Bihar Board class 10 Economics chapter 6 solutions are available here. With this free guide, you will get complete set of question answer of Economics chapter 6 – “वैश्वीकरण” in hindi medium.
बिहार बोर्ड कक्षा 10 के अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम का छठा अध्याय “वैश्वीकरण” आपको आधुनिक विश्व अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति से परिचित कराएगा। इस अध्याय में, आप वैश्वीकरण की अवधारणा, उसके विभिन्न आयामों और विश्व अर्थव्यवस्था पर उसके प्रभावों के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह अध्याय आपको बताएगा कि कैसे वैश्वीकरण ने देशों के बीच आर्थिक सीमाओं को कम किया है, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया है और प्रौद्योगिकी के प्रसार को तेज किया है। साथ ही, आप वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों, विकासशील देशों पर इसके असर और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में भी सीखेंगे।
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 6 Solutions
Subject | Economics |
Class | 10th |
Chapter | 6. वैश्वीकरण |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. सही विकल्प चुनें।
प्रश्न 1. नई आथिक नीति में किसे सम्मिलित किया गया?
(क) उदारीकरण
(ख) निजीकरण
(ग) वैश्वीकरण
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ग) वैश्वीकरण
प्रश्न 2. वैश्वीकरण के मुख्य अंग कितने हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पाँच
(घ) चार
उत्तर- (ग) पाँच
प्रश्न 3. इनमें से कौन बहुराष्ट्रीय कंपनी है ?
(क) फोर्ड मोटर्स
(ख) सैमसंग
(ग) कोका कोला
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4. वैश्वीकरण का अर्थ है ?
(क) विदेशी पूँजी एवं विनियोग पर रोक
(ख) व्यापार, पूँजी, तकनीक हस्तांतरण, सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
(ग) सरकारीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाना
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर- (ख) व्यापार, पूँजी, तकनीक हस्तांतरण, सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
प्रश्न 5. पारले समूह के ‘थम्स अप’ ब्रांड को किस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने खरीद लिया ?
(क) कोका कोला
(ख) एल. जी.
(ग) रिबॉक
(घ) नोकिया
उत्तर- (क) कोका कोला
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 6 रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
- वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वया
- व्यापार, पूँजी, तकनीक, हस्तांतरण, सूचना प्रवाह के माध्यम से वैश्वीकरण को बढ़ावा मिलता है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही हैं।
- विदेशी व्यापार विश्व के देशों के बाजारों को जोड़ने का कार्य करते हैं।
- W.T.O.(World Trade Organisation) की स्थापना सन् 1995 में की गई।
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 6लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विश्व की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से जुड़ती हैं। इसमें वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी, प्रौद्योगिकी और श्रम का देशों के बीच स्वतंत्र आदान-प्रदान होता है। वैश्वीकरण से व्यापार बढ़ता है, नई तकनीकें फैलती हैं, और लोगों के बीच संपर्क बढ़ता है। यह प्रक्रिया देशों को आर्थिक रूप से एक-दूसरे पर निर्भर बनाती है और वैश्विक बाजार का निर्माण करती है।
प्रश्न 2. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसको कहते हैं ?
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वे व्यावसायिक संस्थाएँ हैं जो एक से अधिक देशों में कार्य करती हैं। ये कंपनियाँ अपने मूल देश के अलावा अन्य देशों में भी उत्पादन, विपणन या अन्य व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित करती हैं। उदाहरण के लिए, कोका-कोला, सैमसंग, और टाटा मोटर्स बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हैं। ये कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर संसाधनों का उपयोग करती हैं और विभिन्न देशों के बाजारों में अपने उत्पादों को बेचती हैं।
प्रश्न 3. विश्व व्यापार संगठन क्या है ? यह कब और क्यों स्थापित किया गया ?
