Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 11 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 11 – “नीलकंठ” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“नीलकंठ” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का ग्यारहवाँ अध्याय है, जो महान लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित एक संवेदनशील रेखाचित्र है। इस पाठ में लेखिका और एक पालतू पक्षी ‘नीलकंठ’ के बीच के आत्मीय संबंधों का कोमल और हृदयस्पर्शी वर्णन किया गया है। छात्र इस पाठ से जीव-जंतुओं के प्रति करुणा, प्रेम और संवेदनशीलता के भाव को समझेंगे। “नीलकंठ” अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 11 Solutions
Contents
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 11. नीलकंठ |
| Board | Bihar Board |
निबंध से
प्रश्न 1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर: मोर की गरदन नीले रंग की थी, जो बहुत सुंदर दिखती थी। इसलिए उसका नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी हमेशा मोर के साथ रहती थी और उसका साथ बहुत प्यारा लगता था, इसीलिए उसका नाम राधा रखा गया, जैसे राधा-कृष्ण की जोड़ी।
प्रश्न 2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?
उत्तर: जब मोर के बच्चे जाली के बड़े घर में आए, तो वहाँ के सभी जानवरों ने उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया। ऐसा लगा जैसे कोई नई दुल्हन घर आई हो। लक्का कबूतर नाचना भूल गया और उनके चारों तरफ घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं करने लगा। बड़े खरगोश शांत होकर लाइन में बैठकर उन्हें देखने लगे। छोटे खरगोश उनके आसपास उछल-कूद करने लगे। तोते भी एक आँख बंद करके उन्हें बड़े ध्यान से देख रहे थे।
प्रश्न 3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
उत्तर: नीलकंठ बहुत सुंदर था, और उसकी हर हरकत लेखिका को पसंद थी। लेकिन कुछ बातें उन्हें खास तौर पर बहुत अच्छी लगती थीं:
- नीलकंठ का गर्दन ऊँची करके इधर-उधर देखना।
- खास अंदाज में गर्दन झुकाकर दाना चुगना।
- पानी पीने का उसका अनोखा तरीका।
- गर्दन टेढ़ी करके किसी की आवाज़ सुनना।
- बादलों की गड़गड़ाहट के साथ अपने रंग-बिरंगे पंख फैलाकर नाचना, जैसे इंद्रधनुष नाच रहा हो।
- लेखिका के हाथ से धीरे-धीरे चने खाना।
- लेखिका के सामने अपने पंख फैलाकर खड़ा होना, जैसे कोई शो कर रहा हो।
प्रश्न 4. इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर: यह वाक्य उस घटना की ओर इशारा करता है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक बीमार-सी मोरनी खरीदी और उसे घर लाई। उसका नाम कुब्जा रखा गया। कुब्जा को नीलकंठ और राधा का साथ पसंद नहीं था। वह सिर्फ़ नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी, लेकिन नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे तोड़ दिए, जिससे राधा और नीलकंठ के बीच दूरी आ गई। इससे नीलकंठ की खुशी छिन गई। कुब्जा के आने से नीलकंठ का शांत और खुशहाल जीवन बिगड़ गया, और आखिरकार उसकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
उत्तर: वसंत ऋतु में जब आम के पेड़ पीले फूलों से लद जाते थे और अशोक के पेड़ नए हरे पत्तों से सज जाते थे, तब नीलकंठ को जालीघर में बंद रहना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। वह बेचैन हो जाता था। उसे बाहर की खुली हवा, फूलों से भरे पेड़ और हरियाली बहुत पसंद थी। इसलिए उसे जालीघर से बाहर छोड़ना पड़ता था, ताकि वह खुलकर इधर-उधर घूम सके।
प्रश्न 6. जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
उत्तर: जालीघर में सभी जानवर, जैसे कबूतर, खरगोश और तोते, एक-दूसरे के दोस्त बन गए थे। लेकिन कुब्जा के साथ ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि वह बहुत झगड़ालू थी। उसे किसी से दोस्ती करना पसंद नहीं था। वह सिर्फ़ नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी और किसी को भी उसके पास नहीं आने देती थी। अगर कोई नीलकंठ के करीब जाता, तो कुब्जा अपनी चोंच से उसे मारने लगती थी। इसीलिए कोई भी उसका दोस्त नहीं बना।
प्रश्न 7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: एक बार जालीघर में एक साँप घुस आया। सभी जानवर डरकर इधर-उधर भाग गए, लेकिन एक छोटा खरगोश साँप की चपेट में आ गया। साँप ने खरगोश के आधे शरीर को अपने मुँह में दबा लिया था, और खरगोश दर्द से चीं-चीं कर रहा था। उस समय नीलकंठ ऊँचे झूले पर सो रहा था। उसने खरगोश की दर्दभरी आवाज़ सुनी और तुरंत नीचे उतर आया। नीलकंठ ने बहुत सावधानी से साँप के फन को अपने पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से साँप पर इतने ज़ोरदार वार किए कि साँप अधमरा हो गया। साँप की पकड़ ढीली होते ही खरगोश उसके मुँह से निकल गया। इस तरह नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे की जान बचाई।
नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताएँ:
नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताएँ:
- सतर्कता: नीलकंठ सो रहा था, लेकिन खरगोश की हल्की-सी आवाज़ सुनते ही वह जाग गया और तुरंत उसकी मदद के लिए पहुँच गया।
- नन्हा खरगोश धीरे-धीरे चीं-चीं कर रहा था। सोए हुए नीलकंठ ने दर्दभरी व्यथा सुनी तो वह अपने पंख समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। अब उसने बहुत सतर्क होकर साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया। इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की निम्न विशेषताएँ उभर कर आती हैं-
- सतर्कता- जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश की कराह सुनकर यह शक हो गया कि कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा।
- वीरता- नीलकंठ वीर प्राणी है। अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चे को बचाया और साँप के दो खंड (टुकड़े) करके अपनी वीरता का परिचय दिया।
- कुशल संरक्षक-खरगोश को मृत्यु के मुँह से बचाकर उसने सिद्ध कर दिया कि वह कुशल संरक्षक है। उसके संरक्षण में किसी प्राणी को कोई भय न था।
निबंध से आगे
प्रश्न 1. यह पाठ एक रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर: रेखाचित्र एक ऐसी लेखन शैली है जिसमें किसी व्यक्ति, स्थान या घटना का छोटा और जीवंत चित्र शब्दों में खींचा जाता है। यह पूरी कहानी नहीं होती, बल्कि उसकी खास बातों को सरल और रोचक तरीके से दिखाती है। रेखाचित्र की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- सादगी: रेखाचित्र बहुत सरल और स्वाभाविक होते हैं, इनमें बनावटीपन नहीं होता।
- भावनाएँ: इसमें लेखक की भावनाएँ और संवेदनाएँ झलकती हैं, जो पाठक को जोड़ती हैं।
- छोटा रूप: यह छोटा होता है और केवल मुख्य बातों पर ध्यान देता है।
- जीवंतता: रेखाचित्र में शब्दों से ऐसा चित्र बनता है कि पाठक को लगे कि वह सब सामने देख रहा है।
लेखिका महादेवी वर्मा का एक और प्रसिद्ध रेखाचित्र है “गिल्लू”, जो उनके संग्रह “मेरा परिवार” में मिलता है। यह एक छोटे गिलहरी के जीवन और उसके साथ लेखिका के प्यार भरे रिश्ते का सुंदर चित्रण है। इसे पढ़ने से रेखाचित्र की खूबसूरती और महादेवी जी की लेखन शैली को समझने में मदद मिलेगी।
प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है। यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर: वर्षा ऋतु में जब आसमान में काले बादल छा जाते हैं और ठंडी हवा चलने लगती है, तब मोर अपने रंग-बिरंगे पंख फैलाकर धीरे-धीरे नाचने लगता है। यह दृश्य बहुत सुंदर और जादुई होता है। मोर के पंख हवा में लहराते हैं और उनके रंग इंद्रधनुष की तरह चमकते हैं। अगर तुम्हें मौका मिले, तो किसी बगीचे, चिड़ियाघर या गाँव में जाकर इस खूबसूरत नजारे को जरूर देखना। तुम बादलों की गड़गड़ाहट के साथ मोर का नाच देखकर मंत्रमुग्ध हो जाओगे। अगर बाहर जाना संभव न हो, तो टीवी या इंटरनेट पर मोर के नाच का वीडियो देखकर भी इस दृश्य का आनंद ले सकते हो।
प्रश्न 3. पुस्तकालयों से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर: वर्षा ऋतु और मोर के नाच से जुड़ी कहानियाँ, कविताएँ या गीत बहुत रोचक होते हैं। तुम अपने स्कूल के पुस्तकालय या पास के पुस्तकालय में जाकर ऐसी किताबें ढूँढ सकते हो। कुछ सुझाव हैं:
- कविताएँ: सुमित्रानंदन पंत की कविता “मोर” या रवींद्रनाथ टैगोर की वर्षा और प्रकृति से जुड़ी कविताएँ पढ़ सकते हो। इनमें मोर और बारिश का सुंदर वर्णन मिलता है।
- कहानियाँ: बच्चों की किताबों में मोर और बारिश से जुड़ी लोककथाएँ या छोटी कहानियाँ मिल सकती हैं।
- गीत: हिंदी फिल्मों में बारिश और मोर के नाच से प्रेरित गीत, जैसे “मोरनी बागा मा बोले”, सुन सकते हो।
पुस्तकालय में लाइब्रेरियन से मदद माँगो और ऐसी किताबें चुनो जो तुम्हें आसानी से समझ आएँ। अगर पुस्तकालय में किताबें न मिलें, तो अपने शिक्षक से पूछकर सही किताबों के नाम जान सकते हो।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा के बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा को चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’ -इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए मोर पंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
उत्तर: जब लेखिका ने नीलकंठ को गंगा की तेज़ धारा में प्रवाहित किया, तो उसके रंग-बिरंगे पंख पानी में चमकने लगे। गंगा की लहरें और मोर के पंखों में लेखिका ने कई समानताएँ देखी होंगी:
- रंगों की चमक: मोर के पंखों में नीले, हरे और सुनहरे रंग इंद्रधनुष की तरह चमकते हैं। गंगा का पानी भी सूरज की रोशनी में रंग-बिरंगी चमक देता है, खासकर संगम पर जहाँ गंगा और यमुना का पानी मिलता है।
- लहरों का नाच: मोर के पंख जब नाचते हैं, तो वे हल्के-हल्के लहराते हैं। गंगा की लहरें भी हवा के साथ ऊपर-नीचे हिलती हैं, जैसे मोर का पंख थिरक रहा हो।
- विशालता: मोर का पंख फैलने पर बहुत बड़ा और भव्य लगता है। गंगा का चौड़ा पाट भी बहुत विशाल और शानदार दिखता है, जैसे एक बड़ा मोर अपने पंख फैलाए हो।
- सुंदर गति: मोर के पंखों की हल्की-हल्की हिलने की गति और गंगा की लहरों का बहना, दोनों में एक सुंदर लय दिखती है।
इन समानताओं की वजह से लेखिका को गंगा का पानी एक विशाल मोर के पंख की तरह लहराता हुआ और चमकता हुआ दिखा, जो बहुत मनमोहक था।
प्रश्न 2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर: जब बारिश के काले बादल आसमान में छा जाते हैं और गड़गड़ाहट शुरू होती है, तब नीलकंठ के पाँव अपने आप थिरकने लगते हैं। वह धीरे-धीरे अपने रंग-बिरंगे पंख फैलाता है, जो इंद्रधनुष की तरह चमकते हैं। उसकी गर्दन ऊँची होती है, और वह एक खास अंदाज़ में इधर-उधर देखता है। जैसे-जैसे बारिश तेज़ होती है, नीलकंठ का नाच और जोशीला हो जाता है। वह अपने पंखों को गोल-गोल घुमाता है, जैसे कोई नाच का मंडल बना रहा हो। उसका हर कदम और पंखों की थिरकन इतनी सुंदर होती है कि देखने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। यह नाच प्रकृति के साथ नीलकंठ का एक प्यारा तालमेल लगता है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-
गंध, रंग, फल, ज्ञान
उत्तर:
- गंध: सुगंध, दुर्गंध, गंधहीन, गंधयुक्त
- रंग: रंगीन, रंगीला, बेरंग, रंगबिरंगा
- फल: सफल, असफल, फलदायी, फलहीन
- ज्ञान: अज्ञान, विज्ञान, ज्ञानी, ज्ञानवान
प्रश्न 2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे क + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (।) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं।
नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए

उत्तर:
संधि:
नील + आभ = नीलाभ
नव + आगंतुक = नवागंतुक
विग्रह:
सिंहासन = सिंह + आसन
मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न
कुछ करने को
प्रश्न 1. चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें
निर्देश – तुम किसी ऐसे व्यक्ति, पशु या पक्षी को चुनो जिसे तुम अच्छे से जानते हो, जैसे तुम्हारा कोई दोस्त, पालतू कुत्ता, या कोई पक्षी जैसे तोता। उनके बारे में एक छोटा-सा रेखाचित्र लिखो। इसमें उनकी खास बातें शामिल करो, जैसे उनका व्यवहार, उनकी पसंद-नापसंद, या कोई मजेदार घटना। उदाहरण के लिए, अगर तुम अपने कुत्ते के बारे में लिख रहे हो, तो बताओ कि वह कैसे तुम्हारे साथ खेलता है, कैसे भौंकता है, या कैसे तुम्हें देखकर पूँछ हिलाता है। इसे सरल और रोचक रखो, ताकि पढ़ने वाले को मजा आए। अपने शिक्षक से मदद ले सकते हो या पुस्तकालय में रेखाचित्र की किताबें पढ़कर प्रेरणा ले सकते हो।