Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 10 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 10 – “खानपान की बदलती तस्वीर” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“खानपान की बदलती तस्वीर” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का दसवाँ अध्याय है, जिसे प्रयाग शुक्ल ने लिखा है। इस पाठ में हमारी खानपान संस्कृति में आए ऐतिहासिक और सामाजिक परिवर्तनों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। छात्र इस पाठ से जानेंगे कि कैसे पारंपरिक, मौसमी और घरेलू भोजन का स्थान आज फास्ट फूड, डिब्बाबंद और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों ने ले लिया है। पाठ हमें संतुलित खानपान की संस्कृति अपनाने और भोजन के सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व को पहचानने का संदेश देता है। “खानपान की बदलती तस्वीर” अध्याय के सभी प्रश्नोत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 10 Solutions
Contents
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 10. खानपान की बदलती तस्वीर |
| Board | Bihar Board |
निबंध से
प्रश्न 1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।
उत्तर: खानपान की मिश्रित संस्कृति का मतलब है कि लोग अपने इलाके के खाने के साथ-साथ दूसरे राज्यों और विदेशों के खाने को भी पसंद करते हैं और अपने भोजन में शामिल करते हैं। हर जगह के खाने का स्वाद और तरीका अलग होता है, और लोग अब इन्हें मिलाकर खाते हैं। जैसे, दक्षिण भारत का इडली, डोसा और सांभर अब उत्तर भारत में भी बहुत पसंद किया जाता है। उसी तरह उत्तर भारत के पराठे, छोले-भटूरे और ढाबे का खाना देश के हर कोने में मिलता है। विदेशी खाना जैसे बर्गर, पिज्जा और नूडल्स भी अब आम हो गया है।
मेरे घर में भी ऐसा ही है। हम उत्तर भारतीय हैं, इसलिए हमारे घर में रोटी, चावल, दाल और सब्जी रोज बनती है। लेकिन हमें दक्षिण भारतीय खाना जैसे इडली और सांभर भी बहुत पसंद है, और हम इसे घर पर बनाते हैं। कभी-कभी हम बर्गर या नूडल्स भी बनाते हैं। यही खानपान की मिश्रित संस्कृति है, जहाँ हर तरह का खाना एक साथ पसंद किया जाता है।
प्रश्न 2. खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर: खानपान में बदलाव के फायदे:
- अलग-अलग राज्यों की संस्कृति एक-दूसरे से मिलती है।
- देश में एकता बढ़ती है क्योंकि लोग एक-दूसरे के खाने को पसंद करते हैं।
- महिलाओं को जल्दी बनने वाले नए-नए व्यंजनों के बारे में पता चलता है।
- बच्चों और बड़ों को उनके मनपसंद खाने के कई विकल्प मिलते हैं।
- देश-विदेश के खाने के बारे में जानकारी बढ़ती है।
- स्वाद और सेहत के हिसाब से लोग खाना चुन सकते हैं।
लेखक इस बदलाव से चिंतित है क्योंकि:
- स्थानीय खाने का चलन कम हो रहा है, और नई पीढ़ी को अपने इलाके के खाने के बारे में पता नहीं है।
- बाजार में मिलने वाले खाने में शुद्धता कम हो रही है।
- कुछ पारंपरिक व्यंजनों का असली स्वाद और रूप बदल रहा है।
प्रश्न 3. खानपान के मामले में स्वाधीनता का क्या अर्थ है?