उत्तर- विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों को निर्धारित और लागू करती है। इसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 को हुई थी। WTO का मुख्य उद्देश्य है विश्व व्यापार को सुगम बनाना, व्यापार बाधाओं को कम करना, और देशों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाना। यह संगठन मुक्त व्यापार को बढ़ावा देता है और विकासशील देशों के लिए विशेष प्रावधान करता है।
प्रश्न 4. भारत में सन् 1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- 1991 के आर्थिक सुधार भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव थे। इन सुधारों के तहत, भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीतियों को अपनाया। इन सुधारों का उद्देश्य था आर्थिक विकास को गति देना, विदेशी निवेश को आकर्षित करना, और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका को मजबूत करना। इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी और खुला बनाया।
प्रश्न 5. उदारीकरण को परिभाषित करें।
उत्तर- उदारीकरण एक आर्थिक नीति है जिसमें सरकार अर्थव्यवस्था पर अपने नियंत्रण को कम करती है। इसमें व्यापार पर लगे प्रतिबंधों को हटाना, लाइसेंस राज को समाप्त करना, और निजी क्षेत्र को अधिक स्वतंत्रता देना शामिल है। उदारीकरण का उद्देश्य है आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना, और बाजार की कार्यक्षमता में सुधार लाना। भारत ने 1991 में इस नीति को अपनाया।
प्रश्न 6. निजीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- निजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को निजी क्षेत्र को बेचा या हस्तांतरित किया जाता है। इसका उद्देश्य है सरकार के वित्तीय बोझ को कम करना और उद्यमों की कार्यक्षमता बढ़ाना। निजीकरण में सरकारी कंपनियों में निजी निवेश की अनुमति देना या उन्हें पूरी तरह से निजी स्वामित्व में देना शामिल हो सकता है। भारत ने 1991 के आर्थिक सुधारों के हिस्से के रूप में निजीकरण की नीति अपनाई।
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 6दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय पर किन बातों का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई स्थापित करने का निर्णय लेते समय कई महत्वपूर्ण कारकों पर विचार करती हैं। सबसे पहले, वे श्रम लागत पर ध्यान देती हैं, क्योंकि कम वेतन वाले श्रमिकों की उपलब्धता उत्पादन लागत को कम कर सकती है। इसके साथ ही, सस्ते और सुलभ कच्चे माल की उपलब्धता भी एक महत्वपूर्ण कारक है, जो उत्पादन लागत को प्रभावित करता है। बाजार का आकार भी एक प्रमुख विचार है, क्योंकि बड़ा उपभोक्ता बाजार अधिक बिक्री और लाभ की संभावना प्रदान करता है। बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता, जैसे अच्छी सड़कें, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति, और उन्नत संचार सुविधाएँ, व्यवसाय संचालन को सुगम बनाती हैं।
सरकारी नीतियाँ, जैसे कर नियम, व्यापार कानून, और निवेश प्रोत्साहन, भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक स्थिरता दीर्घकालिक निवेश के लिए आवश्यक है, जबकि देश की भौगोलिक स्थिति व्यापार और लॉजिस्टिक्स को प्रभावित कर सकती है। कुशल श्रमशक्ति की उपलब्धता उत्पादकता बढ़ाती है, और मजबूत एवं स्थिर अर्थव्यवस्था निवेश के जोखिम को कम करती है। कुछ उद्योगों के लिए, प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता भी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है। इसके अलावा, पर्यावरण संबंधी नियम उत्पादन प्रक्रियाओं और लागत को प्रभावित कर सकते हैं। अंत में, जीवन की गुणवत्ता भी एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि अच्छी जीवन गुणवत्ता वाले स्थान प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करते हैं। ये सभी कारक मिलकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं, जिससे वे अपने लाभ को अधिकतम करने और जोखिम को कम करने का प्रयास करती हैं।
प्रश्न 2. वैश्वीकरण का बिहार पर पड़े प्रभावों को बतायें।
उत्तर- वैश्वीकरण ने बिहार के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव देखे जा सकते हैं।
