Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 15 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 15 – “आश्रम का अनुमानित व्यय” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“आश्रम का अनुमानित व्यय” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का पंद्रहवां अध्याय है, जो महात्मा गांधी द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण लेख है। इसमें गांधीजी ने अपने आश्रम के मासिक खर्चों का विवरण पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी से प्रस्तुत किया है। छात्र इस पाठ से सादगी, मितव्ययिता, आत्मनिर्भरता और जीवन के प्रति अनुशासित दृष्टिकोण के महत्व को समझेंगे। “आश्रम का अनुमानित व्यय” अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 15 Solutions
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 15. आश्रम का अनुमानित व्यय |
| Board | Bihar Board |
लेखा-जोखा
प्रश्न 1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर: भारत में लोग कई काम, जैसे घर बनाना या लकड़ी का काम, कारीगरों से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़ा, और बसूला इसलिए खरीदना चाहते थे ताकि आश्रम के लोग खुद छोटे-मोटे काम सीखें और करें। वे चाहते थे कि लोग लुहारी, बढ़ईगिरी, और कुटीर उद्योग जैसे कामों में आत्मनिर्भर बनें। इससे लोग दूसरों पर निर्भर नहीं रहते और अपने काम खुद करने की आदत डालते। गांधी जी का मानना था कि मेहनत से आत्मसम्मान बढ़ता है।
प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर: गांधी जी हर काम में हिसाब-किताब रखने में बहुत सावधान थे। उनकी जीवनी से कुछ उदाहरण यह दिखाते हैं:
- दांडी नमक सत्याग्रह: जब गांधी जी दांडी यात्रा पर निकले, तो रास गाँव में निषेधाज्ञा थी। उन्होंने पहले से योजना बनाई कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो अब्बास तैयबजी यात्रा का नेतृत्व करेंगे। यह उनकी सोच-समझकर योजना बनाने की आदत दिखाता है।
- असहयोग आंदोलन: इस आंदोलन में गांधी जी ने सोच-समझकर हर कदम उठाया। वे जानते थे कि कब और कहाँ अंग्रेजों के खिलाफ विरोध करना है, जिससे लोग उनके साथ जुड़े।
- पैसों का सही उपयोग: गांधी जी फिजूलखर्ची बिल्कुल नहीं करते थे। वे एक-एक पैसे का हिसाब रखते थे और ज़रूरी कामों के लिए ही खर्च करते थे। कई बार वे 25 किलोमीटर तक पैदल चलते थे ताकि पैसे बचें।
- साबरमती आश्रम का बजट: गांधी जी ने साबरमती आश्रम का बजट बहुत सोच-समझकर बनाया। इसमें मेहमानों के खाने-रहने का खर्च भी शामिल था, ताकि आश्रम सुचारू रूप से चले।
ये उदाहरण दिखाते हैं कि गांधी जी कितने व्यवस्थित और हिसाबी थे।
प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसको अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नई मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर: अगर मुझे एक बाल आश्रम खोलना हो, तो मैं गांधी जी के साबरमती आश्रम के बजट से प्रेरणा लेकर एक साधारण और आत्मनिर्भर बजट बनाऊँगा। यह आश्रम बच्चों को पढ़ाई, मेहनत, और आत्मनिर्भरता सिखाएगा। यहाँ मासिक बजट का अनुमान है (30 बच्चों के लिए):
