Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 7 Solutions – भारत की सांस्कृतिक जड़ें (New Book)

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 7 Solutions are available here. Here you will get complete questions and answers of Chapter 7 – “भारत की सांस्कृतिक जड़ें”, from the new book (Samaj ka Adhyayan). All solutions are in hindi medium and follow the updated syllabus.

यह अध्याय आपको भारत की संस्कृति की गहरी जड़ों के बारे में बताता है, जिसमें शिक्षा, विज्ञान, कला, धर्म और सामुदायिक जीवन की परंपराएं शामिल हैं। आप प्राचीन भारतीय दर्शन, मौखिक परंपराओं और आयुर्वेद व योग जैसे ज्ञान तंत्रों के बारे में जानेंगे, जो आज भी महत्वपूर्ण हैं। यह अध्याय यह भी समझाएगा कि प्राचीन भारतीयों ने सीखने और नई खोजों को कैसे अपनाया, और कला, भाषा व विश्वास ने उनके दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित किया। आप यह भी देखेंगे कि प्राचीन समय से लेकर आज तक हमारी संस्कृति कैसे बनी रही। इस अध्याय के प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 7 Solutions new Book

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 7 Solutions

Class6
SubjectSocial Science (Samaj ka Adhyayan)
Chapter7. भारत की सांस्कृतिक जड़ें
BoardBihar Board

महत्वपूर्ण प्रश्न

1. वेद क्या हैं? इनका संदेश क्या है?

उत्तर:- वेद भारत के सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ हैं। “वेद” शब्द संस्कृत के “विद्” धातु से बना है, जिसका अर्थ है “ज्ञान”। चार वेद हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। वेद मूलतः मौखिक परंपरा से पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते रहे। इनमें प्रार्थनाएँ, स्तुतियाँ, मंत्र और यज्ञ विधियाँ हैं। वेदों का मुख्य संदेश है कि सत्य एक है, लेकिन उसे विद्वान अलग-अलग नामों से पुकारते हैं (“एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति”)। वेद मनुष्य को सदाचार, सत्य का पालन और प्रकृति के साथ सामंजस्य से रहने की शिक्षा देते हैं।

2. प्रथम सहस्त्राब्दी सा.सं.पू. में भारत में कौन-कौन से नए दर्शन/मत उभरे? इनके मूल सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर:- प्रथम सहस्त्राब्दी सा.सं.पू. में भारत में तीन प्रमुख दर्शन उभरे। उपनिषद् (वेदांत) का मूल सिद्धांत है कि सृष्टि का आधार एक तत्व ‘ब्रह्म’ है और आत्मा का ब्रह्म से एकत्व ही मोक्ष है। बौद्ध धर्म, जिसे गौतम बुद्ध ने 6ठी शताब्दी सा.सं.पू. में स्थापित किया, चार आर्य सत्यों पर आधारित है – दुःख, दुःख का कारण, दुःख निरोध और अष्टांगिक मार्ग। जैन धर्म, जिसे महावीर ने पुनर्जीवित किया, अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य जैसे पांच महाव्रतों पर केंद्रित है। इन सभी दर्शनों ने कर्म और पुनर्जन्म के सिद्धांतों को मान्यता दी, परंतु मोक्ष प्राप्ति के मार्ग अलग-अलग बताए।

3. लोक और जनजातीय परंपराओं का भारतीय संस्कृति में क्या योगदान रहा है?

उत्तर:- लोक और जनजातीय परंपराओं ने भारतीय संस्कृति को अनेक प्रकार से समृद्ध किया है। इनके माध्यम से प्रकृति पूजा और पर्यावरण संरक्षण की भावना मजबूत हुई, जैसे पेड़ों, नदियों और पहाड़ों को पवित्र मानना। जनजातीय देवी-देवताओं का मुख्यधारा हिंदू धर्म में विलय हुआ, जैसे जगन्नाथ और विभिन्न देवी रूप। लोक कलाओं ने भारतीय संगीत, नृत्य और चित्रकला को विविधता प्रदान की। जनजातीय औषधि ज्ञान ने आयुर्वेद को समृद्ध किया। इन परंपराओं ने भारतीय संस्कृति को सहिष्णु और समावेशी बनाया, जिससे विभिन्न विश्वासों और जीवन शैलियों का सह-अस्तित्व संभव हुआ।

