Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 4 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 4 – “मीठाईवाला” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“मिठाईवाला” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का चौथा अध्याय है, जिसे प्रसिद्ध लेखक भगवतीप्रसाद वाजपेयी ने लिखा है। इस कहानी में एक सामान्य मिठाईवाले की ईमानदारी, उदारता और मानवीय संवेदनाओं का हृदयस्पर्शी चित्रण किया गया है। छात्र इस कहानी से जानेंगे कि किस प्रकार व्यक्ति की महानता उसके व्यवहार और मानवीयता में निहित होती है, न कि उसकी आर्थिक स्थिति में। “मिठाईवाला” अध्याय के सभी प्रश्नोत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 4 Solutions
Contents
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 4. मीठाईवाला |
| Board | Bihar Board |
कहानी से
प्रश्न 1. मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर: मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था क्योंकि वह बच्चों के साथ समय बिताना चाहता था। उसके अपने बच्चे और पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी, और वह गली के बच्चों में अपने बच्चों की याद देखता था। वह बच्चों को खुश करने के लिए उनकी पसंद की चीजें लाता था, जैसे मिठाई, खिलौने और मुरलियाँ। वह हर बार नई-नई चीजें लाता था, जिससे बच्चे उसका इंतज़ार करते थे।
वह महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि उसे पैसे कमाने की लालच नहीं थी। वह अपने मन की शांति के लिए ये काम करता था। साथ ही, वह चीजें तैयार करने और बच्चों का उत्साह बनाए रखने के लिए समय लेता था।
प्रश्न 2. मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर: मिठाईवाले की आवाज़ बहुत मीठी थी, और वह गाकर अपनी चीजों के बारे में बताता था। वह बच्चों की पसंद की चीजें लाता था और उन्हें सस्ते दाम में बेचता था। वह बच्चों से प्यार से बात करता था और उनके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करता था। उसका व्यवहार इतना अच्छा था कि बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी दुकान पर खिंचे चले आते थे।
प्रश्न 3. विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर: विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। मोल-भाव के दौरान दोनों ने अपनी-अपनी बात रखी।
विजय बाबू ने कहा, “फेरीवाले हमेशा झूठ बोलते हैं। तुम कहते हो कि ये चीजें दो-दो पैसे में दे रहे हो, लेकिन ऐसा कहकर तुम मुझ पर अहसान जता रहे हो।”
मुरलीवाले ने जवाब दिया, “ग्राहकों को चीजों की असली कीमत नहीं पता। चाहे हम कम दाम में बेचें, ग्राहक हमेशा यही सोचते हैं कि हम उन्हें ठग रहे हैं।”
इस तरह दोनों ने अपनी बात को सही ठहराने की कोशिश की।
प्रश्न 4. खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: खिलौनेवाले के आने पर बच्चे बहुत खुश हो जाते थे। वे उत्साह में इतने मस्त हो जाते थे कि खेलना-कूदना भूल जाते थे। वे अपने जूते-चप्पल और सामान को भूलकर खिलौनेवाले के पास दौड़ते थे। घर से पैसे लाकर वे खिलौनों का मोल-भाव करते थे। खिलौनेवाला उनकी पसंद के खिलौने देता था, और बच्चे उन्हें लेकर बहुत खुश हो जाते थे। उनकी खुशी देखते ही बनती थी।
प्रश्न 5. रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया?
