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बिहार बोर्ड कक्षा 10 की भूगोल पुस्तक का अध्याय “खनिज संसाधन” एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर केंद्रित है। इस अध्याय में आप भारत के विविध खनिज संपदा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। यह अध्याय खनिजों के प्रकार, उनके भौगोलिक वितरण, और उनके आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालता है। आप लौह और अलौह खनिजों, उनके उत्खनन, और उपयोग के बारे में सीखेंगे। साथ ही, यह अध्याय खनिज संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग की आवश्यकता पर भी जोर देता है। इसमें खनन उद्योग की चुनौतियों और पर्यावरणीय प्रभावों पर भी चर्चा की गई है।

Bihar Board Class 10 Geography Chapter 1D Solutions
Contents
Subject | Geography |
Class | 10th |
Chapter | 1D. खनिज संसाधन |
Board | Bihar Board |
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भारत में लगभग कितने खनिज पाये जाते हैं ?
(क) 50
(ख) 100
(ग) 150
(घ) 200
उत्तर- (ख) 100
प्रश्न 2. इनमें से कौन लौह युक्त खनिज का उदाहरण है ?
(क) मैंगनीज
(ख) अभ्रक
(ग) बॉक्साइट
(घ) चूना-पत्थर
उत्तर- (क) मैंगनीज
प्रश्न 3. निम्नलिखित में कौन अधात्विक खनिज का उदाहरण है?
(क) सोना
(ख) टीन
(ग) अभ्रक
(घ) ग्रेफाइट
उत्तर- (ग) अभ्रक
प्रश्न 4. किस खनिज को उद्योगों की जननी माना गया है ?
(क) सोना
(ख) तांबा
(ग) लोहा
(घ) मैंगनीज
उत्तर- (ग) लोहा
प्रश्न 5. कौन लौह अयस्क का एक प्रकार है ?
(क) लिगनाइट
(ख) हेमाटाइट
(ग) बिटुमिनस
(घ) इनमें से सभी
उत्तर- (ख) हेमाटाइट
प्रश्न 6. कौन भारत का सबसे बड़ा लौह उत्पादक राज्य है ?
(क) कर्नाटक
(ख) गोवा
(ग) उड़ीसा
(घ) झारखंड
उत्तर- (क) कर्नाटक
प्रश्न 7. छत्तीसगढ़ भारत का कितना प्रतिशत लौह अयस्क उत्यादन करता है ?
(क) 10
(ख) 20
(ग) 30
(घ) 40
उत्तर- (ख) 20
प्रश्न 8. मैंगनीज उत्पादन में भारत का विश्व में क्या स्थान है?
(क) प्रथम
(ख) द्वितीय
(ग) तृतीय
(घ) चतुर्थ
उत्तर- (ग) तृतीय
प्रश्न 9. उड़ीसा किस खनिज का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
(क) लौह अयस्क
(ख) मैंगनीज
(ग) टीन
(घ) ताँबा
उत्तर- (ख) मैंगनीज
प्रश्न 10. एक टन इस्पात बनाने में कितने मैंगनीज का उपयोग होता है ?
(क) 5 किग्रा०
(ख) 10 किग्रा
(ग) 15 किग्रा
(घ) 20 किग्रा०
उत्तर- (ख) 10 किग्रा
प्रश्न 11. अल्युमिनियम बनाने के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है?
(क) मैंगनीज
(ख) टीन
(ग) लोहा
(घ) बॉक्साइट
उत्तर- (घ) बॉक्साइट
प्रश्न 12. देश में तांबे का कुल भण्डार कितना है ?
(क) 100 करोड़ टन
(ख) 125 करोड़ टन
(ग) 150 करोड़ टन
(घ) 175 करोड़ टन
उत्तर- (ख) 125 करोड़ टन
प्रश्न 13. बिहार-झारखण्ड में देश का कितना प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन होता है ?
(क) 60
(ख) 70
(ग) 80
(घ) 90
उत्तर- (ग) 80
प्रश्न 14. सीमेंट उद्योग का सबसे प्रमुख कच्चा माल क्या है ?
(क) चूना-पत्थर
(ख) बाक्साइट
(ग) ग्रेनाइट
(घ) लोहा
उत्तर- (क) चूना-पत्थर
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. खनिज क्या है?