प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएं

1. यदि आप नचिकेता होते तो आप यम से कौन-से प्रश्न पूछते? इन्हें 100–150 शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- यदि मैं नचिकेता होता, तो मैं यम से गहरे जीवन-मृत्यु के रहस्यों के बारे में प्रश्न पूछता। पहला प्रश्न होता, “मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है और वह किस यात्रा से गुजरती है?” दूसरा प्रश्न, “कर्म का सिद्धांत वास्तव में कैसे काम करता है और हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का फल कैसे निर्धारित होता है?” तीसरा, “मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है और हम इसे कैसे पूरा कर सकते हैं?” चौथा, “आत्म-ज्ञान और ब्रह्म-ज्ञान प्राप्त करने का सही मार्ग क्या है?” पाँचवाँ, “मनुष्य मृत्यु के भय से मुक्त कैसे हो सकता है?” ये प्रश्न मुझे जीवन के सच्चे अर्थ को समझने और आध्यात्मिक शांति पाने में मदद करते, जैसे नचिकेता को उनके प्रश्नों से मिली थी।

2. बौद्ध मत के कुछ केंद्रीय विचारों को समझाइए। इन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर:- बौद्ध धर्म के केंद्रीय विचार गौतम बुद्ध के अनुभवों और शिक्षाओं पर आधारित हैं। चार आर्य सत्य बौद्ध दर्शन का आधार हैं – पहला, जीवन में दुःख है; दूसरा, इस दुःख का कारण तृष्णा या इच्छा है; तीसरा, दुःख का निरोध संभव है; और चौथा, दुःख से मुक्ति का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है। अष्टांगिक मार्ग में सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि शामिल हैं। बौद्ध धर्म अनित्य (सब कुछ अस्थायी है), अनात्म (कोई स्थायी आत्मा नहीं है) और दुःख (जीवन में कष्ट है) के सिद्धांतों पर जोर देता है।

बौद्ध मत में निर्वाण प्राप्ति – जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति – अंतिम लक्ष्य है। इस धर्म में अहिंसा, करुणा और मैत्री जैसे मूल्य महत्वपूर्ण हैं जो आधुनिक समाज में भी प्रासंगिक हैं।

3. बुद्ध के उस उद्धरण पर कक्षा में चर्चा कीजिए जो इस प्रकार है – “जल से व्यक्ति शुद्ध नहीं हो सकता, जबकि कई लोग यहाँ (पवित्र नदी में) स्नान करते हैं” ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबको इसका अर्थ समझ में आ गया है।

उत्तर:- बुद्ध का यह उद्धरण बाहरी आडंबरों और आंतरिक शुद्धि के अंतर को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि केवल पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के मन के विकार और बुरे विचार दूर नहीं होते। वास्तविक शुद्धि तो अच्छे विचारों, अच्छे कर्मों और सही आचरण से आती है। बुद्ध हमें सिखाते हैं कि धार्मिकता केवल अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि हमारे दैनिक व्यवहार में होनी चाहिए। यह उद्धरण हमें यह समझने का अवसर देता है कि सच्ची पवित्रता बाहर से नहीं, अंदर से आती है। हमारे मन की शुद्धि के लिए हमें स्वयं के क्रोध, लोभ और मोह जैसे विकारों को दूर करना होगा।

यह शिक्षा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी बुद्ध के समय में थी, क्योंकि वास्तविक बदलाव हमेशा भीतर से शुरू होता है।

4. जैन मत के कुछ मुख्य विचारों को समझाइए। इन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर:- जैन धर्म के मुख्य विचारों में सबसे महत्वपूर्ण है अहिंसा, जिसका अर्थ है किसी भी जीव को मन, वचन और कर्म से हानि न पहुँचाना। जैन मत में पांच महाव्रत हैं – अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह (संग्रह न करना) और ब्रह्मचर्य। अनेकांतवाद का सिद्धांत सिखाता है कि सत्य के कई पहलू होते हैं और हमें सब दृष्टिकोणों का सम्मान करना चाहिए। जैन धर्म कर्म के सिद्धांत में विश्वास करता है, जिसके अनुसार हमारे कर्म हमारे जीवन और पुनर्जन्म को प्रभावित करते हैं। जैन मत में आत्मा के मोक्ष (मुक्ति) का लक्ष्य है, जिसे कठोर तप और आत्म-संयम से प्राप्त किया जा सकता है।

महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे, जिन्होंने इन शिक्षाओं को प्रचारित किया। जैन धर्म पर्यावरण संरक्षण और सभी जीवों के प्रति दया का संदेश देता है।

5. कक्षा में आंद्रे बेते के कथन पर विचार-विमर्श कीजिए।

उत्तर:- आंद्रे बेते के कथन से पता चलता है कि भारत में हिंदू धर्म और आदिवासी धर्मों के बीच दोतरफा आदान-प्रदान हुआ है। इससे हम समझ सकते हैं कि भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्मों और परंपराओं का मिश्रण है, कोई भी धर्म अलग-थलग विकसित नहीं हुआ। उदाहरण के लिए, कई हिंदू देवी-देवता जैसे जगन्नाथ, शिव और देवी के रूप मूल रूप से आदिवासी देवताओं से प्रभावित हैं। इसी तरह, आदिवासी समुदायों ने हिंदू धर्म की कई प्रथाओं और विश्वासों को अपनाया है। यह आपसी प्रभाव भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का कारण बना है।