उत्तर: रोहिणी को मुरलीवाले की आवाज़ सुनकर खिलौनेवाले की याद इसलिए आई क्योंकि दोनों की आवाज़ एक जैसी थी। खिलौनेवाला भी मीठे स्वर में गाकर अपनी चीजें बेचता था। मुरलीवाला भी उसी तरह मधुर आवाज़ में गाकर मुरलियाँ बेच रहा था। इसीलिए रोहिणी को उसकी आवाज़ जानी-पहचानी लगी।
प्रश्न 6. किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर: रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने बताया कि वह पहले अपने शहर का एक बड़ा व्यापारी था। उसके पास मकान, गाड़ी, नौकर-चाकर, पत्नी और दो छोटे बच्चे थे। लेकिन एक हादसे में उसने अपनी पत्नी और बच्चों को खो दिया। उसका सुखी संसार बिखर गया।
उसने इन व्यवसायों को अपनाने का कारण बताया कि वह बच्चों के बीच अपने खोए हुए बच्चों को ढूँढता है। बच्चों की हँसी और खुशी देखकर उसे सुकून मिलता है। वह मिठाई और खिलौने बेचकर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाता है, और इससे उसे संतोष मिलता है।
प्रश्न 7. ‘अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: मिठाईवाले ने अपनी ज़िंदगी की दुखभरी कहानी रोहिणी और दादी को बताई। उसी समय रोहिणी के छोटे बच्चे चुन्नू-मुन्नू मिठाई माँगने आए। मिठाईवाले ने उन्हें मिठाई से भरी दो पुड़ियाँ दी। जब रोहिणी ने पैसे देने चाहे, तो मिठाईवाला भावुक हो गया और बोला, “अब इस बार ये पैसे न लँगा।” उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि चुन्नू-मुन्नू को देखकर उसे अपने बच्चों की याद आ गई, और वह उन्हें मुफ्त में मिठाई देकर खुश करना चाहता था।
प्रश्न 8. इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर: कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है क्योंकि उस समय कुछ जगहों पर औरतों को पर्दे में रहने की प्रथा थी। आज भी भारत के कुछ गाँवों और छोटे शहरों में औरतें पर्दा करती हैं और चिक के पीछे से बात करती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहाँ पुरानी परंपराएँ और सामाजिक नियम अब भी चलते हैं।
मेरी राय में यह सही नहीं है। औरतें और पुरुष दोनों बराबर हैं। उन्हें एक जैसा सम्मान और आज़ादी मिलनी चाहिए। आज शिक्षा और जागरूकता बढ़ रही है, जिससे समाज बदल रहा है। सरकार और लोगों को मिलकर ऐसी पुरानी सोच को बदलना चाहिए ताकि सभी को बराबर अधिकार मिलें।
कहानी से आगे
प्रश्न 1. मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर: मिठाईवाले का परिवार शायद किसी बड़े हादसे का शिकार हुआ होगा। यहाँ एक छोटी कहानी है:
एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक मिठाईवाला रहता था। उसकी मिठाई की दुकान बहुत मशहूर थी। लोग दूर-दूर से उसकी रसगुल्ले और लड्डू खाने आते थे। रामू का घर दुकान के पीछे ही था, जहाँ वह अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों, रानी और मोहन, के साथ रहता था। बच्चे हमेशा हँसते-खेलते रहते, और रामू उनके साथ खेलकर बहुत खुश होता।