उत्तर- खनिज एक प्राकृतिक, अकार्बनिक पदार्थ है जो पृथ्वी की भू-पर्पटी में पाया जाता है। इसकी एक निश्चित रासायनिक संरचना और क्रिस्टलीय संरचना होती है, जो इसे विशिष्ट भौतिक और रासायनिक गुण प्रदान करती है। खनिज प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे उद्योग, निर्माण और तकनीकी विकास।
प्रश्न 2. धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या हैं ?
उत्तर- धात्विक खनिजों की दो प्रमुख पहचान उनकी धात्विक चमक और धातु निष्कर्षण की क्षमता है। ये खनिज चमकदार होते हैं और प्रकाश को परावर्तित करते हैं, जो उन्हें एक विशिष्ट चमक प्रदान करता है। इन्हें गलाकर या रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा धातु प्राप्त की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, धात्विक खनिज आमतौर पर कठोर होते हैं, उच्च घनत्व वाले होते हैं और विद्युत के सुचालक होते हैं।
प्रश्न 3. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर- खनिजों की कई महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं। सबसे पहले, इनका वितरण पृथ्वी पर असमान है, जिससे कुछ क्षेत्र खनिज संपन्न हैं जबकि अन्य कम संपन्न हैं। उच्च गुणवत्ता वाले खनिज आमतौर पर सीमित मात्रा में पाए जाते हैं। खनिज अनवीकरणीय संसाधन हैं, जिसका अर्थ है कि एक बार उपयोग किए जाने पर इन्हें पुनः नहीं बनाया जा सकता। वे आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका खनन पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, खनिजों का संरक्षण और टिकाऊ उपयोग आवश्यक है।
प्रश्न 4. लौह अयस्क के प्रकारों के नामों को लिखिए।
उत्तर- लौह अयस्क के मुख्य प्रकारों में हेमेटाइट, मैग्नेटाइट, लिमोनाइट और सिडेराइट शामिल हैं। हेमेटाइट और मैग्नेटाइट सबसे अधिक लोहा प्रदान करने वाले अयस्क हैं। ये विभिन्न प्रकार के लौह अयस्क अलग-अलग मात्रा में लोहा धातु प्रदान करते हैं और विभिन्न भूगर्भीय परिस्थितियों में पाए जाते हैं। इनमें से प्रत्येक अयस्क की अपनी विशिष्ट रासायनिक संरचना होती है।
प्रश्न 5. लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर- भारत में लौह अयस्क के प्रमुख उत्पादक राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, झारखंड और गोवा हैं। ये राज्य देश के कुल लौह अयस्क उत्पादन का लगभग 90% हिस्सा प्रदान करते हैं। इन राज्यों में प्राचीन भूवैज्ञानिक संरचनाएँ हैं जो उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क के भंडार प्रदान करती हैं। इन क्षेत्रों में खनन गतिविधियाँ राज्य और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 6. झारखण्ड के मुख्य लौह उत्पादक जिलों के नाम लिखें।
उत्तर- झारखंड के प्रमुख लौह उत्पादक जिलों में पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर), पश्चिमी सिंहभूम, धनबाद, रांची और हजारीबाग शामिल हैं। ये जिले ‘लौह पट्टी’ के रूप में जाने जाते हैं और उच्च गुणवत्ता का लौह अयस्क प्रदान करते हैं। इन क्षेत्रों में खनन गतिविधियाँ स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और राज्य के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न 7. मैंगनीज के उपयोग पर प्रकाश डालें।
उत्तर- मैंगनीज का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। इस्पात उत्पादन में, यह जंगरोधी और मजबूत इस्पात बनाने में मदद करता है। बैटरी निर्माण में, यह शुष्क सेल और लिथियम-आयन बैटरी का एक महत्वपूर्ण घटक है। रासायनिक उद्योग में, मैंगनीज का उपयोग पेंट, कीटनाशक और उर्वरक बनाने में किया जाता है। कांच और सिरेमिक उद्योग में, यह रंग और मजबूती प्रदान करता है। स्वास्थ्य क्षेत्र में, मैंगनीज एक आवश्यक पोषक तत्व है और चिकित्सा उपकरणों में भी उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 8. अल्यूमिनियम के उपयोग का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- अल्यूमिनियम का उपयोग विविध क्षेत्रों में किया जाता है। परिवहन उद्योग में, यह वायुयान, रेल और ऑटोमोबाइल निर्माण में प्रयुक्त होता है। निर्माण क्षेत्र में, अल्यूमिनियम भवन निर्माण और खिड़कियों के फ्रेम में उपयोग किया जाता है। पैकेजिंग उद्योग में, यह खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के लिए प्रयोग किया जाता है। विद्युत उद्योग में, अल्यूमिनियम तार और केबल बनाने में महत्वपूर्ण है। घरेलू सामान जैसे बर्तन और उपकरण भी अल्यूमिनियम से बनाए जाते हैं। इसकी हल्की प्रकृति, जंग-रोधी गुण और पुनर्चक्रण क्षमता इसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए आदर्श बनाती है।
प्रश्न 9. अभ्रक का उपयोग क्या है ?
