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यह अध्याय दिव्यांगता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है। दिव्यांगता एक व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक क्षमताओं में सीमितता है। इस अध्याय में छात्र दिव्यांगता के कारणों, प्रकारों और इससे जुड़े मुद्दों के बारे में जानेंगे। वे समझेंगे कि शारीरिक, दृष्टि, श्रवण और बौद्धिक दिव्यांगता क्या होती है और इनसे कैसे निपटा जा सकता है। साथ ही, छात्रों को दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनके लिए उपलब्ध सहायता और सुविधाओं के बारे में भी बताया जाएगा।
UP Board Class 8 Science Chapter 9 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 8th |
Chapter | 9. दिव्यांगता |
Board | UP Board |
प्रश्न 1. दिये गये विकल्पों में सही विकल्प चुनिए
(क) श्रवण दिव्यांग अक्षम होते हैं-
(अ) सुनने में
(ब) बोलने में
(स) सुनने एवं बोलने में
(द) देखने में
उत्तर – (स) सुनने एवं बोलने में
(ख) हड्डियों, जोड़ों या माँसपेशियों की अक्षमता को कहते हैं
(अ) डिस्लेक्सिया
(ब) दृष्टिबाधिता
(स) डिसग्राफिया
(द) लोकोमोटर दिव्यांगता
उत्तर – (द) लोकोमोटर दिव्यांगता
(ग) विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है-
(अ) 3 जनवरी को
(ब) 3 जून को
(स) 3 दिसम्बर को
(द) 1 अगस्त को
उत्तर – (स) 3 दिसम्बर को
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✗) का चिह्न लगाइये।
(क) प्राथमिक उपचार पेटी में मलहम एवं कुछ दवाएँ होनी चाहिए। (✓)
(ख) एण्टीसेप्टिक क्रीम संक्रमण से बचाने के लिए उपयोग की जाती है। (✓)
(ग) अंतिम दिनांक वाली दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए । (✓)
(घ) डिसग्राफिया सुंसंग ढंग से न लिख पाने की अक्षमता है। (✓)
(ङ) दिव्यांग साथियों की मदद करना हमारा सामाजिक दायित्व नहीं है। (✗)
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो l
(क) मानसिक दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि सामान्य से काफी थीमी/मंद होती है।
(ख) डिस्लेक्सिया कोई मानसिक बीमारी नहीं है।
(ग) प्राथमिक उपचार के लिए उपयोगी दवाइयों को जिस बॉक्स में रखा जाता है, उसे प्राथमिक उपचार पेटी कहते हैं।
(घ) पहला पैरा-ओलम्पिक खेल का आयोजन सन् 1960 में रोम में किया गया था। (ङ) भारत की जनगणना 2011 के अनुसार भारत में 2.21% व्यक्ति दिव्यांगता के शिकार हैं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपनी कार्य पुस्तिका में लिखिए
(क) प्राथमिक उपचार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: प्राथमिक उपचार वह तत्काल देखभाल और इलाज है जो किसी दुर्घटना, चोट या अचानक बीमारी के बाद शुरुआती स्तर पर दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य रोगी/घायल व्यक्ति की स्थिति और बिगड़ने से रोकना होता है। ये पेशेवर चिकित्सा सहायता मिलने से पहले की अस्थायी देखभाल होती है। प्राथमिक उपचार से रोगी/घायल व्यक्ति की हालत स्थिर हो जाती है और उसे अस्पताल ले जाने में आसानी होती है।
(ख) दिव्यांगता से आप क्या समझते हैं? श्रवण दिव्यांगता के बारे में बताइए।
उत्तर: दिव्यांगता एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के शरीर या मन के किसी हिस्से में कमी या कार्यात्मक असमर्थता होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दिव्यांगता शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या इंद्रिय संबंधी कमी है जो स्थायी होती है और दैनिक गतिविधियों को करने में बाधा डालती है।
श्रवण दिव्यांगता वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सुनने में कठिनाई होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे जन्मजात कान की बीमारी, चोट लगना या कान के अंगों का पूरी तरह से विकसित न होना। श्रवण दिव्यांगता में व्यक्ति को ध्वनि सुनने में पूरी तरह से असमर्थता होती है जिससे बच्चे बोलना नहीं सीख पाते।
(ग) प्राथमिक उपचार पेटी में कौन-कौन सी वस्तुएँ होनी चाहिए?
उत्तर: एक प्राथमिक उपचार पेटी में निम्नलिखित वस्तुएँ होनी चाहिए:
- पट्टियां, रूई, गाँज, प्लास्टर, स्टेराइल पट्टी कवर
- कैंची, चिमटा, पिन, पेंसिल और नोटबुक
- थर्मामीटर, चम्मच, गिलास, साबुन, तौलिया
- मास्क, ग्लब्स, स्प्रे सैनिटाइजर
- टॉर्च, मैच बॉक्स
- दवाइयाँ जैसे पेरासिटामॉल, डिटॉल, क्रीम, बैंडएड, आई ड्रॉप्स, ओआरएस पाउडर आदि।
(घ) दिव्यांग जनों के प्रति हमारा क्या सामाजिक दायित्व हैं?
उत्तर: दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति हमारे कुछ प्रमुख सामाजिक दायित्व हैं:
- उनके प्रति सम्मान और संवेदनशीलता रखें। उनकी शारीरिक स्थिति को लेकर कभी अपमानित न करें।
- उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बनाए रखने में मदद करें।
- उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करें और उनकी क्षमताओं का सम्मान करें।
- उन्हें मिलने वाली सरकारी सुविधाओं और योजनाओं के बारे में जागरूक करें।
- उनकी मदद करें और उन्हें समाज का समान सम्मान दिलाएं ताकि वे भी गरिमा के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
(ङ) डिस्लेक्सिया एवं डिसग्राफिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
- डिस्लेक्सिया एक ऐसा विकार है जिसमें बच्चों को शब्दों को पहचानना, पढ़ना और याद करना मुश्किल होता है। यह एक प्रकार की भाषा अक्षमता है जिसमें बच्चे की उच्चारण और बोलने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह आमतौर पर 3-14 साल की आयु के बच्चों में देखा जाता है।
- डिसग्राफिया भी एक विकार है जिसमें बच्चे को लिखने में परेशानी होती है। यह एक मस्तिष्क संबंधी समस्या है जिसमें बच्चे को शब्दों की वर्तनी, हस्तलेखन, वाक्यों और पैराग्राफों को लिखने में कठिनाई होती है। डिसग्राफिया वाले बच्चों की लेखन कौशल प्रभावित होता है।