एक दिन रामू अपने परिवार के साथ पास के शहर में मेले में गया। मेले में सबने खूब मस्ती की। लौटते समय उनकी बस तेज़ रफ्तार से चल रही थी। अचानक बस का टायर फट गया, और वह पलट गई। इस हादसे में रामू की पत्नी और दोनों बच्चे मर गए। रामू किसी तरह बच गया, लेकिन उसका सब कुछ छिन गया। वह गाँव लौटा, मगर अब उसका मन दुकान चलाने में नहीं लगता था।
रामू उदास रहने लगा। उसे अपने बच्चों की याद बहुत सताती थी। फिर उसने सोचा कि वह गलियों में मिठाई और खिलौने बेचेगा, ताकि दूसरे बच्चों को खुश कर सके। उसने अपना घर अनाथ बच्चों के लिए आश्रम बना दिया। वहाँ वह अनाथ बच्चों को पालता और उनके साथ समय बिताता। बच्चों की हँसी देखकर उसे अपने रानी और मोहन की याद आती, और उसे थोड़ा सुकून मिलता।
प्रश्न 2. हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन-सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
हाट-मेले और शादी जैसे आयोजनों में मुझे मिठाइयाँ, गोल-गप्पे, चाट, समोसे, जलेबी, आइसक्रीम, और रंग-बिरंगे खिलौने बहुत आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, मेले में सजावटी सामान जैसे चूड़ियाँ, झुमके और रंगीन कपड़े भी बहुत अच्छे लगते हैं।
इन चीजों को बनाने और सजाने में कई लोग मेहनत करते हैं। मिठाइयाँ और समोसे हलवाई बनाते हैं, जो सुबह से देर रात तक काम करते हैं। गोल-गप्पे और चाट वाले भैया अपनी रेहड़ी पर चटपटी चीजें सजाते हैं और जोर-जोर से पुकारते हैं। खिलौने और सजावटी सामान बनाने वाले कारीगर रंग-बिरंगे डिज़ाइन बनाते हैं। ये लोग मेहनती होते हैं और अपने काम से दूसरों को खुशी देते हैं। वे साधारण कपड़े पहनते हैं, लेकिन उनकी मेहनत और मुस्कान उन्हें खास बनाती है।
प्रश्न 3. इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए।
उत्तर: मिठाईवाला दूसरों को खुशी देकर अपने दुख को कम करता है। ऐसी कहानियाँ और कविताएँ हमें दूसरों की मदद और प्यार की अहमियत सिखाती हैं। आप निम्नलिखित कहानियाँ और कविताएँ पढ़ सकते हैं:
- कहानी: “दानी सेठ” – यह एक लोककथा है, जिसमें एक सेठ अपने धन से गरीबों की मदद करता है और उसे सुकून मिलता है।
- कहानी: “सच्चा दोस्त” – यह कहानी दो दोस्तों की है, जिसमें एक दोस्त अपने दोस्त की खुशी के लिए सब कुछ करता है।
- कविता: “कर भला, हो भला” – यह कविता बताती है कि दूसरों का भला करने से हमें भी खुशी मिलती है।
इन कहानियों और कविताओं को आप स्कूल की लाइब्रेरी या अपनी हिंदी की किताबों में ढूँढ सकते हैं। इन्हें पढ़ने से आपको मिठाईवाले जैसे लोगों की भावनाएँ और बेहतर समझ आएँगी।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर: हमारी गलियों में कई फेरीवाले आते हैं, जैसे सब्जीवाला, फलवाला, आइसक्रीमवाला, चाटवाला, और खिलौनेवाला। ये लोग सुबह से शाम तक मेहनत करते हैं। वे जोर-जोर से अपनी चीजों का नाम पुकारते हैं ताकि लोग उनकी दुकान पर आएँ। ये फेरीवाले कम पैसे में अच्छी चीजें बेचते हैं, लेकिन उनके पास अपनी दुकान नहीं होती, इसलिए वे गलियों में घूमते हैं।
पिछली बार जब चाटवाला आया, तो मैंने उससे बात की:
मैं: भैया, दस रुपये में कितनी टिक्की दोगे?
चाटवाला: दस रुपये में दो टिक्की मिलेंगी। मेरी टिक्की बहुत चटपटी है!
मैं: आप रोज़ आते हो?