उत्तर- अभ्रक एक बहुउपयोगी खनिज है जिसका प्रयोग कई क्षेत्रों में होता है। इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में यह विद्युत रोधक के रूप में काम आता है। विद्युत उपकरणों में इसका उपयोग सुरक्षा और कुशलता बढ़ाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में अभ्रक भस्म का उपयोग कई रोगों के उपचार में होता है। इसके अलावा, अभ्रक का प्रयोग पेंट, प्लास्टिक और कॉस्मेटिक उद्योगों में भी किया जाता है।
प्रश्न 10. चूना-पत्थर की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर- चूना-पत्थर एक महत्वपूर्ण औद्योगिक खनिज है। इसका सबसे प्रमुख उपयोग सीमेंट उत्पादन में होता है, जो निर्माण उद्योग का आधार है। लौह एवं इस्पात उद्योग में यह फ्लक्स के रूप में प्रयोग किया जाता है। उर्वरक उद्योग में चूना-पत्थर का उपयोग कैल्शियम युक्त उर्वरक बनाने में होता है। कागज उद्योग में यह कागज को चिकना और सफेद बनाने में मदद करता है। चीनी उद्योग में चूने के पानी का उपयोग चीनी को साफ करने में किया जाता है।
प्रश्न 11. खनिजों की मख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- खनिजों की मुख्य विशेषताओं में उनका असमान वितरण शामिल है, जहाँ उच्च गुणवत्ता वाले खनिज कम मात्रा में पाए जाते हैं। खनिज अनवीकरणीय संसाधन हैं, जिनका पुनर्निर्माण प्राकृतिक रूप से नहीं होता। ये आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका अत्यधिक दोहन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। खनिजों की उपलब्धता सीमित है, इसलिए इनके संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है। कुछ खनिज रणनीतिक महत्व के होते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं।
प्रश्न 12. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से क्या समझते हैं ?
उत्तर- खनिजों का संरक्षण और प्रबंधन उनके दीर्घकालिक उपयोग को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है। इसमें खनिजों के अतिदोहन पर नियंत्रण, उनका कुशल उपयोग, और वैकल्पिक संसाधनों की खोज शामिल है। प्रबंधन में खनन के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना, खनिज अपशिष्ट का पुनर्चक्रण, और नए खनिज भंडारों की खोज भी शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि खनिज संसाधन भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी उपलब्ध रहें। खनिजों का संरक्षण और प्रबंधन टिकाऊ विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. खनिज कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक का सोदाहरण परिचय दीजिए।
उत्तर- खनिज मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: धात्विक और अधात्विक।
धात्विक खनिज:
लौहयुक्त खनिज: इनमें लोहे की मात्रा अधिक होती है। उदाहरण: लौह अयस्क (हेमेटाइट, मैग्नेटाइट), मैंगनीज, क्रोमाइट।
अलौहयुक्त खनिज: इनमें लोहे की मात्रा कम या नगण्य होती है। उदाहरण: बॉक्साइट (एल्युमीनियम अयस्क), तांबा, सोना, चांदी।
अधात्विक खनिज:
कार्बनिक खनिज: ये जीवाश्मों से बनते हैं। उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
अकार्बनिक खनिज: इनमें जीवाश्म नहीं होते। उदाहरण: अभ्रक, चूना पत्थर, जिप्सम, ग्रेफाइट।
प्रत्येक प्रकार के खनिज का अपना विशिष्ट महत्व है। धात्विक खनिज उद्योगों के लिए कच्चे माल का काम करते हैं, जबकि अधात्विक खनिज विभिन्न उत्पादों और प्रक्रियाओं में उपयोग किए जाते हैं। खनिजों का वर्गीकरण उनके रासायनिक संघटन और भौतिक गुणों पर आधारित होता है।
प्रश्न 2. धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में क्या अंतर है ? तुलना करें।