उत्तर: खानपान में स्वाधीनता का मतलब है किसी खास जगह का खाना, जो वहाँ की पहचान हो। जैसे, मुंबई की पाव भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे। पहले हर इलाके का अपना खास खाना होता था, जो बहुत मशहूर था। लेकिन अब मिश्रित संस्कृति के कारण लोग हर तरह का खाना खाने लगे हैं, जिससे स्थानीय खाना पीछे छूट रहा है। नई पीढ़ी को कई पारंपरिक व्यंजनों के बारे में पता ही नहीं है। साथ ही, महंगाई के कारण इन खानों की गुणवत्ता भी कम हो रही है। अब तो बड़े होटलों में इन्हें ‘एथनिक’ कहकर बेचा जाता है, लेकिन आम लोग इनका पहले जैसा मज़ा नहीं ले पाते।
निबंध से आगे
प्रश्न 1. घर से बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं। इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर: हमारे घर में रोज़ाना तरह-तरह के खाने बनाए जाते हैं। कुछ चीजें हम घर पर ही बनाते हैं, और कुछ चीजें बाजार से खरीदकर लाते हैं। मेरी माँ बताती हैं कि जब वे छोटी थीं, तब ज़्यादातर चीजें घर में ही बनती थीं। बाजार से बहुत कम चीजें लाई जाती थीं। नीचे तालिका दी गई है:
| घर में बनने वाली चीजें | बाजार से आने वाली चीजें | पहले घर में बनने वाली चीजें |
|---|---|---|
| दाल, रोटी, सब्ज़ी, कढ़ी, खीर, हलवा, चावल, राजमा | समोसे, जलेबी, आइसक्रीम, ब्रेड, पकोड़े, बर्फ़ी, गुलाबजामुन, ढोकला | समोसे, जलेबी, बर्फ़ी, गुलाबजामुन |
प्रश्न 2. यहाँ खाने पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और उनका वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
| भोजन | कैसे पकाया जाता है | स्वाद |
|---|---|---|
| दाल | उबालकर | नमकीन |
| भात | उबालकर | मीठा/नमकीन |
| रोटी | सेंककर | नमकीन |
| पापड़ | भूनकर या तलकर | नमकीन |
| बैंगन | भूनकर या तलकर | कसैला |
| आलू | उबालकर, तलकर, भूनकर | तीखा/नमकीन |
| दाल-भात | उबालकर | नमकीन |
प्रश्न 3. छौंक, चावल और कढ़ी में क्या अंतर है? इन्हें बनाने के तरीके आपके प्रांत में कैसे हैं?
उत्तर: छौंक, चावल और कढ़ी तीनों अलग-अलग प्रकार के खाने हैं।
छौंक: यह दाल या सब्ज़ी को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसमें गर्म तेल या घी में जीरा, हींग, मिर्च, प्याज़, टमाटर आदि डालकर तड़का लगाया जाता है। इससे खाने में अच्छा स्वाद आता है।
चावल: चावल सादे भी बनाए जाते हैं और मसालेदार भी।
सादा चावल: सिर्फ पानी और चावल को उबालकर बनाया जाता है।
पुलाव: इसमें सब्ज़ियाँ, मसाले और चावल मिलाकर पकाया जाता है।
खिचड़ी: इसमें चावल और दाल एक साथ पकाए जाते हैं और ऊपर से छौंक लगाया जाता है।
कढ़ी: यह बेसन और दही से बनाई जाती है। इसमें बेसन के पकौड़े भी डाले जाते हैं और ऊपर से तड़का लगाया जाता है। यह खट्टी और चटपटी होती है।
इन तीनों में छौंक एक विधि है, जबकि चावल और कढ़ी खाने के व्यंजन हैं।
प्रश्न 4. इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए।
उत्तर: कपड़ों में भी समय के साथ कई बदलाव आए हैं। पुराने समय में लोग पारंपरिक कपड़े पहनते थे, लेकिन अब नए फैशन और डिज़ाइन के कपड़े आम हो गए हैं। नीचे दशकों के अनुसार कपड़ों की बदलती तस्वीर दी गई है:
| साल | कपड़ों की तस्वीर |
|---|---|
| सन् 1960 | धोती-कुर्ता, साड़ी, लहंगा-चोली |
| सन् 1970 | सलवार-सूट, बेल-बॉटम पैंट, ब्लाउज़ |
| सन् 1980 | जीन्स-टीशर्ट, साड़ी में नए डिज़ाइन |
| सन् 1990 | स्कर्ट, टॉप, फुल पैंट, जैकेट |
| सन् 2000 और आगे | जीन्स, ट्रैक पैंट, कुर्ता-लैगिंग्स, वेस्टर्न कपड़े |
प्रश्न 5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर: हमारे प्रांत में पारंपरिक भोजन स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। अगर कोई मेहमान आएँ, तो उन्हें नीचे दी गई चीज़ें परोसी जा सकती हैं:
व्यंजन-सूची (मेन्यू):
| रोटी | सब्ज़ी | दाल | चावल | आचार | अन्य |
|---|---|---|---|---|---|
| तवा रोटी | मटर पनीर | अरहर दाल | सादा चावल | आम का अचार | रायता, पापड़ |
| पूड़ी | आलू की सब्ज़ी | मसूर दाल | जीरा चावल | नींबू का अचार | सलाद, चटनी |
| परांठा | आलू-गोभी | मिक्स दाल | मटर पुलाव | गाजर का अचार | चिप्स, पकौड़ी |
| नान/कुलचे | पालक पनीर, कोफ्ता | उरद दाल | कढ़ी-चावल | करेला अचार | कढ़ी, मीठा (हलवा) |
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. ‘फ़ास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।
उत्तर: फास्ट फूड खाना जल्दी तैयार हो जाता है और यह स्वाद में भी अच्छा लगता है। इसलिए बच्चे और बड़े सभी इसे पसंद करते हैं। लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। इसमें ज़्यादातर तेल, मसाले और कैमिकल्स होते हैं। इसे ज़्यादा खाने से मोटापा, पेट दर्द और अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं। घर का ताज़ा और सादा खाना ज़्यादा अच्छा और सेहतमंद होता है। इसलिए हमें फास्ट फूड कम खाना चाहिए और केवल कभी-कभी ही खाना चाहिए।
प्रश्न 2. हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए।
उत्तर: (यह उत्तर छात्र को खुद अपने शहर या कस्बे के आधार पर नक्शा बनाकर करना चाहिए, लेकिन एक उदाहरण नीचे दिया गया है।)
उदाहरण के लिए, अगर हम पटना शहर की बात करें तो वहाँ कई जगहें अपने खास खाने के लिए मशहूर हैं:
कडरू – यहाँ की लिट्टी-चोखा बहुत प्रसिद्ध है।
बोरिंग रोड – यहाँ की चाट और गोलगप्पे मशहूर हैं।
राजेन्द्र नगर – यहाँ मिठाइयों की अच्छी दुकानें हैं।
गांधी मैदान के पास – यहाँ कई तरह के स्ट्रीट फूड मिलते हैं।
इस तरह हर शहर में कुछ जगहें खाने-पीने के लिए जानी जाती हैं। छात्र अपने शहर के अनुसार यह नक्शा बना सकते हैं।
प्रश्न 3. खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफ़ी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फ़िल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर: खाने-पीने की चीज़ों में मिलावट आज एक आम समस्या बन गई है। हमने कई बार दूध में पानी मिलाया हुआ देखा है। बाज़ार की मिठाइयों में रंग और कैमिकल्स डाले जाते हैं। हल्दी में पीली मिट्टी और काली मिर्च में पपीते के बीज भी मिलाए जाते हैं। हाल ही में एक टीवी कार्यक्रम में दिखाया गया कि मिलावटी तेल और मसालों से लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आँखों की रोशनी कम होना, पेट की बीमारियाँ, लीवर की खराबी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। अखबारों में भी अक्सर मिलावटखोरी से जुड़ी खबरें आती हैं। हमें ऐसे मिलावटखोरों के खिलाफ जागरूक रहना चाहिए और जहाँ मिलावट दिखे, वहाँ शिकायत करनी चाहिए।
भाषा की बात
प्रश्न 1. खानपान शब्द खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए।
उत्तर:
- सीना-पिरोना – मेरी माँ को सीना-पिरोना बहुत अच्छा आता है।
- भला-बुरा – गुस्से में मैंने उसे भला-बुरा कह दिया।
- चलना-फिरना – दादी अब पहले की तरह चलना-फिरना नहीं कर पाती हैं।
- लंबा-चौड़ा – वह लंबा-चौड़ा आदमी बहुत भला है।
- कहा-सुनी – दोनों दोस्तों में किसी बात को लेकर कहा-सुनी हो गई।
- घास-फूस – गाँव में कई लोग घास-फूस की झोपड़ी में रहते हैं।
प्रश्न 2. कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है।
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम
उत्तर: आराम – कुर्सी – किताब – पढ़ाई – स्कूल – दोस्त – खेल – मैदान – पसीना – पानी – ठंडा – बर्फ – हिमालय – पहाड़ – बर्फबारी।
(यह कड़ी छात्र की कल्पना के अनुसार आगे भी बढ़ाई जा सकती है।)
कुछ करने को
प्रश्न 1. उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफ़ाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है।
उत्तर: छात्र पुरानी पत्रिकाओं, अख़बारों और इंटरनेट से ठंडे पेय पदार्थों के विज्ञापन इकट्ठा करें। फिर यह देखें कि उनमें स्वास्थ्य और सफ़ाई को लेकर क्या-क्या दावा किया गया है। उसके बाद अपने अनुभव, अपने घर के बड़ों या किसी टीचर की मदद से यह जानें कि वे दावे कितने सच हैं। कई बार विज्ञापन में पेय पदार्थ को ताज़ा और स्वच्छ बताया जाता है, लेकिन असल में उनमें शुगर और केमिकल बहुत ज़्यादा होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।