बजट की मदें और खर्च:
- खाना (अनाज, दाल, सब्जी, दूध): 15,000 रुपये – साधारण लेकिन पौष्टिक भोजन, जैसे चावल, रोटी, दाल, और मौसमी सब्जियाँ।
- पढ़ाई का सामान (किताबें, कॉपी, पेन): 5,000 रुपये – बच्चों को पढ़ने के लिए ज़रूरी चीज़ें।
- कपड़े और बिस्तर: 3,000 रुपये – सादे कपड़े और बिस्तर, जो साल में दो बार खरीदे जाएँ।
- आश्रम की सफाई और रखरखाव (साबुन, झाड़ू, बिजली): 4,000 रुपये – साफ-सफाई और बिजली का बिल।
- शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन: 10,000 रुपये – दो शिक्षकों और एक सहायक के लिए।
- काम सीखने का सामान (चरखा, औज़ार): 3,000 रुपये – बच्चों को चरखा चलाना, बुनाई, या बढ़ईगिरी सिखाने के लिए।
- कुल खर्च: लगभग 40,000 रुपये प्रति माह।
नई मदें जोड़ना:
- खेल का सामान: 2,000 रुपये – क्रिकेट, कबड्डी, या बैडमिंटन जैसे खेलों के लिए गेंद, रैकेट आदि, ताकि बच्चे स्वस्थ और खुश रहें।
- स्वास्थ्य देखभाल: 2,000 रुपये – छोटी-मोटी दवाइयाँ और साल में एक बार मेडिकल चेकअप।
हटाने वाली मदें:
मेहमानों के खर्च की मद हटा सकता हूँ, क्योंकि बाल आश्रम में मेहमान कम आएँगे, और बच्चों की ज़रूरतें पहले पूरी होंगी।
सुझाव: यह बजट सादा और आत्मनिर्भर है। आश्रम में बच्चों को खेती और बुनाई सिखाकर कुछ खर्च कम किया जा सकता है, जैसे गांधी जी ने किया था।
प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम ( जैसे- घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना ) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीख कर ही छोड़ेंगे?
उत्तर: कई बार मुझे लगता है कि मैं कुछ छोटे-मोटे काम सीख सकता हूँ, जैसे कपड़े सिलना या घर की पुताई करना। लेकिन कुछ काम हैं जो मैं चाहकर भी नहीं सीख पाया। उनकी सूची और कारण इस प्रकार हैं:
चाहकर भी नहीं सीख पाए काम:
- सिलाई करना – कारण: मुझे सिलाई मशीन चलाने की सही जानकारी नहीं है, और कोई सिखाने वाला भी नहीं मिला।
- जूते में टाँका लगाना – कारण: इसके लिए खास औज़ार चाहिए, जो मेरे पास नहीं हैं, और मुझे डर है कि कहीं गलती हो जाए।
- रोटी बनाना – कारण: मैंने कोशिश की, लेकिन रोटी गोल नहीं बनती, और मुझे धैर्य की कमी है।
सीखने की कोशिश करूँगा:
मैं इन कामों को ज़रूर सीखूँगा:
- साइकिल रिपेयर करना – यह सीखकर मैं अपनी साइकिल ठीक कर सकूँगा।
- खाना बनाना – माँ से सीखकर मैं रोटी, सब्जी, और चाय बनाना सीखूँगा।
- पौधे उगाना – बगीचे में सब्जियाँ और फूल उगाना सीखूँगा, ताकि घर में ताज़ी चीज़ें हों।
सुझाव: मैं इन कामों को सीखने के लिए माँ-पापा या किसी अनुभवी व्यक्ति से मदद लूँगा। स्कूल की छुट्टियों में समय निकालकर प्रैक्टिस करूँगा।
प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर: साबरमती आश्रम के अनुमानित बजट को पढ़ने से इसके उद्देश्य और काम करने के तरीके साफ समझ आते हैं:
उद्देश्य:
- आत्मनिर्भरता: आश्रम का लक्ष्य लोगों को अपने काम खुद करने की आदत डालना है, जैसे खेती, बुनाई, और छोटे उद्योग शुरू करना।
- सादा जीवन: कम खर्च में ज़्यादा काम करना, ताकि लोग फिजूलखर्ची से बचें और सादगी से जिएँ।