उत्तर- धात्विक और अधात्विक खनिजों में निम्नलिखित अंतर हैं:-
- संरचना: धात्विक खनिजों में धातु तत्व होते हैं, जबकि अधात्विक खनिजों में धातु तत्व नहीं होते।
- भौतिक गुण: धात्विक खनिज आमतौर पर चमकदार, कठोर और भारी होते हैं। अधात्विक खनिज अपेक्षाकृत हल्के और कम चमकदार होते हैं।
- विद्युत चालकता: धात्विक खनिज विद्युत के सुचालक होते हैं, जबकि अधिकांश अधात्विक खनिज विद्युत के कुचालक होते हैं।
- उपयोग: धात्विक खनिजों का उपयोग मुख्यतः धातु निष्कर्षण और उद्योगों में कच्चे माल के रूप में होता है। अधात्विक खनिजों का उपयोग निर्माण सामग्री, रासायनिक उद्योग, और ऊर्जा उत्पादन में होता है।
- प्रसंस्करण: धात्विक खनिजों को धातु प्राप्त करने के लिए गलाया जाता है, जबकि अधात्विक खनिजों का प्रसंस्करण अलग-अलग तरीकों से किया जाता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: धात्विक खनिजों का खनन और प्रसंस्करण अक्सर अधिक प्रदूषणकारी होता है, जबकि अधात्विक खनिजों का खनन तुलनात्मक रूप से कम हानिकारक हो सकता है।
- मूल्य: धात्विक खनिज आमतौर पर अधिक मूल्यवान होते हैं, विशेषकर कीमती धातुएँ जैसे सोना और चांदी। कुछ अधात्विक खनिज, जैसे हीरे, भी बहुत मूल्यवान हो सकते हैं।
प्रश्न 3. भारत के खनिज पट्टियों का नाम लिखकर किन्हीं दो का वर्णन करें।
उत्तर- भारत में तीन प्रमुख खनिज पट्टियाँ हैं:-
- उत्तर-पूर्वी पठार
- दक्षिण-पश्चिमी पठार
- उत्तर-पश्चिमी प्रदेश
उत्तर-पूर्वी पठार: यह भारत की सबसे समृद्ध खनिज पट्टी है। इसमें छोटानागपुर का पठार, ओडिशा का पठार, छत्तीसगढ़ का पठार और पूर्वी आंध्र प्रदेश का पठार शामिल हैं। यहाँ लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, तांबा, थोरियम और यूरेनियम जैसे खनिज पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में देश के प्रमुख लौह और इस्पात उद्योग स्थित हैं। झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ इस पट्टी के महत्वपूर्ण राज्य हैं।
दक्षिण-पश्चिमी पठार: यह पट्टी खंभात की खाड़ी से अरावली पर्वतमाला तक फैली है। इस क्षेत्र में मुख्यतः अलौह धातुएँ जैसे सोना, चांदी, तांबा, सीसा और जस्ता पाई जाती हैं। साथ ही, यहाँ बालू पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम और चूना-पत्थर के भी बड़े भंडार हैं। राजस्थान इस पट्टी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ जिंक, लेड और मैंगनीज के प्रमुख खदान हैं। कर्नाटक में कोलार सोने की खदानों के लिए प्रसिद्ध है।
ये खनिज पट्टियाँ भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनसे प्राप्त खनिज देश के औद्योगिक विकास का आधार हैं और निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि, इन क्षेत्रों में खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी उत्पन्न हुई हैं, जिनका समाधान आवश्यक है।
प्रश्न 4. लौह अयस्क का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखें।
उत्तर- लौह अयस्क को मुख्यतः तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:-
हेमेटाइट (लाल अयस्क):
- इसमें 60-70% तक लौह अंश होता है।
- रंग लाल से भूरा होता है।
- सबसे अधिक पाया जाने वाला और उच्च गुणवत्ता का अयस्क।
मैग्नेटाइट (काला अयस्क):-
इसमें 72% तक लौह अंश हो सकता है।
- रंग काला या गहरा भूरा होता है।
- चुंबकीय गुण के कारण इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
लिमोनाइट (पीला अयस्क):-
इसमें 40-60% लौह अंश होता है।
- रंग पीला या भूरा-पीला होता है।
- यह जलयुक्त लौह ऑक्साइड है।
