Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 4 Solutions – इतिहास की समय-रेखा एवं उसके स्रोत (New Book)

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 4 Solutions are available here. Here you will get complete questions and answers of Chapter 4 – “इतिहास की समय-रेखा एवं उसके स्रोत”, from the new book (Samaj ka Adhyayan). All solutions are in hindi medium and follow the updated syllabus.

यह अध्याय आपको बताता है कि हम इतिहास को समय-रेखा और ऐतिहासिक स्रोतों के जरिए कैसे समझते हैं। आप प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास के बारे में जानेंगे। यह भी सीखेंगे कि हस्तलिखित पांडुलिपियां, शिलालेख, औजार, सिक्के और स्मारक जैसे स्रोत इतिहासकारों को पुराने समय की घटनाओं और जीवनशैली को समझने में कैसे मदद करते हैं। आप यह भी जानेंगे कि पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य क्यों महत्वपूर्ण हैं और हम अपने पूर्वजों व सभ्यताओं के बारे में कैसे सीखते हैं। इस अध्याय के प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 4 Solutions new Book

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 4 Solutions

Class6
SubjectSocial Science (Samaj ka Adhyayan)
Chapter4. इतिहास की समय-रेखा एवं उसके स्रोत
BoardBihar Board

महत्वपूर्ण प्रश्न

1. हम ऐतिहासिक काल की गणना किस प्रकार करते हैं?

उत्तर:- हम ऐतिहासिक काल की गणना मुख्य रूप से ईसा पूर्व (BC) और ईसवी सन (AD) के आधार पर करते हैं। यह गणना ईसा मसीह के जन्म को आधार मानकर की जाती है – उनके जन्म से पहले के समय को ईसा पूर्व और बाद के समय को ईसवी सन कहते हैं। इतिहासकार प्राचीन शिलालेखों, ताम्रपत्रों, सिक्कों, मंदिरों और भवनों पर अंकित तिथियों का अध्ययन करके सटीक समय निर्धारित करते हैं। इसके अलावा, राजवंशों के शासनकाल, प्राकृतिक घटनाओं (जैसे सूर्यग्रहण) और प्राचीन कैलेंडर भी समय निर्धारण में मदद करते हैं। भारत में प्राचीन काल से मध्यकाल और फिर आधुनिक काल तक का विभाजन करके इतिहास का अध्ययन किया जाता है।

2. इतिहास को समझने के लिए विभिन्न स्रोत हमारी किस प्रकार सहायता कर सकते हैं?

उत्तर:- इतिहास को समझने के लिए विभिन्न स्रोत हमारी महत्वपूर्ण सहायता करते हैं। लिखित स्रोत जैसे प्राचीन ग्रंथ, शिलालेख और ताम्रपत्र हमें राजाओं, उनके शासनकाल और महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी देते हैं। पुरातात्विक स्रोत जैसे मूर्तियां, सिक्के, बर्तन और औजार प्राचीन लोगों के जीवन, कला और तकनीक के बारे में बताते हैं। प्राचीन इमारतें और स्मारक तत्कालीन वास्तुकला और निर्माण कौशल के बारे में जानकारी देते हैं। मौखिक स्रोत जैसे लोककथाएँ और गीत भी अतीत की झलक प्रस्तुत करते हैं। विभिन्न स्रोतों का तुलनात्मक अध्ययन करके इतिहासकार अतीत के बारे में अधिक सटीक और व्यापक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3. आदिमानव किस प्रकार रहते थे?

उत्तर:- आदिमानव छोटे समूहों या टोलियों में रहते थे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे। वे गुफाओं, पेड़ों के नीचे या झोपड़ियों में रहते थे और अपना भोजन शिकार करके और जंगली फल-फूल इकट्ठा करके प्राप्त करते थे। आदिमानव ने पत्थर के औजार बनाना सीखा जिनका उपयोग वे शिकार करने, जानवरों की खाल उतारने और अन्य दैनिक कार्यों के लिए करते थे। अग्नि की खोज ने उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया – उन्होंने भोजन पकाना, अंधेरे और ठंड से बचना और जंगली जानवरों से सुरक्षा पाना सीखा। आदिमानव ने गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाए जिनमें वे अपने शिकार, नृत्य और अन्य गतिविधियों को दर्शाते थे।

धीरे-धीरे उन्होंने पशुपालन और कृषि करना सीखा, जिससे वे एक स्थान पर स्थायी रूप से बसने लगे और गाँवों का विकास हुआ।

प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएं

1. एक परियोजना के रूप में अपने आस-पास उपलब्ध इतिहास के स्रोतों का उपयोग करते हुए अपने परिवार (यदि आप गाँव में रहते हैं, तो गाँव) का इतिहास लिखिए। परियोजना के लिए अपने शिक्षक से मार्गदर्शन हेतु निवेदन कीजिए।

उत्तर:- विद्यार्थी स्वयं करें

2. क्या हम इतिहासकारों की तुलना जासूसों से कर सकते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।

उत्तर:- हाँ, इतिहासकारों की तुलना जासूसों से की जा सकती है। दोनों अपने काम में सुरागों और प्रमाणों का उपयोग करते हैं – जासूस वर्तमान के रहस्यों को सुलझाते हैं, जबकि इतिहासकार अतीत के रहस्यों को। इतिहासकार शिलालेखों, पुरानी इमारतों, सिक्कों और प्राचीन वस्तुओं जैसे सुरागों से अतीत के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं। दोनों को विश्लेषणात्मक क्षमता की आवश्यकता होती है – जासूस प्रमाणों को जोड़कर अपराध सुलझाते हैं, जबकि इतिहासकार अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त जानकारी को जोड़कर इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं। दोनों को सत्य की खोज में निष्पक्ष और सावधान रहना पड़ता है, और दोनों को अपने निष्कर्षों को प्रमाणित करने के लिए ठोस सबूत प्रस्तुत करने होते हैं।

हालांकि एक अंतर यह है कि जासूस अक्सर एक मामले पर काम करते हैं, जबकि इतिहासकार पूरे समाज और संस्कृति का अध्ययन करते हैं।

3. तिथियों के साथ कुछ अभ्यास-

  • समय-रेखा पर निम्नलिखित तिथियों को कालक्रमानुसार लगाइए-323 सा.सं., 323 सा.सं.पू., 100 सा.सं., 100 सा.सं.पू., 1900 सा.सं.पू., 1090 सा.सं., 2024 सा.सं.

