Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 8 Solutions are available here. Here you will get complete questions and answers of Chapter 8 – “विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’”, from the new book (Samaj ka Adhyayan). All solutions are in hindi medium and follow the updated syllabus.
यह अध्याय भारत की अनोखी विविधता और आपसी एकता के बारे में बताता है। खान-पान, त्योहार, संगीत और भाषा के जरिए आप जानेंगे कि अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग कैसे शांति और प्यार से एक साथ रहते हैं। यह अध्याय यह भी समझाएगा कि यह विविधता भारत को कितना रंगीन और खास बनाती है। आप सम्मान, सहनशीलता और एक-दूसरे को अपनाने की अहमियत के साथ-साथ साझा त्योहारों और परंपराओं के बारे में भी सीखेंगे। इस अध्याय के प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 8 Solutions
| Class | 6 |
| Subject | Social Science (Samaj ka Adhyayan) |
| Chapter | 8. विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’ |
| Board | Bihar Board |
महत्वपूर्ण प्रश्न
1. भारतीय परिदृश्य में ‘विविधता में एकता’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:- भारतीय परिदृश्य में ‘विविधता में एकता’ का अर्थ है कि देश में अनेक भाषाएँ, धर्म, संस्कृतियाँ और परंपराएँ होने के बावजूद भारतीय एक राष्ट्र के रूप में एकजुट हैं। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ और सैकड़ों बोलियाँ हैं, साथ ही हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध जैसे विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। हर क्षेत्र के अपने विशिष्ट त्योहार, खान-पान और पहनावे हैं, जैसे उत्तर में होली और दक्षिण में पोंगल। इन विभिन्नताओं के होते हुए भी हम सभी एक राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करते हैं, एक संविधान का पालन करते हैं और भारतीय होने पर गर्व महसूस करते हैं। यह एकता विशेष रूप से स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं और आपदाओं के दौरान दिखाई देती है।
2. भारत की विविधता के कौन-से पक्ष सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं?
उत्तर:- भारत की विविधता के सबसे उल्लेखनीय पक्षों में भाषाई विविधता प्रमुख है, जिसमें 22 आधिकारिक भाषाएँ और 1600 से अधिक बोलियाँ शामिल हैं, हर भाषा की अपनी विशिष्ट लिपि और व्याकरण है। धार्मिक विविधता भारत का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है, जहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी शांति से रहते हैं। भोजन की विविधता में उत्तर का गेहूँ-आधारित, दक्षिण का चावल-आधारित, पूर्व का मछली और पश्चिम का मसालेदार व्यंजन शामिल हैं। वेशभूषा में साड़ी, धोती, कुर्ता-पायजामा, लहंगा और शेरवानी जैसे क्षेत्रीय परिधान मौजूद हैं।
त्योहारों की विविधता में दीवाली, ईद, क्रिसमस, बैसाखी और ओणम जैसे उत्सव आते हैं। भारत की भौगोलिक विविधता में हिमालय पर्वत, गंगा के मैदान, थार रेगिस्तान और समुद्र तट शामिल हैं।
3. हम विविधता में निहित एकता का कैसे पता लगाते हैं?
उत्तर:- हम विविधता में निहित एकता का पता भारतीय संस्कृति के कई पहलुओं में लगा सकते हैं। राष्ट्रीय प्रतीक जैसे तिरंगा, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय पक्षी-पशु हमें एक सूत्र में बांधते हैं। त्योहारों पर भारतीय एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयां देते हैं, जैसे हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी दीवाली, ईद और गुरुपर्व मनाते हैं। भारतीय सिनेमा और क्रिकेट जैसे खेल सभी भारतीयों को एकजुट करते हैं, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या धर्म के हों। प्राचीन काल से ही भारतीय साहित्य, कला और संगीत में समान मूल्य और विचार दिखाई देते हैं।
भारतीय व्यंजनों में कई अलग-अलग स्वाद होने पर भी मसालों और पकाने के तरीकों में समानता है। आपदाओं के समय सभी भारतीय जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव को भूलकर एक-दूसरे की मदद करते हैं।
प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएं
1. पाठ के आरंभ में दिए गए दो उद्धरणों पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:- पाठ के आरंभ में रवींद्रनाथ टैगोर और श्री अरविंद के उद्धरण भारत की विविधता और एकता के बारे में महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। टैगोर जी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि भारत अपनी विविधता में एकता का आनंद हमेशा बनाए रखे, जिससे पता चलता है कि विभिन्न संस्कृतियों का मिलन हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। श्री अरविंद बताते हैं कि विविधता में एकता भारत की प्राकृतिक विशेषता है, न कि सिर्फ एक राजनीतिक आदर्श।
कक्षा में इन उद्धरणों पर चर्चा करते समय, हम उदाहरण दे सकते हैं कि कैसे अलग-अलग भाषाएँ, खान-पान, और त्योहार होने के बावजूद भारतीय लोग एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रहते हैं। हम अपने आसपास के उदाहरण भी दे सकते हैं, जैसे विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्योहारों में कैसे शामिल होते हैं। ये उद्धरण हमें सिखाते हैं कि हमारी विविधता हमें कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बनाती है।
2. राष्ट्रगान को पढ़िए। इसमें आप विविधता एवं एकता को कहाँ-कहाँ देखते हैं? इस पर दो अथवा तीन अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:- भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” विविधता में एकता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल और बंग जैसे भारत के विभिन्न क्षेत्रों का उल्लेख है, जो हमारे देश की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता को दिखाता है। हर क्षेत्र की अपनी अलग भाषा, संस्कृति और परंपरा होने के बावजूद, सभी एक ही राष्ट्रगान गाते हैं, जो हमारी एकता का प्रतीक है।
राष्ट्रगान में विंध्य, हिमालय, यमुना और गंगा जैसे प्राकृतिक स्थलों का उल्लेख भारत की प्राकृतिक विविधता को दर्शाता है। भारत में हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर केरल के समुद्र तटों तक अलग-अलग प्राकृतिक परिदृश्य हैं। राष्ट्रगान इन सभी को एक सूत्र में पिरोता है और दिखाता है कि ये सभी विविधताएँ मिलकर एक भारत बनाती हैं।
“तव शुभ नामे जागे” पंक्ति बताती है कि विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग एकजुट होकर भारत माता की जय-जयकार करते हैं। राष्ट्रगान का अंतिम भाग “जय हे, जय हे, जय हे” सभी भारतीयों की एकता और राष्ट्र के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस प्रकार राष्ट्रगान हमें सिखाता है कि अनेकता में ही हमारी एकता छिपी है।
3. पंचतंत्र की कुछ कहानियाँ चुनिए और चर्चा कीजिए कि उनके संदेश किस प्रकार आज भी प्रासंगिक हैं। क्या आप अपने क्षेत्र से संबंधित कोई अन्य कहानियाँ भी जानते हैं?
उत्तर:- पंचतंत्र की कहानियाँ सदियों पुरानी होने के बावजूद आज भी प्रासंगिक हैं। “कौआ और घड़ा” कहानी में कौआ पत्थर डालकर घड़े का पानी ऊपर लाता है, जो सिखाती है कि मुश्किल समस्याओं को बुद्धि से हल किया जा सकता है। यह सीख आज के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है जब वे कठिन परीक्षाओं या चुनौतियों का सामना करते हैं। “सिंह और चूहा” कहानी हमें सिखाती है कि किसी को उसके आकार से नहीं आँकना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी क्षमताएँ होती हैं। आज के समावेशी समाज में यह संदेश और भी महत्वपूर्ण है।
“चार मित्रों की कहानी” में कबूतर, चूहा, हिरण और कछुआ एक-दूसरे की मदद करते हैं, जो मित्रता और सहयोग का महत्व सिखाती है। आज के प्रतिस्पर्धी युग में टीमवर्क और सहयोग की भावना बहुत जरूरी है। “लालची कुत्ता” कहानी में कुत्ता अपने लालच के कारण हड्डी खो देता है, जो संतोष का महत्व सिखाती है। आज के भौतिकवादी युग में यह शिक्षा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
मेरे क्षेत्र राजस्थान में “पानी री पीर” नामक लोककथा प्रचलित है, जो पानी के महत्व और संरक्षण के बारे में सिखाती है। इसमें एक महिला अपने गाँव में पानी लाने के लिए त्याग करती है। यह कहानी पर्यावरण संरक्षण के आज के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है, जब पानी का संकट बढ़ रहा है।
4. अपने क्षेत्र से कुछ लोककथाएँ एकत्रित कीजिए एवं उनके संदेशों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:- मेरे क्षेत्र की पहली लोककथा “राजा और चालाक चिड़िया” है, जिसमें एक छोटी चिड़िया राजा को तीन मूल्यवान सलाह देती है: बीती बातों को भूल जाओ, बिना सोचे-समझे किसी बात पर विश्वास मत करो, और हमेशा अपनी बुद्धि का उपयोग करो। दूसरी कहानी “गरीब किसान और सोने का घड़ा” में, एक किसान खेत में मिले सोने के घड़े को ईमानदारी से राजा को सौंप देता है और राजा उसकी सच्चाई से प्रसन्न होकर उसे पुरस्कार देता है। तीसरी कहानी “बुद्धिमान बकरी” बताती है कि कैसे एक छोटी बकरी अपनी चतुराई से शेर को हरा देती है, जिससे हमें सिखने को मिलता है कि शारीरिक शक्ति से बुद्धि अधिक महत्वपूर्ण है।
हमारे क्षेत्र की चौथी लोककथा “मेहनती चींटी” दिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े लक्ष्य पूरे किए जा सकते हैं। ये सभी लोककथाएँ हमें ईमानदारी, चतुराई, मेहनत और दूरदर्शिता जैसे मूल्य सिखाती हैं जो आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
5. क्या आपने किसी प्राचीन कहानी को कला के माध्यम से दर्शाते या चित्रित होते हुए देखा है? यह एक मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य प्रस्तुति या कोई चलचित्र भी हो सकता है। अपने सहपाठियों के साथ कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:- मैंने दिवाली उत्सव के दौरान अपने शहर में रामलीला देखी, जिसमें कलाकारों ने रामायण की कहानी को नाटक और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। रंग-बिरंगी पोशाकें, संगीत और अभिनय ने रामायण की कहानी को जीवंत कर दिया था। हमारे स्थानीय संग्रहालय में, मैंने महाभारत के दृश्यों की मिट्टी की मूर्तियाँ भी देखीं, जिनमें कौरव-पांडवों के युद्ध को दर्शाया गया था। पिछले महीने, हमारे स्कूल ने पंचतंत्र की कहानियों पर आधारित एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें मैंने “कौवा और लोमड़ी” की कहानी पर चित्र बनाया।
टेलीविज़न पर मैंने “कृष्ण” और “महाभारत” जैसे एनिमेटेड कार्टून भी देखे हैं, जो प्राचीन कहानियों को बच्चों के लिए रोचक तरीके से प्रस्तुत करते हैं। मेरी राय में, कला के माध्यम से प्राचीन कहानियाँ अधिक यादगार और समझने में आसान हो जाती हैं।
6. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्वतंत्रता से पहले भारत के कई भागों की यात्रा के उपरांत कही गई निम्न पंक्तियों पर कक्षा में चर्चा कीजिए
हर जगह मुझे एक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि मिली, जिसने उनके जीवन पर प्रभावशाली असर डाला। … भारत के महाकाव्य, रामायण एवं महाभारत और अन्य प्राचीन पुस्तकें, लोकप्रिय अनुवादों और व्याख्याओं में जनता के बीच व्यापक रूप से जानी जाती थीं। उनमें उपस्थित प्रत्येक लोकप्रिय घटना, कहानी और नैतिकता की बातें जनमानस के अंतर्मन पर अंकित थीं जो कि उसे सार्थक एवं समृद्ध बनाती थीं। निरक्षर ग्रामीणों को भी सैकड़ों श्लोक कंठस्थ थे एवं उनकी आपसी बातचीत में इन महाकाव्यों अथवा कुछ पुरानी कालजयी कहानियों के संदर्भों की प्रचुरता होती थी जो नैतिकता को प्रतिस्थापित करती थीं।
उत्तर:- नेहरू जी के शब्द बताते हैं कि भारत की विविधता में एकता का आधार हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने अपनी यात्राओं में देखा कि रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य देश के कोने-कोने में जाने-पहचाने थे, चाहे वहाँ की भाषा या रीति-रिवाज कुछ भी हों। यह आश्चर्यजनक था कि गाँव के अनपढ़ लोग भी इन महाकाव्यों के कई श्लोक और कहानियाँ कंठस्थ जानते थे और अपनी रोज़मर्रा की बातचीत में इनका उल्लेख करते थे। इन कहानियों ने लोगों के मन में नैतिक मूल्यों को गहराई से स्थापित किया था, जिससे उनका जीवन अर्थपूर्ण और समृद्ध बना था।
आज भी ये महाकाव्य हमारे समाज में अलग-अलग रूपों में जीवित हैं – फिल्मों, नाटकों, त्योहारों और कहानियों के माध्यम से। हमारी कक्षा में इस बात पर चर्चा हो सकती है कि कैसे ये प्राचीन कहानियाँ हमें आज भी प्रेरित करती हैं और हमारी संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती हैं।