Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 2 Solutions – हिमालय की बेटियाँ (Vasant)

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 2 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 2 – “हिमालय की बेटियाँ” from new Hindi book – वसंत (Vasant).

“हिमालय की बेटियाँ” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का दूसरा अध्याय है जो प्रसिद्ध कवि नागार्जुन द्वारा रचित है। इस पाठ में हिमालय पर्वत की गोद में रहने वाली साहसी, परिश्रमी और संघर्षशील लड़कियों के जीवन का सुंदर चित्रण किया गया है। छात्र इस पाठ से पर्वतीय क्षेत्रों की जीवनशैली, वहाँ की कठिनाइयों और उनके बावजूद महिलाओं के अदम्य साहस के बारे में जानेंगे। “हिमालय की बेटियाँ” अध्याय के सभी प्रश्नोत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 2 Solutions Vasant

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 2 Solutions

SubjectHindi – वसंत (Vasant)
Class7
Chapter2. हिमालय की बेटियाँ
BoardBihar Board

लेख से

प्रश्न 1. नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?

उत्तर: लेखक नागार्जुन नदियों को सिर्फ माँ ही नहीं, बल्कि बेटी, बहन और प्रेयसी के रूप में भी देखते हैं। वे नदियों को अपने परिवार के इन खास रिश्तों की तरह प्यार और सम्मान देते हैं।

प्रश्न 2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर: सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण नदियाँ हैं। ये दोनों नदियाँ हिमालय के पिघलते ग्लेशियरों के पानी से बनी हैं। इनके बीच में कई छोटी-बड़ी नदियाँ भी बहती हैं। ये नदियाँ बहुत सुंदर और आकर्षक हैं, जो देखने में मन को लुभाती हैं।

प्रश्न 3. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?

उत्तर: काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता इसलिए कहा क्योंकि ये नदियाँ सभी के लिए माँ की तरह हैं। ये हमें पानी देती हैं, जो जीवन के लिए बहुत जरूरी है। नदियों के किनारे लोग बस्तियाँ बसाते हैं, खेती करते हैं और अपनी जिंदगी चलाते हैं। ये नदियाँ गाँवों और शहरों की गंदगी को भी बहाकर ले जाती हैं। इनका पानी खेतों को उपजाऊ बनाता है और बिजली बनाने, सिंचाई करने जैसे कामों में भी मदद करता है। नदियाँ सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के लिए भी बहुत जरूरी हैं। इसीलिए इन्हें लोकमाता कहा गया है।

प्रश्न 4. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?

उत्तर: हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, ऊँचे-ऊँचे पर्वतों, बर्फ से ढकी चोटियों, हरी-भरी घाटियों और विशाल महासागरों की बहुत तारीफ की है। उन्होंने इन सबकी सुंदरता और महानता को खूब सराहा है।

लेख से आगे

प्रश्न 1. नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी अपने स्कूल के पुस्तकालय या शिक्षक की मदद से हिमालय और नदियों पर लिखी गई कविताएँ ढूँढें। उदाहरण के लिए, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ या जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़ें।

प्रश्न 2. गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ में हिमालय को विशाल, पवित्र और तपस्वी के रूप में दिखाया गया है। वे हिमालय को भारत की शान और प्राचीन संस्कृति का प्रतीक मानते हैं। कविता में हिमालय को एक ऐसे योद्धा की तरह बताया गया है जो हमेशा अडिग और गर्व से खड़ा है। दूसरी ओर, नागार्जुन अपने निबंध ‘हिमालय की बेटियाँ’ में हिमालय को नदियों का पिता बताते हैं, जो अपनी बेटियों (नदियों) को प्यार करता है और उनकी चिंता करता है।

गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’ में हिमालय को देश की रक्षा करने वाला और प्रेरणा देने वाला बताया गया है। जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ में हिमालय की सुंदरता और शांति का वर्णन है, जहाँ प्रकृति और मानव का गहरा रिश्ता दिखता है। नागार्जुन का निबंध इन कविताओं से अलग है क्योंकि यह नदियों को हिमालय की बेटियों के रूप में दिखाता है और उनके मानवीय गुणों, जैसे उछलना-कूदना और हँसना, पर ध्यान देता है।

प्रश्न 3. यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?

उत्तर: 1947 से अब तक हिमालय की नदियाँ पहले की तरह बह रही हैं, लेकिन इनमें कई बदलाव आए हैं। सबसे बड़ा बदलाव है प्रदूषण। कारखानों, शहरों और गाँवों का गंदा पानी नदियों में मिल रहा है, जिससे उनका पानी दूषित हो गया है। गंगा जैसी पवित्र नदियों की शुद्धता भी कम हो गई है। जनसंख्या बढ़ने और औद्योगिक विकास के कारण नदियों का पानी कम हुआ है। जगह-जगह बाँध बनने से नदियों का बहाव भी रुक गया है, जिससे पर्यावरण और लोगों को नुकसान हो रहा है। ग्लेशियरों के पिघलने से भी नदियों के पानी में बदलाव आया है। इन सबके कारण नदियों की सेहत पर बुरा असर पड़ा है।

प्रश्न 4. अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?