- मेहमान-नवाज़ी: मेहमानों के लिए खाने-रहने की व्यवस्था, जो दर्शाता है कि आश्रम सबका स्वागत करता है।
- श्रम का सम्मान: मेहनत को महत्व देना और लोगों को चरखा, खादी जैसे काम सिखाकर रोज़गार देना।
- स्वदेशी आंदोलन: चरखा और खादी जैसे कामों से देशी चीज़ों को बढ़ावा देना।
कार्यप्रणाली:
आश्रम में हर काम की योजना पहले से बनाई जाती थी, जैसे खाने, पढ़ाई, और मेहमानों का खर्च।
लोग मिलजुलकर काम करते थे, जैसे खेती, सफाई, और बुनाई, जिससे सहयोग की भावना बढ़ती थी।
बजट में हर छोटी-बड़ी चीज़ का हिसाब रखा जाता था, ताकि पैसे का सही उपयोग हो।
आश्रम में सादगी और मेहनत को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता था।
यह बजट दिखाता है कि गांधी जी का आश्रम सिर्फ़ रहने की जगह नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और देशभक्ति सिखाने का स्कूल था।
भाषा की बात
प्रश्न 1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का ‘न’ नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
प्रमाणित, व्यथित, द्रवित, मुखरित, झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है; जैसे सप्ताह के इक + साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक
उत्तर:
इत प्रत्यय युक्त शब्द:
‘इत’ प्रत्यय जोड़ने से शब्द का आखिरी हिस्सा बदलता है। यहाँ हर शब्द का मूल हिस्सा और बदलाव बताया गया है:

इक प्रत्यय युक्त शब्द:
‘इक’ प्रत्यय जोड़ने से शब्द का पहला हिस्सा बदलता है, जैसे ‘सप्ताह’ से ‘साप्ताहिक’। यहाँ मूल शब्द और बदलाव हैं:

प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर:
तत्पुरुष समास में दो शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, और दूसरा शब्द ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वह मुख्य अर्थ बताता है। यहाँ छह उदाहरण हैं और यह बताया गया है कि दूसरा शब्द क्यों प्रमुख है:
घर-खर्च
- अर्थ: घर चलाने का खर्च।
- दूसरा शब्द प्रमुख क्यों? ‘खर्च’ मुख्य है क्योंकि यह पैसे की बात करता है, और ‘घर’ सिर्फ़ बताता है कि खर्च किस लिए है।
पुस्तक-लेखक
- अर्थ: पुस्तक लिखने वाला लेखक।
- दूसरा शब्द प्रमुख क्यों? ‘लेखक’ मुख्य है क्योंकि यह व्यक्ति को बताता है, और ‘पुस्तक’ सिर्फ़ बताता है कि लेखक ने क्या लिखा।
खेल-प्रेमी
- अर्थ: खेल से प्यार करने वाला व्यक्ति।
- दूसरा शब्द प्रमुख क्यों? ‘प्रेमी’ मुख्य है क्योंकि यह व्यक्ति की भावना बताता है, और ‘खेल’ सिर्फ़ बताता है कि प्यार किस चीज़ से है।
गंगा-जल
- अर्थ: गंगा नदी का पानी।
- दूसरा शब्द प्रमुख क्यों? ‘जल’ मुख्य है क्योंकि यह पानी की बात करता है, और ‘गंगा’ सिर्फ़ बताता है कि पानी कहाँ का है।
स्कूल-भवन
- अर्थ: स्कूल की इमारत।
- दूसरा शब्द प्रमुख क्यों? ‘भवन’ मुख्य है क्योंकि यह इमारत को दर्शाता है, और ‘स्कूल’ सिर्फ़ बताता है कि भवन किस काम के लिए है।
राम-कथा
- अर्थ: राम की कहानी।
- दूसरा शब्द प्रमुख क्यों? ‘कथा’ मुख्य है क्योंकि यह कहानी की बात करती है, और ‘राम’ सिर्फ़ बताता है कि कहानी किसके बारे में है।