भारत की सांस्कृतिक एकता विभिन्न परंपराओं के इस मिलन से ही बनी है। हमें यह समझना चाहिए कि धर्म और संस्कृति गतिशील होते हैं और समय के साथ एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं।

6. अपने स्थानीय क्षेत्र में लोकप्रिय देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़े त्योहारों की एक सूची बनाइए।

उत्तर:- उत्तर प्रदेश के स्थानीय क्षेत्र में लोकप्रिय देवी-देवता और त्योहार:-

  1. माँ दुर्गा – नवरात्रि और दुर्गापूजा के दौरान मनाया जाता है, जिसमें नौ दिनों तक उपवास और पूजा की जाती है।
  2. गणेश जी – गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा होती है, मिट्टी की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं।
  3. राम जी – रामनवमी पर जन्मोत्सव मनाया जाता है और दीपावली पर अयोध्या वापसी का उत्सव।
  4. कृष्ण भगवान – जन्माष्टमी पर जन्मोत्सव और होली पर रंगों का त्योहार।
  5. शिव जी – महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा और कांवड़ यात्रा।
  6. लक्ष्मी माता – दिवाली पर घरों में आमंत्रित किया जाता है।
  7. काली माँ – कालीपूजा के दिन विशेष अनुष्ठान।
  8. सूर्य देव – छठ पूजा में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा।

7. कक्षा की गतिविधि के रूप में अपने क्षेत्र या राज्य के दो या तीन जनजातीय समूहों की सूची बनाइए। इनमें से कुछ की परंपरा और विश्वास प्रणालियों के बारे में लिखिए।

उत्तर:- मध्य प्रदेश के जनजातीय समूह:-

1. गोंड जनजाति:

  • बड़ा देव (महान देवता) और प्रकृति देवताओं की पूजा करते हैं।
  • दिवाघेर (परिवार के देवता) की पूजा घरों में की जाती है।
  • गोंडी चित्रकला में प्रकृति, पशु और दैनिक जीवन को दर्शाया जाता है।
  • हरियाली आमावस्या और नवाखानी त्योहारों में नई फसल की पूजा करते हैं।

2. भील जनजाति:

  • भगवान भीलाला को मुख्य देवता मानते हैं।
  • गाँव के बाहर “माता” को समर्पित स्थान होता है, जहाँ बीमारियों से बचाव के लिए पूजा होती है।
  • भगोरिया मेला प्रमुख त्योहार है, जिसमें युवा लड़के-लड़कियों के मिलन का अवसर होता है।
  • पीपल और बरगद के पेड़ों को पवित्र मानते हैं।

3. बैगा जनजाति:

  • धरती माता (पृथ्वी देवी) और नंगा बैगा (आदि पुरुष) की पूजा करते हैं।
  • बैगा लोग प्रकृति के साथ गहरा संबंध रखते हैं और जड़ी-बूटियों का विशेष ज्ञान रखते हैं।
  • बिहुल नृत्य इनकी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • नए साल की शुरुआत में नवा खाई (नई फसल) का त्योहार मनाते हैं।

सही या गलत

  • वैदिक ऋचाओं को ताड़-पत्र की पांडुलिपियों पर लिखा गया है। – गलत।
  • वेद भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। – सही
  • वैदिक कथन “एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” में ब्रह्मांड की शक्तियों की एकता की मान्यता प्रकट होती है। – सही
  • बौद्ध मत वेदों से अधिक पुराना है। – गलत।
  • जैन मत का उद्भव बौद्ध मत की एक शाखा के रूप में हुआ।- सही
  • बौद्ध और जैन मत दोनों ही शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा सभी जीवों को नुकसान न पहुँचाने का समर्थन करते हैं। – सही
  • जनजातीय विश्वास परंपराएँ आत्मा और छोटे देवों तक सीमित हैं। – गलत।
Other Chapters
1. पृथ्वी पर स्थानों की स्थिति (New Book)
2. महासागर एवं महाद्वीप (New Book)
3. स्थलरूप एवं जीवन (New Book)
4. इतिहास की समय-रेखा एवं उसके स्रोत (New Book)
5. इंडिया, अर्थात भारत (New Book)
6. भारतीय सभ्यता का प्रारंभ (New Book)
7. भारत की सांस्कृतिक जड़ें (New Book)
8. विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’ (New Book)
9. परिवार और समुदाय (New Book)
10. आधारभूत लोकतंत्र – भाग 1: शासन (New Book)
11. आधारभूत लोकतंत्र – भाग 2: ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय सरकार (New Book)
12. आधारभूत लोकतंत्र – भाग 3: नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार (New Book)
13. कार्य का महत्व (New Book)
14. हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ (New Book)

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon