Bihar Board Class 6 Civics Chapter 4 Solutions – लेन-देन का बदलता स्वरूप

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आर्थिक गतिविधियां और लेन-देन का तरीका समय के साथ बदलता रहता है। इस अध्याय में हम सीखेंगे कि आज के युग में लेन-देन कैसे किया जाता है, डिजिटल भुगतान प्रणाली क्या है और व्यापार में क्रेडिट एवं डेबिट कार्डों का क्या महत्व है। साथ ही, हम जानेंगे कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का सम्मान करना क्यों जरूरी है।

Bihar Board Class 6 Civics Chapter 4

Bihar Board Class 6 Civics Chapter 4

SubjectCivics
Class6th
Chapter4. लेन-देन का बदलता स्वरूप
BoardBihar Board

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. क्या आपने या आपके परिवार के किसी सदस्य ने वस्तु देकर किसी वस्तु को खरीदा है ? यदि हाँ तो वर्णन करें।

उत्तर- हाँ, मेरे परिवार में भी वस्तुओं की अदला-बदली की जाती है। एक बार मेरे दादाजी ने किसान से अनाज लिया और उसके बदले में खाद, बीज और कीटनाशक दिए। इस तरह वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वस्तुओं का आदान-प्रदान करते थे।

प्रश्न 2. यदि आपको बाजार से कुछ बर्तन और चादर खरीदना हो तो आप इसे पैसे से खरीदना चाहेंगे या वस्तु के माध्यम से और क्यों?

उत्तर- यदि मुझे बाजार से बर्तन और चादर खरीदनी हों, तो मैं पैसे से खरीदना पसंद करूंगा। क्योंकि पैसे के इस्तेमाल से खरीद-बिक्री और व्यापार आसान हो गया है। इसलिए मैं वस्तुओं को पैसे से ही खरीदना चाहूंगा।

प्रश्न 3. गाँवों/शहरों में वस्तु-विनिमय प्रणाली का और कौन-कौन-सा उदाहरण दिखता है?

उत्तर- गांवों में अब भी वस्तु-विनिमय प्रणाली का प्रचलन है। जैसे, लुहार को चमड़े की वस्तु या जूते की जरूरत हो तो वह चमड़े की वस्तु लेकर बदले में लोहे की वस्तु या अनाज देता है। इसी तरह अगर लुहार किसान के लिए कुदाल या हल बनाता है तो किसान उसे अनाज देकर भुगतान करता है। वस्तुओं की मात्रा आपसी बातचीत से तय होती है।

प्रश्न 4. क्या इसके अतिरिक्त भी कोई अन्य परम्परा जिसके माध्यम से लेन-देन देखने को मिलता है? जैसे शादी विवाह के समय?

उत्तर- दहेज प्रथा एक ऐसी परम्परा है जिसके माध्यम से लेन-देन देखने को मिलता है।

प्रश्न 5. क्या आप आपस में लेन-देन कर सकते हैं?

उत्तर- नहीं, आपस में लेन-देन करना आसान नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि किसी के पास गेहूं है और वह आम चाहता है, तो उसे ऐसा व्यक्ति ढूंढना होगा जिसके पास आम हैं और वह गेहूं चाहता हो। ऐसा दोहरा संयोग मिलना मुश्किल होता है।

प्रश्न 6. दोनों के बीच मूल्य कैसे तय होगा?

उत्तर- दोनों के बीच मूल्य मुद्रा के द्वारा तय किया जाता है। मुद्रा के आगमन से वस्तु-विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर किया गया और लेन-देन मुद्रा के माध्यम से होने लगा। इससे व्यापार भी आसान हो गया।

प्रश्न 7. उपरोक्त चित्रों तथा विवरण से आप वस्तु विनिमय की कठिनाईयों को अपने शब्दों में समझाएँ।

उत्तर- मान लीजिए कि अविनाश का मकान सहरसा में है और वह उसे बेचकर पटना जाना चाहता है। वस्तु-विनिमय प्रणाली में उसे मकान का मूल्य वस्तुओं जैसे गाय, अनाज आदि के रूप में मिलेगा। इन वस्तुओं को पटना ले जाना बहुत मुश्किल होगा। इस प्रणाली में मूल्य के हस्तांतरण की समस्या होती थी, जिससे कई कठिनाइयां आती थीं और व्यापार भी प्रभावित होता था।

प्रश्न 8. लेन-देन के माध्यम के रूप में पैसा सभी द्वारा स्वीकार किया जाता है। पैसे द्वारा किसी भी वस्तु का मूल्य आसानी से तय किया जा सकता है। इसका संग्रह, संचय या बचत करना सविधाजनक है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना आसान होता है। समझाएँ।

उत्तर- जब किसी वस्तु की खरीद-बिक्री पैसे के माध्यम से की जाती है तो इसे मुद्रा विनिमय प्रणाली कहते हैं। मुद्रा के आने से वस्तु-विनिमय प्रणाली की समस्याएं दूर हो गईं। अब लेन-देन और व्यापार आसान हो गया है। पैसे को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी आसान है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक वस्तुओं का व्यापार भी बढ़ गया है।

प्रश्न 9. रचित और दुकानदार को क्या सुविधा प्राप्त हुई?

उत्तर- रचित अपने मुहल्ले की दुकान पर जब कॉपी, किताब, पेंसिल और रबर खरीदने गया तो उसने इनका कुल मूल्य 50 रुपये का नोट दुकानदार को दिया। रचित मुद्रा देकर वस्तुएं खरीदता है जबकि दुकानदार मुद्रा लेकर वस्तुएं बेचता है। दुकानदार आय के कुछ हिस्से से दुकान का सामान खरीदता है और बचा हुआ पैसा अपनी और परिवार की जरूरतों को पूरा करने और बचत के लिए रखता है।

प्रश्न 10. यहाँ मुद्रा विनिमय का कौन-सा गुण दिखाई दिया जो वस्तु विनिमय में नहीं है ?

उत्तर- मुद्रा विनिमय से बचत करना आसान हो गया, जो वस्तु विनिमय में संभव नहीं था। जब लोग आमदनी के रूप में पैसा प्राप्त करने लगे, तो उन्हें इसे संग्रहित और बचत करना आसान हो गया। इसी से बैंकिंग प्रणाली विकसित हुई।

प्रश्न 11. चेक द्वारा लेन-देन कैसे किया जाता है? परिवार एवं शिक्षक के साथ चर्चा करें।

उत्तर- छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 12. एटीएम मशीन के आने से क्या सुविधा मिली ? इसके प्रयोग में क्या सावधानी बरतनी चाहिए? शिक्षक के साथ चर्चा करें।

उत्तर- एटीएम मशीन से हमें कहीं भी, किसी भी समय अपने बैंक खाते से पैसे निकालने की सुविधा मिली है। हमें अपने डेबिट/एटीएम कार्ड का पासवर्ड गोपनीय रखना चाहिए और किसी अनजान व्यक्ति को नहीं बताना चाहिए। एटीएम का उचित प्रयोग करते हुए हमें अपने पैसे की सुरक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 13. क्या चेक से लेन-देन करने में पत्र मद्रा की आवश्यकता होती है?

उत्तर- नहीं चेक से लेन-देन करने में पत्र मद्रा की आवश्यकता नहीं होती है।

अभ्यास

प्रश्न 1. बिना पैसे के लेन-देन में ‘भाव’ कैसे तय होता है?

उत्तर- पैसे के आने से लेन-देन बहुत आसान हो गया। अब किसी वस्तु की खरीद-बिक्री और व्यापार करना सरल है। पैसे से वस्तुओं का मूल्य तय करना भी आसान हो गया है। साथ ही, पैसे को संग्रहित और बचत करना भी संभव हो गया है। इससे व्यापार को बहुत बढ़ावा मिला क्योंकि अब दूर के स्थानों पर भी व्यापार किया जा सकता है।

प्रश्न 2. पैसे के माध्यम से लेन-देन में किस प्रकार की सहूलियत होती है?

उत्तर-

प्रश्न 3. नीचे दी गयी तालिका देखकर समझाएँ कि किसी भी दो व्यक्तियों के बीच सौदा क्यों नहीं हो पा रहा है?

  • राजन गुड़ खरीदना चाहता है और बकरी बेचता है।
  • रंजीत बकरी खरीदना चाहता है और चावल बेचना चाहता है।
  • रबीन चावल खरीदना चाहता है और गड बेचना चाहता है।

उत्तर- दो व्यक्तियों के बीच अलग-अलग सामग्री होने के कारण दोनों के बीच में सौदा नहीं हो पा रहा है।

प्रश्न 4. रचित तथा दुकानदार को लेन-देन में क्या सहूलियत हुई ?

उत्तर- रचित दुकानदार से पैसे देकर वस्तुएं खरीद सकता है। दुकानदार इन पैसों से दुकान का सामान खरीदता है और जो बचता है उसे वह अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने और बचत करने में इस्तेमाल करता है। इस तरह दोनों को खरीद-बिक्री में सुविधा होती है। साथ ही, दुकानदार आय के एक हिस्से से बचत भी कर सकता है।

प्रश्न 5. मुद्रा का चलन कैसे शुरू हुआ?

उत्तर- प्राचीन समय में वस्तु-विनिमय प्रचलित था। बाद में लोहा, तांबा, पीतल आदि धातुओं के सिक्के चलन में आए। भारत में सबसे पहले चांदी के सिक्के बने। शेरशाह सूरी ने चांदी के सिक्के ‘रुपया’ नाम से चलाए। उसके बाद तांबे के सिक्के भी चलन में आए। आज के समय में निकल और एल्युमिनियम के सिक्के प्रचलित हैं। इनकी लागत इनके मूल्य से कम होती है।

प्रश्न 6. पत्र मुद्रा कैसे शुरू हुई होगी?

उत्तर- धातु के सिक्कों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल होता था। इसलिए कागज के नोटों का चलन शुरू किया गया जिसे पत्र या कागजी मुद्रा कहा जाता है। भारत में केवल भारतीय रिजर्व बैंक को ही नए नोट छापने और जारी करने का अधिकार है। कागजी मुद्रा ले जाना और संग्रहित करना धातु की मुद्रा से बहुत आसान है।

प्रश्न 7. आप अपनी कक्षा के दोस्तों के साथ वस्तुओं की अदला-बदली द्वारा लेन-देन या अदान-प्रदान करते हैं। इनकी सूची बनाएँ। क्या यह वस्तु विनिमय प्रणाली का उदाहरण है ?

उत्तर- छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 8. इस पाठ में वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाईयों से सम्बंधित कुछ चित्र दिये गये हैं। इन कठिनाईयों को दर्शाते हुए कुछ अन्य चित्र बनाएँ।

उत्तर- छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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