प्रश्न 5. भारत में लौह अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर- भारत में लौह अयस्क का वितरण निम्नलिखित प्रमुख राज्यों में केंद्रित है:-
- ओडिशा: देश का सबसे बड़ा उत्पादक, जहाँ मयूरभंज, केओनझर और सुंदरगढ़ जिलों में प्रमुख खदानें हैं।
- छत्तीसगढ़: दुर्ग, दंतेवाड़ा और बस्तर जिलों में महत्वपूर्ण भंडार हैं। बैलाडिला खदान विश्व प्रसिद्ध है।
- कर्नाटक: बेल्लारी-होस्पेट क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता का अयस्क पाया जाता है।
- झारखंड: सिंहभूम, पलामू और मयूरभंज जिलों में प्रमुख खदानें हैं।
- गोवा: देश का एक महत्वपूर्ण लौह अयस्क निर्यातक राज्य है।
- महाराष्ट्र: चंद्रपुर, रत्नागिरी और भंडारा जिलों में खदानें हैं।
- आंध्र प्रदेश: कड़प्पा, कुरनूल और अन्नंतपुर जिलों में भंडार हैं।
भारत में लौह अयस्क का उत्पादन 1950-51 के 42 लाख टन से बढ़कर 2020-21 में लगभग 200 मिलियन टन हो गया है। यह वृद्धि देश के औद्योगिक विकास और वैश्विक मांग में वृद्धि को दर्शाती है। भारत लौह अयस्क का एक प्रमुख निर्यातक भी है, जिसमें जापान और चीन मुख्य आयातक हैं। हालाँकि, घरेलू इस्पात उद्योग की बढ़ती मांग के कारण निर्यात नीति में बदलाव आ रहा है।
प्रश्न 6. मैंगनीज तथा बॉक्साइट की उपयोगिता तथा देश में इनके वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर- मैंगनीज अयस्क:
मैंगनीज का उपयोग और वितरण:
- मुख्य उपयोग: जंगरोधी इस्पात, मिश्रधातु, शुष्क बैटरी, फोटोग्राफी, चमड़ा, माचिस, पेंट और कीटनाशक उद्योग में।
- भारत का स्थान: विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक।
- प्रमुख राज्य: उड़ीसा (37.6%), महाराष्ट्र (25%), मध्य प्रदेश (21%), कर्नाटक और आंध्र प्रदेश।
- महत्वपूर्ण क्षेत्र: महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश की पट्टी (75% भंडार)।
- कुल भंडार: 1670 लाख टन (विश्व का 20%)।
बॉक्साइट:
बॉक्साइट का उपयोग और वितरण:
- मुख्य उपयोग: एल्युमीनियम निष्कर्षण, वायुयान निर्माण, बर्तन, सफेद सीमेंट और रासायनिक उद्योग।
- कुल भंडार: 3037 मिलियन टन।
- प्रमुख राज्य: उड़ीसा (42%), गुजरात (17.35%), झारखंड (14%), महाराष्ट्र (12%), छत्तीसगढ़ (6%)।
- अन्य उत्पादक: कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर।
- निर्यात: इटली, यूके, जर्मनी और जापान प्रमुख आयातक।
प्रश्न 7. अभ्रक की उपयोगिता एवं वितरण पर प्रकाश डालें।।
उत्तर- अभ्रक की उपयोगिता और वितरण:
उपयोगिता:
विद्युत उपकरणों में विद्युत रोधक के रूप में
इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में
आयुर्वेदिक दवाओं में
भारत का स्थान: विश्व में शीट अभ्रक का अग्रणी उत्पादक
प्रमुख उत्पादक राज्य:
बिहार और झारखंड (80% उत्पादन)
आंध्र प्रदेश
राजस्थान
महत्वपूर्ण क्षेत्र:
बिहार-झारखंड पट्टी: गया, हजारीबाग, मुंगेर, भागलपुर
आंध्र प्रदेश: नेल्लोर जिला
राजस्थान: जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर
प्रश्न 8. खनिजों के संरक्षण के उपाय सुझायें।
उत्तर- खनिजों के संरक्षण के उपाय:-
- नियंत्रित दोहन: खनिजों के अति-दोहन पर रोक लगाना।
- कुशल उपयोग: खनिजों का बचतपूर्ण और विवेकपूर्ण इस्तेमाल करना।
- वैकल्पिक संसाधन: सस्ते और टिकाऊ विकल्पों की खोज करना।
- अपशिष्ट प्रबंधन: खनन से निकले अपशिष्ट का समझदारी से उपयोग करना।
- पर्यावरण संरक्षण: खनन के पारिस्थितिक प्रभावों को कम करना।
- पुनर्चक्रण: खनिजों के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को बढ़ावा देना।
- तकनीकी नवाचार: बेहतर खनन और प्रसंस्करण तकनीकों का विकास करना।
- नीतिगत उपाय: खनिज संरक्षण के लिए प्रभावी नीतियां और कानून बनाना।