उत्तर: कालिदास ने हिमालय को ‘देवात्मा’ इसलिए कहा क्योंकि हिमालय को देवताओं का घर माना जाता है। यहाँ ऋषि-मुनि तपस्या करते हैं और कई पवित्र तीर्थस्थल हैं। हिमालय की ऊँची चोटियाँ और शांति इसे एक आध्यात्मिक स्थान बनाती हैं, इसलिए कालिदास ने इसे देवताओं की आत्मा वाला कहा।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।

उत्तर: लेखक ने नदियों को हिमालय की बेटियाँ कहा है, लेकिन मैं उन्हें हमारी माँ कहना चाहूँगा। नदियाँ हमें पानी देती हैं, खेतों को सींचती हैं और हमारी हर जरूरत पूरी करती हैं, जैसे एक माँ अपने बच्चों की देखभाल करती है। वे हमारी दोस्त भी हैं, जो हमें जीवन देती हैं।

नदियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे ‘नमामि गंगे’ प्रोग्राम, जिसका मकसद गंगा नदी को साफ करना है। नदियों में कचरा और कारखानों का गंदा पानी रोकने के लिए नियम बनाए गए हैं। कुछ जगहों पर नदियों की सफाई भी हो रही है। लेकिन ये प्रयास अभी पूरी तरह सफल नहीं हैं।

मेरा सुझाव है कि हमें नदियों में कचरा फेंकना बंद करना चाहिए। कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी को नदियों में जाने से रोकने के लिए सख्त कानून होने चाहिए। लोगों को नदियों की सफाई और उनके महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए। स्कूलों में बच्चों को नदियों की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना चाहिए।

प्रश्न 2. नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों को एक निबंध लिखिए।

उत्तर:

नदियों से होने वाले लाभ

नदियाँ हमारे जीवन का आधार हैं। ये हमें पीने का पानी देती हैं, जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। नदियों का पानी खेतों को सींचता है, जिससे फसलें उगती हैं और हमें भोजन मिलता है। नदियों पर बाँध बनाकर बिजली बनाई जाती है, जो हमारे घरों और कारखानों को रोशनी देती है। नदियाँ आवागमन का भी साधन हैं, क्योंकि इनके रास्ते नावें चलती हैं।

नदियाँ धरती को उपजाऊ बनाती हैं। इनका पानी मिट्टी में पोषक तत्व लाता है, जिससे फसलें अच्छी होती हैं। नदियों के किनारे बसे गाँव और शहर फलते-फूलते हैं। ये गाँव वालों की हर छोटी-बड़ी जरूरत, जैसे नहाना, कपड़े धोना और जानवरों को पानी पिलाना, पूरी करती हैं।

नदियाँ प्रकृति को भी संतुलित रखती हैं। ये जंगलों और पेड़-पौधों को पानी देती हैं, जिससे पर्यावरण हरा-भरा रहता है। नदियाँ वर्षा लाने में भी मदद करती हैं। हमारे कई तीर्थस्थल नदियों के किनारे बसे हैं, इसलिए नदियाँ हमारी संस्कृति और आस्था का भी हिस्सा हैं।

लेकिन आज नदियाँ प्रदूषण का शिकार हो रही हैं। हमें इन्हें साफ रखना चाहिए। नदियाँ हमारी माँ हैं, और हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए। अगर हम नदियों को बचाएँगे, तभी हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा।

भाषा की बात

प्रश्न 1. अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण

(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।

अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।

उत्तर: अन्य पाठों से तुलनात्मक प्रयोग:

  • सूरज की किरणों की तरह उसका चेहरा चमक रहा था।
  • उसकी आवाज़ मधुर संगीत की तरह कानों में गूँजती थी।
  • पेड़ की शाखाएँ माँ की गोद की तरह फैली थीं।
  • उसकी मुस्कान फूलों की तरह ताज़ा और सुंदर थी।
  • नदी का बहाव बच्चों की हँसी की तरह रुकता नहीं था।

प्रश्न 2. निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे

(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।

पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूंढिए।

उत्तर: पाठ से अन्य उदाहरण:

  • नदियाँ हिमालय की बेटियों की तरह उछलती-कूदती हैं।
  • हिमालय को नदियों का पिता कहा गया है।
  • नदियों का उछलना और हँसना बच्चों की तरह है।
  • हिमालय की गोद में नदियाँ बच्चियों की तरह खेलती हैं।
  • समुद्र को हिमालय का दामाद कहा गया है।

प्रश्न 3. पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए।

उत्तर-

प्रश्न 4. द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।

उत्तर: पाठ में प्रयुक्त द्वंद्व समास निम्नलिखित हैं, जिन्हें वर्णमाला क्रम में लिखा गया है:

  • छोटी-बड़ी
  • भाव-भंगी
  • माँ – बाप

प्रश्न 5. नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे- नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)।

उत्तर: नीचे पाँच ऐसे शब्द दिए गए हैं, जिन्हें उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बनते हैं, साथ में संज्ञा का प्रकार भी लिखा गया है:

  • नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)
  • रात-तार (द्रव्यवाचक संज्ञा)
  • भला-लाभ (भाववाचक संज्ञा)
  • नव-वन (द्रव्यवाचक संज्ञा)
  • नशा-शान (भाववाचक संज्ञा)

प्रश्न 6. समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे- बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए: सतलुज, रोपड़, झेलम, चिनाब, अजमेर, बनारस।

उत्तर: नीचे दिए गए शब्दों के अन्य रूप निम्नलिखित हैं:

  • सतलुज: शतद्रु
  • रोपड़: रूपनगर
  • झेलम: वितस्ता
  • चिनाब: चंद्रभागा
  • अजमेर: अजयमेरु
  • बनारस: वाराणसी

प्रश्न 7. ‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’

  • उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
  • इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।

उत्तर-

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