सकारात्मक प्रभावों में, कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की आय बढ़ी है। निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है, विशेषकर फलों जैसे लीची और आम के क्षेत्र में। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ने राज्य की अर्थव्यवस्था को गति दी है। इसके परिणामस्वरूप, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है। गरीबी में भी कमी आई है, 1993-94 में 54.96% से घटकर 1999-2000 में 42.60% हो गई।
उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय उत्पादों तक पहुंच मिली है। रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं, विशेषकर आईटी क्षेत्र में, जहां बिहार के कई इंजीनियर विदेशों में काम कर रहे हैं। बहुराष्ट्रीय बैंकों और बीमा कंपनियों का आगमन वित्तीय सेवाओं में सुधार ला रहा है।
हालांकि, कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। कृषि और कृषि-आधारित उद्योगों में अपेक्षित निवेश नहीं हुआ है। कुटीर और लघु उद्योग बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं, जिससे कुछ इकाइयां बंद हो गई हैं और बेरोजगारी बढ़ी है। आधारभूत संरचना की कमी के कारण, बिहार अन्य राज्यों की तुलना में कम निवेश आकर्षित कर पा रहा है।
कुल मिलाकर, वैश्वीकरण ने बिहार को विकास के नए अवसर दिए हैं, लेकिन साथ ही कुछ चुनौतियां भी पैदा की हैं। इन चुनौतियों का सामना करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
प्रश्न 3. भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर- वैश्वीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को कई तरह से लाभान्वित किया है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं:-
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: वैश्वीकरण ने भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित किया है, जिससे देश के विकास के लिए आवश्यक पूंजी मिली है।
- प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा ने भारतीय कंपनियों को अधिक कुशल और नवोन्मेषी बनने के लिए प्रेरित किया है।
- नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग: वैश्वीकरण ने भारत को विकसित देशों की उन्नत तकनीक तक पहुंच प्रदान की है, जिससे उत्पादकता बढ़ी है।
- उपभोक्ता लाभ: भारतीय उपभोक्ताओं को अब विश्वस्तरीय उत्पाद उचित कीमतों पर उपलब्ध हैं।
- नए बाजारों तक पहुंच: भारतीय कंपनियों को अब वैश्विक बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने का अवसर मिला है।
- उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा ने भारतीय उद्योगों को अपनी उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रेरित किया है।
- वित्तीय क्षेत्र में सुधार: वैश्विक मानकों के अनुरूप बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में सुधार हुआ है।
- मानव पूंजी का विकास: अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा और कौशल विकास पर जोर बढ़ा है।
- रोजगार के नए अवसर: विदेशी कंपनियों के आगमन और निर्यात में वृद्धि से नए रोजगार सृजित हुए हैं।
- आर्थिक विकास: वैश्वीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की है, जिससे समग्र आर्थिक विकास में तेजी आई है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वैश्वीकरण के लाभों के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी हैं, जिन्हें संतुलित नीतियों के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए।
प्रश्न 4. वैश्वीकरण का आम आदमी पर पड़े प्रभाव की चर्चा करें।
उत्तर- वैश्वीकरण का आम आदमी पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़े हैं। सकारात्मक प्रभावों में शामिल हैं:-
- उपभोक्ता वस्तुओं की बेहतर उपलब्धता और विविधता
- आधुनिक तकनीक तक पहुंच में वृद्धि
- कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के नए अवसर
हालांकि, नकारात्मक प्रभाव भी महत्वपूर्ण हैं:-
- अकुशल और अर्द्धकुशल श्रमिकों के लिए बेरोजगारी का खतरा
- छोटे और मध्यम उद्यमों पर बड़ी कंपनियों का दबाव
- श्रम संगठनों की शक्ति में कमी, जिससे श्रमिकों के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं
- कृषि क्षेत्र में बड़े पूंजीपतियों का प्रवेश, जो छोटे किसानों के लिए चुनौती बन सकता है
- आय असमानता में वृद्धि की संभावना
वैश्वीकरण से समाज के उच्च शिक्षित और संपन्न वर्ग को अधिक लाभ मिलने की संभावना है, जबकि गरीब और कम शिक्षित वर्ग को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो वैश्वीकरण के लाभों को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाएं और नकारात्मक प्रभावों को कम करें।