Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 7 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 7 – “अपूर्व अनुभव” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“अपूर्व अनुभव” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का सातवाँ अध्याय है, जो जापानी लेखिका तेत्सुको कुरियानागी की आत्मकथात्मक पुस्तक से लिया गया एक मार्मिक संस्मरण है। इस पाठ में ‘टोमोए’ नामक एक अनोखे विद्यालय की शिक्षण पद्धति और वहाँ के प्रधानाचार्य कोबायाशी की अभिनव दृष्टि का वर्णन है। छात्र इस पाठ से जानेंगे कि कैसे शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य बच्चों की जिज्ञासा, रचनात्मकता और व्यक्तित्व के विकास को बढ़ावा देना होता है। “अपूर्व अनुभव” अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 7 Solutions
Contents
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 7. अपूर्व अनुभव |
| Board | Bihar Board |
पाठ से
प्रश्न 1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर – तोत्तो-चान को यासुकी-चान बहुत प्रिय था। वह पोलियो से पीड़ित था, इसलिए पेड़ पर चढ़ नहीं सकता था। स्कूल में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था, लेकिन यासुकी-चान के पास ऐसा कोई पेड़ नहीं था। तोत्तो-चान चाहती थी कि उसका दोस्त भी पेड़ पर चढ़े और ऊपर से दुनिया को देख सके। इसी वजह से उसने पूरा प्रयास किया कि यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ा सके।
प्रश्न 2. दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।
उत्तर – तोत्तो-चान को खुशी इस बात की थी कि उसने अपने प्यारे दोस्त यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ा दिया। वह रोज़ पेड़ पर चढ़ती थी, लेकिन आज वह अपने दोस्त की मदद करके बहुत संतुष्ट थी।
यासुकी-चान के लिए यह अनुभव बहुत खास था क्योंकि उसने पहली बार पेड़ पर चढ़ने की खुशी महसूस की। वह जानता था कि उसके लिए यह करना बहुत मुश्किल था। उसे ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं मिला था।
प्रश्न 3. पाठ में खोजकर देखिए – कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार, इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर – जब यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की कोशिश हो रही थी, तो सूरज तेज़ चमक रहा था और दोनों पसीने से भीग गए थे। तभी एक बादल का टुकड़ा आया और दोनों पर छाया कर दी। इससे धूप कम हो गई और उन्हें थोड़ी राहत मिली। यह ऐसा लगा जैसे प्रकृति भी उनके साहस और मेहनत को देखकर उनकी मदद करना चाहती हो।
प्रश्न 4. ‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह………अंतिम मौका था।’ इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर – ‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और शायद अंतिम मौका था।’
लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा क्योंकि यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ना बहुत मुश्किल था। वह पोलियो से ग्रस्त था और अकेले यह कर पाना नामुमकिन था। यह मौका तोत्तो-चान की मदद से मिला, लेकिन भविष्य में ऐसा कोई दोस्त या मौका मिलना आसान नहीं था। हो सकता है, यह अनुभव उसके जीवन में दोबारा कभी न हो।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
उत्तर: मैं पढ़ाई में अच्छा होना चाहता हूँ ताकि अच्छे अंक लाकर अपने माता-पिता को गर्व महसूस करा सकूँ। इसके लिए मुझे रोज़ मन लगाकर पढ़ना होगा और कठिन विषयों को भी समझना होगा। अगर कोई विषय मुश्किल लगे तो मैं उसे बार-बार पढ़ूँगा और टीचर से पूछूँगा। मेरी यह इच्छा है कि मैं स्कूल में अच्छे नंबर लाऊँ और आगे चलकर एक अच्छा इंसान बनूँ। यही मेरी मेहनत और लगन का लक्ष्य है।
प्रश्न 2. हम अक्सर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’ कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर: अगर मुझे कोई रोमांचकारी अनुभव करना हो तो मैं पहाड़ों पर ट्रैकिंग करने जाऊँगा। वहाँ चढ़ाई करना, नए रास्ते ढूँढना और जंगलों को देखना बहुत ही रोमांचकारी होगा। साथ ही मैं दोस्ती और मदद की भावना को भी महसूस करना चाहूँगा, जैसे तोत्तो-चान ने यासुकी-चान की मदद की थी। इस तरह के अनुभव हमें सिखाते हैं कि छोटे-छोटे काम भी बड़े बन सकते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे क्यों थीं?
उत्तर: तोत्तो-चान जानती थी कि वह जो करने जा रही है, वह थोड़ा जोखिम भरा है। इसलिए उसने यह बात अपनी माँ से छिपा ली और झूठ कहा कि वह यासुकी-चान के घर जा रही है। जब उसने झूठ बोला, तब उसे शर्म और डर महसूस हो रहा था। इसलिए उसकी नज़रें नीचे थीं क्योंकि वह माँ से नजरें मिलाकर झूठ नहीं बोल पाई।
प्रश्न 2. यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधा वाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर:
- स्कूलों में अब खास रास्ते (रेम्प) बनाए जाते हैं।
- मेट्रो और ट्रेन स्टेशनों पर लिफ्ट और व्हीलचेयर की सुविधा होती है।
- अस्पतालों में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर होते हैं।
- हवाई अड्डों पर विशेष सहायकों और गाड़ियों की व्यवस्था होती है।
- कुछ मॉल और सिनेमाघरों में भी यह सुविधाएँ होती हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1. विशाखा शब्द दिव और शाखा के योग से बना है। दिव का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती है। वि की भाँति आप त्रि से बनने वाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। ‘त्रि’ का अर्थ होता है तीन। इस प्रकार चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अक्सर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि वह क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे- हिंदी-आठ संस्कृति-अष्ट, अंग्रेज़ी एट।

प्रश्न 2. पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर: चलाना, गिराना, हँसाना, पढ़ाना।