योगों के विकास में मदद करती हैं। इस प्रकार, ये तीनों क्षेत्रक मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं।
प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएं
1. प्राथमिक क्षेत्रक क्या है? यह द्वितीयक क्षेत्रक से किस प्रकार भिन्न है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:- प्राथमिक क्षेत्रक वह है जिसमें हम प्रकृति से सीधे संसाधन प्राप्त करते हैं, जैसे कृषि, मछली पकड़ना, वनों से लकड़ी एकत्र करना और खनन करना। यह क्षेत्रक प्राकृतिक वस्तुओं और कच्चे माल का निर्माण करता है। द्वितीयक क्षेत्रक इन कच्चे मालों को नई और अधिक उपयोगी वस्तुओं में बदलता है, जिससे उनका मूल्य बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, प्राथमिक क्षेत्रक में किसान गन्ना उगाता है, जबकि द्वितीयक क्षेत्रक में चीनी मिल इसे चीनी में बदलती है। इसी तरह, प्राथमिक क्षेत्रक में खदान से लोहा निकाला जाता है, और द्वितीयक क्षेत्रक में इसे कारखाने में बदलकर साइकिल या कार बनाई जाती है।
2. द्वितीयक क्षेत्रक किस प्रकार से तृतीयक क्षेत्रक पर निर्भर है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:- द्वितीयक क्षेत्रक तृतीयक क्षेत्रक पर कई तरह से निर्भर करता है। द्वितीयक क्षेत्रक में बने उत्पादों को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए परिवहन, भंडारण और विपणन जैसी सेवाओं की आवश्यकता होती है, जो तृतीयक क्षेत्रक प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, एक कपड़ा मिल (द्वितीयक क्षेत्रक) में बने कपड़े को बाजार तक पहुँचाने के लिए ट्रक और रेल (परिवहन – तृतीयक क्षेत्रक) की आवश्यकता होती है। फिर दुकानदार (तृतीयक क्षेत्रक) इन कपड़ों को लोगों को बेचते हैं। इसके अलावा, कारखानों को बैंकों से ऋण, बिजली कंपनियों से ऊर्जा और बीमा कंपनियों से सुरक्षा जैसी सेवाएँ भी चाहिए, जो सभी तृतीयक क्षेत्रक द्वारा प्रदान की जाती हैं।
3. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का एक उदाहरण दीजिए। इसके प्रभाव चित्र (फ्लोचार्ट) का प्रयोग करते हुए समझाइए।
उत्तर:- चावल की खेती से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचने की प्रक्रिया तीनों क्षेत्रकों की परस्पर निर्भरता का अच्छा उदाहरण है। प्राथमिक क्षेत्रक में किसान खेतों में चावल उगाते हैं, जिसके लिए उन्हें बीज, उर्वरक और कीटनाशक चाहिए जो द्वितीयक क्षेत्रक से आते हैं। फिर द्वितीयक क्षेत्रक में राइस मिल चावल के धान को साफ करके पैकेजिंग करती है। अंत में, तृतीयक क्षेत्रक के अंतर्गत, ट्रक इसे शहरों तक पहुँचाते हैं और दुकानदार इसे उपभोक्ताओं को बेचते हैं। बैंक इस पूरी प्रक्रिया के लिए ऋण प्रदान करते हैं।
फ्लोचार्ट इस प्रकार है:
किसान (प्राथमिक) → चावल उगाना → राइस मिल (द्वितीयक) → चावल को साफ और पैक करना → परिवहन और दुकानें (तृतीयक) → उपभोक्ता तक पहुँचाना।