चाटवाला: हाँ, रोज़ आता हूँ। सुबह आलू तैयार करता हूँ, फिर रेहड़ी सजाकर गलियों में निकलता हूँ।
उसने बताया कि वह सुबह जल्दी उठकर काम शुरू करता है। अगली बार मैं किसी और फेरीवाले से बात करके उनके बारे में और जानने की कोशिश करूँगा।
प्रश्न 2. आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर:
मेरे माता-पिता बताते हैं कि उनके समय में फेरीवाले हर चीज बेचने आते थे, जैसे कपड़े, बर्तन, मिठाई, और खिलौने। वे बहुत मीठी आवाज़ में गाकर अपनी चीजें बेचते थे। लोग उनका इंतज़ार करते थे क्योंकि दुकानें कम थीं। फेरीवालों की आवाज़ गलियों में गूँजती थी।
अब फेरीवालों की संख्या कम हो गई है। लोग ज्यादातर दुकानों या ऑनलाइन सामान खरीदते हैं। आजकल फेरीवाले ज़्यादा चिल्लाकर बुलाते हैं, लेकिन उनकी आवाज़ में पहले जैसी मिठास कम है। कुछ फेरीवाले तो लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल करते हैं। मेरे पिताजी कहते हैं कि पहले फेरीवाले गलियों के दोस्त जैसे थे, लेकिन अब लोग उन्हें कम ध्यान देते हैं।
प्रश्न 3. आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर: हाँ, वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं। इसके कई कारण हैं:
- दुकानों की संख्या बढ़ गई: अब हर गली में दुकानें और मॉल हैं, इसलिए लोग फेरीवालों से कम सामान खरीदते हैं।
- ऑनलाइन खरीदारी: लोग अब मोबाइल पर सामान मँगवाते हैं, जिससे फेरीवालों की ज़रूरत कम हो गई है।
- जीवनशैली में बदलाव: लोग पहले की तरह गलियों में समय नहीं बिताते, इसलिए फेरीवालों की आवाज़ कम सुनाई देती है।
- आधुनिक तकनीक: कुछ फेरीवाले अब लाउडस्पीकर या रिकॉर्डेड आवाज़ का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी मधुर पुकार गायब हो गई है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. मिठाईवाला, बोलनेवाली गुड़िया
ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
उत्तर:
(क) ‘मिठाईवाला’ में ‘मिठाई’ एक संज्ञा है क्योंकि यह एक वस्तु (खाने की चीज़) का नाम है।
‘बोलनेवाली गुड़िया’ में ‘बोलने’ शब्द एक क्रिया से बना विशेषण है, जो गुड़िया की विशेषता को दर्शाता है कि वह बोल सकती है।
(ख) इन वाक्यांशों में ‘वाला / वाली’ का प्रयोग उस व्यक्ति, वस्तु या सत्ता को पहचान देने के लिए किया गया है, जो किसी विशेष कार्य, गुण या स्थान से जुड़ा हो।
- ‘मिठाईवाला’ का अर्थ है वह व्यक्ति जो मिठाई बेचता है।
- ‘बोलनेवाली गुड़िया’ से तात्पर्य है ऐसी गुड़िया जो बोल सकती है, यानी उसमें बोलने की विशेषता है।
प्रश्न 2. “अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”
उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ते बटुली।
ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।
उत्तर: ‘ठो’ शब्द का प्रयोग बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की बोलियों, जैसे भोजपुरी और मैथिली, में होता है। यह संख्यावाची शब्दों (जैसे एक, दो, तीन) के साथ मिलकर चीजों या लोगों की गिनती बताता है। उदाहरण: “एक ठो किताब”, “दो ठो आलू”।
ऐसे शब्द भारत की दूसरी भाषाओं में भी मिलते हैं। जैसे:
बंगाली में “একটা” (एकटा) का प्रयोग, जैसे “একটা ছেলে” (एक लड़का)।
असमिया में “এটা” (एटा), जैसे “এটা কিতাপ” (एक किताब)।
ओड़िया में “ଗୋଟେ” (गोटे), जैसे “ଗୋଟେ ଫୁଲ” (एक फूल)।
आप कक्षा में दोस्तों से पूछ सकते हैं कि उनकी भाषा या बोली में ऐसे कौन से शब्द हैं। फिर मिलकर इस पर बातचीत करें कि ये शब्द हमारी भाषा को कितना मजेदार बनाते हैं।
प्रश्न 3.
“वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
“क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”
भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे?