उत्तर:- 1900 सा.सं.पू. → 323 सा.सं.पू. → 100 सा.सं.पू. → 100 सा.सं. → 323 सा.सं. → 1090 सा.सं. → 2024 सा.सं.

  • यदि सम्राट चंद्रगुप्त का जन्म 320 सा.सं.पू. में हुआ तो बताइए उनका संबंध किस शताब्दी से था? उनका जन्म बुद्ध के जन्म से कितने वर्ष पश्चात हुआ?

उत्तर:- चंद्रगुप्त का संबंध चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से था। गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में हुआ था। इसलिए चंद्रगुप्त का जन्म बुद्ध के जन्म के लगभग 243 वर्ष बाद हुआ (563 – 320 = 243 वर्ष)।

  • झाँसी की रानी का जन्म 1828 सा.सं. में हुआ। उनका संबंध किस शताब्दी से है? उनका जन्म भारत की स्वतंत्रता से कितने वर्ष पूर्व हुआ?

उत्तर:- झाँसी की रानी का संबंध 19वीं शताब्दी से है, क्योंकि 1828 सा.सं. 1801 से 1900 के बीच आता है। भारत की स्वतंत्रता 1947 में हुई थी, इसलिए उनका जन्म भारत की स्वतंत्रता से 119 वर्ष पहले हुआ (1947 – 1828 = 119 वर्ष)।

  • ‘12,000 वर्ष पूर्व’ को तिथि के रूप में बदलें।

उत्तर:- वर्तमान वर्ष 2025 सा.सं. से 12,000 वर्ष पीछे जाने पर हम 9975 सा.सं.पू. पर पहुंचते हैं (2025 – 12,000 = -9975, जिसे 9975 सा.सं.पू. लिखा जाता है)।

4. किसी निकटतम संग्रहालय के भ्रमण की योजना बनाइए। संग्रहालय की प्रदर्शनियों के विषय में पहले से कुछ जानकारी जुटा लीजिए। इस भ्रमण के दौरान टिप्पणियाँ तैयार कीजिए। भ्रमण के पश्चात एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए और उसमें भ्रमण से जुड़ी स्मृतियों एवं रोचक बातों या घटनाओं को रेखांकित कीजिए।

उत्तर:- भ्रमण से पहले मैं संग्रहालय की वेबसाइट और पुस्तकालय से जानकारी एकत्र करूंगा कि वहां कौन-कौन से ऐतिहासिक वस्तुएं, शिलालेख और कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। मैं अपने साथ एक नोटबुक, पेन और कैमरा (अनुमति मिलने पर) लेकर जाऊंगा ताकि महत्वपूर्ण जानकारी और प्रभावशाली वस्तुओं का विवरण लिख सकूं। संग्रहालय में मैं प्रत्येक अनुभाग का ध्यानपूर्वक अवलोकन करूंगा और गाइड द्वारा बताई गई विशेष जानकारी को नोट करूंगा। भ्रमण के बाद मैंने जो देखा, उसका एक संक्षिप्त विवरण लिखूंगा – जैसे मुझे सिंधु घाटी सभ्यता के मिट्टी के बर्तन और मोहर-लिपि सबसे आकर्षक लगे।

मेरे लिए सबसे यादगार अनुभव था जब हमें प्राचीन सिक्कों को हाथ में लेकर देखने का अवसर मिला और गाइड ने बताया कि ये सिक्के 2000 वर्ष पुराने हैं। इस भ्रमण से मुझे समझ आया कि इतिहास किताबों में पढ़ने से कहीं अधिक जीवंत और रोचक हो सकता है।

5. अपने विद्यालय में किसी पुरातत्व विज्ञानी अथवा इतिहासकार को आमंत्रित कीजिए और उनसे स्थानीय इतिहास एवं उसे जानना क्यों महत्वपूर्ण है, इस विषय में व्याख्यान देने का आग्रह कीजिए।

उत्तर:- हमारी कक्षा सांस्कृतिक अध्ययन के लिए एक प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मीना शर्मा को आमंत्रित करना चाहती है। हम उन्हें एक औपचारिक निमंत्रण पत्र भेजेंगे जिसमें “हमारा स्थानीय इतिहास और इसका महत्व” विषय पर व्याख्यान देने का अनुरोध करेंगे। पत्र में हम उनसे पूछेंगे कि हमारे क्षेत्र के प्राचीन स्मारकों और स्थलों के बारे में हम क्या जान सकते हैं और ये हमारी वर्तमान संस्कृति को कैसे प्रभावित करते हैं। हम उनसे यह भी जानना चाहेंगे कि स्थानीय इतिहास का अध्ययन हमें अपनी जड़ों और पहचान को समझने में कैसे मदद करता है।

व्याख्यान के दौरान हम शांतिपूर्वक सुनेंगे, नोट्स लेंगे और अंत में प्रश्न पूछेंगे। व्याख्यान के बाद हम एक धन्यवाद पत्र भी भेजेंगे और अपनी कक्षा में सीखी गई बातों पर चर्चा करेंगे।

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