उत्तर:
आजकल हम इन वाक्यों को और आसान और आम तरीके से कहते हैं:
“लगता है वे भी पार्क में खेलने चले गए हैं।”
“भैया, मुरली कितने में दोगे?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में जाकर रुको।”
कुछ करने को
प्रश्न 1. फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए दो-दो के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवाले से बात करें।
उत्तर: फेरीवालों की ज़िंदगी बहुत मेहनत भरी होती है। वे सुबह जल्दी उठते हैं, अपना सामान तैयार करते हैं, और फिर गलियों में बेचने निकल जाते हैं। वे दिनभर धूप, बारिश, और ठंड में घूमते हैं। उनका घर-परिवार ज्यादातर गाँव में या शहर की छोटी-सी बस्तियों में होता है। कई फेरीवाले अपने परिवार से दूर रहते हैं और पैसे कमाकर घर भेजते हैं।
उनकी ज़िंदगी में कई समस्याएँ आती हैं:
- कभी सामान नहीं बिकता, जिससे नुकसान होता है।
- फल-सब्जी जैसे सामान जल्दी खराब हो जाते हैं।
- बारिश या तेज़ गर्मी में काम करना मुश्किल होता है।
- बीमारी होने पर काम बंद करना पड़ता है, जिससे कमाई रुक जाती है।
- कुछ लोग मोल-भाव करके बहुत कम दाम में सामान लेने की कोशिश करते हैं।
आप दो-दो के समूह में फेरीवालों से बात करने के लिए ये सवाल पूछ सकते हैं:
- आप सुबह कितने बजे उठते हैं?
- आपका परिवार कहाँ रहता है?
- सामान बेचने में सबसे बड़ी परेशानी क्या है?
- आपको यह काम करने में मज़ा आता है?
हर समूह अलग-अलग फेरीवाले (जैसे सब्जीवाला, खिलौनेवाला, चाटवाला) से बात करे और उनकी कहानी कक्षा में सुनाए।
प्रश्न 2. इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर: हाँ, इस कहानी से पता चलता है कि दूसरों को खुशी देने से अपने मन का दुख कम होता है। मिठाईवाला अपनी पत्नी और बच्चों को खो चुका था, लेकिन वह गलियों में बच्चों को मिठाई और खिलौने बेचकर उनकी हँसी देखता था। इससे उसे अपने बच्चों की याद आती थी, और उसे थोड़ा सुकून मिलता था।
जैसे, जब उसने चुन्नू-मुन्नू को मुफ्त में मिठाई दी, तो उसका मन खुश हो गया। यह दिखाता है कि दूसरों की मदद करने से हमारा दुख हल्का हो जाता है। कक्षा में अपने दोस्तों के साथ इस पर बात करें कि क्या आपने कभी किसी को खुशी देकर अपने मन को हल्का महसूस किया है।
प्रश्न 3. अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर: मिठाईवाला लंबा और पतला है। उसकी आँखें भूरी और चेहरा थोड़ा उदास, लेकिन मुस्कान बहुत प्यारी है। वह सफेद कुर्ता-पायजामा पहनता है, और कंधे पर रंग-बिरंगा गमछा रखता है। सिर पर वह पगड़ी बाँधता है या टोकरी रखता है, जिसमें ढेर सारी मिठाइयाँ, गोलियाँ, और खिलौने होते हैं। उसके पास एक थैला भी है, जिसमें चटपटी गोलियाँ और मुरलियाँ सजी होती हैं।
जब वह गली में आता है, तो उसकी मीठी आवाज़ गूँजती है, “मिठाई लेलो, मुरली लेलो!” बच्चे उसकी आवाज़ सुनते ही दौड़कर उसे घेर लेते हैं। वह बच्चों से प्यार से बात करता है और उनकी पसंद की चीजें देता है। उसकी हँसी और मेहनत उसे सबसे खास बनाती है।